प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जिस प्रकार केंद्र सरकार लगातार कदम उठा रही है, उसका असर देश की अर्थव्यव्था पर दिखाई दे रहा है। कोरोना काल में चरमराई इकोनॉमी मोदी सरकार की नीतियों की वजह से एक बार फिर तेजी से मजबूत हो रही है। एसोचौम के मुताबिक देश की अर्थव्यवस्था ने पिछले कुछ महीनों में उल्लेखनीय सुधार दिखाया है। एसोचैम के अनुसार विनिर्माण पीएमआई में सुधार और निर्यात में वृद्धि के आंकड़े अर्थव्यवस्था के महामारी के प्रभाव से बाहर निकलने का संकेत दे रहे हैं।
एसोचैम ने अपनी ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति पर आकलन’ रिपोर्ट में आने वाले महीनों में इसमें और सुधार की बात कही। रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘देश के चाहे विनिर्माण पीएमआई (परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स) को देखा जाए या सेवा क्षेत्र पीएमआई, दोनों ही जगह तेजी से सुधार दृष्टिगत है। विनिर्माण पीएमआई सितंबर 2020 में 56.8 अंक रहा जो जनवरी 2012 के बाद का सबसे उच्च स्तर है। वहीं सेवा क्षेत्र पीएमआई सितंबर में बढ़कर 49.8 अंक हो गया जो अगस्त में 41.8 था।’’
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि एक देश के तौर पर हमने कोविड-19 महामारी को कड़ी चुनौती दी है। देश की अर्थव्यवस्था को फिर खोलने का काम लगभग पूरा हो चुका है। लोग मास्क पहनकर, शारीरिक दूरी के नियमों का पालन करते हुए काम पर लौट रहे हैं। हालांकि, केंद्र सरकार, राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन द्वारा लोगों की आदत में सुधार के लिए लगातार प्रचार अभियान चलाने की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य आपात स्थिति में भी निडर होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने श्रम, कृषि कानूनों में सुधार और रक्षा उत्पादन एवं विनिर्माण में घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन देने का काम किया है जो अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाएगा।
इससे पहले भी कई अर्थशास्त्री और संगठन भारतीय अर्थव्यस्था को लेकर सकारात्म रुख दिखा चुके हैं। डालते हैं एक नजर-
फिक्की की अध्यक्ष संगीता रेड्डी ने कहा- सितंबर में आर्थिक मोर्चे पर मिले बेहतर संकेत
भारत के व्यवसायिक संगठन फिक्की (FICCI) की अध्यक्ष डॉ. संगीता रेड्डी ने नोबेल पुरस्कार विजेता और अमेरिकी अर्थशास्त्री जोसेफ ई स्टिग्लिज के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि स्टिग्लिज को भारतीय अर्थव्यवस्था की समझ नहीं है। सितंबर का महीना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए काफी बेहतर रहा है। कई आर्थिक मोर्चों पर सुधार के संकेत दिखाई दिए। इससे कोविड-19 का सामना करने और उससे बाहर निकलने में भारतीय अर्थव्यवस्था सफल रही है।
Economic indicators for September show a smart recovery for India. We will soon bounce back. Naysayers like Joseph Stiglitz don’t understand the Indian economy or resilience: Dr Sangita Reddy, President, FICCI. pic.twitter.com/WAoGZCgWSc
— FICCI (@ficci_india) October 7, 2020
दरअसल, मंगलवार को फिक्की के एक कार्यक्रम में अर्थशास्त्री जोसेफ ई स्टिग्लिज ने दावा किया था कि भारत ने कोविड-19 का ठीक से सामना नहीं किया। भारत सरकार कोविड-19 महामारी का मुकाबला करने के लिए आवश्यक धन जुटाने में विफल रही। उन्होंने कहा कि प्रवासी मजदूरों को घर जाने की छूट देने से महामारी का संक्रमण बढ़ गया और पाबंदी का उद्देश्य विफल हो गया। उन्होंने नस्लवादी और विषम राजनीति के लिए अमेरिका की आलोचना करते हुए कहा कि भारत में भी ऐसी ही विभाजनकारी राजनीति हो रही है। इससे सामाज और अर्थव्यवस्था को नुकसान होता है।
आठ साल बाद पीएमआई उच्चतम स्तर पर पहुंचा
सितंबर महीने में कोरोना संकट से उबरती हुई भारतीय अर्थव्यवस्था ने फिर रफ्तार पकड़ ली। एक साथ कई आर्थिक मोर्चे पर बढ़ोतरी देखी गई। बाजार में मांग सुधरने से आठ साल बाद इंडियन मैन्यूफैक्चरिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। सितंबर में पीएमआई 56.8 के स्तर पर पहुंच गया। वहीं इस साल अगस्त में पीएमआई 52 के स्तर पर था। यह लगातार दूसरा महीना था, जब पीएमआई 50 से ऊपर रहा। पीएमआई इकोनॉमी के बारे में पुष्ट जानकारी को आधिकारिक आंकड़ों से भी पहले उपलब्ध कराता है। इससे अर्थव्यवस्था के बारे में सटीक संकेत पहले ही मिल जाते हैं।
वाहनों की बिक्री में आई तेजी
ऑटो सेक्टर के लिए सितंबर का महीना राहत देने वाला रहा। वाहनों की बिक्री में आई तेजी से मैन्यूफैक्चरिंग को मजबूती मिली। मारुति सुजुकी की घरेलू बिक्री में सितंबर में पिछले साल सितंबर के मुकाबले 32.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। सुजुकी का देश के मोटर वाहनों में 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है। इसी तरह दूसरी कंपनियों की बिक्री में भी बढ़ोतरी दिखी गई।
देश के निर्यात में 5.27 प्रतिशत की बढ़ोतरी
देश के निर्यात में लगातार छह महीने की गिरवाट पर विराम लग गया और सितंबर महीने में सालाना आधार पर यह 5.27 प्रतिशत बढ़कर 27.4 अरब डॉलर पहुंच गया। इस दौरान व्यापार घाटा कम होकर 2.91 अरब डॉलर पर आ गया। वहीं वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक आलोच्य महीने में आयात 19.6 प्रतिशत घटकर 30.31 अरब डॉलर रहा। जिसके कारण व्यापार घाटा 2.91 अरब डॉलर रह गया। व्यापार घाटा पिछले साल सितंबर में 11.67 अरब डॉलर और निर्यात 26.02 अरब डॉलर रहा था।
जीएसटी कलेक्शन अगस्त के मुकाबले 9 प्रतिशत अधिक
जीएसटी का कलेक्शन इस साल सितंबर माह में 95,480 करोड़ रहा जो पिछले साल सितंबर के मुकाबले करीब 4 प्रतिशत अधिक है और इस साल अगस्त के मुकाबले यह 9 प्रतिशत अधिक है। जीएसटी कलेक्शन में बढ़ोतरी से सरकार को राजस्व के मोर्चे पर बड़ी राहत मिलेगी और वित्तीय घाटे में कमी आएगी।
रेलवे की माल ढुलाई में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी
देश भर में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होते ही सप्लाई चेन ने भी काम करना प्रारंभ कर दिया। सितंबर में माल की ढुलाई में तेजी देखी गई, जो पिछले साल सितंबर के मुकाबले अधिक है। रेलवे की माल ढुलाई में बढ़ोतरी से सितंबर में 14 प्रतिशत अधिक राजस्व की प्राप्ति हुई। सितंबर में 1021 लाख टन माल की ढुलाई की गई जो पिछले साल सितंबर के 885 लाख टन मुकाबले 15 प्रतिशत अधिक है।
बिजली उत्पादन में 4.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज
सितंबर महीने में बिजली उत्पादन में भी तेजी देखी गई। पॉवर सिस्टम ऑपरेशन कारपोरेशन के मुताबिक इस साल सितंबर में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले बिजली उत्पादन में 4.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। जबकि खपत में पिछले साल के मुकाबले 5.6 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दिखी। कोयला उत्पादन में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले अगस्त में 3.6 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई थी। इसको देखते हुए सितंबर में बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही है।
सितंबर महीने में पेट्रोल की बिक्री में बढ़ोतरी
सितंबर महीने में पेट्रोल की बिक्री पिछले साल की समान अवधि के तुलना में 2 प्रतिशत अधिक रही। इस साल मार्च के बाद पहली बार पेट्रोल की खपत में पिछले साल के मुकाबले बढ़ोतरी हुई है। इस साल अगस्त के मुकाबले सितंबर में डीजल की बिक्री 22 प्रतिशत अधिक हुई। इन संकेतों से पता चलता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अब कोरोना महामारी को मात देकर तेजी से आगे बढ़ रही है।