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पत्रकारिता के कलंक ओम थानवी

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पत्रकारिता एक ऐसा पेशा है, जिसमें पत्रकार निष्पक्षता से समाज की सच्चाई को सामने रखता है, लेकिन आज के वक्त में कुछ पत्रकारों के लिए पत्रकारिता निष्पक्ष नहीं रह गई है, बल्कि अपना पर्सनल एजेंडा चलाने या फिर तत्थों को अपने हिसाब से तोड़ कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार को बदनाम करने का हथियार बन गई है। देश के कई बड़े पत्रकार खुलेआम इसी काम में लगे हुए हैं। Perform India  ऐसे पत्रकारों के कारनामों की पड़ताल कर रहा है। आज हम वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी की एजेंडा पत्रकारिता की पड़ताल कर रहे हैं।

परिचय- ओम थानवी की गिनती देश के बड़े पत्रकारों की जाती है, वो हिंदी अखबार जनसत्ता के संपादक रह चुके हैं। राजस्थान के जोधपुर जिले के रहने वाले ओम थानवी ने पत्रकारिता की शुरुआत 1978 से की थी, वो 1980 से 1989 तक राजस्थान पत्रिका में रहे और फिर 26 वर्ष तक (1989 से 2015) तक इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के हिंदी अखबार जनसत्ता में रहे और यहीं से संपादक के पद से रिटायर हुए। फिलहाल ओम थानवी जेएनयू के सेंटर फॉर मिडिया स्टडीज में विजिटिंग प्रोफेसर हैं, साहित्य, कला, पर्यावरण, राजनीति समेत तमाम मुद्दों पर लिखते रहते हैं। ओम थानवी को पत्रकारिता क्षेत्र के कई पुरस्कारों से भी नवाजा जा चुका है।

सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी का विरोध है मकसद

ओम थानवी हैं तो काफी वरिष्ठ, लेकिन इनकी सोच काफी संकुचित और घटिया है। इनका बस एक ही काम है कि देश को विकास के मार्ग पर ले जाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध। चाहे अखबारों के लेख हों या फिर सोशल मीडिया पर इनके कमेंट, सभी में ओम थानवी सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी का विरोध करते नजर आते हैं। इनके कुछ ट्वीट इस बात की गवाही देते हैं कि थानवी जी प्रधानमंत्री के विरोध में इतने मशगूल हैं कि कुछ भी लिख दे रहे हैं। पूरा देश देख रहा है कि केंद्र में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद किस तरह चौतरफा विकास हुआ है, यह ऐसे पत्रकार हैं कि इन्हें कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा है।

 

प्रधानमंत्री मोदी के विरोधियों का समर्थन

प्रधानमंत्री मोदी का विरोध करने के साथ ओम थानवी उनलोगों का घोर समर्थन करते हैं जो, हर मुद्दे पर प्रधानमंत्री को कोसते हैं। इनके ट्विटर और फेसबुक के पेज ऐसी टिप्पणियों से भरे पड़े हैं, जिनमें इन्होंने पीएम मोदी की नीतियों और उनके जनहित में लिए गए फैसलों का विरोध करने वालों को सिर्फ लाइक ही नहीं किया है, बल्कि उनका पुरजोर समर्थन भी किया है।

जिग्नेश की गाली-गलौच का समर्थन

देश का यह नामचीन पत्रकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में इतना डूब गया है कि देश द्रोहियों का साथ देने में गौरव महसूस करता है। अभी हाल ही में ओम थानवी ने गुजरात में कांग्रेस पार्टी के साथ चुनाव लड़ने वाले जिग्नेश मेवानी की प्रधानमंत्री मोदी के बारे में की गई अभद्र टिप्पणी का समर्थन किया है। जिग्नेश मेवानी ने कहा था अब गुजरात चुनाव के बाद प्रधानमंत्री मोदी को हिमालय में जाकर हड्डियां गलाना चाहिए। जिग्नेश मेवानी पीएफआई नाम के संगठन से जुड़े हैं और यह संगठन देशद्रोही गतिविधियों में लिप्त रहा है। थानवी जी को देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ की गई जिग्नेश मेवानी की इस टिप्पणी में कुछ भी गलत नहीं दिखाई दिया, और उन्होंने फेसबुक और ट्विटर पर खुलकर इसका समर्थन किया है।

मोदी विरोध में देश द्रोहियों का भी साथ

इतना ही नहीं इससे पहले कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर द्वारा प्रधानमंत्री पर की गई टिप्पणी का भी वो समर्थन कर चुके हैं। जब गुजरात में प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की पाक राजनयिकों के साथ गुपचुप मीटिंग का मुद्दा उठाया था, तो उसका भी एजेंडा पत्रकार ओम थानवी ने विरोध किया था। इससे पहले यह एजेंडा पत्रकार जेएनयू में देश के खिलाफ नारेबाजी करने वाले छात्र नेता कन्हैया कुमार का भी समर्थन कर चुका है।

पीएम मोदी के विरोधी पत्रकारों का प्रचार

देश में तमाम पत्रकार ऐसे हैं जिनका एक मात्र एजेंडा प्रधानमंत्री मोदी का विरोध करना है, और ओम थानवी का एजेंडा ऐसे पत्रकारों का प्रचार करना है। शेखर गुप्ता, राजदीप सरदेसाई, निखिल बाघले, अजीत अंजुम, निधि राजदान, विनोद कापड़ी समेत ऐसे पत्रकारों की लिस्ट काफी लंबी है, जो हमेशा पीएम मोदी और केंद्र सरकार के विरोध में बोलते रहते हैं। सबसे हैरत की बात है कि ओम थानवी की फेसबुक और ट्विटर वॉल पर ऐसे पत्रकारों के पोस्ट सुशोभित रहते हैं, और थानवी जी को इनके पोस्ट रिट्वीट करने में खासा मजा आता है।



चुनाव में एजेंडा बनाकर करते हैं काम

ओम थानवी ऐसे पत्रकारों में शुमार हैं, जो हर चुनाव में अपना एजेंडा बनाकर काम करते हैं, या फिर किसी और के एजेंडे पर काम करते हैं। गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान ओम थानवी का यह एजेंडा पूरी तरह से सामने आ गया है। गुजरात चुनाव के दौरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे राज्य में तमाम रैलियों को संबोधित किया और विकास, किसान, गरीब-मजदूर की आर्थिक उन्नति, महिलाओं की सुरक्षा समेत तमाम मुद्दों को उठाया। प्रधानमंत्री मोदी को सुनने के लिए हर रैली में भारी भीड़ उमड़ी, लेकिन एजेंडा पत्रकार ओम थानवी को यह कुछ नहीं दिखाई दिया। दरअसल इनका एजेंडा तो प्रचार अभियान को फ्लॉप दिखाना था, इसलिए इन्हें सिर्फ प्रधानमंत्री की रैलियों में खाली कुर्सियां हीं नजर आईं। इससे पहले उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी ओम थानवी ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में बीजेपी के सफाए की बात कही थी। हालांकि बाद में उत्तर प्रदेश में इतनी बंपर जीत भी ओम थानवी को पची नहीं थी। 

तो आपने देखा किस तरह वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्र सरकार और बीजेपी के खिलाफ एजेंडा पत्रकारिता कर रहे हैं। ओम थानवी की यह पत्रकारिता, इस पेश के लिए कलंक के समान है। एक पत्रकार को अपनी बात निष्पक्ष तौर पर कहनी चाहिए, लेकिन जिस तरह ओम थानवी काम कर रहे हैं, वो इस पेशे को बदनाम करने के अलावा और कुछ नहीं है। समझ में नहीं आता है कि पत्रकारिता को करियर बनाने वाले छात्र इन जैसों पत्रकारों से क्या शिक्षा लेंगे ?

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