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हाईकोर्ट की फटकार के बाद केजरीवाल सरकार ने 5 स्टार होटल में कोविड सेंटर बनाने का आदेश किया रद्द, कोर्ट ने कहा- हालात संभालने में नाकाम रही दिल्ली सरकार

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दिल्ली हाईकोर्ट की फटकार के बाद देर रात अरविंद केजरीवाल सरकार ने फाइव स्टार होटल में जजों के लिए 100 बिस्तरों का स्पेशल कोविड फेसिलिटी बनाने के फैसले को तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार देर रात एक ट्वीट किया कि अशोका होटल में न्यायाधीशों के लिए एक कोविड-19 देखभाल केंद्र बनाने संबंधी आदेश तत्काल वापस लेने के निर्देश जारी किए गए हैं।

जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रेखा पल्ली की पीठ ने समाचार रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लेते हुए  कहा कि अशोका होटल में जजों के लिए 100 बिस्तरों वाली स्पेशल कोविड फेसिलिटी बनाने के लिए हमने कभी नहीं कहा था। जबकि, न्यूज रिपोर्ट में ऐसा ही दिखाया जा रहा है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को तत्काल उस आदेश में बदलाव करने को कहा, जिसमें अशोका होटल में बेड अरेंज करने को कहा गया था। कोर्ट ने कहा कि ऐसे आदेशों से ज्यूडिशियरी के बारे में गलत संदेश जाता है।

अदालत ने दिल्ली सरकार से पूछा कि आखिर आप क्या बताना चाहते हैं ऐसे आदेश के ज़रिए? क्या आप यह बताना चाहते हैं कि आपने हमको फायदा दिया या आपने हमको खुश करने के लिए ऐसा किया। इसके बाद दिल्ली सरकार ने कहा कि मीडिया में गलत रिपोर्टिंग हुई है जिस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि आपके आदेश में ऐसा लिखा है। कोर्ट ने कहा कि यहां मीडिया गलत नहीं है यहां आपका आदेश गलत है। कोर्ट ने कहा आप ऐसा सोच भी कैसे सकते हैं कि हम आपसे ऐसा आदेश जारी करने को कहेंगे वह भी तब जब दिल्ली में लोगों की सड़कों पर मौत हो रही है।

इस दौरान हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के रवैये पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि हर तरफ सिर्फ गड़बड़ी है और आप उसे ठीक करने में नाकाम साबित हो रहे हैं। आप दिल्ली में सरकार चला रहे हैं। हालात सुधारने की जिम्मेदारी भी आपकी है। दिल्ली में ऑक्सीजन की कालाबाजारी को लेकर हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि कुछ सौ रुपए के ऑक्सीजन सिलेंडर लाखों रुपए में बेचे जा रहे हैं। कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि आपके पास एक्शन लेने का पॉवर है। जो लोग ऑक्सीजन की कालाबाजारी कर रहे हैं, सरकार उनके प्लांट्स का अधिग्रहण करे।

गौरतलब है कि दिल्ली सरकार के इस आदेश पर विवाद खड़ा हो गया था। केजरीवाल सरकार के आदेश पर डॉक्टरों और सोशल मीडिया में लोगों ने सवाल उठाए थे। फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल से जुड़े और जाने-माने ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. कौशल कांत मिश्रा ने केजरीवाल सरकार के इस आदेश पर नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने इसे भेदभावपूर्ण बताते हुए लोकतंत्र के लिए घातक करार दिया। उन्होंने कहा कि यह (आदेश पारित) तो चमचागिरी करने के लिए दिल्ली सरकार ने दिया है। अगर होटल के 100 बेड रिजर्व करा दिए जाएंगे, तो आस-पास रहने वाले गरीब लोग कहां इलाज कराएंगे ?

एबीपी न्यूज पर कोरोना संकट से जुड़ी एक चर्चा के दौरान 25 अप्रैल को जारी आदेश पर उन्होने कहा कि पहली लाइन में लिखा है कि 100 कमरे बुक किए गए हैं। लोकतंत्र में यह कहां तक न्यायोचित है ? गरीब और हेल्थ केयर वर्कर मर रहे हैं और इस तरह कमरों का रिजर्वेशन हाईकोर्ट के लिए शर्मनाक बात है। मुझे लगता है कि इस आदेश पर फौरन रोक लगनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि हाईकोर्ट ने सरकार को अगर आवेदन किया तो सरकार ऐसा पक्षपात करने का आदेश कैसे दे सकती है? इसमें अधिक गलती दिल्ली सरकार की है।

ये खबर आने के बाद ट्विटर पर अशोका होटल ट्रेंड करने लगा। लोगों के अलग-अलग रिएक्शन आने लगे। कुछ लोगों ने इसे दिल्ली हाईकोर्ट को दिया जाने वाला घूस तक बता दिया। एक यूजर ने लिखा कि दिल्ली में आम लोगों के लिए बेड नहीं हैं, लेकिन अरविंद केजरीवाल अशोका होटल के 100 कमरों को दिल्ली हाईकोर्ट के जजों, न्यायिक अधिकारियों और उनके परिजनों के लिए कोविड केयर सेंटर में बदल रहे हैं। वह अब अपनी अक्षमता को ढकने के लिए रिश्वतखोरी का सहारा ले रहे हैं।

एक यूजर ने गुस्सा जाहिर करते हुए लिखा,  “गरीब और मिडिल क्लास लोग हॉस्पिटल बेड और ऑक्सीजन की कमी से रोड पर मर रहे हैं। वहीं जजों और उनके परिवार के लिए अशोका होटल में सुविधाएं दी जा रही हैं। यही है आपके लिए आम आदमी केजरीवाल।”

एक दूसरे यूजर ने लिखा, “दिल्ली सरकार ने अशोका होटल के एक हिस्से को हाईकोर्ट के जजों और उनके परिवारों के लिए एक शानदार कोविड सुविधा में बदल दिया है। आम नागरिकों के लिए बेड और ऑक्सीजन नहीं है लेकिन जजों के लिए 5 स्टार वाली सुविधा दी जा रही है।”

 

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