रणनीतिक रूप से अहम जोजिला पास टनल का रास्ता साफ हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने इसकी मंजूरी दे दी है। सर्दियों में भारी बर्फबारी के चलते श्रीनगर, करगिल और लेह का संपर्क एक-दूसरे से कट जाता है। इस सुरंग के निर्माण से श्रीनगर-करगिल तथा लेह के बीच सभी मौसमों के दौरान संपर्क उपलब्ध रहेगा तथा इन क्षेत्रों में समग्र आर्थिक और सामाजिक-सांस्कृतिक एकीकरण की भी सुविधा रहेगी। इस परियोजना का कूटनीतिक तथा सामाजिक-आर्थिक महत्व है और यह जम्मू कश्मीर में आर्थिक रूप से पिछड़े जिलों के विकास का एक माध्यम होगी।
परियोजना विवरण
सात वर्ष में पूरी होने वाली 14.5 किलोमीटर लंबी इस सुरंग के निर्माण पर 6,809 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। जोजिला सुरंग श्रीनगर-कारगिल-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित जोजिला पास के नजदीक बनेगी। इस सुरंग के माध्यम से 3.5 घंटों में पूरा होने वाला सफर सिर्फ 15 मिनट में पूरा हो सकेगा। यह समुद्र तल से 11,578 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि जोजिला सुरंग एनएच-1ए पर 95 किमी मील पत्थर को और 118 किमी मील पत्थर को सीधे जोड़कर दूरी को काफी कम कर देगी। यह भारत व एशिया की सबसे लंबी सड़क सुरंग होगी। यह दो लेन वाली दुतरफा सिंगिल ट्यूब सुरंग होगी जिसके समानांतर एक अन्य एंग्रेस सुरंग का निर्माण आपातस्थिति में राहत एवं बचाव कार्यो के लिए किया जाएगा। परियोजना का कार्यान्यवन एनएचआइडीसीएल द्वारा किया जाएगा।
इस सुरंग के पहुंचमार्गों का निर्माण अलग से शुरू किया जा रहा है। परियोजना का कार्यान्वयन राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के माध्यम से सड़क परिवहन तथा राजमार्ग मंत्रालय द्वारा किया जाएगा। इससे परियोजना कार्य-कलापों में स्थानीय श्रमिकों के लिए रोजगार की संभावना में और अधिक वृद्धि होगी। परियोजना पूर्ण होने पर रोजगार में भारी इजाफा होगा, क्योंकि स्थानीय व्यापार राष्ट्रीय बाजार से जुड़ जाएंगे और इस सुंदर क्षेत्र में पूरे साल पर्यटक यातायात उपलब्ध रहेगा।