‘द वायर’ समाचार वेबसाइट साल 2015 से वैकल्पिक पत्रकारिता के रुप में हमें खबरों का जहर परोस रही है। वेबसाइट की सभी खबरों को एकपक्षीय सूचनाओं और आंकड़ों को आधार बनाकर एक रंग दिया जाता है। ये खबरें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विरोध के जहर में डूबी हुई होती हैं।
एक ही व्यक्ति के खिलाफ पत्रकारिता के नाम पर विष वमन करने वाली इस वेबसाइट के संपादक सिद्दार्थ वरदराजन हैं। विदेश में काम करके, देश लौटने वाले सिद्धार्थ ने टाइम्स ऑफ इंडिया से पत्रकारिता की शुरुआत की। द वायर नाम से समाचार वेबसाइट की शुरुआत करने से पहले सिद्दार्थ वरदराजन द हिन्दू समाचार पत्र में संपादक के रुप में काम कर चुके हैं। इस वेबसाइट को लांच करने के पीछे सिद्धार्थ का एक ही मकसद है कि प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ खबरों का एक प्लेटफार्म खड़ा किया जाए और पीएम मोदी के सभी विरोधियों को गोलबंद किया जा सके।
सिद्धार्थ वरदराजन की वेबसाइट द वायर में प्रकाशित अब तक की खबरों पर नजर डालें तो उनका मकसद साफ नजर आ जाता है। इन खबरों में सिर्फ सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ विष वमन ही होता है। आइए आपको द वायर की कुछ खबरों के उदाहरण से बताते हैं कि सिद्धार्थ वरदराजन की वैकल्पिक पत्रकरिता आखिर कैसी है-
विष वमन की पत्रकारिता-1- 1 फरवरी को द वायर ने वेबसाइट पर एक वीडियो अपलोड किया, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ विष वमन करने वाली एक क्लिप है। इस वीडियो को दिखाने के पीछे सिद्धार्थ वरदराजन की मंशा यही थी कि मोदी का राजनीतिक विरोध किया जाए। द वायर की इस अमर्यादित और तर्कहीन वीडियो क्लिप की रिपोर्ट-
विष वमन की पत्रकारिता-3- 31 जनवरी को द वायर ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें आंकड़ों को तोड़ा मरोड़ा गया और उसे सही साबित करने के लिए उन विशेषज्ञों के कथनों को आधार बनाया जो राजनीतिक रुप से प्रधानमंत्री मोदी के धुर विरोधी हैं। इस रिपोर्ट में सच्चाई को छुपाते हुए विश्लेषण किया गया। इस रिपोर्ट में इसका जिक्र नहीं किया गया कि आजादी के बाद से चली आ रही किसानों की समस्याओं के लिए सबसे लंबे समय तक देश में शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी की लचर नीतियां और क्रियान्वयन जिम्मेदार हैं। इस समस्या को ऐसे पेश किया गया जैसे देश के किसानों की समस्या पिछले तीन-चार सालों में ही पैदा हुई है। इस तथ्य को पूरी तरह से नकारा गया कि किस तरह किसानों की समस्या के मूल कारणों को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने कदम उठाए हैं, जिसे कांग्रेस की सरकारों को पहले ही लागू कर देना चाहिए था। आप भी द वायर की इस रिपोर्ट को देखिए-
विष वमन की पत्रकारिता-6 -4 फरवरी को द वायर ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा गरीबों के लिए 2018 के बजट में घोषित की गई आयुष्मान भारत योजना पर एक लेख प्रकाशित किया। लेख ने 10 करोड़ गरीब परिवारों यानी 50 करोड़ गरीब लोगों को 5 लाख रुपये की मुफ्त स्वास्थ्य योजना पर सवाल उठाते हुए इसे लोकलुभावन घोषित कर दिया। वेबसाइट ने यह भी बताने का प्रयास किया कि इस योजना को सरकार लागू नहीं कर सकती है क्योंकि उसके पास इसे लागू करने के लिए पर्याप्त धन नहीं है। लेकिन रिपोर्ट ने इस ओर ध्यान नहीं दिया कि सरकार ने शेयरों की खरीद फरोख्त से होने वाली आमदनी पर 10 प्रतिशत का टैक्स लगाकर इस योजना को लागू करने की सारी तैयारी पहले से ही कर रखी है। इस लेख में यह भी ध्यान नहीं दिया कि प्रधानमंत्री मोदी ने तीन सालों के अंदर गरीबों के लिए शौचालयों, मुफ्त गैस कनेक्शन, जन धन खाते, सड़कें, घर, बिजली आदि की योजनाओं को बहुत मजबूती से लागू कर दिया है। विष वमन करती हुई द वायर की रिपोर्ट-
विष वमन की पत्रकारिता-7- 1 फरवरी को राजस्थान उपचुनावों में आए परिणामों को लेकर जिस तरह से एकपक्षीय रिपोर्टिंग द वायर ने की, उससे यह समझना कठिन नहीं है कि सिद्धार्थ वरदराजन ने इन परिणामों को तूल देकर कर राजनीतिक गोलबंदी करने का काम किया। वेबसाइट की हर एक रिपोर्ट में सीधा निशाना प्रधानमंत्री मोदी को बनाने का काम किया। राजस्थान के उपचुनावों पर की गई द वायर की एकपक्षीय और कुतर्क से भरी रिपोर्टस को देखिए-