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Year Ender 2025: पारंपरिक चिकित्सा का ग्लोबल लीडर बना भारत, आयुष के लिए उपलब्धियों भरा रहा यह साल

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साल 2025 भारत के आयुष मंत्रालय के लिए सिर्फ कैलेंडर बदलने जैसा नहीं रहा, बल्कि यह आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी जैसी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के वैश्विक पुनर्जागरण का वर्ष साबित हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में आयुष मंत्रालय ने इस साल अपनी रफ़्तार को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। पीएम मोदी की उस सोच ने, जिसमें वे भारत के प्राचीन ज्ञान को आधुनिक विज्ञान से जोड़ने की बात करते हैं, इस साल धरातल पर बड़े बदलाव दिखाए हैं।

विकसित भारत@2047 के संकल्प के साथ, मंत्रालय ने इस वर्ष अनुसंधान और डिजिटल तकनीक के संगम से दुनिया को दिखा दिया कि भारत का प्राचीन ज्ञान आधुनिक विज्ञान के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए तैयार है।

इन्फ्रास्ट्रक्चर और अनुसंधान: भविष्य की नींव
इस साल की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक रही दिल्ली के रोहिणी में अत्याधुनिक केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान (CARI) की आधारशिला। पीएम मोदी ने 187 करोड़ रुपये की लागत वाले इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की, जो आयुर्वेद में नवाचार का नया केंद्र बनेगा। करीब 187 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह परिसर सिर्फ इमारत नहीं है, बल्कि यह आयुर्वेदिक रिसर्च, ट्रेनिंग और आधुनिक इलाज का नया जंक्शन बनने जा रहा है। इसी तरह, कोलकाता में राष्ट्रीय होम्योपैथी संस्थान (NIH) में 400 बिस्तरों वाले नए छात्रावास का उद्घाटन सरकार की गंभीरता को दर्शाता है।

योग और जन-भागीदारी: रिकॉर्ड्स का साल
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में ‘योग’ अब एक वैश्विक लाइफस्टाइल बन चुका है। इस साल विशाखापत्तनम में आयोजित 11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर पीएम के नेतृत्व में 3 लाख लोगों ने एक साथ योग किया। वहीं, ‘देश का प्रकृति परीक्षण अभियान’ ने तो इतिहास ही रच दिया। इस अभियान ने 1.29 करोड़ लोगों का ‘प्रकृति’ परीक्षण कर 5 गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम किए। यह पीएम मोदी के उस आह्वान का नतीजा है जिसमें वे व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर जोर देते हैं।

वैश्विक मंच पर भारत का डंका: WHO के साथ जुगलबंदी
प्रधानमंत्री के वैश्विक कूटनीति का असर आयुष क्षेत्र में भी साफ दिखा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ICD-11 में आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी चिकित्सा के लिए विशेष मॉड्यूल शामिल किया। अब भारतीय चिकित्सा पद्धतियों की रिपोर्टिंग वैश्विक मानकों पर होगी। साल के अंत में दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित दूसरे WHO वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा शिखर सम्मेलन ने भारत को इस क्षेत्र की ‘विश्व राजधानी’ के रूप में स्थापित कर दिया।

कूटनीति और समझौते: सरहदों के पार आयुष
भारत की आयुष कूटनीति इस साल इंडोनेशिया से लेकर जर्मनी और ब्राजील तक पहुंची। पीएम मोदी और इंडोनेशियाई राष्ट्रपति की मौजूदगी में पारंपरिक चिकित्सा की गुणवत्ता पर ऐतिहासिक समझौता हुआ। वहीं, ब्राजील के उपराष्ट्रपति गेराल्डो अल्कमिन ने दिल्ली स्थित एआईआईए (AIIA) का दौरा कर आयुर्वेद को “5,000 साल पुराना खजाना” बताया। यह प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों का ही फल है कि आज दुनिया के बड़े नेता भारत की पारंपरिक पद्धतियों में गहरी रुचि ले रहे हैं।

जन-स्वास्थ्य और महाकुंभ का साथ
प्रयागराज महाकुंभ में आयुष सेवाओं ने सेवा का नया कीर्तिमान स्थापित किया। करीब 9 लाख तीर्थयात्रियों ने आयुष ओपीडी और योग सत्रों का लाभ उठाया। 10,000 ‘आयुष रक्षा किट’ और 25,000 औषधीय पौधों का वितरण कर मंत्रालय ने ‘प्रिवेंटिव हेल्थकेयर’ का संदेश घर-घर पहुंचाया।

तकनीक और AI का समावेश
WHO ने भारत के AI-आधारित आयुष नवाचारों जैसे आयुष ग्रिड और नमस्ते पोर्टल को वैश्विक मानक माना है। 43.4 अरब डॉलर के आयुष बाजार के साथ, भारत अब तकनीक के जरिए पुरानी जड़ी-बूटियों के विज्ञान को दुनिया के सामने नए अंदाज में पेश कर रहा है।

आयुष मंत्रालय के लिए साल 2025 अनुसंधान, डिजिटल क्रांति और वैश्विक नेतृत्व का साल रहा। महाकुंभ से लेकर जिनेवा तक, हर जगह भारत की पारंपरिक चिकित्सा का लोहा माना गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में यह वर्ष इस विश्वास के साथ समाप्त हो रहा है कि भारत का ‘होलिस्टिक हेल्थ’ मॉडल ही भविष्य की दुनिया को स्वस्थ रखने का एकमात्र रास्ता है।

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