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मोदी राज में रेलवे का कायाकल्प: आधुनिकीकरण के साथ सुरक्षा को प्राथमिकता

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भारतीय रेल देश के विभिन्न हिस्सों को आपस में जोड़ती है और रोजाना करोड़ों की संख्या में यात्री ट्रेनों में सफर करते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार रेलवे के सफर को सुरक्षित और आरमदायक बनाने के लिए लगातार कोशिश कर रही है। इसका प्रमाण मोदी सरकार की मौजूदा और भावी योजनाओं से मिलता है, जिसके बारे में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने एक सवाल के जवाब में संसद में बताया। रेल मंत्री के मुताबिक जापान से 24 बुलेट ट्रेनें खरीदी जाएंगी, वहीं सुरक्षा के मद्देनजर लंबी दूरी की ट्रेनों में सीसीटीवी कैमरे लगेंगे और आरपीएफ में 9 हजार भर्तियां होंगी।

मेक इन इंडिया के तहत 6 बुलेट ट्रेनें भारत में होंगी असेंबल

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि राष्ट्रीय हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड और जापानी कंपनी के बीच हुए एमओयू के अनुसार मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के उद्देश्य से खरीदी जाने वाली 24 रेलगाड़ियों में से छह को भारत में असेंबल करने की योजना है। गोयल ने बताया कि इस परियोजना की कुल अनुमानित लागत 1.08 लाख करोड़ रुपये है। इसमें से 81 फीसदी राशि की फंडिंग जापान इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी (जीका) के जरिए किया जाएगा। इस काम को 2023 में पूरा करने का लक्ष्य है।

लंबी दूरी की ट्रेनों में लगेंगे सीसीटीवी कैमरे

रेलमंत्री गोयल ने बताया कि सरकार का लंबी दूरी की सभी ट्रेनों के डिब्बों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना है। प्रीमियम, मेल, एक्सप्रेस और उपनगरीय रेल गाड़ियों के सभी सवारी डिब्बों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए कदम उठाए गए हैं। पहले चरण के दौरान इन गाड़ियों के 7020 सवारी डिब्बों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना है। गोयल ने एक सवाल के जवाब में बताया कि 31 जनवरी 2019 तक बड़ी लाइन के बिना चौकीदार वाले सभी रेलवे क्रॉसिंग को समाप्त कर दिया गया है। मौजूदा नीति के अनुसार, मीटर लाइन और छोटी लाइन पर बिना चौकीदार वाले रेलवे क्रॉसिंग को अमान परिवर्तन के दौरान समाप्त कर दिया जाएगा।

RPF की 9000 पदों में से आधे पर महिलाओं की भर्ती

सरकार ने आरपीएफ में खाली पड़े 9 हजार पदों पर होने वाली भर्ती में से आधे पदों पर महिलाओं को तैनात करने का फैसला किया है। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान बताया कि आरपीएफ में अभी महिला कांस्टेबलों की संख्या सिर्फ 2.25 फीसदी है। उन्होंने बताया कि 8619 कांस्टेबलों और 1120 सब इंस्पेक्टर के पदों पर भर्ती प्रक्रिया 2018 में शुरु हो गई है। इनमें से 4216 कांस्टेबलों और 201 सब इंस्पेक्टर के पद पर महिलाओं की भर्ती की जाएगी।

राजधानी, शताब्दी के निजीकरण की कोई योजना नहीं

राजधानी और शताब्दी जैसी रेलगाड़ियों के निजीकरण की बात को खारिज करते हुए रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि ऐसी कोई योजना नहीं है। राज्यसभा में गोयल से सपा सांसद सुरेन्द्र सिंह नागर ने पूछा था कि क्या सरकार राजधानी और शताब्दी जैसी रेलगाड़ियों का निजीकरण करने की योजना बना रही है।

पीएम मोदी की पहल पर केंद्र सरकार द्वारा किए गए इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण पर एक नजर – 

मुख्य सड़क मार्ग से जुड़े 1.5 लाख गांव

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार देश के हर गांव में सड़क, बिजली जैसी आधारभूत सुविधाएं पहुंचाने के लिए काम कर रही है। उसी का परिणाम है कि देश के लगभग डेढ़ लाख गांवों में पक्की सड़क है और उसे जिले और राज्यों के मुख्य मार्ग से जोड़ा जा चुका है। लगभग 24 हजार गांव को मुख्य मार्ग से लगभग जुड़ गया है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, केंद्र सरकार 1.65 लाख गांवों को सड़क के जरिए मुख्य मार्ग से जोड़ने की मंजूरी भी दे चुकी है।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने देश के सभी गांवों को जिले और प्रदेश के मुख्य मार्ग से जोड़ने का सपना देखा था। उन्होंने कहा था कि गांव में बनने वाली सड़क बारहमासी होनी चाहिए। पीएम मोदी उनके सपने को पूरा करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। पीएम मोदी की पहल पर सड़क निर्माण में बहुत तेजी आई। यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल में औसतन रोजाना 12 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों और 69 किलोमीटर ग्रामीण सड़कों का निर्माण हुआ था। जबकि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में रोजाना 27 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग और 134 किलोमीटर ग्रामीण सड़कें बनाकर दिखा दी। 

मोदी सरकार में इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में खूब हुए काम, जीवन हुआ आसान
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में देश की बागडोर थामने के साथ ही इन्फ्रास्ट्रक्चर को सशक्त बनाने का बीड़ा उठा लिया था। सड़क, हाईवे, रेलवे, वाटरवे और एयरपोर्ट से जुड़ी परियोजनाओं से लेकर आवास योजना तक में उनकी सरकार ने जो तेजी दिखाई। इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास का एक प्रमुख उदाहरण है 2 किलोमीटर लंबा जोजिला टनेल जिसका प्रधानमंत्री ने 19 मई,2018 को शिलान्यास किया है। 3100 मीटर की ऊंचाई पर बनने वाली इस सुरंग से श्रीनगर, कारगिल और लेह-लद्दाख के बीच हर मौसम में संपर्क बना रहेगा और जोजिला से गुजरने में लगने वाले 5 घंटे का समय घटकर महज 15 मिनट का रह जाएगा। यह न्यू इंडिया के निर्माण की सुनहरी तस्वीर है जो कई क्षेत्रों में दिख रही है। 

हर गांव तक रोड कनेक्टिविटी

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत देश के हर गांव तक रोड कनेक्टिविटी प्रदान करना है। इस योजना की रफ्तार का पता इसी से चलता है कि 2014 में ग्रामीण क्षेत्रों में रोड कनेक्टिविटी 56 प्रतिशत थी, आज वो बढ़कर 82 प्रतिशत तक जा पहुंची है। शहरों और सड़कों की कनेक्टिविटी से गांवों तक आर्थिक और सामाजिक सेवाएं पहुंचे और रोजगार के लिए नए अवसर तैयार हो सके, इस योजना में सबसे बड़ा प्रयास यही रहा है। रोड कनेक्टिविटी गरीबी कम करने में भी मददगार होगी। 

20 हजार गांवों में बिछेगा सड़कों का जाल
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार गांवों के समग्र विकास के लिए कार्य कर रही है। मोदी सरकार का स्पष्ट मानना है कि जब गांवों का विकास होगा तभी देश का विकास होगा। किसी भी क्षेत्र के विकास में सड़क, संपर्क मार्ग, यातायात के साधन अहम भूमिका निभाते हैं। इसीलिए मोदी सरकार का जोर देश के एक-एक गांव को सड़क मार्ग से जोड़ने का है। अब मोदी सरकार ने देश के 20,000 गांवों को सड़कों से जोड़ने का लक्ष्य रखा है और इसके लिए 61 हजार किलोमीटर लंबी ग्रामीण सड़कें बनाई जाएंगी। सबसे अहम बात यह है कि इनमें से कुल 12 हजार किलोमीटर सड़कें ग्रीन टेक्नोलॉजी से निर्मित की जाएंगी।

नक्सल प्रभावित इलाकों में भी सड़क निर्माण
मोदी सरकार का मानना है कि विकास के जरिए ही हिंसा और नक्सलवाद की समस्या को खत्म किया जा सकता है। इसके लिए नक्सल प्रभावित इलाकों में सड़क निर्माण पर सरकार का खास ध्यान है। देश में कई राज्यों में नक्सल प्रभावित ऐसे इलाकों में सड़कें बनाई जा रही हैं, जहां अभी तक किसी के जाने की हिम्मत तक नहीं होती थी। वित्त वर्ष 2018-19 में नक्सल प्रभावित इलाकों में कुल 268 सड़कों के लिए 4134 किमी लंबाई की सड़कों के बनाने का लक्ष्य तय किया गया, जिसके लिए 4142 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। ये सड़कें बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, ओडिसा और मध्य प्रदेश के नक्सल प्रभावित इलाकों में  बनाई जा रही है। 

धुआंधार गति से सड़कें और हाईवे निर्माण 
अच्छी सड़कें अच्छे इन्फ्रास्ट्रक्चर का उदाहरण होती हैं। मोदी सरकार का सड़कों और हाईवे के निर्माण पर शुरू से जोर रहा है। यह इससे पता चलता है कि 2013-14 में यूपीए सरकार के सड़कों के निर्माण का बजट जहां 32,483 करोड़ रुपये था वो 2017-18 में मोदी सरकार में बढ़कर 1,16,324 करोड़ रुपये हो गया। 2013-14 में नेशनल हाईवे 92,851 किलोमीटर तक विस्तारित था जो 2017-18 में 1,20,543 किलोमीटर तक पहुंच गया। 2013-14 में कंस्ट्रक्शन की स्पीड 12 किलोमीटर प्रतिदिन थी जो 2017-18 में बढ़कर 27 किलोमीटर प्रतिदिन तक पहुंच गई। इसके साथ ही 2,000 किलोमीटर के कोस्टल कनेक्टिविटी रोड की भी पहचान की गई है जिसका निर्माण और विकास किया जाना है।

सबसे लंबी सड़क सुरंग और पुल राष्ट्र को समर्पित
मोदी सरकार ने देश की सबसे लंबी सुरंग चेनानी-नाशरी सुरंग राष्ट्र को समर्पित किया। असम में ब्रह्मपुत्र नदी पर बने देश के सबसे लंबे पुल को भी जनता को समर्पित किया गया। 9.15 किलोमीटर लंबे ढोला-सादिया पुल (भूपेन हजारिका पुल) ने ऊपरी असम और अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी हिस्से के बीच चौबीस घंटे की कनेक्टिविटी को सुनिश्चित किया है। इसके साथ ही भरुच में नर्मदा के ऊपर और कोटा में चंबल के ऊपर बने पुल भी जनता को समर्पित किए जा चुके हैं।

भारतमाला परियोजना फेज-1  
भारतमाला परियोजना के तहत देश के पश्चिम से लेकर पूर्व तक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सड़कों का जाल बिछाने की योजना है। इसके लिए नेशनल हाईवे के 53,000 किलोमीटर के हिस्से की पहचान की गई है जिसके फेज-1 में 2017-18 से 2021-22 तक 24,800 किलोमीटर के काम को पूरा किया जाएगा। इसके दायरे में नेशनल कॉरिडोर के 5,000 किलोमीटर, इकोनॉमिक कॉरिडोर के 9,000 किलोमीटर, फीडर कॉरिडोर और इंटर-कॉरिडोर के 6,000 किलोमीटर, सीमावर्ती सड़कों के 2,000 किलोमीटर, 2,000 किलोमीटर कोस्टल और पोर्ट कनेक्टिविटी रोड और 800 किलोमीटर के ग्रीन-फील्ड एक्सप्रेसवे आते हैं। फेज-1 पर लगभग 5 लाख 35 हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा। सबसे बड़ी बात यह है कि फेज-1 के इस पूरे कार्य के दौरान रोजगार के करीब 35 करोड़ श्रमदिवसों का सृजन होगा।

सेतु भारतम से सड़क पर सुरक्षा
मार्च 2016 में लॉन्च की गई इस योजना का मकसद है सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करना। इसके तहत 2019 तक सभी नेशनल हाईवे को रेलवे ओवरब्रिज और अंडरपास बनाकर रेलवे क्रॉसिंग से मुक्त करना है। 1500 पुराने और जीर्णशीर्ण पुलों को नए सिरे से मजबूती के साथ ढालना है और चौड़ा करना है। 20,800 करोड़ की लागत से 208 रेलवे ओवरब्रिज और अंडरब्रिज का निर्माण किया जाना है।

चारधाम महामार्ग विकास परियोजना
27 दिसंबर 2016 को लॉन्च की गई इस परियोजना का मकसद है हिमालय में स्थित चारधाम तीर्थ केंद्रों की कनेक्टिविटी को बेहतर करना। इससे तीर्थयात्रियों का सफर और अधिक सुरक्षित, तेज और सुविधाजनक होगा। नेशनल हाईवे के करीब 900 किलोमीटर के हिस्से के आसपास होने वाले इस कार्य की अनुमानित लागत है करीब 12,000 करोड़ रुपये। मार्च 2020 तक इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

रेल सुरक्षा पर बल: यात्रा पहले से बेहतर और सुरक्षित
2017-18 में देश ने रेल सुरक्षा के मामले में एक रिकॉर्ड बनाया। 2013-14 में देश में जहां 118 रेल दुर्घटनाएं दर्ज हुई थीं, वहीं 2017-18 में यह संख्या 73 पर आ गई। यानि मोदी सरकार के प्रयासों से रेल हादसों में पांच साल पहले के मुकाबले 62 प्रतिशत तक की कमी आ चुकी है। इसके साथ ही कई ऐसे कार्य हो रहे हैं जिनसे रेलवे की सुरक्षा को और मजबूत मिलेगी:

  • ट्रैकों के रिन्यूअल में 50 प्रतिशत तक की तेजी आई है। 2013-14 में जहां 2,926 किलोमीटर ट्रैक का रिन्यूअल हुआ था, वहीं 2017-18 में यह 4,405 किलोमीटर पर आ चुका है।
  • रेलवे में 1.1 लाख नई बहाली हो रही है, जिससे सुरक्षा को और मजबूती मिलेगी।
  • पिछले चार वर्षों में मानवरिहत 5,469 रेलवे क्रॉसिंग खत्म किए जा चुके हैं। 2009-14 के दौरान जिस रफ्तार से रेलवे क्रॉसिंग को खत्म किया जा रहा था उससे करीब 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
  • बड़ी लाइन के रेलवे रूटों पर 2020 तक सभी मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग को खत्म किए जाने का लक्ष्य है।
  • रेल सुरक्षा पर पांच वर्षों के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष (RRSK) बनाया गया है।

भविष्य की क्षमताओं का विस्तार
देश में बड़ी लाइन के विस्तार में भी तेजी आई है। अप्रैल 2014 से मार्च 2018 के चार वर्षों में 9,528 किलोमीटर की बड़ी लाइन पर काम हुआ जबकि यूपीए के 2009-14 के पांच वर्षों में 7,600 किलोमीटर पर काम हुआ था।

पूर्वोत्तर के राज्यों की कनेक्टिविटी
पूरे रेल नेटवर्क को बड़ी लाइन में कन्वर्ट किए जाने से देश के पूर्वोत्तर के राज्य भी अब बाकी हिस्सों के साथ पूरी तरह से जुड़ चुके हैं। मेघालय (दुधनोई-मेंदीपाथर), त्रिपुरा (कुमारघाट-अगरतला) और मिजोरम (कटखल-भैराबी) के बीच रेल कनेक्टिविटी स्थापित की जा चुकी है। इटानगर और सिलचर से दिल्ली के लिए ट्रेन कनेक्विटी हो चुकी है।

डेडिकेटेड फ्रेड कॉरिडोर 
2019-20 तक अलग-अलग फेज में 2,822 किलोमीटर के वेस्टर्न और इस्टर्न फ्रेट कॉरिडोर (DFCs) बनेंगे। इससे सामानों की ढुलाई के समय की बचत होगी, ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट कम होगा, साथ ही मौजूदा नेटवर्क पर लोड भी घटेगा। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर की फैक्ट्रियों, खेतों और बंदरगाहों से कनेक्टिविटी  होने से विकास और रोजगार की संभावनाएं भी बनेंगी।

नई ट्रेनें और कोच

  • अतिरिक्त सुरक्षा और आधुनिक फीचरों के साथ 700 से अधिक दीन दयाल कोच तैयार किए गए हैं।
  • जनरल सेकेंड क्लास बोगियों के साथ लंबी दूरी की 13 गैर आरक्षित अंत्योदय ट्रेनों को चलाया गया। ये आधुनिक तरीके से बनी LHB कोच वाली ट्रेनें हैं।
  • मुंबई और गोवा के बीच 200 किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ्तार वाली और अत्याधुनिक फीचरों से लैस तेजस ट्रेन शुरू की गई।
  • नई दिल्ली-वाराणसी के बीच महामना एक्सप्रेस शुरू की गई।

एयरपोर्ट से जुड़े विस्तार और विकास में तेजी
भारत विश्व के तीसरे सबसे बड़े एविएशन मार्केट के रूप में उभरा है। पिछले तीन वर्षों में यहां के एयरपोर्ट से आने-जाने वाले हवाई मुसाफिरों की संख्या में 18 से 20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। 2017 में घरेलू विमान यात्रियों की संख्या पहली बार 10 करोड़ के पार पहुंच गई।

UDAN योजना (उड़े देश का आम नागरिक) 
यह एक रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम है जिसके तहत देश के Tier-II और Tier-III शहरों में उड़ानों को सामान्य नागरिक के लिए अफॉर्डेबल बनाना है। इसमें एक घंटे की उड़ान की कीमत सब्सिडी के साथ करीब 2,500 रुपये होगी।  UDAN के तहत पहली सेवा को 27 अप्रैल, 2017 को शिमला-दिल्ली सेक्टर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लॉन्च किया। अब तक इस योजना से 109 एयरपोर्ट और हेलीपैड जोड़े जा चुके हैं।

नए एयरपोर्ट की कार्ययोजना  
न्यू ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट पॉलिसी के तहत नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर), मोपा (गोवा), पुरंदर एयरपोर्ट (पुणे) भोगापुरम एयरपोर्ट (विशाखापट्टनम), धोलेरा एयरपोर्ट (अहमदाबाद) और हिरासर एयरपोर्ट (राजकोट) को विकसित करने की योजना है। इसके साथ ही दिल्ली, बेंगलुरु और हैदराबाद एयरपोर्ट का अपग्रेड और विस्तार किया जा रहा है।

इनलैंड वाटरवे की संख्या में भारी बढ़ोतरी
पिछले तीस वर्षों से देश में सिर्फ 5 नेशनल वाटरवे थे। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में 106 अन्य इनलैंड वाटरवे को मंजूरी दी गई जिससे नेशवल वाटरवे की संख्या बढ़कर 111 होने जा रही है। सरकार ने सेंट्रल रोड फंड (CRF) का 2.5% हिस्सा नेशनल वाटरवे के विकास के लिए देने की पहल की है। इसके लिए NH cess के शेयर को 41.5% से घटाकर 39% किया गया है।

सागरमाला प्रोजेक्ट

  • 8 लाख करोड़ रुपये से अधिक के इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश के साथ इस योजना के तहत 500 से अधिक प्रोजेक्ट हैं।
  • 17 लाख करोड़ के 289 प्रोजेक्ट पर काम शुरू भी हो चुका है।
  • कोस्टल शिपिंग को 80 MTPA से बढ़ाकर 2025 तक 200+ MTPA करने का लक्ष्य है।
  • सागरमाला प्रोजेक्ट 1 करोड़ नौकरियां पैदा करने वाला है जिनमें से 40 लाख तो सीधी नौकरियां हैं।

 

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