वर्ष 2025 भारत के ऊर्जा इतिहास में एक ऐसे मोड़ के रूप में दर्ज किया जाएगा, जहां देश ने न केवल अपनी एनर्जी सिक्योरिटी को मजबूत किया, बल्कि आम आदमी की रसोई से लेकर आसमान में उड़ते विमानों तक को स्वच्छ ईंधन की ताकत दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने इस साल रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म के मंत्र को चरितार्थ किया है। पीएम मोदी का संकल्प कि ऊर्जा तक पहुंच हर नागरिक का अधिकार है, इस साल धरातल पर एक बड़ी क्रांति बनकर उभरा है।

प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत ने न केवल अपनी घरेलू तेल और गैस खोज को तेज किया, बल्कि दुनिया को यह भी दिखा दिया कि कैसे एक विशाल अर्थव्यवस्था विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बना सकती है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के लिए यह साल नीतिगत सुधारों, इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार और डिजिटल क्रांति का एक अद्भुत संगम रहा। आइए, विस्तार से देखते हैं पेट्रोलियम मंत्रालय के लिए क्यों खास रहा यह साल।

10 करोड़ से ज्यादा ‘उज्ज्वला’ परिवारों का भरोसा
स्वच्छ रसोई ईंधन अब केवल शहरों तक सीमित नहीं है, बल्कि देश के हर कोने तक पहुंच चुका है। 1 दिसंबर 2025 तक प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) के लाभार्थियों की संख्या 10.35 करोड़ के पार पहुंच गई है। यह प्रधानमंत्री मोदी की उस प्रतिबद्धता का परिणाम है, जिसमें उन्होंने देश की माताओं-बहनों को धुएं से मुक्ति दिलाने का वादा किया था। यह उन करोड़ों महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार का प्रमाण है जो पहले धुएं में खाना बनाने को मजबूर थीं। सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 25 लाख अतिरिक्त एलपीजी कनेक्शन जारी करने की मंजूरी दी है। सबसे खास बात यह रही कि अब कागजी कार्रवाई का झंझट खत्म हो गया है। पहले की जटिल प्रणाली की जगह अब सिर्फ एक एकल अभाव घोषणा पत्र से काम चल जाता है। इससे गरीब परिवारों के लिए गैस कनेक्शन लेना अब बेहद आसान हो गया है।

जेब पर बोझ कम और सुरक्षा पर दम
एलपीजी सिर्फ पहुंची ही नहीं, बल्कि सस्ती भी बनी रही। महंगाई के दौर में प्रधानमंत्री मोदी ने उज्ज्वला लाभार्थियों के लिए 300 रुपये की सब्सिडी को जारी रखा। इससे ग्रामीण इलाकों में एलपीजी की खपत में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई। 2019 में जो औसत खपत 3 सिलेंडर प्रति वर्ष थी, वह अब बढ़कर 4.85 रिफिल प्रति वर्ष तक पहुंच गई है।

सुरक्षा के मामले में भी मंत्रालय ने कोई कसर नहीं छोड़ी। देश भर में 12.12 करोड़ से अधिक मुफ्त सुरक्षा जांच की गईं और करीब 4.65 करोड़ पुराने पाइपों को रियायती दरों पर बदला गया। यह सुनिश्चित किया गया कि तकनीक के साथ-साथ सुरक्षा भी घर-घर पहुंचे। डिजिटल इंडिया के विजन को आगे बढ़ाते हुए, 1 दिसंबर 2025 तक 71 प्रतिशत उज्ज्वला उपभोक्ताओं का बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण पूरा कर लिया गया है, ताकि सब्सिडी का लाभ बिना किसी बिचौलिए के सीधे सही हकदार तक पहुंचे।

ईंधन स्टेशनों का बदला स्वरूप
प्रधानमंत्री के फ्यूचर रेडी इंडिया के विजन के तहत अब पेट्रोल पंपों का स्वरूप पूरी तरह बदल रहा है। वह दिन लद गए जब पेट्रोल पंप का मतलब सिर्फ दो ईंधन हुआ करता था। मंत्रालय अब ‘बहु-ईंधन ऊर्जा स्टेशन’ यानी Multi-Fuel Energy Stations की अवधारणा पर काम कर रहा है। यहां पेट्रोल-डीजल के साथ-साथ इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग, सीएनजी, एलएनजी और बायो-फ्यूल भी उपलब्ध होंगे। 1 नवंबर 2025 तक देश भर में 1,064 ऐसे एकीकृत ऊर्जा स्टेशन स्थापित किए जा चुके हैं। लक्ष्य है कि 2028-29 तक ऐसे 4,000 स्टेशन तैयार किए जाएं।

इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और डिजिटल पेमेंट की रफ्तार
2025 में पेट्रोल पंपों पर लंबी लाइनें और कैश का झंझट कम हुआ। 90,000 से अधिक खुदरा दुकानों पर अब डिजिटल भुगतान की सुविधा है। ई-मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए तेल कंपनियों ने अपने संसाधनों से 18,500 से अधिक ईवी चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए हैं। सड़क सुरक्षा के लिए ‘अपना घर’ पहल के तहत ट्रक चालकों के लिए सड़क किनारे विशेष सुविधाएं विकसित की गईं। इससे ट्रक चालकों को सीधे लाभ मिला और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा हुए।

गैस आधारित अर्थव्यवस्था: एक राष्ट्र, एक ग्रिड, एक टैरिफ
प्रधानमंत्री मोदी का सपना है कि भारत एक ‘गैस आधारित अर्थव्यवस्था’ बने। इस दिशा में 2014 में जो पाइपलाइन नेटवर्क मात्र 15,340 किमी था, वह जून 2025 तक बढ़कर 25,429 किमी हो गया है। लगभग 10,000 किमी से ज्यादा पाइपलाइन निर्माणाधीन है। सबसे बड़ी राहत टैरिफ में मिली है। ‘एक राष्ट्र, एक ग्रिड, एक टैरिफ’ के तहत अब देशभर में गैस परिवहन की लागत एक समान हो गई है। इससे दूर-दराज के इलाकों में भी प्राकृतिक गैस सस्ती और सुलभ हो गई है। साथ ही इससे उन उद्योगों और क्षेत्रों को बड़ी राहत मिली है जो मुख्य ग्रिड से दूर थे, जिससे संतुलित आर्थिक विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ।

बायो-फ्यूल: किसानों की आय और पर्यावरण की सुरक्षा
पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने ‘ग्रीन एनर्जी’ के क्षेत्र में दुनिया को रास्ता दिखाया है। पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण का औसत 19.24 प्रतिशत तक पहुंच गया है। इससे न केवल 1.55 लाख करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा बची, बल्कि देश के किसानों को उनकी उपज का बेहतर दाम भी मिला और कार्बन उत्सर्जन में भी भारी कमी आई। पानीपत और नुमालीगढ़ में चालू हुए ‘सेकंड जनरेशन’ (2G) इथेनॉल संयंत्रों ने कचरे से कंचन बनाने की दिशा में नए मानक स्थापित किए हैं। इसके साथ ही, 130 से अधिक ‘कंप्रेस्ड बायो गैस’ (CBG) प्लांट अब देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा कर रहे हैं।

आसमान में भी ‘ग्रीन’ उड़ान: SAF का रोडमैप
भारत ने इस साल दुनिया को दिखाया कि वह पर्यावरण को लेकर कितना गंभीर है। सरकार ने सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF) के लिए लक्ष्य निर्धारित किए हैं। 2027 से अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में 1 प्रतिशत SAF मिश्रण अनिवार्य होगा, जिसे 2030 तक बढ़ाकर 5 प्रतिशत किया जाएगा। इंडियन ऑयल की पानीपत रिफाइनरी ने इसमें बाजी मारते हुए SAF उत्पादन के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रमाणन प्राप्त कर लिया है और एयर इंडिया के साथ आपूर्ति के लिए समझौता भी कर लिया है।

अन्वेषण और सुधार: आत्मनिर्भर तेल क्षेत्र
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देते हुए सरकार ने तेल क्षेत्र (विनियमन एवं विकास) संशोधन अधिनियम, 2025 लागू किया। नए अधिनियम के लागू होने से विदेशी निवेश के रास्ते खुले हैं। 3.78 लाख वर्ग किमी से अधिक क्षेत्र में फैले 172 ब्लॉकों का आवंटन किया गया, जिससे लगभग 4.36 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश भारत में आने की उम्मीद है। यह कदम घरेलू उत्पादन बढ़ाकर आयात पर निर्भरता कम करने के प्रधानमंत्री के संकल्प को पूरा करने की दिशा में बड़ा प्रहार है। इसके साथ ही मंत्रालय ने न केवल उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया, बल्कि ‘रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार’ को भी मजबूत किया, ताकि वैश्विक अस्थिरता के समय भी देश की ऊर्जा आपूर्ति में कोई बाधा न आए।

नीतिगत सुधारों से लेकर बुनियादी ढांचे के विस्तार तक, वर्ष 2025 पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के लिए मील का पत्थर साबित हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने यह सुनिश्चित किया है कि उसकी ऊर्जा जरूरतें न केवल पूरी हों, बल्कि वे सुरक्षित, सस्ती और पर्यावरण के अनुकूल भी हों। यह साल इस विश्वास के साथ समाप्त हो रहा है कि भारत अब ऊर्जा के क्षेत्र में किसी पर निर्भर नहीं, बल्कि खुद एक वैश्विक शक्ति बनने की ओर अग्रसर है।










