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Year Ender 2022 : ऐतिहासिक उपलब्धियों वाला रहा यह साल, आने वाले वर्षों के लिए साबित होगा मील का पत्थर

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वर्ष 2022 अब हमसे विदा होने जा रहा है। वहीं हम नए वर्ष 2023 के स्वागत के लिए तैयार है। वर्ष 2022 जहां कई चुनौतियां लेकर आया तो कई उपलब्धियां भी देकर जा रहा है। इस साल भारत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कई उपलब्धियां हासिल कीं, जो आने वाले वर्षों के लिए मील का पत्थर साबित होंगी। वर्ष 2020 में भारत को G-20, SEO और UNSC जैसे विश्व के तीन बड़े वैश्विक संगठनों की कमान संभालने का मौका मिला। इन उपलब्धियों ने प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार को देश और जनता के लिए बेहतर करने के लिए हौसला दिया। वहीं जनता को भी एक उम्मीद मिली कि इस तरह उपलब्धियां हासिल होती रहीं तो आने वाला वर्ष भी उपलब्धियों से भरपूर होगा। आइए एक नजर डालते हैं उन ऐतिहासिक उपलब्धियों पर जो वर्ष 2022 में एक नई दिशा देने में कामयाब रहीं…

भारत को मिली जी-20 की अध्यक्षता 

इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने बाली शिखर सम्मेलन में 16 नवंबर, 2022 को जी-20 की अध्यक्षता आधिकारिक तौर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सौंप दी। इसके बाद 1 दिसंबर, 2022 को भारत ने औपचारिक रूप से जी-20 का अध्यक्ष बन गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर का मानना है कि जी-20 की अध्यक्षता भारत के लिए और हर भारतवासी के लिए बड़ा अवसर लेकर आयी है। इसकी अध्यक्षता से जहां वैश्विक मंच पर भारत का कद बढ़ेगा, वहीं राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसका लाभ भी मिलेगा। भारत विकासशील और गरीब देशों की आवाज बनकर उभरेगा। 5 दिसंबर को नई दिल्ली में जी 20 की तैयारियों को लेकर एक सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत की जी-20 अध्यक्षता पूरे राष्ट्र की है और यह दुनिया के सामने भारत की क्षमता को प्रदर्शित करने का अनोखा अवसर है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि आज भारत के प्रति दुनिया में जिज्ञासा और आकर्षण है, जिससे भारत की जी-20 अध्यक्षता की संभावनाएं और प्रबल हो जाती हैं।

शंघाई सहयोग संगठन की अध्यक्षता

इससे पहले 16 सितंबर, 2022 को भारत को शंघाई सहयोग संगठन की अध्यक्षता सौंपी गई थी। इस संगठन में 8 देश भारत, चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और पाकिस्तान शामिल हैं। जबकि ईरान, अफगानिस्तान, बेलारूस और मंगोलिया चार पर्यवेक्षक देश हैं। इस समय SCO को दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन माना जाता है। इस संगठन में यूरेशिया यानि यूरोप और एशिया का 60 प्रतिशत से ज्यादा क्षेत्रफल है। भारत 2023 तक इसका अध्यक्ष बना रहेगा। भारत एससीओ में चीन-पाकिस्तान धुरी से भिड़ने और उसे निष्प्रभावी बनाने के लिए ईरान, रूस और सीएआर के साथ अपने पुराने रिश्तों का इस्तेमाल कर सकता है। भारत का बढ़ता आर्थिक प्रभाव और उसकी युवा आबादी एससीओ में उसकी स्थिति मज़बूत बनाने में मदद कर सकते हैं। 

दिसंबर में भारत को मिली UNSC की अध्यक्षता

भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपने दो वर्ष के कार्यकाल में दिसंबर 2022 में दूसरी बार अध्यक्ष बना। भारत ने 1 दिसंबर 2022 से एक महीने के लिए UNSC की अध्यक्ष रहा। गौरतलब है कि भारत इसका अस्थायी सदस्य है। हर महीने UNSC की अध्यक्षता बदलती रहती है। इसी के अनुरूप अब 1 दिसंबर से भारत इसकी अध्यक्षता ग्रहण किया। भारत ने जनवरी 2021 में UNSC के एक अस्थायी सदस्य के रूप में अपना दो वर्ष का कार्यकाल शुरू किया। UNSC में यह भारत का आठवाँ कार्यकाल था।

भारत में हुई UNSC की आतंकवाद निरोधी समिति की बैठक

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत का दबदबा अब हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर दिखाई दे रहा है। भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की दो दिवसीय आतंकवाद विरोधी बैठक की मेजबानी करने का गौरव मिला। 2015 के बाद से पिछले सात सालों में यह पहली बार हुआ जब संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद निरोधक समिति (सीटीसी) की बैठक न्यूयॉर्क स्थित हेडक्वार्टर से बाहर भारत में हुई। इस बैठक का आयोजन क्रमश: 28 अक्टूबर और 29 अक्टूबर, 2022 को मुंबई और नई दिल्ली में हुई। आतंक के खिलाफ रणनीति के लिए भारत को चुना जाना अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की दृष्टि से भारत के लिए बड़ी सफलता मानी गई। सबसे खास बात यह थी कि मुंंबई में इस बैठक का आयोजन होटल ताजमहल पैलेस में किया गया, जो 26/11 के भीषण आतंकी हमले और आतंकवाद का सबसे बड़ा गवाह है।

वैक्सीन बनाकर 200 करोड़ डोज का आंकड़ा पार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रणनीति, विजन और अनथक प्रयासों के चलते भारत ने 17 जुलाई, 2022 को 200 करोड़ वैक्सीनेशन के जादुई आंकड़े को रिकार्ड समय में पार कर लिया। वहीं भारत ने 200 करोड़ टीकाकरण का लक्ष्य हासिल कर न केवल एक कीर्तिमान स्थापित किया, बल्कि दुनिया को एक नई दिशा भी दिखाई। इसके साथ ही सरकार ने करोड़ों देशवासियों को वैश्विक महामारी से बचाव के लिए सुरक्षा कवच मुहैया कराया। कोरोना के शुरुआत में जब हमारे पास वैक्सीन ही नहीं थी, तब यह लक्ष्य बेहद दुरूह नजर आता था। लेकिन महामारी के बीच में ही पीएम मोदी की देशभक्ति, दूरदृष्टि और अटल इरादों ने 135 करोड़ भारतीयों में कोरोना के खिलाफ लड़ाई का विश्वास भर दिया। भारत ने न सिर्फ अपने देशवासियों को बचाया, बल्कि विश्व के 98 देशों में 200 मिलियन डोज की आपूर्ति भी की। इसके लिए भारत को विश्वभर से बधाइयां मिलीं।

विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना भारत

इस साल के आर्थिक घटानाक्रम पर नजर डालें तो भारत की सबसे बड़ी उपलब्धि रही है उसने ब्रिटेन को पीछे छोड़ दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का तमगा अपने नाम किया। इसके साथ ही भारत 5 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की राह पर निकल चुका है। जानकारों की मानें तो मौजूदा आर्थिक विकास दर के हिसाब से भारत 2027 में जर्मनी को पीछे छोड़ दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। वहीं 2029 में जापान को पीछे छोड़ दुनिया की तीसरी आर्थिक महाशक्ति बन जाएगा। आने वाला दशक भारत को होगा। दुनिया में भारत एक बड़े आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरेगा। 

इंटरनेट और ब्रॉडबैंड पैठ में छलांग

इंटरनेट कनेक्शन मार्च 2014 में 25.15 करोड़ से बढ़कर जून 2022 में 83.69 करोड़ हो गया, जिसमें 232 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। मार्च 2014 में ब्रॉडबैंड कनेक्शन 6.1 करोड़ थे जो सितंबर, 2022 में बढ़कर 81.62 करोड़ हो गये, जिसमें 1238 प्रतिशत की वृद्धि हुई। प्रति ग्राहक प्रति जीबी वायरलेस डेटा औसत राजस्व प्राप्ति दिसंबर 2014 में 268.97 रुपये से घटकर जून, 2022 में 10.29 रुपये हो गई जो 96.17 प्रतिशत से अधिक की कमी थी। प्रति वायरलेस डेटा सब्सक्राइबर की औसत मासिक डेटा खपत जून, 2022 में 266 गुना बढ़कर 16.40 जीबी हो गई। यह मार्च 2014 में 61.66 एमबी थी।

2022 में देश को मिला पहला एयरक्राफ्ट कैरियर

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मजबूत इच्छाशक्ति और उनकी सरकार की मेक इन इंडिया पहल से समुद्री सुरक्षा के मामले में भारत आत्मनिर्भर बनता जा रहा है। इस दिशा में भारत ने 28 जुलाई, 2022 को एक मजबूत कदम बढ़ाया। कोचीन शिपयार्ड ने देश का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत ‘विक्रांत’ को भारतीय नौसेना को सौंप दिया। इसके साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों के ग्रुप में शामिल हो गया, जिनके पास स्वदेशी तौर से एयरक्राफ्ट कैरियर डिजाइन और निर्माण करने की बेहतर क्षमता है। माना जा रहा है कि इसके आने से भारतीय नौसेना की ताकत में काफी इजाफा होगा। करीब 20,000 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित 45,000 टन के इस युद्धपोत को नौसेना के इन-हाउस डायरेक्टरेट ऑफ नेवल डिजाइन (डीएनडी) की ओर से डिजाइन किया गया है। इसका नाम भारत के पहले विमानवाहक पोत, भारतीय नौसेना जहाज (INS) विक्रांत के नाम पर रखा गया है, जिसने 1971 के जंग में अहम भूमिका निभाई थी।

भारतीय रक्षा उत्पादों का निर्यात 8 गुना बढ़ा 

प्रधानमंत्री मोदी ने 19 अक्टूबर 2022 को डिफेंस एक्सपो-2022 का उद्घाटन करने के बाद कहा कि भारतीय रक्षा बलों का देश में बने अधिकतर उपकरणों को खरीदने का निर्णय ‘आत्मनिर्भर भारत’ की क्षमता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि विश्व स्तर पर रक्षा क्षेत्र में कुछ निर्माण कंपनियों के एकाधिकार के बावजूद भारत ने अपना स्थान बनाया है। उन्होंने कहा कि यह भारत में निर्मित रक्षा सामग्री पर बढ़ते विश्वास का भी प्रतीक है, जिसका उद्देश्य देश की रक्षा निर्माण क्षमताओं का प्रदर्शन करना है। उन्होंने कहा कि भारत से रक्षा निर्यात 2021-22 में लगभग 13,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया और आने वाले समय में हमने इसे 40,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। भारतीय रक्षा उत्पादों का निर्यात पिछले कुछ वर्षों में आठ गुना बढ़ा है। उन्होंने कहा, ‘देश बहुत आगे निकल गया है, क्योंकि पहले हम कबूतर छोड़ते थे और अब हम चीतों को छोड़ते हैं।’ 

सबसे सस्ती मैन्युफैक्चरिंग के मामले में भारत दुनिया में नंबर वन

वर्ष 2022 में सबसे कम मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट वाले देशों की लिस्ट में भारत दुनिया में नंबर वन हो गया। चीन और वियतनाम भारत से पीछे दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। जबकि भारत का पड़ोसी बांग्लादेश छठे स्थान पर है। दिलचस्प बात यह है कि दुनिया के सबसे सस्ते और कम लागत से सामान बनाने वाले देशों में भारत को 100 में से 100 अंक मिला। इससे भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को जहां बुस्ट मिलेगा, वहीं विदेशी कंपनियां भी भारत का रूख कर सकती है। दरअसल यूएस न्यूज एंड वर्ल्ड ने एक सर्वे रिपोर्ट जारी किया, जिसमें 85 देशों में से भारत समग्र सर्वश्रेष्ठ देशों की रैंकिंग में 31वें स्थान पर है। इसके अलावा, सूची ने भारत को ‘ओपन फॉर बिजनेस’ श्रेणी में 37 वें स्थान पर रखा गया है। हालांकि, ‘open for business’ की उप-श्रेणी के तहत भारत ने सबसे सस्ती मैन्युफैक्चरिंग लागत के मामले में 100 प्रतिशत स्कोर किया। 

पीएम मोदी की अपील के बाद 50 गुना बढ़ी तिरंगे की बिक्री 

प्रधानमंत्री मोदी ने 22 जुलाई, 2022 को ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के तहत सभी लोगों से अपने-अपने घरों या प्रतिष्ठानों पर 13 से 15 अगस्त तक तिरंगा फहराने की अपील की थी। इसके बाद राष्ट्रीय ध्वज की भारी मांग होने लगी। इससे पहले तिरंगे की इतनी भारी मांग कभी नहीं देखी गई। यहां तक कि मांग के अनुरूप आपूर्ति कर पाना कारोबारियों और विनिर्माताओं के लिए कठिन हो गया। मांग की पूर्ति करने के लिए अतिरिक्त श्रमिकों को लगाना पड़ा। व्यापारियों ने दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अभियान की घोषणा किए जाने के बाद से सभी प्रकार के तिरंगे की बिक्री 50 गुना बढ़ गई। हालांकि मोदी सरकार ने घरों के ऊपर कम से कम 20 करोड़ झंडे लगाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन 25 से 30 करोड़ तिरंगे बिकने का अनुमान लगाया गया।

पीएम मोदी के नेतृत्व में ‘ऑपरेशन गंगा’ की सफलता 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल और दमदार नेतृत्व से वैश्विक स्तर पर भारत का कद काफी बढ़ा है। आज भारत अपने देश और उसके नागरिकों की सुरक्षा के लिए बिना संकोच अपनी बात रखने में सक्षम है। इसका फिर प्रमाण रूस-यूक्रेन युद्ध में मिला। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने देश के नागरिकों की सुरक्षा को लेकर यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी बात की और उन्हें अपनी चिंताओं से अवगत कराया। इससे दोनों देशों ने भारतीयों की सुरक्षित निकासी का आश्वासन दिया, जिसका नतीजा है कि ‘ऑपरेशन गंगा’ सफल रहा। इस सफलता के पीछे वैश्विक स्तर पर भारत के बढ़ते प्रभाव, प्रधानमंत्री मोदी, चार केंद्रीय मंत्रियों और सुपर 30 का प्रमुख योगदान रहा है।

बिहार हुआ नक्सल मुक्त, झारखंड में बुद्ध पहाड़ से भी खदेड़े गए नक्सली

दशकों तक विकास की धारा में बाधक बने नक्सलवाद का अब देश से खात्मा हो रहा है। बिहार अब नक्सलवाद से मुक्त हो चुका है। झारखंड और मध्यप्रदेश से भी इसका सफाया हो चुका है। झारखंड में 30 साल से बुद्ध पहाड़ (इसे बूढ़ा पहाड़ भी कहते हैं) पर कब्जा जमाए नक्सलवादियों को केंद्रीय सुरक्षा बलों ने खदेड़ दिया है। यह अपने आप में केंद्र सरकार की बड़ी सफलता है। सीआरपीएफ के डीजी कुलदीप सिंह ने बुधवार को कहा कि गृह मंत्रालय की नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई अंतिम चरण में है। अब हम कह सकते हैं कि बिहार-झारखंड नक्सल मुक्त हैं। ये बहुत बड़ी उपलब्धि है।  कुलदीप सिंह ने बताया कि वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) की घटनाओं में काफी कमी आई है। इसमें करीब 77 फीसदी की कमी आई है। 2009 में यह 2258 के सर्वकालिक उच्च स्तर पर था, जो वर्तमान में घटकर 509 हो गया है। मृत्यु दर में 85% की कमी आई है।

अंतरिक्ष में भारत की नई छलांग, स्पेस इंडस्ट्री में प्राइवेट सेक्टर की एंट्री

भारत के लिए 18 नवंबर, 2022 का दिन ऐतिहासिक रहा। इस दिन भारत ने अंतरिक्ष में ऊंची छलांग लगाते हुए एक नए युग की शुरुआत की। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने देश का पहला प्राइवेट रॉकेट ‘विक्रम-एस’ को लॉन्च किया। इस रॉकेट ने तीन सैटलाइट्स को उनकी कक्षा में स्थापित किया। इसमें दो घरेलू और एक विदेशी ग्राहक के पेलोड शामिल है। भारत इस लॉन्च के बाद अमेरिका, रूस, ईयू, जापान, चीन और फ्रांस जैसे देशों के क्लब में शामिल हो गया, जो प्राइवेट कंपनियों के रॉकेट को स्पेस में भेजते हैं। इस रॉकेट (विक्रम-एस) को हैदराबाद में स्थित स्काईरूट एयरोस्पेस कंपनी ने बनाया है। ‘विक्रम-एस’ की लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से हुई। यह रॉकेट कार्बन फाइबर से बना है। इसमें 3-D प्रिंटेड इंजन लगे हैं। 

दुनिया की सबसे ऊंची राजमार्ग सुरंग ‘अटल टनल’ ने रचा वर्ल्ड रिकॉर्ड

2022 में दुनिया की सबसे ऊंची और लंबी राजमार्ग टनल ‘अटल सुरंग’ के नाम एक विश्व रिकॉर्ड दर्ज हो गया। वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने अटल टनल को आधिकारिक तौर पर ‘10,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग’ के रूप में मान्यता दे दी। दिल्ली में 9 फरवरी, 2022 को आयोजित एक ऐतिहासिक समारोह के दौरान ये मान्यता दी गई। सीमा सड़क संगठन के महानिदेशक (डीजीबीआर) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने मनाली को लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़ने वाली इस उत्कृष्ट इंजीनियरिंग के निर्माण के लिए पुरस्कार प्राप्त किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 03 अक्टूबर, 2020 को इस अटल टनल को राष्ट्र को समर्पित किया था। 9.02 किलोमीटर लंबी यह सुरंग मनाली को लाहौल स्‍पीति से जोड़ती है।

अमेरिकी नौसेना के जंगी जहाज का भारत में मरम्मत

दुनिया भर में भारत दबदबा बढ़ा है। अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश भी भारत की तकनीकी सफलता का लोहा मानने लगे हैं और अपनी नौसेना के जंगी जहाज को मरम्मत के लिए भारत भेज रहे हैं। अमेरिकी नौसैनिक पोत ‘चार्ल्स ड्रयू’ मरम्मत एवं संबद्ध सेवाओं के लिए रविवार (6 अगस्त, 2022) को चेन्नई के कट्टूपल्ली में कंपनी ‘लार्सन एंड टुब्रो’ (एलएंडटी) के शिपयार्ड में पहुंचा। यह पहली बार है, जब कोई अमेरिकी पोत मरम्मत कार्य के लिए भारत पहुंचा। रक्षा मंत्रालय ने इसे ‘मेक इन इंडिया’ के लिए ‘‘उत्साहजनक’’ करार दिया। रक्षा मंत्रालय के एक बयान में कहा गया कि यह पहली बार है, जब अमेरिकी नौसेना का जहाज मरम्मत के लिए भारत पहुंचा है। अमेरिकी नौसेना ने जहाज के रखरखाव के लिए कट्टुपल्ली में एलएंडटी के शिपयार्ड को ठेका दिया था। यह कदम वैश्विक जहाज मरम्मत बाजार में भारतीय शिपयार्ड की क्षमताओं को दर्शाता है। भारतीय शिपयार्ड जहाज मरम्मत और रखरखाव के लिए उन्नत समुद्री प्रौद्योगिकी का उपयोग करके व्यापक और किफायती सेवाएं प्रदान करते हैं।

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