मोदी सरकार की खिलाफत के लिए वामपंथी इको सिस्टम किस हद तक गिर सकते हैं, इसी का जीवंत उदाहरण है इंडीपेंडेन्ट पब्लिक स्पीरिटेड मीडिया फाउंडेशन (IPSMF) और इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (IAMC) की अमेरिका में जुगलबंदी। अब यह कोई छिपा हुआ तथ्य नहीं रहा है कि आईपीएसएम फाउंडेशन के खाने के और दिखाने के दांत अलग-अलग हैं। यह फाउंडेशन सिर्फ दिखाने भर को स्वतंत्र, जन उपयोगी पत्रकारिता की मददगार है। असल में यह सिर्फ मोदी सरकार के खिलाफ खबरों से झूठ गढ़ रहे वामपंथी इको सिस्टम का हिस्सा है। जिसमें अजीम प्रेमजी और रोहिणी नीलेकणी की अहम भूमिका है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि 9 दिसंबर 2022 को IPSMF द्वारा वित्तपोषित द वायर की आरफ़ा खानम IAMC के लिए धन जुटाने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में थीं। इससे ज्यादा हैरानी की बात यह है कि उनके द्वारा जुटाए इस फंड का इस्तेमाल हिंदुओं को दोष देने के लिए इस काल्पनिक झूठ को फैलाने में होगा कि कुछ समय बाद भारत में हिंदुओं द्वारा एक बड़ा नरसंहार होगा!IAMC का भारत के खिलाफत का लंबा इतिहास, वामपंथी इको सिस्टम को करता है फंडिंग
इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (IAMC) एक कट्टरपंथी इस्लामवादी समूह, जिसके कथित तौर पर प्रतिबंधित आतंकी संगठनों जैसे कि स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) से संबंध रहे हैं और जिसका भारत के खिलाफ पैरवी करने का एक लंबा इतिहास रहा है। इसने पहले भी वामपंथी इको सिस्टम के पत्रकारों, वेबसाइटों (द वायर, न्यूज़ मिनट, न्यूज़ लॉन्ड्री आदि) को फंडिंग की है। दरअसल, IAMC “अमेरिका में भारतीय मुसलमानों का सबसे बड़ा वकालत संगठन” होने का दावा करती है और अक्सर शरिया अदालतों की वकालत करती है। वह भारत के खिलाफ गलत सूचना फैलाती है। अपना हित साधने वाले जर्नलिस्ट को यह विभिन्न नकद पुरस्कार देती है। बताते हैं कि इसके द्वारा शॉर्टलिस्ट किए गए नामों में द कारवां मैगज़ीन के शाहिद तांत्रे, स्क्रॉल की ऐश्वर्या एस अय्यर, द वायर की इस्मत आरा, द कारवां की सुमेधा मित्तल, द वायर की नाओमी बार्टन और द न्यूज़ मिनट की प्रियंका थिरुमूर्ति और की आकांक्षा कुमार शामिल हैं।
अजीम प्रेमजी और नीलेकणी ने 2015 में IPSMF नाम से पंजीकृत फाउंडेशन बनाया
इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर बताती है कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान 2015 के अंत में अजीम प्रेमजी और रोहिणी नीलेकणी ने 100 करोड़ रुपए के साथ IPSMF नाम से पंजीकृत एक समूह का नेतृत्व किया। परामर्श एजेंसी The Bridgespan Group के साथ रोहिणी नीलेकणी का साक्षात्कार है, जिसमें वह IPSMF के बारे में बता रही हैं कि कैसे उन्होंने एक समूह बनाया है, ताकि सरकार उन्हें पहचान ना सके ! उन्होंने IPSMF के लिए एकीकृत ट्रस्टियों को नियुक्त किया। उनके पहले ट्रस्टी आशीष धवन थे। आशीष धवन सेंट्रल स्क्वायर फाउंडेशन के संस्थापक हैं, जिसको बिल गेट्स द्वारा पैसा दिया जाता है। अशोक विश्वविद्यालय के संस्थापक सदस्य भी आशीष धवन ही हैं!
In USA a few cartels are working very hard to blame Hindus by spreading an imaginary conspiracy theory that there will be a genocide in India by Hindus!
But do you know that our Indian businessmen like Azim Pemji and Nilekani etc are indirectly playing a role in this process?
— Vijay Patel?? (@vijaygajera) January 9, 2023
अब नया प्रोपेगंडा लाए… हिंदुओं द्वारा भारत में एक बड़ा नरसंहार होगा!
अब सोशल प्लेटफार्म ट्वीटर पर @vijaygajera के ट्वीटर हैंडल पर विजय पटेल के थ्रेड से यह चौंकानेवाली बात सामने आई है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में में कुछ कार्टेल एक काल्पनिक साजिश फैलाकर हिंदुओं को दोष देने की रणनीति बना रहे हैं। वो यह प्रोपेगंडा फैलाने के लिए बहुत मेहनत कर रहे हैं कि हिंदुओं द्वारा भारत में एक नरसंहार होगा! लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे भारतीय व्यवसायी जैसे अजीम पेमजी और नीलेकणि आदि अप्रत्यक्ष रूप से इस प्रक्रिया में अहम भूमिका निभा रहे हैं?
पहले ही बता चुके हैं कि इसके पीछे कौनसे उद्योगपति भी हैं? अजीम प्रेमजी और नीलेकणि दंपति के नेतृत्व में, व्यापारियों के एक समूह ने द वायर, द कारवां, ऑल्ट न्यूज़ और कई अन्य जैसे तथाकथित स्वतंत्र मीडिया को फंड देने के लिए एक ट्रस्ट IPSMF बनाया है!
On 9th December 2022, Arfa Khanum of IPSMF funded The Wire was in the USA to raise funds for IAMC. This fund is being used to put sanctions on India! Yes, you have heard it right! pic.twitter.com/RFiNPTwfsw
— Vijay Patel?? (@vijaygajera) January 9, 2023
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि 9 दिसंबर 2022 को IPSMF द्वारा वित्तपोषित द वायर की आरफ़ा खानम IAMC के लिए धन जुटाने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में थीं। इससे ज्यादा हैरानी की बात यह है कि उनके द्वारा जुटाए इस फंड का इस्तेमाल भारत पर प्रतिबंध लगाने के लिए किया जा रहा है!
मोदी सरकार के खिलाफ झूठ गढ़ रहे वामपंथी इको सिस्टम का हिस्सा है IPSMF
दिखाने भर को कुछ साल पहले अजीम प्रेमजी गिविंग प्लेज (Donors pledge) पर हस्ताक्षर करने वाले पहले भारतीय एलीट (elite or upmost) बने। यह अभियान बिल और मेलिंडा गेट्स द्वारा शुरू किया गया ! इसीलिए जब फेक न्यूज़ फैलाने और हिन्दू विरोधी खबरों के लिए कुख्यात मोहम्मद ज़ुबैर की गिरफ़्तारी के बाद लिबरल और वामपंथी गिरोह उसके बचाव में उतरा तो किसी को आश्चर्य नहीं हुआ। जुबैर की गिरफ़्तारी पर कॉन्ग्रेस से लेकर राना अय्यूब तक और राजदीप से लेकर कविता कृष्णन तक गिरोह के कई लोगों ने बेवजह अपनी छाती पीटी।
Just after a few days on 21 December 2022, IAMC has organized a congressional briefing about their imaginary conspiracy theory that Hindus are going to do genocide in India in the next few years! pic.twitter.com/4ZDFcRpvF5
— Vijay Patel?? (@vijaygajera) January 9, 2023
यह कांग्रेस के साथ मिलकर किस तरह की सुनियोजित साजिश चल रही है, यह इससे भी जाहिर है कि इसके कुछ ही दिनों के बाद ही 21 दिसंबर 2022 को IAMC ने कांग्रेस की एक ब्रीफिंग का आयोजन किया, जिसमें उसी काल्पनिक षडयंत्र सिद्धांत के बारे में बताया गया कि अगले कुछ वर्षों में कैसे हिंदू भारत में नरसंहार करने जा रहे हैं!
Ather Zia was one of the speaker in this event.
Oh wait, she also writes anti-India articles in IPSMF funded The Caravan!
Wow! pic.twitter.com/nImzfOkK6d
— Vijay Patel?? (@vijaygajera) January 9, 2023
इस कार्यक्रम में एथर जिया एक वक्ता थीं। आप जरूर जानना चाहेंगे कि यह एथर जिया कौन है? हम आपको बताते हैं कि यह जिया वहीं हैं, जो आईपीएसएमएफ द्वारा वित्तपोषित द कारवां में भी भारत विरोधी लेख लिखती हैं!
Wait! IAMC also gives cash prizes to Propaganda Journalists of the same IPSMF-funded anti-India and anti-Hindu propaganda media houses! pic.twitter.com/rdA4b7Cnqt
— Vijay Patel?? (@vijaygajera) January 9, 2023
दिलचस्प तथ्य यह भी है कि IAMC उसी IPSMF द्वारा वित्त पोषित है, जो भारत विरोधी और हिंदू विरोधी प्रचार मीडिया घरानों के वामी पत्रकारों को नकद पुरस्कार भी देता है! ट्वीटर थ्रेड के मुताबिक हम हिन्दुओं को IPSMF समूह के प्रत्येक व्यवसायी को धन्यवाद कहना चाहिए! क्योंकि उनके वित्तीय समर्थन के बिना द वायर, द कारवां आदि कोई भी प्रचार माध्यम नहीं होगा, जो हमें नरसंहार को बढ़ावा देने वाला बताता है!
ऐसा नहीं है कि IPSMF की वामी इको सिस्टम के साथ सांठगांठ की पोल अभी खुली हो। इससे पहले भी Alt News के जुबैर की गिरफ्तारी के समय भी ये उजागर हुआ था कि कैसे उसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों से समर्थन मिल रहा है! और कैसे जुबैर के ऑल्ट न्यूज को IPSMF ही फंडिंग करता है…तब @GORKHA_SANDEEP ने सुपर एक्सक्लूसिव और बेहद महत्वपूर्ण थ्रेड डिकोडिंग की है। देखिए यह पड़ताल…
2. जैसा कि आप में से बहुत से लोग जानते हैं कि, द वायर, द कारवां, आर्टिकल 14, बरखा दत्त की मोजो स्टोरी, जुबैर की ऑल्ट न्यूज़ और प्रतीक सिन्हा सहित कई अन्य डिजिटल वामपंथी प्रचार मीडिया कार्टेल, एक एनजीओ IPSMF से डोनेशन लेते हैं। pic.twitter.com/zeJHZZaTgH
— GORKHA_SANDEEP (@PR0UD__INDIAN) July 5, 2022
IPSMF केवल ऑल्ट न्यूज को ही नहीं, जैसा आपमें से बहुत से लोग जानते हैं कि, द वायर, द कारवां, द प्रिंट, आर्टिकल 14, बरखा दत्त की मोजो स्टोरी और प्रतीक सिन्हा सहित कई अन्य डिजिटल वामपंथी प्रचार मीडिया कार्टेल, इस एनजीओ IPSMF से डोनेशन लेते हैं।
यह बहुत चालाकी से बेहद कम right wing वालों को भी डोनेट करते हैं, ताकि वे उस आधार पर अपनी तटस्थता (neutrality) का दावा कर सकें! लेकिन अन्य सभी मीडिया प्लेटफॉर्म हिंदू विरोधी और कुछ मामलों में भारत विरोधी हैं।
4. यहाँ IPSMF के दाताओं (Donors) की सूची है। इस समूह का नेतृत्व अजीम प्रेमजी कर रहे हैं, और रोहिणी नीलेकणी इस एनजीओ में एक बड़ी भूमिका निभा रही हैं! pic.twitter.com/VvYmdSBw3t
— GORKHA_SANDEEP (@PR0UD__INDIAN) July 5, 2022
यहाँ IPSMF के दाताओं (Donors) की सूची है। इस समूह का नेतृत्व अजीम प्रेमजी कर रहे हैं, और रोहिणी नीलेकणी इस एनजीओ में एक बड़ी भूमिका निभा रही हैं! 2013 में, अजीम प्रेमजी उस गिविंग प्लेज (Donors pledge) पर हस्ताक्षर करने वाले पहले भारतीय एलीट (elite or upmost) बन गए, जो अभियान बिल गेट्स और मेलिंडा गेट्स द्वारा शुरू किया गया था !
6. 2015 में एक NGO The Bridgespan Group भारत आया था।
Bridgespan group को बिल गेट्स, फोर्ड फाउंडेशन, रॉकफेलर फाउंडेशन, ओमिडयार नेटवर्क और कई अन्य अमेरिकी गैर सरकारी संगठनों द्वारा भारी पैसा दिया जाता है।
यह समूह non-govt संगठनों के लिए एक परामर्श एजेंसी के रूप में कार्य कर रहा है! pic.twitter.com/Fy4l1fw1jB— GORKHA_SANDEEP (@PR0UD__INDIAN) July 5, 2022
2015 में एक NGO The Bridgespan Group भारत आया था। Bridgespan group को बिल गेट्स, फोर्ड फाउंडेशन, रॉकफेलर फाउंडेशन, ओमिडयार नेटवर्क और कई अन्य अमेरिकी गैर सरकारी संगठनों द्वारा भारी पैसा दिया जाता है। यह समूह non-govt संगठनों के लिए एक परामर्श एजेंसी के रूप में कार्य कर रहा है! और भारत में उनकी क्लाइंट लिस्ट में अजीम प्रेमजी, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, फोर्ड फाउंडेशन, ओमिडयार नेटवर्क, द रॉकफेलर फाउंडेशन और टाटा ट्रस्ट जैसे नाम हैं!
8. 2015 के अंत में, अजीम प्रेमजी और रोहिणी नीलेकणी ने 100 करोड़ रुपए के साथ IPSMF नाम से पंजीकृत एक समूह का नेतृत्व किया! pic.twitter.com/NmExvr4iVg
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2015 के अंत में, अजीम प्रेमजी और रोहिणी नीलेकणी ने 100 करोड़ रुपए के साथ IPSMF नाम से पंजीकृत एक समूह का नेतृत्व किया।
9. यहां परामर्श एजेंसी द ब्रिजस्पैन ग्रुप के साथ रोहिणी नीलेकणी का साक्षात्कार है, जहां वह IPSMF के बारे में बोल रही हैं। उसने कहा कि उन्होंने एक समूह बनाया है, ताकि सरकार उन्हें पहचान ना सके ! उसने यह भी कहा कि उन्होंने IPSMF के लिए एकीकृत ट्रस्टियों को नियुक्त किया है! pic.twitter.com/GIphGXCYuv
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यहां परामर्श एजेंसी द ब्रिजस्पैन ग्रुप के साथ रोहिणी नीलेकणी का साक्षात्कार है, जहां वह IPSMF के बारे में बोल रही हैं। उसने कहा कि उन्होंने एक समूह बनाया है, ताकि सरकार उन्हें पहचान ना सके ! उसने यह भी कहा कि उन्होंने IPSMF के लिए एकीकृत ट्रस्टियों को नियुक्त किया है।
10. चलिए मैं आपको उनके तथाकथित एकीकृत trusties (ट्रस्टी) के बारे में कुछ तथ्य दिखाता हूँ! उनके पहले ट्रस्टी आशीष धवन थे। आशीष धवन सेंट्रल स्क्वायर फाउंडेशन के संस्थापक हैं जिसे फिर से बिल गेट्स द्वारा पैसा दिया जाता है! जरा राशि तो देखो! pic.twitter.com/vNGCOyDmse
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चलिए मैं आपको उनके तथाकथित एकीकृत trusties (ट्रस्टी) के बारे में कुछ तथ्य दिखाता हूँ! उनके पहले ट्रस्टी आशीष धवन थे। आशीष धवन सेंट्रल स्क्वायर फाउंडेशन के संस्थापक हैं, जिनको बिल गेट्स द्वारा पैसा दिया जाता है! आश्चर्यजनक रूप से इन्हें 2018 में 27 करोड़ से ज्यादा की वित्तीय मदद मिली! यही आशीष धवन, अशोक विश्वविद्यालय के संस्थापक सदस्य भी हैं! भागीदारों की सूची देखें! बिल गेट्स, अजीम प्रेमजी, ओमिडयार, रोहिणी नीलेकणी और ऑक्सफैम जैसे फिर से वही नाम! यह विभाग बिल गेट्स, रोहिणी नीलेकणी और ओमिडयार द्वारा दिए गए पैसे से चलता है।
12. अन्य दो ट्रस्टी सी बी भावे हैं जो इंडियन इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन सेटलमेंट्स (आईआईएचएस) के अध्यक्ष हैं, और रुक्मिणी बनर्जी जो प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन की सीईओ हैं। दिलचस्प बात यह है कि उनके दोनों एनजीओ बिल गेट्स द्वारा दिए गए पैसे से चलते हैं! pic.twitter.com/zGH21pbvGP
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अन्य दो ट्रस्टी सी बी भावे हैं जो इंडियन इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन सेटलमेंट्स (आईआईएचएस) के अध्यक्ष हैं, और रुक्मिणी बनर्जी जो प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन की सीईओ हैं। दिलचस्प बात यह है कि उनके दोनों एनजीओ बिल गेट्स द्वारा दिए गए पैसे से चलते हैं।
13. आइए, रोहिणी नीलेकणि पर वापस आते हैं, जो IPSMF के प्रमुख संस्थापकों में से एक हैं। वह एक एनजीओ EK STEP फाउंडेशन की सह-संस्थापक हैं! आगे आते हुए इसने बिल गेट्स के साथ भी गठजोड़ किया है! pic.twitter.com/WpHFpUI0FY
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आइए, रोहिणी नीलेकणि पर वापस आते हैं, जो IPSMF के प्रमुख संस्थापकों में से एक हैं। वह एक एनजीओ EK STEP फाउंडेशन की सह-संस्थापक हैं! आगे आते हुए इसने बिल गेट्स के साथ भी गठजोड़ किया है। एक साक्षात्कार में, रोहिणी नीलेकणी ने कहा कि वह जॉर्ज सोरोस, बिल गेट्स और फोर्ड फाउंडेशन के काम की प्रशंसा करती हैं!
14. एक साक्षात्कार में, रोहिणी नीलेकणी ने कहा कि वह जॉर्ज सोरोस, बिल गेट्स और फोर्ड फाउंडेशन के काम की प्रशंसा करती हैं! pic.twitter.com/A25P5NQrZJ
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15. इस लेख को पढ़ें जो IPSMF की निवेश सलाहकार लक्ष्मी चौधरी द्वारा लिखा गया है, वह IPSMF, बिल गेट्स फाउंडेशन और ओमिडयार समूह के बीच एक बैठक के बारे में बात कर रही है! फिर भी, क्या किसी को संदेह है कि IPSMF वास्तव में बिल गेट्स और अन्य अमेरिकी non-gov संगठनों द्वारा चलाया जाता है? pic.twitter.com/mnDzHAOn7e
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IPSMF की निवेश सलाहकार लक्ष्मी चौधरी द्वारा एक लेख लिखा गया है, वह IPSMF, बिल गेट्स फाउंडेशन और ओमिडयार समूह के बीच एक बैठक के बारे में बात कर रही हैं! फिर भी, क्या किसी को संदेह है कि IPSMF वास्तव में बिल गेट्स और अन्य अमेरिकी non-gov संगठनों द्वारा चलाया जाता है?
17. अब मैं आपको बिल गेट्स की कुछ अन्य फंडिंग दिखाता हूँ! अल जज़ीरा और एनडीटीवी दो नाम जिन्हें हर भारतीय अच्छी तरह जानता है। आप उन्हें हमेशा IPSMF से पैसा लेते हुए पाएंगे। दिलचस्प बात यह है कि इन दोनों को बिल गेट्स से भी पैसा मिला है! pic.twitter.com/TXTIs3wQLe
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अब मैं आपको बिल गेट्स की कुछ अन्य फंडिंग दिखाता हूँ! अल जज़ीरा और NDTV दो नाम जिन्हें हर भारतीय अच्छी तरह जानता है। आप उन्हें हमेशा IPSMF से पैसा लेते हुए पाएंगे। दिलचस्प बात यह है कि इन दोनों को बिल गेट्स से भी पैसा मिला है!
18. राजीव गांधी फाउंडेशन और राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट को भी बिल गेट्स से करोड़ों मिले हैं! pic.twitter.com/exmcLUgjtb
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राजीव गांधी फाउंडेशन और राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट को भी बिल गेट्स से करोड़ों मिले हैं। यह कुछ भारतीय elite वर्ग के साथ अंतरराष्ट्रीय elite वर्ग का एक शक्तिशाली चक्र है! एक तरफ वे पूरे वामपंथी पारिस्थितिकी तंत्र को Funding देते हैं और दूसरी ओर वे अर्थव्यवस्था और डिजिटल शासन की रीढ़ भी बने हुए हैं।
21. हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि बिल गेट्स ने इतने सारे अंतरराष्ट्रीय मीडिया आउटलेट्स को भी पैसा (वित्त पोषित) दिया है! फ़ैक्ट-चेकिंग उद्योग सहित इन सभी मीडिया समूहों का एक जाल है!
— GORKHA_SANDEEP (@PR0UD__INDIAN) July 5, 2022
ये सभी लोग कई परियोजनाओं पर नीति आयोग और राज्य सरकारों के साथ काम करते हैं! वे जीएसटी और आयकर वेबसाइटों के माध्यम से डिजिटल अर्थव्यवस्था चलाते हैं। हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि बिल गेट्स ने इतने सारे अंतरराष्ट्रीय मीडिया आउटलेट्स को भी पैसा दिया है! फ़ैक्ट-चेकिंग उद्योग सहित इन सभी मीडिया समूहों का एक जाल है!
22. पूरे वामपंथी समूह को इन लोगों का समर्थन मिलता है और यही कारण है कि जब हमारी सरकार उनकी संपत्ति के खिलाफ कार्रवाई करती है तो उन्हें संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन से समर्थन मिलता है! The Caravan (कारवां ) को IPSMF से पैसा (वित्त पोषित) मिलता है ! और इस तरह वे हिंदुओं को निशाना (target) बनाते हैं।
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25. वित्तीय जाल (Financial trap) के बारे में समझने के लिए सभी को यह वीडियो देखना चाहिए!https://t.co/faO3mYiWCU
— GORKHA_SANDEEP (@PR0UD__INDIAN) July 5, 2022
एक और दिलचस्प तथ्य: बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और फोर्ड फाउंडेशन भारत में बिना FCRA लाइसेंस के काम कर रहे हैं !
Super Exclusive and Extremely Important Thread
Decoding IPSMF and faces behind it!
1. Recently propaganda fact-checker Zubair was arrested by Delhi Police and people are shocked to see that he gates support from the UN and other international organizations!
Read this thread?
— Vijay Patel?? (@vijaygajera) July 4, 2022