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दिल्ली की जनता बिजली-पानी के लिए त्रस्त, केजरीवाल की पार्टी मंदसौर में मस्त

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आम आदमी पार्टी और उसके विवादास्पद नेता अपनी हरकतों से बाज आने वाली नहीं हैं। गोवा-पंजाब के बाद दिल्ली की जनता ने भी उन्हें बार-बार सुधर जाने का इशारा किया था। लेकिन मंदसौर की घटना ने फिर दिखा दिया है कि वो उनमें से नहीं हैं, जो गलतियों से सीखना चाहते हैं। उम्मीद की जा रही थी कि अब दिल्ली के विवादास्पद मुख्यमंत्री अपनी अराजकतावाद की राजनीति छोड़कर जनता के लिए भी कुछ काम करेंगे। लेकिन अरविंद केजरीवाल ने उनकी उम्मीदों पर पलीता लगाते रहने का ही फैसला किया है। उन्होंने पार्टी के नेताओं को दिल्ली की जनता को बिजली-पानी के लिए त्राहि-त्राहि करता छोड़ मंदसौर की आग भड़काने के लिए भेज दिया है।

किसान के नाम पर जंतर-मंतर कांड दोहराना चाहती है ‘आप’ ?
मध्यप्रदेश के मंदसौर में किसान आंदोलन में हिंसा भड़काने के पीछे कांग्रेस का हाथ सामने आ चुका है। गुरुवार को राहुल गांधी ने वहां जाकर आग में घी डालने की कोशिश की थी। शुक्रवार को दिल्ली में कभी उनकी सहयोगी रही आम आदमी पार्टी ने भी चिताओं की आग में राजनीति की रोटी सेंकने का तिकड़म रचा। न्यूज पोर्टल पत्रिका के अनुसार आम आदमी पार्टी के नेता मंदसौर जाने के लिए जैसे ही माननखेड़ा टोल नाके पर पहुंचे पुलिस ने उनका इरादा भांपकर उन्हें वहीं पर रोक दिया। इससे पहले राहुल गांधी भी वहां के तनाव को और बढ़ाने की चाल चलते देखे जा चुके हैं। लेकिन पुलिस ने उन्हें बता दिया कि वो शांति-व्यवस्था बनाए रखेगी और किसी भी सूरत में उनकी सियासी नौटंकियों को नहीं चलने दिया जाएगा। सवाल उठता है कि यदि आम आदमी पार्टी सच में किसानों के हित के बारे में सोचती है, तो क्या वो कुछ दिनों तक प्रतीक्षा नहीं कर सकती थी? वहां स्थिति सामान्य हो जाने पर भी तो जाया जा सकता है। लेकिन, मंशा किसान के हित की हो तब न। तिकड़म तो राजनीतिक लाभ लेने का हो रहा है। केजरीवाल की इन्हीं चालबाजियों के चलते दिल्ली के जंतर-मंतर पर राजस्थान के एक किसान की मौत तक हो चुकी है।

दिल्ली में बिजली-पानी के लिए त्राहिमाम
राजधानी दिल्ली को इस साल बिजली-पानी के ऐतिहासिक संकट से जूझना पड़ रहा है। लेकिन न तो विवादास्पद सीएम केजरीवाल को कोई चिंता है और न ही विवादों से भरी उनकी पार्टी को। दिल्ली की जनता 67 सीटें देकर ‘आप’ को विधानसभा में भेजा तो इसीलिए कि उन्हें भरोसा था कि कांग्रेस के कारनामों से ये दिल्ली को उबार लेंगे। लेकिन सच्चाई ये है कि केजरीवाल ने मुफ्त पानी और बिजली सब्सिडी का सामने से झांसा तो दिया, लेकिन पीछे से उनकी पीठ में छुरा भी घोंप दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में देश बिजली संकट से उबर चुका है। भारत अब बिजली का निर्यातक बन चुका है। बिजली की कहीं कोई कमी नहीं है। लेकिन केजरीवाल सरकार बिजली खरीद ही नहीं रही है, तो घरों में बिजली आएगी कहां से ? उसी तरह पूर्व सीएम शीला दीक्षित पर वॉटर टैंकर घोटाले का आरोप लगाते-लगाते स्वयं ही उसी घोटाले में फंस गई है। ऐसे आरोप केजरीवाल के नजदीकी मंत्री रहे कपिल मिश्रा ने ही लगाए हैं।

घूसखोरी और घोटालों से ध्यान हटाना चाहते हैं केजरीवाल !
आशंका यही पैदा होती है कि अरविंद केजरीवाल अपने कारनामों से जनता का ध्यान हटाने के लिए नेताओं को मंदसौर का सियासी टूर करवाना चाहते हैं। लगभग सवा दो साल के कार्यकाल में केजरीवाल सरकार ने घोटालों का रिकॉर्ड बना दिया है। ऐसा कोई दिन नहीं बीतता जब कपिल मिश्रा उनकी करतूतों की पोल न खोल रहे हों। यहां तक कि सीएम पर अपने ही मंत्री से 2 करोड़ रुपये घूस लेने का भी आरोप है। स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन पर लग रहे घोटालों के आरोपों की लिस्ट तैयार करना भी अब आसान नहीं है। यही कारण है कि केजरीवाल अपने नेताओं का मंदसौर टूर करा रहे हैं, ताकि जनता का ध्यान भटकाया जा सके। लेकिन केजरीवाल जी आपको जितनी नौटंकी करनी थी आप कर चुके हैं। अब आपसे हिसाब लेने का समय है। दिल्ली की जनता पाई-पाई का हिसाब लेगी।

कपिल मिश्रा के आरोपों से ध्यान भटकाने का तिकड़म !
केजरीवाल के पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने केजरीवाल की बोलती बंद कर रखी है। यही कारण है कि बिना बात के भी आरोपों की बौछार करने वाले केजरीवाल, बिना कारण किसी की भी मानहानि करने वाले केजरीवाल आज अपने ऊपर ही लगे घोटालों पर मौन हैं। उनमें इतनी हिम्मत क्यों नहीं कि कपिल मिश्रा के सवालों का जवाब दें या फिर उनके खिलाफ मानहानि का दावा ठोकें। लेकिन, कहावत है कि चोर की दाढ़ी में तिनका ! अगर वो भ्रष्ट नहीं हैं, घूसखोर नहीं हैं, घोटालेबाज नहीं हैं, तो उन्हें जवाब देना ही पड़ेगा। वरना आप जनता की नजरों से बचने वाले नहीं हैं।

विफलताओं से ध्यान भटकाने की चाल !
केजरीवाल सरकार ने पिछले सवा दो साल के कार्यकाल में दिल्ली वालों की नाक में दम कर रखा है। सरकार नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। सारे काम ठप पड़े हैं। अराजक केजरीवाल के राज्य में अराजकता की स्थिति बनी हुई है। हर मोर्चे पर दिल्ली सरकार फेल हो चुकी है। ले-दे कर एक बिजली सब्सिडी और मुफ्त पानी का राग अलापते थे। इस गर्मी ने उसको लेकर भी जनता की आंखें खोल दी हैं। केजरीवाल में अपनी ही जनता का सामना करने की हिम्मत नहीं बची है। वो सार्वजनिक स्थानों पर जाने से बच रहे हैं। उन्हें पता है कि उन्होंने सिर्फ झूठ और जालसाजी से दिल्ली की सत्ता पर कब्जा किया है। उनकी पोल खुल चुकी है और अब जनता उन्हें कभी माफ करने वाली नहीं है।

समाज और देश के विरोध में सोचते हैं केजरीवाल ?
केजरीवाल को नकारात्मक राजनीति बहुत पसंद है। जब भी कोई ऐसा मामला उठता है, जिसमें हिंसा होती है, देश तोड़ने की बात होती है, सहिष्णुता बिगाड़ने की साजिश रची जाती है, दिल्ली के सीएम अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी छोड़कर उन देश विरोधी, समाज विरोधी मामलों को हवा देने में कूद पड़ते हैं। इसी तरह जब भी कोई निर्णय देशहित में लिया जाता है केजरीवाल उसपर सवाल उठाना शुरू कर देते हैं, देश को अपमानित करना शुरू कर देते हैं। ये उनके व्यक्तित्व का दोष है या गंदी राजनीति की लालसा ये बड़ा सवाल है। जैसे, दादरी कांड हो या जेएनयू में देश को टुकड़े करने वाली नारेबाजी, अरविंद केजरीवाल नाम के व्यक्ति ने हर समय देश तोड़ने वालों का साथ दिया है। उसी तरह सर्जिकल स्ट्राइक हो या नोटबंदी जैसा देशहित में लिया गया मोदी सरकार का सशक्त कदम, केजरीवाल ने सबका विरोध किया है। केजरीवाल को पता चल चुका है कि इन तिकड़मों से भी उनकी दाल अब नहीं गलेगी। लेकिन फिर भी वो अपनी आदतों से बाज आने के लिए तैयार नहीं है।

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