प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन का मूल मंत्र है- सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास और सबका प्रयास। 2014 में देश की बागडोर संभालने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने समाज के सभी वर्गों को साथ में लेकर उनके सर्वांगीण विकास की जो यात्रा शुरू की थी, वो पिछले नौ साल से बिना रूके अनवरत जारी है। प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने भेदभावरहित योजनाएं बनाईं और उन्हें जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के आधार पर भेदभाव किए बिना समाज के सभी वर्गों और पिछड़े इलाकों तक पहुंचाया है। प्रधानमंत्री मोदी ने अल्पसंख्यक हो या बहुसंख्यक सबके विकास का पूरा ध्यान रखा है। उनकी सरकार राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम (एनएमडीएफसी) के जरिए लगातार आर्थिक मदद पहुंचाकर धार्मिक अल्पसंख्यकों को स्वावलंबी बना रही है। इसी का परिणाम है कि प्रधानमंत्री मोदी महिला, वंचित, गरीब, पिछड़े और अल्पसंख्यकों के मसीहा बन गए हैं।
अल्पसंख्यकों को स्वरोजगार और शिक्षा के लिए आर्थिक मदद
दरअसल मोदी सरकार ने एनएमडीएफसी के जरिए 20 लाख अल्पसंख्यकों को स्वरोजगार या आय सृजन के लिए 7414 करोड़ की आर्थिक मदद दी है। इस मदद के सबसे बड़े लाभार्थी मुसलमान है। एनएमडीएफसी के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2021 तक 83 प्रतिशत आर्थिक मदद इस समुदाय को मिली है। कोरोना महामारी के दौरान यह संस्था गरीब अल्पसंख्यकों के लिए वरदान साबित हुई। 3 लाख अल्पसंख्यकों को करीब 1350 करोड़ रुपये के लोन दिए गए। एनएमडीएफसी की विरासत योजना के तहत कारीगरों को उपकरण, कच्चे माल और अन्य साधनों की खरीद के लिए मदद दी जाती है। अल्पसंख्यक कारिगर अधिकतम 10 लाख रुपये तक का ऋण प्राप्त कर सकते हैं।
आर्थिक रूप से सक्षम बन रहीं अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाएं
एनएमडीएफसी धार्मिक अल्पसंख्यकों – मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी और जैन के लिए कई योजनाएं चलाती है। यह संस्था राज्य सरकार और केंद्र शासित प्रदेशों में स्थित अपने एजेंसियों के माध्यम से इन योजनाओं को लागू करती है। एनएमडीएफसी पिछड़े इलाकों और दूर-दराज गावों में रहने वाले अल्पसंख्यकों के लिए मददगार साबित हो रही है, जहां अब तक बैंकिंग सुविधाएं नहीं पहुंची है। इसके अलावा यह संस्था अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने में मदद कर रही है। स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) से जुड़ी महिलाओं को इस संस्था से छोटे ऋण दिए जाते हैं, जो बड़े बैंकों से ऋण लेने में असमर्थ होती है। इसके साथ ही अल्पसंख्यक महिला लाभार्थियों को योजनाओं और ब्याज में विशेष राहत भी दी जाती है। इससे उन्हें व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से स्वरोजगार सृजन और आय बढ़ाने में सहायता मिलती है।
आर्थिक मदद से अल्पसंख्यकों की जिंदगी में आया बदलाव
एनएमडीएफसी कारोबार करने और शिक्षा के लिए आय और शैक्षणिक योग्यता के आधार पर ऋणों का वितरण करती है और ब्याज में राहत देती है। कारोबार के लिए 20 लाख से 30 लाख तक 6 से 8 प्रतिशत प्रति वर्ष की ब्याज दर पर आर्थिक मदद दी जाती है। इसके अलावा आर्थिक रूप से पिछड़े अल्पसंख्यक छात्रों को रोजगार-उन्मुख तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा के लिए ऋण दिया जाता है। इसके तहत व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने और शिक्षा को जारी रखने के लिए भारत में 20 लाख रुपये और विदेश जाकर शिक्षा ग्रहण करने के लिए 30 लाख दिए जाते हैं। निम्न आय वर्ग वाले छात्रों को 3 प्रतिशत और अन्य छात्रों को 8 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज देना पड़ता है। एनएमडीएफसी से मिली आर्थिक मदद और शिक्षा ऋण ने उत्तर प्रदेश के सहारनपुर की दिव्यांग महिला नाहिद हीना और पश्चिम बंगाल में कल्याणी स्थित एम्स में नर्सिंग ऑफिसर के पद पर कार्यरत साहिल खान जैसे कई लोगों की जिंदगी बदल दी है।
मोदी सरकार में अल्पसंख्यकों के वित्तीय समावेशन को बढ़ावा
मोदी सरकार एनएमडीएफसी के जरिए योजनाओं और आर्थिक मदद से अल्पसंख्यक लाभार्थियों के वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दे रही है। कमजोर और निम्न आय वर्ग के लोगों को उनकी जरूरत के मुताबिक समय पर वित्तीय सुविधाएं उपलब्ध करा रही है, जो पूर्व की सरकारों में आर्थिक मदद से वंचित थे। पहले कई गरीब अल्पसंख्यक सूदखोरों के चंगुल में फंसकर अपना जीवन बर्बाद कर रहे थे, अब मोदी सरकार आसान ऋण देकर सूदखोरों के चंगुल से उन्हें बचा रही है। इससे लाखों अल्पसंख्यक परिवारोंं की आर्थिक स्थिति बेहतर हुई। अल्पसंख्यक समुदाय के लोग अब बेहतर जिंदगी जीने के साथ ही अपने बच्चों को अच्छी और ऊंच शिक्षा दिलाने में सक्षम हो रहे हैं। यह उन लोगों के लिए बड़ा झटका है, जो मोदी सरकार पर अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव का आरोप लगाते थे और अल्पसंख्यक समुदाय को सिर्फ वोटबैंक समझते थे।