देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की कमान एक ‘राजयोगी’ को संभाले हुए लगभग पांच वर्षों की अवधि पूरी हो रही है। राजनीतिक पंडितों से लेकर आमजन तक समीक्षाओं का दौर जारी है। एक बीमारू प्रदेश के उद्यम प्रदेश में तब्दील होने की विस्मयकारी यात्रा सभी के लिए कौतुक का विषय बनी हुई है। आखिर कैसे कोई प्रदेश कोरोना महामारी के दुर्धर कालखण्ड में भी ‘जीवन और जाविका’ को सुरक्षित रखते हुए विकास के नए मानक स्थापित कर सकता है। कभी संगठित अपराध, सुव्यवस्थित भ्रष्टाचार, मज़हबी दंगों, बेरोज़गारी और कमजोर राजनीतिक इच्छाशक्ति की पहचान रखने वाला उत्तर प्रदेश आखिर कैसे ‘उद्यम प्रदेश’ के रूप में स्थापित हो गया है।
देश की विधायिका और कार्यपालिका के लिए चिंतन का विषय है कि जब प्रदेश वही, संसाधन भी वही और स्थितियां पूर्व से अधिक विपरीत हों तो भला ऐसा क्या हुआ कि वर्ष 2017 के बाद उत्तर प्रदेश में आस्था से अर्थव्यवस्था तक, स्वास्थ्य से सुरक्षा तक, इंफ्रास्ट्रक्चर से इंडस्ट्री तक, कृषि से कनेक्टीविटी तक, शिक्षा से रोजगार तक समग्र विकास की अवधारणा को मूर्त रूप प्रदान करने का युगांतरकारी कार्य संभव हो सका।
हम सभी जानते हैं कि भय, भूख और भ्रष्टाचार के अंधकार में गुम प्रदेश को निवेशकों का ड्रीम डेस्टिनेशन बनाना असाध्य कार्य था, किंतु कुशल नियोजन, ध्येयनिष्ठ क्रियान्वयन और अक्षत संकल्प भावना ने इसे साकार किया। योगी ने सबसे पहले सुव्यवस्थित अवैध व्यवस्था जैसे अवैध स्लाटर हाउस, अवैध सम्पत्ति, अवैध खनन, भूमि पर अवैध कब्जेदारी आदि जैसे गैर-कानूनी कार्यों के संचालकों पर करारा प्रहार किया।
पुलिस थाने के बाहर गले में खुद की गिरफ्तारी की प्रार्थना करती तख्ती लटकाए अपराधियों की तस्वीरें और माफियाओं की अवैध संपत्ति के लिए कुर्की की मुनादी ने आमजन के मन में कानून-व्यवस्था के प्रति खत्म हो चुके सम्मान और विश्वास को पुनर्स्थापित किया।
अब बात कनेक्टीविटी की। विकास हेतु बुनियादी जरूरतों में शुमार किए जाने वाले आधारभूत ढांचे को योगी सरकार में नया स्वरूप मिला। प्रदेश को देश और दुनिया से सुगमतापूर्वक जोड़ने के लिए वायु और सड़क मार्ग के बिछाए गए जाल ने विकास की रफ्तार को तीव्रता प्रदान की है। दीगर है कि प्रदेश को 05 अंतरराष्ट्रीय विमान पत्तनों की सौगात मिलने के साथ ही 8 एयरपोर्ट्स से उड़ाने भरी जा रही हैं, जबकि 13 हवाई अड्डों और 7 हवाई पट्टियां का विकास किया जा रहा है।
स्वदेशी, स्वावलंबन, स्वाभिमान और स्वरोजगार का संयोग ‘अंत्योदय’ का पथ प्रदर्शित करता है। अंत्योदय के सुपथ पर चलकर ही ‘राष्ट्रोदय’ की संकल्पना साकार होती है। राष्ट्रोदय, ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत-आत्मनिर्भर भारत’ का साकार स्वरूप है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिया गया ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ का मंत्र इसका राजनीतिक दर्शन है। इसी भाव को मूर्त रूप प्रदान करने के क्रम में ‘एक जनपद-एक उत्पाद’ योजना के माध्यम से योगी सरकार ने स्थानीय शिल्पकला और उद्यमिता को प्रोत्साहित किया तो आर्थिक विकास का ग्रोथ इंजन कहे जाने वाली सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) को प्राण वायु प्रदान कर उद्यमिता नवाचार को नए पंख प्रदान किए।
विदित हो कि प्रदेश में 95 लाख 49 हजार से अधिक एमएसएमई इकाइयों को 02 लाख 48 हजार 341 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण मुहैया कराया गया है। यह एमएसएमई इकाइयां न सिर्फ रोजगार सृजन का बड़ा कारक बन रही हैं, बल्कि ‘स्किल्ड लेबर’ के समायोजन में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभा रही हैं। ध्यातव्य है कि प्रदेश में अभी तक एमएसएमई के द्वारा 3.28 करोड़ से अधिक लोगों ने रोजगार प्राप्त किया है। इसी तरह ‘पलायन और पूंजी’ दोनों को नियंत्रित कर ‘स्थानीयता’ को जीवन प्रदान करती ओडीओपी योजना के तहत अब तक 25 लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ है। हर जनपद ‘स्पेशल इंडस्ट्री’ के रूप में स्थापित हो रहा है। एक तापस वेशधारी राजयोगी के शासन में ही ऐसे ‘प्रकृति अनुकूल’ विकास की आशा की जा सकती है।
योगी के हर ‘विकास सूत्र’ में लोक कल्याण की भावना निहित है। राजपथ को लोकपथ का पता देती योगी की नीतियों में गांव, गरीब, महिला, वंचित, शोषित, उपेक्षित, उपहासित सभी के उत्थान का संकल्प है। यहां सामाजिक सुरक्षा से लेकर सामाजिक न्याय की अवधारणा सशक्त होती है। निराश्रित महिला, वृद्ध और दिव्यांगजन जनों को मिलने वाली पेंशन की राशि को दोगुना होना उसी का हिस्सा है।
आपरेशन कायाकल्प ने शिक्षा की प्राथमिक दहलीज को रोशन करने का काम किया तो सौभाग्य योजना के तहत प्रदेश के 1.38 करोड़ से अधिक घरों को निःशुल्क बिजली कनेक्शन मिले। 1.4 लाख राजस्व ग्रामों एवं 2.84 लाख मजरों तक बिजली का उजाला पहुंचा।
योगी सरकार मातृशक्ति के जीवन में तो उम्मीद और उन्नति का नया सवेरा लेकर आयी। बालिकाओं को स्नातक स्तर तक निःशुल्क शिक्षा, एक करोड़ 67 लाख मातृशक्तियों को उज्ज्वला योजना में मुफ्त गैस कनेक्शन, सीएम कन्या सुमंगला योजना से 9 लाख 36 हजार बेटियों को लाभ, मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में 1.52 लाख से अधिक निर्धन कन्याओं का विवाह, पीएम मातृ वंदना योजना में 40 लाख माताएं लाभांवित, ग्रामीण आवासीय अभिलेख (घरौनी) घर की महिला का नाम, प्रदेश के सभी 1,535 थानों में पहली बार महिला हेल्प डेस्क की स्थापना, महिलाओं को तुरंत न्याय दिए जाने को लेकर 218 नए फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना में 1 करोड़ 80 लाख बच्चियां को लाभ, मनरेगा योजना के अंतर्गत स्वयं सहायता समूहों की 18 हजार महिला मेटों का चयन, बैंकिंग सखी के रूप में 56 हजार महिलाओं को रोजगार, 10 लाख स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से एक करोड़ महिलाओं को रोजगार, 58,758 महिलाओं का सामुदायिक शौचालयों में सफाई कर्मियों के रूप में चयन आदि ऐसे अनेक कार्य हैं, जिन्होने महिलाओं की सुरक्षा, स्वाभिमान, स्वावलंबन और सशक्तिकरण के स्वप्न को साकार करने का कार्य किया है।
ऐसे ही तमाम लाइलाज लग रहे मर्जों को योगी सरकार ने अपनी प्रयोगशाला में निर्मित रामबाण दवाई से ठीक किया है। किसानों के दर्द को दवा तो युवाओं के जख्मों पर मरहम लगाया है। किसानों को आर्थिक संबल प्रदान करती ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना’ में दो करोड़ 53 लाख 98 हजार किसानों को लाभांवित हुए हैं। 86 लाख किसानों को ऋण माफी लाभ तो गन्ना किसानों को 1.44 लाख करोड़ से अधिक गन्ना मूल्य का भुगतान प्राप्त हुआ है। कोरोना कालखंड में भी चीनी मिलें बंद नहीं हुईं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसानों को 2376 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति भला कभी किसी ने सोचा था?
योगी सरकार ने आस्था और अर्थव्यव्यस्था के प्रति समदर्शी भाव रखा। दशकों से उपेक्षित पड़े भारतीय आस्था के प्राचीनतम केंद्रों को योगी के नेतृत्व में नया जीवन मिला है। धार्मिक पर्यटन के रूप में आस्था को अर्थव्यवस्था से जोड़ने का कार्य एक योगी के ही राज में संभव था। आज अयोध्या, काशी, मथुरा, चित्रकूट समेत अनेक केंद्र अंतरराष्ट्रीय सुविधाओं के साथ पर्यटन के विश्व मानचित्र पर दमक रहे हैं।
योजनाएं दर्जनों हैं और लाभार्थीं असंख्य, लेकिन निर्माण तो सतत चलने वाली प्रक्रिया है। बिना रुके, बिना थके, बिना डिगे प्रगति के पथ पर प्रदेश को कदमताल कराते रहना विकास की बुनियादी कसौटी है। उत्तर प्रदेश भाग्यशाली है कि उसके पास राम और राष्ट्र का साधक एक योगी है। आशा है उत्तर प्रदेश के विकास और नव निर्माण का ‘आदित्य’ सतत चमकता रहेगा, क्योंकि यूपी बोल रहा है कि ‘योगी हैं तो यकीन है’।
-प्रणय विक्रम सिंह
लखनऊ, उत्तर प्रदेश
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, राजनीतिक विश्लेषक व स्तम्भकार हैं।)
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