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मोदी सरकार के 9 सालः हर घर छत, हर घर बिजली, हर घर नल जल, हर घर शौचालय, हर घर स्वस्थ! मोदी विजन से बदला गरीबों का जीवन

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के नौ साल पूरे हो गए हैं। आज जब दुनिया के बड़े-बड़े देश महंगाई और मंदी की चपेट में हैं और अर्थव्यवस्था खस्ता हालत में है। पीएम मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने न सिर्फ हर सेक्टर के ग्रोथ पर ध्यान दिया बल्कि गरीबों के कल्याण के लिए कई योजनाएं शुरू की जिससे न अर्थव्यवस्था को एक ठोस सतह मिली बल्कि गरीबों का जीवनस्तर भी बेहतर हुआ। इन योजनाओं के तहत हर घर को छत, हर घर को बिजली, हर घर को नल जल, हर घर शौचालय, हर घर स्वस्थ हो इस पर पूरा फोकस दिया गया। इसके अलावा भी कई अन्य योजनाएं चलाई गईं जिससे गरीबों का जीवन आसान हुआ।   
भारत की अर्थव्यवस्था ‘वंदे भारत’ की गति से दौड़ रही
भारत की अर्थव्यवस्था ‘वंदे भारत’ की गति से तेजी से पटरी पर दौड़ रही है। प्रधानमंत्री मोदी के विजन से आज देश में दर्जनों मिसाइल परीक्षण, सैन्य आधुनिकीकरण, वंदे भारत जैसी तेज गति वाली ट्रेनें, दुनिया को हिला देने वाली मेगा परियोजनाएं, देश के इतिहास में कभी नहीं देखे गए कई एक्सप्रेसवे और राजमार्ग, और किसानों और आम लोगों की मदद के लिए सैकड़ों परियोजनाएं चलाई जा रही हैं। मोदी सरकार इसे सफलतापूर्वक लागू कर रही है। हर दिन देश के किसी न किसी हिस्से में पीएम मोदी कोई न कोई बड़ा प्रोजेक्ट देश को समर्पित कर रहे हैं। परियोजनाओं को तेजी से पूरा किया जा रहा है। इससे साबित होता है कि भारत भविष्य में दुनिया पर राज करने जा रहा है और यह मोदी नाम के असाधारण व्यक्ति की उपलब्धि है। 
मोदी विजन और जनता की सूझबूझ से बचा भारत 
अगर इन 9 सालों में पीएम मोदी के हाथों में देश की कमान नहीं होती तो तो दुनिया के ज्यादातर देशों की तरह भारत की भी हालत खराब हो जाती। पीएम मोदी के कार्यकाल में ही सदी की सबसे बड़ी कोरोना महामारी आई और रूस-यूक्रेन युद्ध से दुनिया की अर्थव्यवस्था पर संकट आया। लेकिन इन सबके बीच अगर भारत की विकास दर दुनिया में सबसे बेहतर बनी हुई तो इसका श्रेय पीएम मोदी के विजन और इस देश की जनता को जाता है जिसने अपनी सूझबूझ का परिचय देते हुए और परिपक्वता दिखते हुए पीएम मोदी के हाथों में देश की बागडोर सौंपी।  
दुनिया के बड़े देश महंगाई और मंदी की चपेट में 
आज पूरी दुनिया मंदी की चपेट में है और दुनिया के बड़े-बड़े देशों की अर्थव्यवस्था की हालत खस्ता है। इसकी गंभीरता इससे समझ सकते हैं कि न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने रोते हुए इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे का कारण रहा – पैसा नहीं, नौकरी नहीं, अर्थव्यवस्था चौपट। ब्रिटेन का भी हाल है- ऊंची महंगाई दर और मंदी की ओर खिसकती अर्थव्यवस्था। अमेरिका एक बड़ी मंदी के कगार पर है। जर्मनी पहले से ही मंदी से जूझ रही है। रूस-यूक्रेन संकट से पूरा यूरोपीय देश सहमा हुआ है। हमारे ज्यादातर पड़ोसी दिवालिया हो चुके हैं। पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और श्रीलंका पूरी तरह से दिवालिया हो चुके हैं और अपने ईंधन बिल का भुगतान करने में असमर्थ हैं। इन सबके बावजूद भारत दिन-ब-दिन मजबूत होता जा रहा है। देश 7.2 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है, ट्रिलियन-डॉलर की अर्थव्यवस्था के बीच सबसे कम मुद्रास्फीति दर के साथ दुनिया में सबसे तेज है।
1. प्रधानमंत्री आवास योजनाः हर घर छत  
तीन करोड़ से ज्यादा पक्के घरों का निर्माण
पीएम आवास योजना (ग्रामीण) के तहत पिछले साल तक गरीबों के लिए करीब 3 करोड़ पक्के घरों का निर्माण पूरा हो चुका है। इसके लिए केंद्र सरकार की तरफ से 1.95 लाख करोड़ रुपये की सहायता राशि जारी की जा चुकी है। इसके साथ ही पीएम आवास योजना (शहरी) के तहत कुल 58 लाख पक्के मकानों का निर्माण किया जा चुका है। इसके लिए अब तक 1.18 लाख करोड़ रुपये की राशि जारी की जा चुकी है। ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार कोरोना संकट काल में भी प्रधानमंत्री आवास योजना में रिकॉर्ड एक लाख घरों का निर्माण किया गया। इस योजना में प्रत्येक लाभार्थी को रसोई गैस के साथ शौचालय, बिजली और पानी की सुविधा भी दी गई है।
प्रधानमंत्री मोदी कर रहे आम लोगों के घर का सपना पूरा
प्रधानमंत्री मोदी ने जब साल 2014 में पहली बार देश की बागडोर संभाली तो उस समय करोड़ों लोगों के पास अपना घर नहीं था। प्रधानमंत्री मोदी ने इन लोगों की पीड़ा को समझ देश के हर परिवार को घर देने का वादा किया। इसी के तहत प्रधानमंत्री मोदी ने 25 जून, 2015 में प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) की शुरूआत की और 20 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) का शुभारंभ किया।
अब 15 करोड़ बेघर को मिलेगा अपना घर
प्रधानमंत्री आवास योजना का बजट 66 प्रतिशत बढ़ाकर 79 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया है। वर्ष 2022-23 में पीएम आवास योजना के लिए 48 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। इस योजना के तहत सरकार अब तक 3 करोड़ लोगों घर मुहैया करा चुकी है। अब इस योजना से 15 करोड़ बेघर लोगों को अपना घर मिलेगा।
पीएम आवास में आधारभूत सुविधाओं पर जोर
योजना में वैश्विक जलापूर्ति, सीवरेज ढांचे में सुधार, बच्‍चों का विकास, दिव्‍यांगों के अनुकूल हरे पार्कों और खुली जगह, पानी की निकासी और गैर-मोटर चालित शहरी यातायात में सुधार पर जोर दिया गया है। पीएमएवाई के तहत बनने वाले प्रत्येक पक्के घर में शौचालय, गैस कनेक्शन, बिजली आपूर्ति, पेयजल आपूर्ति आदि सुविधाओं से ग्रामीण भारत की तस्वीर बहुत तेजी से बदल रही है।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक कदम
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक उपाय के रूप में घरों को महिला के नाम पर या संयुक्‍त स्‍वामित्‍व में उपलब्‍ध कराया जा रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) की क्रेडिट से जुड़ी सब्सिडी योजना के तहत 18 लाख प्रतिवर्ष तक की आय के मध्‍यम आय वर्ग के परिवारों को पहली बार घरों के लिए धनराशि उपलब्ध कराई जा रही है। घर के कारपेट एरिया को बढ़ाकर 200 वर्गमीटर कर दिया गया है।
सस्ते मकान क्षेत्र में जबरदस्त तेजी
प्रधानमंत्री आवास योजना पीपीपी मोड के आधार पर चल रही है। ऐसा अनुमान है कि इस कारण सस्ते आवासीय क्षेत्र में जबरदस्त तेजी आने वाली है। कई हाउसिंग कंपनियों के अनुसार ग्राहकों का जबरदस्त आकर्षण दिख रहा है। पीएमएवाई के तहत केंद्र सरकार ने मध्यम आयवर्ग के लोगों के लिए दो नई योजनाएं शुरू की। इन योजनाओं के तहत 9 लाख रुपये तक के आवास ऋण पर ब्याज में 4 फीसदी और 12 लाख रुपये के आवास ऋण पर ब्याज में 3 फीसदी छूट दी गई है।
2. सौभाग्य योजनाः हर घर बिजली  
सौभाग्य योजना से 2.82 करोड़ घर हुए ‘रोशन’
सौभाग्य दुनिया की सबसे बड़ी विद्युतीकरण योजनाओं में से है। इस योजना का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 सितंबर, 2017 को किया था। इस योजना का मकसद अंतिम छोर तक बिजली कनेक्शन पहुंचाकर ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी इलाकों में गरीब परिवारों तक बिजली पहुंचाना है। इस योजना पर कुल खर्च करीब 16,320 करोड़ रुपये बैठेगा। सरकार की प्रमुख सौभाग्य योजना से 2.82 करोड़ परिवारों को बिजली मिली है। सौभाग्य योजना शुरू होने के बाद से अब तक 2.82 करोड़ घरों का विद्युतीकरण किया गया है। मार्च, 2019 तक देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बिजली से वंचित 2.63 करोड़ इच्छुक परिवारों को 18 माह के रिकॉर्ड समय में बिजली कनेक्शन दिया गया।
3. जल जीवन मिशनः हर घर नल जल 
जल जीवन मिशन से 12 करोड़ से अधिक घरों में पहुंचा नल से जल
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त, 2019 को लाल किले के प्राचीर से जल जीवन मिशन (जेजेएम) की घोषणा की थी। इस मिशन के तहत 2024 तक हर घर में पाइप के द्वारा पानी पहुंचाने का लक्ष्य है। इस जल जीवन मिशन के तहत 12 करोड़ से अधिक ग्रामीण घरों में नल से जल पहुंचा कर नया कीर्तिमान स्थापित किया गया है। इस मिशन की घोषणा होने के वक्त देश भर में 19.27 करोड़ घरों में से केवल 3.23 करोड़ यानी सिर्फ 17 प्रतिशत घरों में ही पानी का कनेक्शन था। मोदी सरकार ने कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बाद भी जल जीवन मिशन के तहत ज्यादातर ग्रामीण घरों तक नल से जल उपलब्ध करा दिया है। इससे आज देश के 12 करोड़ से अधिक घरों को नल से साफ पानी की आपूर्ति का लाभ मिल रहा है।
कई राज्य हर घर नल से जल के दायरे में 
देश के 5 राज्यों- गोवा, तेलंगाना, हरियाणा, गुजरात और पंजाब के साथ 3 केंद्र शासित प्रदेशों पुडुचेरी, दमन और दीव तथा दादरा और नगर हवेली और अंडमान एंड निकोबार द्वीप समूह में हर घर नल से जल के दायरे में आ चुके हैं। इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के हर गांव के हर घर और सार्वजनिक संस्थान को पर्याप्त, सुरक्षित और नियमित नल से जल की आपूर्ति हो रही है। हिमाचल प्रदेश के 98.35 प्रतिशत, बिहार के 96.05 प्रतिशत के साथ जल्द ही संपूर्ण कवर के लिए तैयार हैं।
देश में 9.06 लाख स्कूलों और 9.39 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों में नल से जल आपूर्ति 
केंद्र और राज्य सरकारों के प्रयासों के कारण देश में 9.06 लाख स्कूलों और 9.39 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों में नल से जल आपूर्ति हो रही है। देश के 112 आकांक्षी जिलों में मिशन के लॉन्च के समय केवल 21.64 लाख घरों में नल का पानी उपलब्ध था, जो अब बढ़कर 1.67 करोड़ घरों में हो गया है। तेलंगाना से तीन आकांक्षी जिले- कोमाराम भीम आसिफाबाद, जयशंकर भूपलपल्ली और भद्रब्री कोठागुडेम, गुजरात के दो जिले- दाहोद और नर्मदा, पंजाब के मोगा और फिरोजपुर, हरियाणा के मेवात और हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में शत प्रतिशत घरों में नल से जल की आपूर्ति हो रही है।
4. स्वच्छ भारत मिशनः हर घर शौचालय 
अब तक 11.68 करोड़ से अधिक घरेलू शौचालयों का निर्माण, गरीब महिलाओं को खुले में शौच से मिली मुक्ति 
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) ने स्वच्छता के लिए एक जन आंदोलन का रूप लेकर ग्रामीण भारत की तस्‍वीर बदल दी है। इसने 2 अक्टूबर, 2019 को देश के सभी गांवों, जिलों और राज्यों द्वारा खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषणा की ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की, जिससे ग्रामीण भारत खुले में शौच की समस्‍या से पूरी तरह से मुक्‍त हो चुका है। 2 अक्टूबर, 2014 को एसबीएम (जी) की शुरुआत के समय ग्रामीण स्वच्छता कवरेज 38.7 प्रतिशत था, जो बढ़कर अब सौ प्रतिशत हो चुका है। 2 अक्टूबर, 2014 से अब तक 11.68 करोड़ से अधिक घरेलू शौचालयों का निर्माण किया गया है। खुले में शौच मुक्त गांवों की संख्या बढ़कर 6.03 लाख और जिलों की संख्या बढ़कर 706 हो गई है। खुले में शौच मुक्त राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या 35 है। 
स्वच्छ भारत मिशन से पैसे की बचत, बीमारी से मुक्ति
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के आर्थिक प्रभाव का पहली बार विश्लेषण अक्टूबर 2020 के साइंस डायरेक्ट जर्नल में एक शोध प्रकाशित हुआ। शोध के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र के प्रत्येक भारतीय परिवार को सालाना 53 हजार रुपये तक का फायदा हुआ। इसके चलते डायरिया से बीमार पड़ने की घटनाएं कम हुईं और शौच के लिए घर से बाहर जाने में लगने वाले समय की बचत हुई। अध्ययन में पता चला कि दस सालों में घरेलू खर्च पर जो रिटर्न है वह लगात का 1.7 गुना है, जबकि समाज को दस साल में कुल रिटर्न का 4.3 गुना है। इसमें बताया गया है कि योजना से गरीब लोगों को निवेश का 2.6 गुना फायदा हुआ है जबकि समाज को 5.7 गुनी धनराशि का।
5. आयुष्मान भारतः हर घर स्वस्थ  
आयुष्मान भारत के तहत 3.62 करोड़ लोगों का इलाज, गरीबों के लिए बनी  वरदान            
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार चिकित्सा क्षेत्र में व्यापक सुधार करते हुए दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना ‘आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना’ (पीएमजेएवाई) की शुरुआत की। आयुष्मान भारत योजना गरीब-वंचितों के लिए वरदान साबित हो रही है। इस योजना के तहत 2 दिसंबर, 2022 तक 3.62 करोड़ लोगों का इलाज हो चुका है। अब तक 18 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड मुहैया कराए गए हैं। आयुष्मान भारत योजना ने लिंग समानता को बढ़ावा देने में भी बड़ी कामयाबी हासिल की है। एक अध्ययन के अनुसार इस योजना का लाभ पाने वालों में 46.7 प्रतिशत महिलाएं हैं। इस योजना से करीब 27,300 निजी एवं सरकारी अस्पताल जुड़े हुए हैं। साथ ही इस योजना के तहत 141 ऐसे medical procedures शामिल किए गए हैं, जो सिर्फ महिलाओं के लिए हैं। 
आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ मिशन की शुरुआत 2021 में 
प्रधानमंत्री मोदी ने 27 सितंबर, 2021 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ मिशन की शुरुआत की थी। इसके जरिए मोदी सरकार देश की स्वास्थ्य सुविधाओं में क्रांतिकारी बदलाव लाने जा रही है। इससे जहां अस्पतालों की प्रक्रियाओं में सुधार होगा, वहीं दूर-दराज के लोगों की भी स्वास्थ्य सेवा देने वाली संस्थाओं तक आसान पहुंच सुनिश्चित होगी। इसका लाभ खासकर गरीब और मध्यम वर्ग को मिलेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन, अब पूरे देश के अस्पतालों के डिजिटल हेल्थ समाधानों को एक-दूसरे से जोड़ेगा। इस मिशन से न केवल अस्पतालों की प्रक्रियाएं सरल होंगी, बल्कि इससे जीवन की सुगमता भी बढ़ेगी। इसके तहत अब देशवासियों को एक डिजिटल हेल्थ आईडी मिलेगी और हर नागरिक का स्वास्थ्य रिकॉर्ड डिजिटल रूप से सुरक्षित रखा जायेगा।
प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र से गरीबों के धन की बचत
गरीबों को सस्ती और सुलभ दवाएं सुनिश्चित करना इस सरकार की प्राथमिकता में रही है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (2017) के तहत खोले गए प्रधानमंत्री जन-औषधि केंद्र के माध्यम से मामूली कीमतों पर जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध हो रही हैं। जन औषधि स्टोर से गरीबों के लिए सस्ती दवाओं के साथ उन्हें मुफ्त जांच करवाने की सुविधा भी दी जा रही है। इससे 2021-22 में जन औषधि केंद्रों के जरिए 800 करोड़ के ज्यादा की दवाइयां बिकीं। इसका मतलब ये हुआ कि केवल इसी साल जनऔषधि केंद्र के जरिए गरीब को, मध्यम वर्ग को पांच हजार करोड़ रुपये बचे। इससे अब तक कुल 13 हजार करोड़ रूपये बचये जा चुके हैं। 02 दिसंबर, 2022 तक देशभर में 8,918 जन औषधि केंद्र खोले जा चुके हैं।
इसके अलावा मोदी सरकार की कई पहलों से गरीबों का जीवन आसान हुआ है। इस पर एक नजर- 
गरीब कल्याण के लिए वचनबद्ध प्रधानमंत्री मोदी
बीते आठ सालों के प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल पर ध्यान दें तो उनकी कही गई बात अक्षरश: सही साबित हुई है। उन्होंने देश के गरीबों के उत्थान के लिए कई कार्यक्रम चलाए, नई योजनाएं बनाईं और यह भी ध्यान रखा कि गरीबों को उसका लाभ मिले और उनकी आकांक्षाएं पूरी हो सके। कोरोना महामारी के दौरान भी मोदी सरकार ने गरीबों का पूरा ख्याल रखा। मोदी सरकार द्वारा गरीब कल्याण के लिए समर्पित योजनाओं ने गरीबों की दशा सुधारने के साथ ही गरीबी कम करने में मदद की है।
गरीबी 2011 में 22.5 प्रतिशत से घटकर 2019 में 10.2 प्रतिशत ही रह गई
कांग्रेस ने गरीबी हटाने का नारा दिया था। लेकिन उसके कार्यकाल में गरीबी और गरीब घटने के बजाए सुरसा के मुंह ही तरह बढ़ते ही रहे। इसके विपरीत प्रधानमंत्री मोदी ने नारे की जगह ईमानदारी के साथ गरीबों के कल्याण में अपनी सरकार को समर्पित कर दिया। भ्रष्टाचार मुक्त कई योजनाएं शुरू कीं। इसका परिणाम हुआ कि प्रधानमंत्री मोदी ने गरीबी को कम करने का कमाल कर दिखाया। गरीबी का आंकड़ा 2011 में 22.5 प्रतिशत से घटकर 2019 में 10.2 प्रतिशत हो गया। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में ही मनमोहन सरकार की तुलना में गरीबी काफी कम हो गई। अब दूसरे कार्यकाल में ग्रामीणों को सशक्त करने वाली कई केंद्रीय योजनाओं के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी कम हो रही है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की ओर से प्रकाशित वर्किंग पेपर में भी कहा गया है कि भारत में गरीबी दर घटी है। भारत में 2011 की तुलना में 2019 में 12.3 प्रतिशत की कमी आई है।
कोरोना काल में 80 करोड़ देशवासियों को मुफ्त राशन
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने कोरोना काल में 80 करोड़ से अधिक देशवासियों को मुफ्त राशन की व्यवस्था करके दुनिया के सामने एक उदाहरण पेश किया है। मोदी सरकार ने अप्रैल 2020 में प्रधानमंत्री गरीब कल्‍याण अन्‍न योजना की शुरुआत की थी। 28 सितंबर, 2022 को सातवीं बार अक्टूबर से दिसंबर 2022 तक विस्तार दिया गया। इस चरण के विस्तार के लिए 44,762 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। इससे 122 लाख मीट्रिक टन अनाज वितरित किया जाएगा। इस योजना का लाभ देश के 80 करोड़ लोगों को मिलता है और यह तीन महीने आगे जारी रहेगा। पहले छह चरण में इस योजना पर 3.45 लाख करोड़ सब्सिडी के तौर पर खर्च हो चुका है। सातवें विस्तार के साथ यह 3.91 लाख करोड़ होगा। इस योजना के अंतर्गत 80 करोड़ देशवासियों को प्रति माह पांच किलो अनाज मुफ्त देने का काम प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में किया गया। इसके साथ ही वन नेशन- वन राशन कार्ड के कारण लगभग 65 करोड़ पोर्टेबिलिटी ट्रांसेक्शन से लोगों ने अपने अन्न को अपने घर की जगह कहीं और से लिया है।
जन धन योजना से 47.57 करोड़ से ज्यादा गरीबों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ा गया
प्रधानमंत्री मोदी ने 28 अगस्त, 2014 को गरीबों को बैंकों से जोड़ने के लिए जन धन योजना की शुरुआत की। इस योजना के तहत 13 दिसंबर, 2022 तक न सिर्फ 47.57 करोड़ से ज्यादा गरीबों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ा गया। लाभार्थियों के खाते में 176,912.36 करोड़ रुपये की धनराशि जमा है। 32.43 करोड़ जनधन खाताधारकों को रूपे डेबिट कार्ड जारी किया गया है। 56 प्रतिशत जन-धन खाताधारक महिलाएं हैं और 67 प्रतिशत जनधन खाते ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में हैं। कोरोना संकट के समय यह जनधन खाता वरदान साबित हुआ। महामारी का सामना करने के लिए मोदी सरकार ने गरीब महिलाओं को बड़ी राहत दी। सरकार ने 20 करोड़ से अधिक महिला जनधन खाताधारकों के खाते में 500-500 रुपये दिए। 
वृद्धों, विधवाओं और दिव्‍यांगजनों की मदद
कोरोना काल में मोदी सरकार ने वृद्धों, विधवाओं और दिव्यांगों का पूरा ख्याल रखा। राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (एनएसएपी) के तहत लगभग 3 करोड़ वृद्धों, विधवाओं और दिव्यांगों कोरोना महामारी की वजह से उत्‍पन्‍न हुई आर्थिक समस्या से छुटाकार दिलाने के लिए सरकार ने तीन महीनों के लिए उन्हें 1,000 रुपये देने की घोषणा की। करीब 1,405 करोड़ रुपये वितरित किए गए। प्रत्येक लाभार्थी को इस योजना के तहत पहली किस्त के रूप में 500 रुपये दिए गए। सभी 2.812 करोड़ लाभार्थियों को वित्तीय मदद ट्रांसफर की गई।
मुद्रा योजना से 37.76 करोड़ लोगों को मिला लोन, बदली हुनरमंद की जिंदगी
कई लोगों के पास हुनर तो है, लेकिन पूंजी की कमी की वजह से अपने हुनर का सही इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। ऐसे लोगों को प्रोत्साहन देने और उनके हाथों को काम देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने 8 अप्रैल, 2015 में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की शुरूआत की थी। पिछले सात वर्षों में 2 दिसंबर, 2022 तक 37.76 करोड़ से अधिक लोगों को मुद्रा लोन दिया जा चुका है। मुद्रा योजना में दिए गए 88 प्रतिशत ऋण ‘शिशु’ श्रेणी के हैं। अब तक करीब 22 प्रतिशत लोन नए उद्यमियों और 68 प्रतिशत ऋण महिला उद्यमियों को दिये गए हैं। मुद्रा योजना के तहत लगभग 51 प्रतिशत ऋण अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों को दिये गए हैं। इसके साथ ही करीब 11 प्रतिशत लोन अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को दिए गए हैं।
उज्ज्वला से धुएं से मुक्ति, 1.5 लाख लोगों की बची जान
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनता के कल्याण के लिए सैकड़ों योजनाएं शुरू की हैं, जो आज गरीबों और महिलाओं के जीवन में एक बड़ा बदलाव लाने में अहम भूमिका निभा रही हैं। उन योजनाओं में से एक प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। मोदी सरकार की इस योजना के चलते एलपीजी गैस के इस्तेमाल से 2019 में प्रदूषण से होने वाली मौतों में से 1.5 लाख लोगों की जान बचाई जा चुकी है। इसके चलते घरेलू वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों में लगभग 13 प्रतिशत की कमी आई। इतना ही नहीं उज्ज्वला योजना एयर क्वालिटी में सुधार और वायु प्रदूषण को कम करने में सफल रही है। इसका खुलासा एक रिसर्च से हुआ है। इस योजना के तहत कुल 9.49 करोड़ गरीब परिवारों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन दिए जा चुके हैं। उज्ज्वला योजना ने ग्रामीण और गरीब महिलाओं के जीवन के प्रति नजरिये को सकारात्मक रूप से बदलने का काम किया है।
गरीबों को एलईडी बल्ब के वितरण से दूर हो रहा अंधेरा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार लोगों को सस्ता और सुलभ बिजली उपलब्ध कराने के लिए लगातार कोशिश कर रही है। नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक प्रधानमंत्री उजाला योजना के तहत अब तक देशभर में 36.86 करोड़ से ज्यादा LED बल्ब वितरित किए जा चुके हैं। यह आंकड़ा 02 दिसंबर, 2022 तक का है। मोदी सरकार की इस ऐतिहासिक पहल से जहां बिजली की बचत हो रही हैं वहीं लोगों की बिजली बिल में कमी आई है। अब तक हुए 36.86 करोड़ LED बल्ब के वितरण से प्रतिवर्ष 18,734 करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत हो रही है। इसके साथ ही 46, 434 mn kWh से ज्यादा प्रतिवर्ष ऊर्जा की बचत हो रही है।
गरीब आदिवासी बच्चों के लिए एकलव्य विद्यालय
केंद्र में एनडीए सरकार बनने से पहले देश में महज 110 ईएमआरएस चल रहे थे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनजातीय शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने 15 नवंबर, 2021 को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के अवसर पर भोपाल से वर्चुअल तरीके से 50 स्कूलों की नींव रखी। इसके बाद एकलव्य विद्यालयों के निर्माण कार्य में बड़ी तेजी आई है। ये स्कूल 7 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश के 26 जिलों में स्थापित किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इन स्कूलों की अहमियत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पूरे भारत में 740 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि 50 प्रतिशत से अधिक एसटी आबादी और कम से कम 20,000 आदिवासी लोगों वाले प्रत्येक ब्लॉक में ऐसे स्कूल होंगे। ये स्कूल देश के पहाड़ी और वन क्षेत्रों में स्थित हैं और देश के सुदूर इलाकों में रहने वाले गरीब आदिवासियों के बच्चों को इससे लाभ मिलेगा।
सुरक्षा बीमा योजना से गरीबों का सुरक्षित भविष्य
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने सबका साथ-सबका विकास और सबका प्रयास के मंत्र पर चलते हुए देश की तस्वीर बदल दी है। उनकी जनकल्याणकारी योजनाओं ने देश के गांव-गरीब और आम लोगों के जीवन की तस्वीर बदल दी। समाज के अंतिम व्यक्ति को भी जन सुरक्षा की सुविधा प्रदान करने वाली मोदी सरकार की प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई), प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) और अटल पेंशन योजना (एपीवाई) के 9 मई, 2022 को 7 साल पूरे हो गए। प्रधानमंत्री मोदी ने 9 मई, 2015 को कोलकाता में इन तीनों योजनाओं को लॉन्च किया था।
अटल पेंशन योजना के सदस्यों की संख्या हुई 5.25 करोड़ पार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार की योजनाओं ने आम लोगों के जीवन की तस्वीर बदल दी है। मोदी सरकार की अटल पेंशन योजना (APY) ने 8 साल पूरे कर लिए हैं। अटल पेंशन योजना की कामयाबी को आप इसी से जान सकते हैं कि अब तक इसके 5.25 करोड़ से अधिक खाते हो गए हैं। यानी अटल पेंशन योजना के तहत कुल नामांकन ने 5.25 करोड़ के आंकड़े को पार कर लिया है। एपीवाई के शुभारंभ से ही इसमें नामांकन निरंतर बढ़ता जा रहा है। वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में वित्त वर्ष 2022-23 में नए नामांकन में 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि वित्त वर्ष 2020-21 की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 में नए नामांकन में 25 प्रतिशथ की वृद्धि दर्ज की गई थी। अब तक एपीवाई में प्रबंधन के तहत कुल परिसंपत्ति (AUM) 28,434 करोड़ रुपये से भी अधिक आंकी गई है और इस योजना ने अपने शुभारंभ से लेकर अब तक 8.92 प्रतिशत का निवेश रिटर्न अर्जित किया है।

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