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2025- सुधारों का वर्ष: रिफॉर्म्स की रफ्तार और विकसित भारत मिशन, पढ़िए प्रधानमंत्री मोदी का लिंक्डइन पोस्ट

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2025 के समापन पर देश के नाम एक बेहद महत्वपूर्ण संदेश साझा किया है। अपने लेटेस्ट लिंक्डइन पोस्ट में पीएम मोदी ने 2025 को ‘सुधारों का वर्ष’ (Year of Reforms) करार दिया है। उन्होंने विस्तार से बताया है कि कैसे भारत ने पुराने कानूनों की बेड़ियों को तोड़कर एक आधुनिक और विकसित राष्ट्र की ओर कदम बढ़ा दिए हैं।

लिंक्डइन पोस्ट के बारे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उन्होंने लिखा कि “भारत रिफॉर्म एक्सप्रेस पर सवार हो चुका है! वर्ष 2025 विभिन्न क्षेत्रों में हुए उन क्रांतिकारी सुधारों का गवाह बना है, जिन्होंने हमारी विकास यात्रा को नई गति दी है। ये सुधार एक विकसित भारत के निर्माण के हमारे प्रयासों को और भी सशक्त बनाएंगे। इसी विषय पर अपने कुछ विचार @LinkedIn पर साझा किए हैं।”

प्रधानमंत्री के पोस्ट को पढ़ने के लिए क्लिक करें- लिंक्डइन

प्रधानमंत्री ने लेख में कहा है कि भारत अब ‘रिफॉर्म एक्सप्रेस’ पर सवार हो चुका है, जिसका इंजन हमारे युवाओं का जोश और देशवासियों का अदम्य साहस है। प्रधानमंत्री का कहना है कि 2025 केवल कैलेंडर का एक साल नहीं रहा, बल्कि यह उन साहसी फैसलों का गवाह बना है जिसने आम आदमी की जेब से लेकर देश की समुद्री सीमाओं तक, सब कुछ बदल दिया है।

टैक्स की टेंशन खत्म: मध्यम वर्ग की लॉटरी
प्रधानमंत्री मोदी के लेख के अनुसार इस साल की सबसे बड़ी खबर इनकम टैक्स के मोर्चे पर रही। सरकार ने 1961 के पुराने टैक्स कानून को कचरे के डिब्बे में डालकर नया ‘आयकर अधिनियम, 2025’ लागू कर दिया। अब 12 लाख रुपये तक की सालाना कमाई करने वालों को एक रुपया भी टैक्स नहीं देना पड़ रहा है। यह मध्यम वर्ग के लिए अब तक की सबसे बड़ी राहत मानी जा रही है, जिससे बाजार में रौनक बढ़ी है।

GST का नया अवतार: सस्ता हुआ सामान
जीएसटी को लेकर सालों से चल रही जटिलता को खत्म करते हुए सरकार ने ‘टू-स्लैब स्ट्रक्चर’ 5% और 18% लागू कर दिया है। इसका सीधा असर आपकी रसोई और खर्चों पर पड़ा है। प्रधानमंत्री ने साफ किया कि इस सुधार का मकसद विवादों को कम करना और छोटे व्यापारियों MSMEs के लिए व्यापार को आसान बनाना था। त्योहारी सीजन में बिक्री के जो रिकॉर्ड टूटे हैं, वह इसी रिफॉर्म का नतीजा हैं।

125 दिन का रोजगार
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बूस्ट देने के लिए सरकार ने ‘विकसित भारत- G RAM G’ कानून पेश किया। इसके तहत अब ग्रामीण परिवारों को 100 की जगह 125 दिन के रोजगार की गारंटी मिल रही है। यह केवल मजदूरी नहीं, बल्कि गांव के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की एक बड़ी कोशिश है। इससे गांवों से शहरों की तरफ होने वाले पलायन में कमी आने की उम्मीद है।

शिक्षा में ‘वन नेशन, वन रेगुलेटर’
पढ़ाई-लिखाई के क्षेत्र में इस साल भारी उथल-पुथल रही। सालों पुराने UGC और AICTE जैसे भारी-भरकम सिस्टम को खत्म कर दिया गया है। इनकी जगह अब ‘विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान’ ने ले ली है। अब कॉलेजों को फालतू की कागजी कार्रवाई से आजादी मिलेगी और उनका पूरा ध्यान केवल रिसर्च और इनोवेशन पर होगा।

ब्लू इकोनॉमी और समुद्री शक्ति
भारत ने अपनी समुद्री सीमाओं की ताकत को पहचानते हुए एक ही सत्र में 5 बड़े कानून पास किए। 1908 और 1925 के पुराने और जंग लगे कानूनों को हटाकर नए बिल लाए गए हैं। इन सुधारों से पोर्ट्स पर कामकाज तेज हुआ है और लॉजिस्टिक्स की लागत कम हुई है। अब भारत के समुद्री रास्तों से व्यापार करना पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा सस्ता और आसान हो गया है।

न्यूक्लियर एनर्जी और ‘शांति’ का संदेश
भविष्य की ऊर्जा जरूरतों, खासकर AI और डेटा सेंटर्स के लिए, सरकार ने ‘SHANTI Act’ पेश किया। यह परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर के लिए दरवाजे खोलता है। भारत अब केवल कोयले पर निर्भर नहीं रहेगा। परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल अब खेती, इलाज और साफ पानी के लिए भी बड़े पैमाने पर किया जा सकेगा।

बिजनेस के लिए आसान हुई राह
छोटे कारोबारियों के लिए ‘स्मॉल कंपनी’ की परिभाषा बदल दी गई है। अब 100 करोड़ तक के टर्नओवर वाली कंपनियां इस कैटेगरी में आएंगी, जिससे उन्हें इंस्पेक्टर राज और भारी-भरकम कागजी बोझ से मुक्ति मिलेगी। साथ ही, सरकार ने ‘जन विश्वास’ अभियान के तहत उन सैकड़ों पुराने कानूनों को खत्म कर दिया है, जिनकी वजह से छोटे-छोटे तकनीकी उल्लंघनों पर जेल जाने का डर बना रहता था। अब ‘डर के नहीं, भरोसे के साथ’ व्यापार करने का मंत्र दिया गया है।

मजदूरों का सम्मान: चार कोड में समाए कानून
श्रम सुधारों के तहत 29 अलग-अलग कानूनों को मिलाकर 4 सरल कोड बना दिए गए हैं। अब कॉन्ट्रैक्ट लेबर को भी सामाजिक सुरक्षा और बीमा (EPFO/ESIC) का फायदा मिल रहा है। कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा और उनकी बढ़ती भागीदारी भी इस साल के सुधारों का एक बड़ा हिस्सा रही है। सरकार का लक्ष्य साफ है- मजदूर को सम्मान और मालिक को काम करने की आजादी।

दुनिया से हाथ मिलाता भारत
इस साल भारत ने ब्रिटेन, न्यूजीलैंड और ओमान जैसे देशों के साथ ऐतिहासिक ट्रेड डील की। वहीं, यूरोप के समृद्ध देशों (EFTA) के साथ हुआ समझौता भारत के लिए ग्लोबल मार्केट के नए रास्ते खोल रहा है। इन समझौतों से भारत में विदेशी निवेश (FDI) की बाढ़ आने की संभावना है, जिससे लाखों नए रोजगार पैदा होंगे।

प्रधानमंत्री मोदी के इस लेख से यह है कि सरकार अब ‘कंट्रोल’ करने की जगह ‘सुविधा’ देने पर यकीन कर रही है। 2025 के ये सुधार केवल कागजों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इनका असर आम आदमी की जिंदगी, उसकी बचत और देश के रूतबे पर साफ दिख रहा है। भारत ने दुनिया को यह संदेश दे दिया है कि वह रुकने वाला नहीं है। ‘विकसित भारत’ की ओर बढ़ती इस ‘रिफॉर्म एक्सप्रेस’ की रफ्तार आने वाले सालों में और तेज होने वाली है।

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