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AAP स्वास्थ्य मॉडलः लूट सके तो लूट! पंजाब में मोहल्ला क्लीनिक पर खर्च हुए 10 करोड़, प्रचार पर 30 करोड़ रुपये खर्च करना चाहती है भगवंत मान सरकार, प्रचार कहां? तमिलनाडु में!

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कबीर दास का एक दोहा बहुत प्रचलित है- राम नाम की लूट है, लूट सके तो लूट। अंत समय पछतायेगा, जब प्राण जायेंगे छूट।। भारतीय राजनीति में आईआईटीयन राजनीतिज्ञ अरविंद केजरीवाल ने इस दोहे के मर्म को समझते हुए इसे अपने अनुसार ढाल लिया है और इस अर्थयुग में उन्होंने धन की लूट शुरू कर दी है। पहले उनके पास एक ही सरकार थी- दिल्ली में। अब पंजाब में भी सरकार बन चुकी है तो उनके पौबारह हैं। AAP की सरकार में चारों तरफ से लूट मची है। पंजाब में 10 करोड़ रुपये खर्च कर मोहल्ला क्लीनिक बनाए गए और इसके प्रचार पर जनता की गाढ़ी कमाई के 30 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई गई है। दिलचस्प बात यह है कि यह प्रचार पंजाब में नहीं तमिलनाडु में किया जाना है। जब स्वास्थ्य सचिव को ये बात रास नहीं आई और उसने आपत्ति जताई तो उसका तबादला कर दिया गया। यानी AAP की सरकार में लूट पर जो ऊंगली उठाएगा उसकी खैर नहीं।

मोहल्ला क्लीनिक के प्रचार पर 30 करोड़ खर्चना चाहती मान सरकार

पंजाब के मोहल्ला क्लीनिकों के निर्माण पर 10 करोड़ रुपये खर्च हुए थे, वहीं इसके प्रचार पर 30 करोड़ रुपये खर्च करने से इनकार करना आईएएस अधिकारी अजॉय शर्मा को उस समय महंगा पड़ गया जब उनका तबादला स्वास्थ्य विभाग से कर दिया गया। स्वास्थ्य सचिव एवं परिवार कल्याण और वित्त आयुक्त (कराधान) के पद पर तैनात शर्मा का दोनों विभागों से तबादला कर दिया गया। शर्मा पिछले स्वतंत्रता दिवस से पहले स्थापित किए गए 75 मोहल्ला क्लीनिकों के अधिकारी थे। अगले सप्ताह ऐसे और मोहल्ला क्लीनिकों का उद्घाटन किया जाना है। सूत्रों की मानें दो अलग-अलग बैठकों में शर्मा से स्वास्थ्य बजट से प्रचार पर 30 करोड़ रुपये खर्च करने की अनुमति देने को कहा गया था। लेकिन उन्होंने इसकी मंजूरी देने से इनकार कर दिया था।

पंजाब के मोहल्ला क्लीनिक का तमिलनाडु जैसे राज्यों में प्रचार का क्या मतलब

स्वास्थ्य सचिव अजॉय शर्मा ने यह कहते हुए राशि को मंजूरी देने से इनकार कर दिया कि विभाग ने मोहल्ला क्लीनिक स्थापित करने के लिए पहले ही 10 करोड़ रुपये खर्च कर दिए और वह तमिलनाडु जैसे राज्यों में योजना के प्रचार के लिए 30 करोड़ रुपये खर्च करने का औचित्य साबित नहीं कर पाएंगे। अगर यह पंजाब के लिए होता तो बात अलग होती, क्योंकि इस प्रचार से राज्य के लोगों को फायदा होता। लेकिन इस मामले में पैसा दक्षिण भारत के राज्यों में खर्च किया जाना था। उन्होंने कहा था कि तमिलनाडु के निवासियों को पंजाब में मोहल्ला क्लीनिकों से लाभ नहीं होगा। इसलिए उन राज्यों में प्रचार-प्रसार पर खर्च किए गए पैसे का कोई मतलब नहीं। खासकर जब राज्य ने क्लीनिक स्थापित करने पर 10 करोड़ रुपये खर्च किए थे, तो वह विज्ञापन पर 30 करोड़ रुपये के खर्च को कैसे जायज ठहरा सकता है।

पंजाब के अस्पतालों में मरीजों को लाना पड़ रहा सिरिंज

सरकार द्वारा यूजर चार्जेस सरकारी खजाने में जमा करवाने के आदेशों का असर मरीजों पर भारी पड़ने लगा है। पंजाब के पटियाला जिले के बड़े माता कौशल्या अस्पताल पटियाला के बाद अब देहाती एरिया में आने वाले त्रिपड़ी कम्युनिटी हेल्थ सेंटर में सिरिंज का स्टॉक 3 दिन से खत्म है। वहीं, हेपेटाइटिस टेस्ट किट्स (एचसीवी) भी खत्म हो गई हैं। इससे बाहर प्राइवेट में जाकर टेस्ट करवाने पड़ रहे हैं। इसके अलावा एक्स-रे फील्ड भी खत्म होने की कगार पर है। जानकारी के अनुसार यहां 4-5 दिन का स्टाक ही बाकी है। अगर समय पर सप्लाई नहीं हुई तो मरीजों को परेशानी बढ़ सकती है। सीएचसी त्रिपड़ी की ओपीडी में रोजाना नए पुराने 200-300 मरीज इलाज करवाने पहुंचते हैं। लेकिन अंदर टेस्ट सुविधा बंद होने से परिजनों को बाहर प्राइवेट लैब से टेस्ट करवाने पड़ रहे हैं।

पहले लोकल स्तर पर खरीद हो जाती थी, अब डिमांड भेजनी पड़ रही

कम्युनिटी हेल्थ सेंटर (सीएचसी) त्रिपड़ी के एसएमओ डा. विकास गोयल ने कहा कि पहले जो इमरजेंसी मेडिकल आइट्म्स खत्म हो जाती थीं, उसे लोकल लेवल पर पर्चेज कर लिया जाता था, लेकिन अब सरकार ने यूजर चार्जेस सरकारी खजाने में जमा कराने के निर्देश दिए हैं। इसलिए अब सरकारी स्तर पर डिमांड भेजी जा रही है। यूजर चार्जेस बंद होने के चलते कोई भी दवा या टेस्ट किट्स कमी की होती है तो वे अपने स्तर पर खरीद नहीं सकते हैं। सप्लाई की मांग पंजाब हेल्थ सिस्टम कारपोरेशन को भेजनी पड़ती है तो उस के बाद ही सप्लाई मिल सकती है। इस तरह सप्लाई आने में काफी समय लग जाता है।

भगवंत मान बेकार मोहल्ल क्लीनिक को प्रचारित करने पर 30 करोड़ रुपये बर्बाद करने पर आमादाः सुखबीर बादल 

पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर बाद ने पंजाब सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकारी अस्पतालों में इंजेक्शन लगवाने के लिए मरीजों को सीरिंज बाहर से लाने को मजबूर किया जा रहा है, लेकिन दिल्ली सरकार की कठपुतली भगवंत मान बेकार मोहल्ल क्लीनिक को प्रचारित करने पर 30 करोड़ रुपये बर्बाद करने पर आमादा है। अगर कोई अधिकारी इस सरासर अपव्यय का विरोध करता है, तो उसे बाहर कर दिया जाता है। बड़ी शर्म की बात है!

गर्भवती महिलाओं के परिजनों का आरोप: मरीजों से मांगे जाते हैं ग्लव्स, काटन, सिरिंज, 100 रुपए देने पर की प‌ट्टी

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, अमृतसर के गुरु नानक देव अस्पताल के बेबे नानकी वार्ड में यदि आप नि:शुल्क इलाज का सोचकर जा रहे हैं तो पहले सोच समझ लें, क्योंकि यहां सिरिंज से लेकर काटन, ग्लव्स तक मरीजों से मंगवाए जा रहे हैं। मरीजों के अटेंडेंट का आरोप है कि ऑपरेशन का सारा सामान उन्हें खुद खरीदना पड़ रहा है। इतना ही नहीं मरीजों को डायबिटीज, थायरॉइड समेत सभी टेस्ट बाहर से कराने पड़ रहे हैं। उनका कहना है कि सरकारी अस्पतालों में गरीब तबके के लोग फ्री इलाज सोचकर आते हैं, क्योंकि उनके पास प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के लिए पैसे नहीं होते। मगर जीएनडीएच में भी निजी अस्पतालों जैसी ही स्थिति है। एक डिलीवरी केस पर 25 से 30 हजार रुपए खर्च हो रहे हैं। मरीजों का आरोप है कि 80 रुपए वाली दवाई बाहर से 250 रुपए तक खरीदने को मजबूर हैं। प्रसव के बाद रोजाना पट्टी होती है। यह पट्टी अटेंडेंट को खुद करनी पड़ रही है। डॉक्टर महिला स्वीपरों का सहारा लेने के लिए बोल देते हैं, लेकिन वह हेल्प के बदले में 100 रुपए मांगती हैं।

दिल्ली और पंजाब दोनों ही जगह पर मोहल्ला क्लीनिक माडल फेलः चीमा

शिरोमणि अकाली दल ने मोहल्ला क्लीनिक को लेकर सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी पर हमला बोला है। शिअद के नेता डा. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि आप सरकार को यह मान लेना चाहिए कि दिल्ली और पंजाब दोनों ही जगह पर मोहल्ला क्लीनिक माडल फेल है। अगर ऐसा न होता तो सरकार के मोहल्ला क्लीनिक के प्रचार के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने की कोई जरूरत नहीं थी। उन्होंने कहा कि एक तरफ मुख्यमंत्री भगवंत मान कहते है कि मोहल्ला क्लीनिक में 10 लाख लोगों को इलाज किया जा चुका है। अगर लोग इलाज से संतुष्ट है तो एक व्यक्ति भी अगर 10 व्यक्ति को बताता है तो क्लीनिक का प्रचार करोड़ों लोगों तक पहुंच जाता है। डा. चीमा ने मुख्यमंत्री भगवंत मान से सवाल किया कि अगर यह माडल कामयाब होता तो 10 करोड़ रुपये से बनने वाले मोहल्ला क्लीनिक के प्रचार पर 30 करोड़ रुपये खर्च करने की जरूरत क्या थी।

सुविधा केंद्रों को मोहल्ला क्लीनिकों में बदलकर तुच्छ लोकप्रियता हासिल करने की जुगत

चीमा ने कहा कि कैसे सरकार ने सुविधा केंद्रों को मोहल्ला क्लीनिकों में बदलकर तुच्छ लोकप्रियता हासिल करने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि अब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के मामले में भी ऐसा ही किया जा रहा है, जिन्हे बंद कर उन्हें मोहल्ला क्लीनिकों में तब्दील कर विफल मॉडल के ब्रांड में तब्दील किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘ भगवंत मान को यह समझना चाहिए कि पंजाब में पहले से ही स्वास्थ्य केंद्र हैं तथा मोहल्ला क्लीनिकों के नाम पर और डिस्पेंसरियों की जरूरत नहीं है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पूरे देश में जाकर दिल्ली मॉडल का ढोल पीटते हैं। अब दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक पर एक नजर-

मोहल्ला क्लीनिक बीमार, डॉक्टरों की कमी, इलाज में लापरवाही

दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिक के जरिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने का दावा करने वाले अरविंद केजरीवाल की जनता पोल खोल रही है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में केजरीवाल के तमाम दावे झूठे साबित हो रहे हैं। दिल्ली की जनता मोहल्ला क्लीनिक में डॉक्टरों की कमी और इलाज में हो रही लापरवाही से काफी नाराज है। साथ ही केजरीवाल मीडिया में जिस तरीके से मोहल्ला क्लीनिक का ढोल पीट रहे हैं। हकीकत में मोहल्ला क्लीनिक की स्थिति बद से बदतर है। देखिए वीडियो

कहीं तबेला, तो कहीं गोदाम बना मोहल्ला क्लीनिक

दिल्ली में केजरीवाल के मोहल्ला क्लीनिक की हालत यह है कि लोग मोहल्ला क्लीनिक जाने से अच्छा झोलाछाप डॉक्टर के पास जाना पसंद करते हैं। दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक की हालत बताती है कि अगर कोई बीमार इंसान यहां गया तो ठीक होने की जगह उसे अस्पताल जाना पड़ सकता है। जब से मोहल्ला क्लीनिक की शुरुआत हुई है तब से इनकी हालत ऐसी ही है। कहीं ड़ॉक्टर की कमी तो कही डॉक्टर्स में हद से बढ़कर लापरवाही है। दिल्ली में ना जाने कितने मोहल्ला क्लीनिक ऐसे हैं जिनमें डॉक्टर अपनी मनमर्जी से आते हैं, तब तक बाहर लंबी-लंबी कतार लग जाती हैं। वहीं कुछ जगहों पर मोहल्ला क्लीनिक में डॉक्टर नहीं होने की वजह से महीनों से ताला लटका हुआ है।

केजरीवाल और मंत्रियों को मोहल्ला क्लीनिक पर भरोसा नहीं

सीएम केजरीवाल ने दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिक बनाकर आम लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने का दावा किया था, लेकिन उन्हें मोहल्ला क्लीनिक पर भरोसा नहीं है। यहां तक कि दिल्ली सरकार के बड़े सरकारी अस्पताल के बजाए वह निजी अस्पताल में इलाज करा लाखों रुपये खर्च कर रहे हैं। अक्टूबर 2019 में आरटीआई के खुलासा हुआ कि अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली का मुख्यमंत्री रहते खुद और अपने परिवार का दिल्ली से बाहर निजी अस्पताल में इलाज कराया। इस पर तकरीबन 12 लाख रुपये खर्च किए गए।

इलाज के नाम पर सीएम और मंत्रियों ने सरकारी खजाने से लुटाये 76 लाख रुपये

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पूरे देश में जाकर दिल्ली मॉडल का ढोल पीटते हैं। लेकिन एक आरटीआई ने सीएम केजरीवाल के दिल्ली मॉडल की पोल खोलकर रख दी है। आरटीआई से पता चला है कि सीएम केजरीवाल और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था और सरकारी अस्पतालों पर भरोसा नहीं है। वे जनता को मुफ्त का रेवड़ी देकर खुद इलाज के नाम पर सरकारी खजाना लूटने में लगे हैं। सीएम केजरीवाल और उनके मंत्रियों ने अपने और अपने परिवार के इलाज पर सरकारी खजाने से 76 लाख रुपये खर्च किए हैं। यहां तक कि दिल्ली में कई सरकारी अस्पताल होते हुए भी महंगे निजी अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं।

आरटीआई से केजरीवाल सरकार की लूट का खुलासा

दरसअल सामाजिक और आरटीआई कार्यकर्ता विवेक पांडेय ने 11 जून 2022 को एक ऑनलाइन आरटीआई आवेदन दिल्ली सरकार के जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट को दाखिल की थी। इसमें वर्ष 2015 से लेकर वर्ष 2022 के मध्य मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और उनके मंत्रीमंडल के 6 अन्य मंत्रियों के इलाज पर खर्च किए गए सरकारी धन की जानकारी मांगी गई थी। इसके बाद आरटीआई से जो जवाब मिला, उससे सीएम केजरीवाल और उनके मंत्रियों के बारे में चौंकाने वाली जानकारी मिली।

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