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महाराष्ट्र में भारी पड़े भतीजे की चाचा Sharad Pawar को सलाह- ‘इतनी उम्र हो गई अब रिटायर हो जाओ, 2024 में MODI ही आएंगे’… एनसीपी की लड़ाई चुनाव आयोग पहुंची, अजित को 40 विधायकों का समर्थन!

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महाराष्ट्र सरकार में अजित पवार के डिप्टी सीएम बनने के बाद एनसीपी की लड़ाई दिलचस्प हो गई है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी के नाम और सिंबल पर दावे को लेकर शरद पवार और अजित पवार दोनों गुटों ने चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया है। चाचा-भतीजा गुटों का शक्ति प्रदर्शन भी जारी है। चाचा शरद पर भतीजे अजित भारी पड़ते नजर आ रहे हैं। अजित के पाले में अपने चाचा की तुलना में काफी ज्यादा विधायक पहुंचे हैं। बांद्रा के भुजबल नॉलेज सिटी सेंटर में हुई बैठक में अजित पवार ने चाचा को सलाह दी कि उनकी उम्र अब बहुत ज्यादा हो गई है। राज्य सरकार के कर्मचारी 58 साल में केंद्र के 60 साल में भाजपा में 75 साल में रिटायर्ड हो जाते हैं, लेकिन आप 84 साल के हैं। फिर भी रिटायर नहीं हो रहे हैं। इस पर सुप्रिया सुले ने कहा कि अमिताभ बच्चन की उम्र क्या है – 82। वारेट बफेट की उम्र क्या है। तो उम्र सिर्फ एक नंबर है। इसलिए उम्र को लेकर मेरे पिता पर ऊंगली उठाने की जरूरत नहीं है।अजित ने एनसीपी पर दावा ठोकते हुए चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया
राष्ट्रीय अध्यक्ष की हैसियत से शरद पवार ने प्रफुल पटेल और तटकरे को पार्टी से निकाल दिया, जिसके जवाब में अजित पवार ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया और पार्टी में कई नियुक्तियां कर दी हैं। कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल पटेल ने जयंत पाटिल की जगह तटकरे को महाराष्ट्र अध्यक्ष बनाया है। एनसीपी चीफ शरद पवार से अजित पवार की बगावत अब अगले दौर में पहुंच गई है। अब शरद पवार और अजित पवार दोनों गुट अपने आप को असली एनसीपी बता रहे हैं। इसी बीच अजित पवार ने एनसीपी पर दावा ठोकते हुए चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया है। तो वहीं, शरद पवार ने भी चुनाव आयोग में कैविएट याचिका दाखिल कर दी है। शरद पवार खेमे की ओर से चुनाव आयोग को पूरी स्थिति के बारे में जानकारी दे दी गई है। साथ ही कहा गया है कि कोई भी फैसला सुनाने से पहले उनका भी पक्ष सुना जाए।

चाचा पवार को लिया आड़े हाथों, अजित बोले 2024 में मोदी जी ही आएंगे
महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम ने अपने गुट की बैठक में चाचा पवार को खूब आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि पहले आपने इस्तीफा दिया, फिर कमेटी बनाई और सुप्रिया सुले को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया। जब इस्तीफा वापस लेना ही था तो दिया ही क्यों था? 2004 के विधानसभा चुनाव में एनसीपी के पास कांग्रेस से ज्यादा विधायक थे, अगर हमने उस समय कांग्रेस को मुख्यमंत्री पद नहीं दिया होता, तो आज तक महाराष्ट्र में केवल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का ही मुख्यमंत्री होता। अजित ने जोर देकर कहा कि 2024 के चुनाव में भी मोदी जी ही आएंगे। इसलिए महाराष्ट्र के विकास के लिए उनके हाथ मजबूत करना ही समय की जरूरत है। उन्होंने कहा कि एनसीपी का 2004 में आंकड़ा 71 था। मैं ‌उसे इसके आगे ले जाउंगा। इसके लिए हमें काम करने होंगे और उसके लिए अब आपकी छाया से निकलना जरूरी है। उन्होंने कहा कि पवार 1962 में राजनीति में आए, अब उनकी आराम करने की उम्र है।

शरद पवार गुट की बैठक में एनसीपी के दस विधायक भी नहीं पहुंचे
दूसरी ओर शरद पवार ने 1 बजे नरीमन पॉइंट पर वाई.बी. चव्हाण सेंटर में सभी विधायकों, सांसदों और जिले से लेकर तालुका स्तर तक सभी अधिकारियों और इकाइयों के पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई है। बैठक से पहले सुप्रिया सुले और अनिल देशमुख के अलावा सात-आठ विधायक ही वाई.बी. चव्हाण सेंटर पहुंचे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अब पवार को कुछ ही विथायकों का समर्थन है। इनमें जयन्त पाटिल (वालवा), जीतेन्द्र आव्हाड( मुंब्रा), अनिल देशमुख ( कटोल), रोहित पवार ( कर्जत-जामखेड़), प्राजक्त तनपुरे (राहुरी), संदीप क्षीरसागर ( बीड शहर), दौलत दरोदा (शाहपुर), नवाब मलिक (अणुशक्तिनगर), मकरंद पाटिल (वाई), मानसिंह नाइक (शिराला), सुमनताई पाटिल (तासगांव), बालासाहेब पाटिल (कराड उत्तर) और सुनील भुसारा (विक्रमगढ़) के नाम शामिल हैं। अजित पवार गुट की नजर इनमें से भी कुछ विधायकों को अपने पाले में करने की है। वे इसके लिए कुछ विधायकों के लगातार संपर्क में हैं।

अजित पवार गुट का दावा- पार्टी के 40 विधायकों का मिला हुआ है समर्थन
बैठकों के इस शक्ति प्रदर्शन में अजित पवार अपने चाचा से बहुत आगे निकलते दिख रहे हैं। उनकी बैठक में तीस से ज्यादा विधायक पहुंचे हैं और कुछ अन्य विधायकों ने उनके साथ आने का वादा किया है। जो विधायक अब तक नहीं पहुंचे हैं, अजित पवार खुद उन्हें फोन कर रहे हैं। अजित पवार के साथ मंत्री पद की शपथ लेने वालों में धनंजय मुंडे (परली), छगन भुजबल (येओला), दिलीप वाल्से पाटिल (अंबेगांव), अदिति तटकरे (श्रीवर्धन), हसन मुश्रिफ (कागल), अनिल पाटिल (अमलनेर), धर्मरावबाबा अत्राम (अहेरी), संजय बनसोडे (उद्गीत) शामिल हैं। इसके अलावा सुनील टिंगरे (वडगांव शेरी), सुनील शेलके (मावल), अतुल बेंके( जुन्नार), अशोक पवार ( शिरूर), सरोज अहिरे (देवलाली), नरहरि ज़िरवाल ( डिंडोरी), इंद्रनील नाइक (पुसद), किरण लाहमाते (अकोले), नीलेश लंके (पारनेर), संग्राम जगताप (अहमदनगर शहर), शेखर निकम (चिपलून), दत्ता भरणे (इंडापुर), अन्ना बंसोडे (पिंपरी), माणिकराव कोकाटे (सिन्नर) और दीपक चव्हाण (फलटण) अजित पवार के साथ हैं। अजित पवार गुट 40 विधायकों के समर्थन की बात कर रहा है।

राहुल गांधी को लेकर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस में ही भ्रम की स्थिति- पटेल
इस बीच अजित पवार ने अपने समकक्ष देवेंद्र फडणवीस से उनके सरकारी आवास पर मुलाकात की और मंत्रियों के विभाग आवंटन पर चर्चा की। इस दौरान सुनील तटकरे, प्रफुल पटेल और छगन भुजबल भी उपस्थित थे। यह बैठक करीब एक घंटे तक चली। सूत्रों के मुताबिक इसमें मंत्रियों के विभाग आवंटन को अंतिम रूप दिया गया। उधर मीडिया के बातचीत में विपक्षी एकता के प्रयासों पर प्रफुल पटेल ने कहा, ‘पिछले नौ वर्षों में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश ने प्रगति की है। विपक्षी दलों की बैठक के लिए मैं पटना में था। मैंने देखा वहां क्या हुआ। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस में भ्रम की स्थिति है कि राहुल गांधी नेता हैं या नहीं। हमें नहीं पता उस पार्टी को कौन चलाता है।’ ऐसी पार्टी और ऐसे विपक्ष का साथ देने से महाराष्ट्र का विकास नहीं हो सकता।

समय का पहिया घूमा, 78 में ऐसे ही शरद पवार अलग हुए थे
दरअसल, इतिहास खुद को दोहराता है। 2 जुलाई 2023 को महाराष्ट्र की राजनीति ने नई करवट ली। राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले शरद पवार को मात देते हुए भतीजे अजित पवार ने एनसीपी पार्टी में बगावत की और बीजेपी का दामन थाम लिया। उन्होंने सरकार में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली और उनके कुछ साथी विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली। उन्हें एनसीपी के 53 में से 40 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। इस घटना के बाद महाविकास अघाड़ी के साथ ही विपक्षी एकता पर सवाल खड़े हुए। इससे तिलमिलाए शिवसेना के प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि अजित पवार ने महाराष्ट्र की पीठ में खंजर भोंका है। अगर ऐसा है तो फिर तो यह भी कहना पड़ेगा कि शरद पवार ने भी 1978 में यही काम किया था। कुछ इसी तरह की घटना महाराष्ट्र की राजनीति में 1978 में घटी थी। उस वक्त पवार ने तत्कालीन मुख्यमंत्री वसंतदादा पाटील को धोखा देकर 40 विधायकों के साथ अलग हो गए थे और मुख्यमंत्री बन गए थे।

तब 40 विधायकों के साथ बगावत कर सीएम बने थे शरद पवार
शरद पवार लगभग 45 साल पहले कांग्रेस से बगावत करते हुए 40 विधायकों को लेकर अलग हो गए थे। इसके चलते वसंतदादा पाटील की सरकार गिर गई थी। पवार ने 18 जुलाई, 1978 को प्रगतिशील लोकतांत्रिक मोर्चा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी, जिसमें कई विपक्षी दल शामिल थे। 1978 में विधानमंडल सत्र चल रहा था। तत्कालीन गृह मंत्री नासिक राव तिरपुडे ने मुख्यमंत्री पाटील को उद्योग मंत्री पवार से उनकी सरकार को खतरे के बारे में चेतावनी दी थी। वसंतदादा ने उनसे कहा था कि शरद अभी मुझसे मिले थे। उसी दिन बाद में वसंतदादा ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

पवार अपनी पार्टी में सुप्रिया सुले को बढ़ा रहे थे, लेकिन अब पार्टी ही अधर में
काबिले गौर है कि पिछले माह ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष घोषित किया था। पवार ने पार्टी की 25वीं वर्षगांठ पर यह घोषणा की। शरद पवार की इस घोषणा ने उनके भतीजे और पूर्व डिप्टी सीएम अजीत पवार के विरोध की जमीन तैयार कर दी। चाचा ने उनके सामने सुप्रिया सुले को अध्यक्ष बनाकर उन्हें झटका दिया तो अब अजित पवार ने उससे बड़ा झटका पवार को दे दिया है। दरअसल, पवार अपनी बेटी को राजनीतिक विरासत धीरे-धीरे सौंपने की तरफ आगे बढ़ रहे थे। लेकिन अजित के पावर प्ले से शरद पवार के कदम डगमगा गए हैं। काबिले गौर है कि पवार ने 1999 में पार्टी की स्थापना की थी। मई में पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की पवार ने ‘नौटंकी’ भी की, जिसका पार्टी के सदस्यों के साथ-साथ अन्य राजनीतिक नेताओं ने विरोध किया था। इसके बाद सुप्रिया सुले को आगे लाया गया। लेकिन अजित के फैसले ने चाचा शरद पवार की सारी रणनीतियां फेल कर दी हैं।

महाराष्ट्र में उठे सियासी भूचाल ने राजनीतिक सरगर्मी तेज कर दी है। अजित पवार की बगावत के बाद एनसीपी के घर का आंगन दो हिस्सों में बंट गया है। अब सबकी नजरें उनके चाचा और शरद पवार पर टिकी हैं, जो आजकल तीसरे मोर्चे की बैठकों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे थे। आइये जानते हैं इस बदलाव की पांच खास बातें…

  • बढ़ेगी एनडीए की ताकत : अजित पवार की इस बगावत को लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के लिए राहत और विपक्षी दलों की एकता के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। विपक्षी दल लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के खिलाफ गठबंधन बनाने की प्रक्रिया में हैं और शरद पवार को इस महागठबंधन का सूत्रधार माना जा रहा है। ऐसे में पहले शिवसेना और अब एनसीपी के एक-एक गुट के अलग होने से विपक्षी एकता पर असर जरूर पड़ेगा। इससे बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए की ताकत बढ़ने वाली है।
  • भतीजे को अनदेखी बर्दाश्त नहीं हुई: दरअसल, कई महीनों से शरद पवार और अजित पवार के बीच की दूरियां बढ़ रही थीं। सुप्रिया सुले को आगे लाने निर्णय ने जख्म पर नकम का काम किया। इससे अजित और बीजेपी के बीच नजदीकी बढ़ गई। सारी अटकलों पर विराम लगाते हुए 63 वर्षीय अजित पवार ने बीजेपी के साथ आकर महाराष्ट्र के दूसरे उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली। उनके साथ एनसीपी आठ नेताओं को भी शिवसेना-बीजेपी सरकार में मंत्री नियुक्त किया गया. जिसमें छगन भुजबल, दिलीप वाल्से पाटिल, हसन मुशरिफ, धनंजय मुंडे, अदिति तटकरे, धर्मराव अत्राम, अनिल पाटिल और संजय बनसोडे शामिल हैं।

  • अब ट्रिपल इंजन की सरकार: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अजित पवार और अन्य एनसीपी नेताओं का स्वागत करते हुए कहा कि अब डबल इंजन की सरकार ट्रिपल इंजन की हो गई है। अब राज्य विकास की राह पर तेजी से आगे बढ़ेगा। अब हमारे पास एक मुख्यमंत्री और दो उपमुख्यमंत्री हैं। इससे राज्य का तेजी से विकास करने में मदद मिलेगी।
  • पवार ने पीएम की तारीफ के पुल बांधे: महाराष्ट्र के नव-नियुक्त डिप्टी सीएम अजित पवार ने पीएम नरेन्द्र मोदी की खूब सराहना की है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बीते 9 सालों में देश को बहुत ही अच्छे तरीके से चलाया जा रहा है। पीएम ने देश-दुनिया में भारत का गौरव बढ़ाया है। इसके बावजूद पीएम को हराने के लिए आज सभी विपक्षी दल निजी स्वार्थों में साथ में आ रहे हैं। इनकी बैठक में कुछ आउटपुट सामने निकल कर नहीं आता है। अगर हम शिवसेना के साथ जा सकते हैं, तो हम बीजेपी के साथ भी जा सकते हैं।
  • हमें 40 विधायकों का समर्थन हासिल:  न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक महाराष्ट्र के राज्यपाल को लिखे पत्र में अजित पवार ने 40 से अधिक एनसीपी विधायकों और विधान परिषद के छह सदस्यों के समर्थन का दावा किया है। एनसीपी के पास 53 विधायक हैं। अजित पवार ने शपथ लेने के बाद कहा कि एनसीपी के सभी विधायक उनके साथ हैं। वे एनसीपी के नाम और चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ेंगे। पवार ने खुद को असली एनसीपी करार देते हुए पार्टी और उसके चुनाव चिह्न पर दावा ठोक दिया है।

 

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