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काशी में जी-20 की 100वीं बैठक, विदेशी मेहमानों का शाही अंदाज में स्वागत, कृषि विकास से लेकर मिलेट्स पर चर्चा

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जी20 देशों के प्रमुख कृषि वैज्ञानिकों की बैठक 17-19 अप्रैल के बीच वाराणसी में हो रही है। इस बैठक में दुनिया के 20 प्रमुख देशों के प्रतिनिधि और अन्य भागीदार देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। तीन दिवसीय आयोजन में पूरे विश्व को स्वस्थ रखने के लिए पौष्टिक आहार, खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण के अनुकूल खेती को बढ़ावा देने पर जोर है। इसके साथ ही यह बैठक, विचार-विमर्श और ज्ञान, विज्ञान और प्रौद्योगिकियों के आदान-प्रदान तथा जी-20 देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने के लिए एक अच्छा मंच प्रदान कर रही है। इस दौरान पोषण से भरपूर मोटे अनाज यानी श्री अन्न पर भी चर्चा हुई। इस बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे विदेशी मेहमानों का शाही अंदाज में स्वागत किया गया। जी 20 बैठक के मद्देनजर वाराणसी के पर्यटन में भी बूम आया है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तीन दिनों में ही यहां करीब 12 लाख पर्यटक पहुंचे हैं।

विदेशी मेहमानों का एयरपोर्ट पर नृत्य और शहनाई वादन से स्वागत

जी-20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए इटली, ब्राजील, यूरोपीय यूनियन, फ्रांस, जापान, रसिया, सिंगापुर आदि देशों के मेहमान काशी पहुंचे। यहां एयरपोर्ट पर कहीं धोबिया नृत्य तो कहीं शहनाई वादन के बीच तिलक लगाकर प्रतिनिधियों की अगवानी हुई। एयरपोर्ट रोड पर स्कूली बच्चों ने अलग-अलग देशों के झंडे के साथ विदेशी मेहमानों का स्वागत किया। जी-20 बैठक में शामिल होने वाराणसी पहुंचे मेहमानों का स्वागत लोक कलाकारों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से किया। स्वागत से अभिभूत इस्राइल के प्रतिनिधियों ने कलाकारों से लोककला की प्राचीनता और इतिहास के बारे में जाना।

लोकनृत्यों ने मेहमानों का मन मोहा

बाबतपुर एयरपोर्ट पर उतरने के बाद मेहमानों का स्वागत बांदा के 15 सदस्यीय कलाकारों ने पाई डंडा और पारंपरिक लोक नृत्य दीवारी कला से हुआ। भगवान राम के अयोध्या वापसी पर बुंदेलखंड के कलाकारों ने लोक नृत्य और दीवारी मार्शल आर्ट्स का प्रदर्शन किया। तरना में विजय यादव के नेतृत्व में लोकनृत्य करमा की प्रस्तुति हुई। संत अतुलानंद तिराहा पर मुन्नालाल के नेतृत्व में धोबिया नृत्य, केंटोनमेंट होटल में राई व नटवरी लोकनृत्य से मेहमानों का स्वागत हुआ। लोकनृत्यों ने मेहमानों का मन मोह लिया।

वाराणसी में जी20 की कुल छह बैठकें

‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के आदर्श वाक्य के साथ, भारत इस साल जी20 की मेजबानी कर रहा है। वन अर्थ, वन फैमिली और वन फ्यूचर का संदेश भी इसी के माध्यम से दिया जाएगा। वाराणसी में जी20 की कुल 6 बैठकें होंगी। इनमें से पहली सभा 17 अप्रैल से शुरू हो चुकी है। इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर पूरे शहर को सजाया गया है। साथ ही शहर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। जी20 की मुख्य बैठक होटल ताज में हो रही है। इसके बाद अतिथियों के काशी भ्रमण का कार्यक्रम है। इसमें मुख्य रूप से भगवान बुद्ध के निवास स्थान सारनाथ, गंगा में नौका विहार, गंगा आरती आदि कार्यक्रम शामिल हैं।

विदेशी मेहमानों ने गंगा आरती में भाग लिया

जी20 के प्रतिनिधियों ने काशी में विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती में भी भाग लिया। मेहमान नमो घाट से क्रूज पर सवार होकर सिंधिया घाट होते हुए दशाश्वमेध घाट गए। घाट और क्रूज पर लोकनृत्य कहरवा, बमरसिया की प्रस्तुति भी हुई। दुनिया भर से आए मेहमानों ने काशी के पारंपरिक हस्तशिल्पियों का हुनर ​​भी देखा। 18 अप्रैल को उन्हें सारनाथ ले जाया गया जहां बुद्धा थीम पार्क में मेहमानों के लिए सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया।

पृथ्वी के लिए सतत कृषि खाद्य प्रणाली पर चर्चा

वाराणसी में बैठक के पहले दिन, कृषि प्रमुख वैज्ञानिकों की बैठक हुई। जिसमें स्वस्थ लोगों और पृथ्वी के लिए सतत कृषि खाद्य प्रणाली पर चर्चा की गई। पहला सत्र खाद्य सुरक्षा और पोषण, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार की भूमिका विषय पर था। दूसरे सत्र लचीला कृषि-खाद्य प्रणाली विषय पर केंद्रित था।

बैठक में मिलेट्स की चर्चा पर दिया जा रहा जोर

वाराणसी में जी-20 बैठक का उद्घाटन करने के बाद केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने बताया कि भारत सरकार के प्रयासों से जी-20 सम्मेलन इस वर्ष भारत में हो रहा है। इस सम्मेलन से पहले होने वाली बैठकों में एग्रीकल्चर वर्किंग ग्रुप की महत्वपूर्ण बैठक वाराणसी में शुरू हुई है। प्रधानमंत्री के आह्वान पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2023 को मिलेटस ईयर घोषित किया है। मोटे अनाजों (मिलेट्स) की चर्चा पर इस तीन दिवसीय बैठक में जोर दिया जा रहा है।

जी-20 डेलीगेट्स को परोसा जा रहा मिलेट्स फूड

केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने बताया कि मोटे अनाज को मुख्यधारा का हिस्सा बनाने के लिए मिलेट्स जी-20 की बैठकों का अभिन्न अंग बना है। प्रतिनिधिमंडलों को न केवल मिलेट्स के स्वाद से परिचित कराया जा रहा है, बल्कि किसानों से उनकी भेंट भी कराई जा रही और वे स्टार्ट-अप्स के साथ संवाद भी करेंगे।

मिलेट्स से किसानों की बढ़ेगी आय

एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021 में मिलेट्स का वैश्विक बाजार 470 मिलियन डॉलर का था और अनुमान है कि 2026 तक इसकी सकल सालाना विकास दर में 4.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी। आशा की जानी चाहिए कि अब भारत के साथ ही दुनिया में भी मोटे अनाज की खपत बढ़ेगी। इससे न केवल भारत बल्कि दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी नए रोजगारों का सृजन होगा, किसानों की आय बढ़ेगी और खाद्य-पोषण सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी।

काशी से रखा जाएगा महर्षि का प्रस्ताव

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने बताया कि काशी से ही महर्षि यानी मिलेट्स एवं आदर्श एनसिएंट ग्रेन इंटरनेशनल रिसर्च इनिसिएटिव का प्रस्ताव रखा जाएगा। तीन दिवसीय सम्मेलन में मोटे अनाज को आधार बनाकर महर्षि प्रस्ताव पर सभी देशों के कृषि वैज्ञानिक चर्चा करेंगे। फूड सिक्योरिटी, डिजिटल एग्रीक्लचर, पीपीपी मॉडल पर भी मंथन किया जाएगा। संभावना है कि जी 20 के देश इसे अपनाने के लिए आगे आएंगे। सैद्धांतिक रूप से अगर सहमति बनी तो इसे आगे बढ़ाया जाएगा।

बनारस के पर्यटन में उछाल, 3 दिन में 12 लाख पर्यटक पहुंचे

बाबा विश्वनाथ का शहर बनारस यूपी का सबसे शानदार टूरिस्ट प्लेस बन रहा है। काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद यहां पर्यटक और श्रद्धालुओं का तांता लगा है। बीते तीन दिन में पर्यटकों की संख्या ने नया रिकॉर्ड बनाया है। टूरिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन के मुताबिक वाराणसी में बीते 3 दिनों में करीब 12 लाख से अधिक पर्यटक आए हैं। जिसके कारण यहां के होटल, लॉज, रेस्टोरेंट के संचालक गदगद हैं। इतना ही नहीं पर्यटकों के बड़ी संख्या के कारण बनारस के सभी छोटे बड़े होटल भी भरे हैं। आगे भी बुकिंग टाइट है। वाराणसी में जी 20 सम्मेलन से पहले पर्यटन इंड्रस्टी में आए इस बूम से इससे जुड़े व्यापारी खुश हैं।

तीन दिन होटल लॉज रहे फुल

टूरिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष राहुल मेहता ने बताया कि 7 से 9 अप्रैल के बीच वाराणसी के सभी होटल और लॉज फुल रहे। जिसके कारण कुछ पर्यटक अगल बगल के जिलों के गेस्ट हाउस में ठहर कर यहां दर्शन पूजन भी किया। इस पूरे हफ्ते तक होटल की बुकिंग लगभग फुल है।

बाजार को मिला बूम, वीकेंड में पर्यटकों की भीड़ दोगुनी

वाराणसी के कमिश्नर कौशक राज शर्मा ने बताया कि काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के बाद यहां पर्यटकों की संख्या में बड़ा उछाल आया है। जिसके कारण होटल, रेस्टोरेंट ही नहीं बल्कि लोकल बाजार में भी जबरदस्त बूम है। हर दिन के बजाए वीकेंड के दिनों में यहां पर्यटकों की भीड़ दोगुनी से भी ज्यादा हो जाती है। पूरे दिन काशी विश्वनाथ धाम में भक्तों की लाइन लगी रहती है।

देश के 60 शहरों में जी 20 के कुल 200 सम्मेलन

देश के 60 शहरों में जी 20 के कुल 200 सम्मेलन होने हैं, 100वां सम्मेलन काशी में होना गौरव की बात है। अब तक हुए सम्मेलन में 110 अलग अलग देशों से 12300 से अधिक प्रतिभागी शामिल हो चुके हैं। पूरे विश्व की 85 प्रतिशत जीडीपी, कुल व्यापार का 75 प्रतिशत व्यापार जी 20 देशों में होता है।

जी-20 में शामिल देश

अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, यूरोपीय संघ, जर्मनी, फ्रांस, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्किये, यूनाइटेड किंगडम और यूएसए।

मिलेट्स यानी श्री अन्न से संबंधित महत्वपूर्ण घटनाक्रम पर एक नजर-

संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को घोषित किया ‘इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की आवाज को दुनिया के सभी मंचों पर पूरी गंभीरता से सुनी जा रही है। इसका एक और प्रमाण 193-सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा में मिला है। जहां 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में घोषित करने के भारत के प्रायोजित प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकृति प्रदान की गई। 70 से अधिक देशों ने इस प्रस्ताव को सह-प्रायोजित किया था, जिसका उद्देश्य बदलती परिस्थितियों में खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए भोजन में इन पोषक अनाजों को शामिल करने के लिए वैश्विक जागरूकता बढ़ाना है।

भारत के प्रस्ताव पर 72 देशों ने दी थी मंजूरी

संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने 5 मार्च, 2021 को साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में घोषित किया था। भारत सरकार द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव को 72 देशों का समर्थन मिला था। इस घोषणा के माध्यम से, यूएनजीए का उद्देश्य खाद्य सुरक्षा और पोषण के लिए पोषक अनाज (श्री अन्न) के बारे में जागरुकता बढ़ाना, अनुसंधान एवं विकास और विस्तार में निवेश बढ़ाना व श्री अन्न की उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार के लिए हितधारकों को प्रेरित करना है।

PM मोदी ने किया ग्लोबल मिलेट्स सम्मेलन का उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 मार्च 2023 को नई दिल्ली में ‘ग्लोबल मिलेट्स (श्री अन्न) सम्मेलन’ का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष (आईवाईएम)-2023 पर एक डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया। इस दौरान उन्होंने कहा, ‘मुझे गर्व है कि भारत ‘अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष’ का नेतृत्व कर रहा है। ग्लोबल मिलेट्स कॉन्फ्रेंस जैसे आयोजन न केवल ग्लोबल गुड के लिए जरूरी हैं बल्कि ग्लोबल गुड्स के लिए भारत की बढ़ती जिम्मेदारी का प्रतीक भी हैं।’

‘श्री अन्न’ भारत में समग्र विकास का माध्यम

पीएम मोदी ने कहा कि ‘श्री अन्न’ भारत में समग्र विकास का माध्यम बन रहा है, इसमे गांव भी जुड़ा है और गरीब भी जुड़ा है। श्री अन्न यानी देश के छोटे किसानों के समृद्धि का द्वार है। श्री अन्न यानी देश के करोड़ों लोगों के पोषण का कर्णधार है। श्री अन्न यानी देश के आदिवासी समाज का सत्कार है। श्री अन्न यानी कम पानी में ज्यादा फसल की पैदावार है। श्री अन्न यानी केमिकल मुक्त खेती का बड़ा आधार है। श्री अन्न यानी क्लाइमेट चेंज की चुनौतियों से निपटने में मददगार है।

भारत को ‘मोटे अनाजों का वैश्विक केंद्र’ बनाना लक्ष्य

भारत सरकार का लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष 2023 को किसानों, उपभोक्ताओं के समग्र लाभ और जलवायु के लिए एक जन आंदोलन बनाना है। इसी सिलसिले को आगे बढ़ाने के लिए भारत सरकार ने आईवाईएम 2023 के लक्ष्यों को हासिल करने और भारत को ‘मोटे अनाजों के वैश्विक केंद्र’ के रूप में स्थापित करने के लिए बहु-हितधारक सहयोगपूर्ण दृष्टिकोण अपनाया है। इसमें किसानों, स्टार्ट-अप, निर्यातकों, खुदरा व्यवसायों, होटल संघों तथा भारत और विदेशों में सरकार के विभिन्न अंगों को शामिल किया गया है। वर्ष 2023 मोटे अनाजों को अपनाने और बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साल भर चलने वाले अभियान और अनेक गतिविधियों का साक्षी बनेगा।

दुनिया भर में बढ़ रहा है मोटे अनाज यानी मिलेट्स का क्रेज : मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 अगस्त 2022 को ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 92वें एपिसोड में कहा कि आज, दुनिया भर में मोटे अनाज का का क्रेज बढ़ता जा रहा है। बाजरा, मोटे अनाज, प्राचीन काल से ही हमारी खेती, संस्कृति और सभ्यता का हिस्सा रहे हैं। हमारे वेदों में भी बाजरा का उल्लेख मिलता है। आप देश के किसी भी हिस्से में जाएं, आपको, वहां लोगों के खान-पान में, अलग-अलग तरह के मिलेट्स जरुर देखने को मिलेंगे। हमारी संस्कृति की ही तरह, मिलेट्स में भी, बहुत विविधताएं पाई जाती हैं। ज्वार, बाजरा, रागी, सावां, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी, कुट्टू, ये सब मिलेट्स ही तो हैं। भारत, विश्व में, मिलेट्स का सबसे बड़ा उत्पादक देश है, इसलिए इस पहल को सफ़ल बनाने की बड़ी ज़िम्मेदारी भी हम भारत-वासियों के कंधे पर ही है। हम सबको मिलकर इसे जन-आंदोलन बनाना है, और मिलेट्स के प्रति जागरूकता भी बढ़ानी है।

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