उत्तर प्रदेश का सर्वाधिक राजस्व वाला जिला गौतम बुद्ध नगर जिसमें नोएडा ग्रेटर नोएडा जैसा शहर बसता है। देश की राजधानी दिल्ली से सटे होने के कारण यह हर तरह से वीआईपी की श्रेणी में है। कोई कल्पना भी नहीं कर सकता कि यहां भी ऐसा गांव हो सकता है, जिस गांव में अब तक बिजली नहीं पहुंची थी। बिजली के अभाव में अधिकतर ग्रामीण गांव छोड़कर चले गए थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर ‘अंधेरे में डूबे गांव’ की खोज ने ग्रेटर नोएडा से तिलवाड़ा नाम के एक गांव को खोज निकाला है, जहां आजादी के 70 वर्षों के बाद बिजली पहुंचाई गई है।
ग्रेटर नोएडा का तिलवाड़ा गांव यमुना एक्सप्रेसवे और गौतमबुद्ध यूनिवर्सिटी (जीबीयू) से मात्र दो किमी की दूरी पर है। इस गांव से परी चौक की दूरी महज 9 किमी है। बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट जहां एफ-1 की गाड़ियां फर्राटे से दौड़ाई जाती है, वह करीब 5 किलोमीटर दूरी पर है। इसी गांव से मात्र 1500 मीटर दूर कई आईटी, मोबाइल कंपनियां और एएमआर मॉल है। इतना कुछ होने के बाद भी, आजादी के 7 दशकों बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल से बिजली पहुंची है। बिजली पहुंचने से ग्रामीणों में खुशी की लहर है। बिजली ने ग्रामीणों की जिंदगी को रोशन करना शुरू कर दिया है। लोगों को उम्मीद है कि जो परिवार बिजली व अन्य सुविधाओं की राह देखते-देखते पलायन कर गए। वे गांव जरूर लौटेंगे।
एलीफेंटा की गुफाएं हुईं रौशन, टापू के 200 घरों में भी पहुंची बिजली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर सौभाग्य योजना के अंतर्गत देश की आर्थिक नगरी मुंबई से महज 10 किलोमीटर दूर एलीफेंटा या घरापुरी टापू पर आजादी के 70 साल बाद बिजली पहुंची है। एलीफेंटा टापू के तीन गांव आजादी के बाद से ही अंधेरे में डूबे हुए थे।
समुद्र में बिछाई गई बिजली की केबल
बिजली विभाग के अधिकारियों के अनुसारर एलीफेंटा टापू पर बिजली पहुंचाने के लिए समुद्र में 7.5 किलोमीटर केबल बिछाई गई है, यह भारत में समुद्र में बिछाया गया सबसे लंबा केबल है। इस टापू पर विद्युतीकरण की परियोजना में कुल 25 करोड़ की लागत आई है, और इसे पूरा करने में 15 महीने के समय लगा है। बिजली विभाग ने तीनों गांवों में छह-छह स्ट्रीट लाइट टॉवर लगाए हैं, और इन पर शक्तिशाली एलईडी बल्ब लगाए गए हैं। इसके साथ ही इन गांवों के दो सौ घरों में बिजली के मीटर कनेक्शन और कुछ उपभोक्ताओं को व्यावसायिक कनेक्शन भी दिए गए हैं। बिजली पहुंचने की खुशी में लोगों ने एलीफेंटा टापू के गांवों के निवासियों ने पारंपरिक सजावट कर अपनी खुशी जताई।
जोकापाथ गांव में आजादी के बाद पहली बार पहुंची बिजली
पिछले वर्ष दिसंबर में ही छत्तीसगढ़ में बलरामपुर जिले के जोकापाठ गांव में भी आजादी के बाद पहली बार बिजली पहुंची थी। आजादी के 70 साल बाद बिजली पहुंचने पर लोगों की खुशी की ठिकाना नहीं रहा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार की नीतियों के चलते इस गांव का अंधेरा दूर हो पाया। खुशी में डूबे गांव के लोगों का कहना था कि अब उनके गांव के बच्चे पढ़-लिख सकेंगे। गांव के विकास की यह कहानी जब सोशल मीडिया के जरिये श्री नरेंद्र मोदी तक पहुंची तो वह भी बेहद खुश हुए। गांववालों के लिए इस ऐतिहासिक दिन पर प्रधानमंत्री मोदी भावुक हो गए। प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा कि ऐसी खबरें बेहद खुश और भावुक कर देती हैं। इतनी सारी जिंदगियों को रोशनी देखना आनंददायक है।
Such news makes me extremely happy and emotional. It is gladdening to see so many lives being brightened. https://t.co/4hVrHc4elv
— Narendra Modi (@narendramodi) December 17, 2017
दरअसल, जोकापाठ गांव के पहाड़ों के बीच होने के कारण यहां बिजली पहुंचाना बहुत ही मुश्किल का काम था। आजादी के 70 साल बाद भी यहां बिजली ना पहुंचने की बात जब मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को मिली तो उन्होंने इसपर काम करने को कहा। बिजली के खंभे लगाए गए, ट्रांसफॉर्मर लगाया गया, तार खींचे गए और लोगों को बिजली मिलनी शुरू हो गई। गांव के सरपंच ने खुशी जताते हुए कहा कि अब बिजली आने के बाद गांव के बच्चे अच्छे से पढ़ाई कर सकेंगे और जिंदगी में आगे बढ़ सकेंगे। गांव के बच्चे बिजली आने से काफी खुश हैं। बच्चे रोशनी में पढ़ाई कर रहे हैं। अब जोकापाठ बिजली पहुंचने से गांव के साथ-साथ इलाके के विकास में तेजी आएगी।