प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जता दिया है कि राजनीतिक इच्छाशक्ति वाली सरकार अपने फैसलों से कैसे राजनीति की दशा-दिशा बदल सकती है। प्रधानमंत्री की धाराप्रवाह शैली, वाकपटुता, अलंकारिक भाषा, आमोद के साथ ही विरोधियों को अंदर तक धराशायी करने वाले शब्द उनको दूसरे राजनेताओं से सर्वथा जुदा और अद्भुत बनाते हैं। प्रधानमंत्री ने वर्ष 2021 में तीखे शब्दों से विपक्षियों की असलियत उजागर की है तो दलितों, शोषितों, वंचितों, कामगारों का साथ देकर, उनके साथ खड़े होकर और उनका सम्मान करके सबको अभिभूत भी किया है। धार्मिक स्थानों पर उनके शब्दों में भक्ति की शक्ति की अलौकिक अलख सुनाई पड़ती है तो भारत पर अंगुली उठाने वालों के खिलाफ उनके शब्द दावानल बन जाते हैं।
आइये, प्रधानमंत्री मोदी के देश को दिशा देने वाले कुछ चर्चित बयानों पर एक नजर डालते हैं….
काशी तो काशी है। काशी तो अविनाशी है। काशी में एक ही सरकार है, जिनके हाथों में डमरू है, उनकी सरकार है।
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जहां पवन बहे संकल्प लिए,
जहां पर्वत गर्व सिखाते हैं,
जहां ऊंचे-नीचे सब रस्ते
बस भक्ति सुर में गाते हैं
उस देवभूमि के ध्यान से ही
मैं सदा धन्य हो जाता हूं
है भाग्य मेरा, सौभाग्य मेरा,
मैं तुमको शीश नवाता हूं।नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट उत्तरी भारत का Logistic गेटवे बनेगा। ये इस पूरे क्षेत्र को नेशनल गतिशक्ति मास्टरप्लान का एक सशक्त प्रतिबिंब बनाएगा।
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इंफ्रास्ट्रक्चर हमारे लिए राजनीति का नहीं, बल्कि राष्ट्रनीति का हिस्सा है। हम ये सुनिश्चित कर रहे हैं कि प्रोजेक्ट्स अटके नहीं, लटके नहीं और भटके नहीं।
परिवारवादियों की सरकारें किसानों को सिर्फ अभाव में रखना चाहती थीं। वो किसानों के नाम से घोषणाएं करते थे, लेकिन किसानों तक पाई भी नहीं पहुंचती थी।
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भारत एक ऐसे संकट की ओर बढ़ रहा है जो चिंता का विषय है। लोकतंत्र के प्रति आस्था रखने वालों के लिए चिंता का विषय है और वो है पारिवारिक पार्टियां…
योग्यता के आधार पर एक परिवार के एक से अधिक लोग आएं, इससे पार्टी परिवारवादी नहीं हो जाती। लेकिन एक पार्टी पीढ़ी दर पीढ़ी राजनीति में है।
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हमारी सरकार ने सैनिक स्कूलों में बेटियों के एडमिशन की शुरुआत की है।
सैनिक स्कूलों से रानी लक्ष्मीबाई जैसी बेटियां भी निकलेंगी, जो देश की रक्षा-सुरक्षा, विकास की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठाएंगी।
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विकास, सर्वसमावेशी हो, सर्व पोषक हो, सर्व स्पर्शी हो, सर्वव्यापी हो, यह हमारी प्राथमिकता है।
TEST, TRACK, TREAT और टीका की रणनीति पर फोकस करते हुए हमें आगे बढ़ना है।
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ECONOMY और ECOLOGY दोनों एक साथ चल सकती हैं। आगे बढ़ सकती है, भारत ने यही रास्ता चुना है।
हम राष्ट्र प्रथम की भावना पर चलते हैं।
सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास-सबका प्रयास, हमारा मंत्र है।
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लंबे समय से भारत को दुनिया के सबसे बड़े हथियार खरीदार देशों के रूप में गिना जाता रहा है।
लेकिन आज देश का मंत्र है- Make in India, Make for World. आज भारत अपनी सेनाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए काम कर रहा है।
देश ने ये तय किया है कि अब हर साल हम नेताजी की जयंती, यानि 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रुप में मनाया करेंगे।
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जनजातीय समाज से आने वाले साथी जब राष्ट्रपति भवन पहुंचे तो दुनिया हैरान रह गई। आदिवासी और ग्रामीण समाज में काम करने वाले, ये देश के असली हीरे हैं।
बीते सात सालों में हम कैसे सरकार को दिल्ली के बंद कमरों से निकालकर देश के कोने-कोने में ले आए हैं, महोबा इसका साक्षात गवाह है।
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हमारा संविधान सिर्फ अनेक विचारधाराओं का संग्रह नहीं है, हमारा संविधान सहस्त्रों वर्ष की महान परंपरा, अखंड धारा की आधुनिक अभिव्यक्ति है।ये झांसी, रानी लक्ष्मीबाई की धरती बोल रही है-
मैं तीर्थ स्थली वीरों की,
मैं क्रांतिकारियों की काशी
मैं हूं झांसी, मैं हूं झांसी,
मैं हूं झांसी, मैं हूं झांसी।*** *** ***
केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण ने न सिर्फ श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाई, बल्कि वहां के लोगों को रोजगार-स्वरोजगार के अनेकों अवसर उपलब्ध कराए हैं।आज दुनिया जितनी आधुनिक हो रही है, उतना ही Back to basic की ओर बढ़ रही है।
इस Back to basic का मतलब है, अपनी जड़ों के जुड़ना।
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हमें अपनी खेती को कैमिस्ट्री की लैब से निकालकर प्रकृति की प्रयोगशाला के जोड़ना ही होगा।
जब में प्रकृति की प्रयोगशाला की बात करता हूं तो ये पूरी तरह से विज्ञान पर आधारित है।पहले की सरकारों ने अपराधियों को संरक्षण देकर यूपी का नाम बदनाम कर दिया था।
आज माफिया जेल में है और यूपी में निवेशक दिल खोलकर निवेश कर रहे हैं।
यही डबल इंजन की सरकार का डबल विकास है।
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पहले की सरकारों ने जिस उत्तर प्रदेश को अभाव और अंधकार में बनाए रखा। पहले की सरकारों ने जिस उत्तर प्रदेश को हमेशा झूठे सपने दिखाए,
वही उत्तर प्रदेश आज राष्ट्रीय ही नहीं, अंतर्राष्ट्रीय छाप छोड़ रहा है।महात्मा गांधी ने आजादी के आंदोलन में अधिकारों के लिए लड़ते हुए, कर्तव्यों के लिए तैयार करने की कोशिश की थी।
अच्छा होता अगर देश के आजाद होने के बाद कर्तव्य पर बल दिया गया होता।
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सरकार और न्यायपालिका, दोनों का ही जन्म संविधान की कोख से हुआ है। इसलिए, दोनों ही जुड़वा संतानें हैं। संविधान की वजह से ही ये दोनों अस्तित्व में आए हैं।आज जो सरकार है वो दुनिया के किसी भी देश के दबाव में नहीं आ सकती।
हम राष्ट्र प्रथम, सदैव प्रथम के मंत्र पर चलने वाले लोग हैं।
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पेरिस समझौते के लक्ष्यों को समय से पहले प्राप्त करने की ओर अग्रसर हम एकमात्र देश हैं।
फिर भी, ऐसे भारत पर पर्यावरण के नाम पर भांति-भांति के दबाव बनाए जाते हैं। यह सब, उपनिवेशवादि मानसिकता का ही परिणाम है।हमने वोट बैंक की राजनीति को आधार नहीं बनाया, बल्कि लोगों की सेवा को प्राथमिकता दी।
हमारी अप्रोच रही है कि देश को मजबूती देनी है।
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आजादी के अमृतकाल में देश ने जो प्रगति की रफ्तार पकड़ी है, वो अब रुकेगी नहीं, थमेगी नहीं, थकेगी नहीं….
बल्कि और अधिक विश्वास और संकल्पों के साथ आगे बढ़ेगी।हमारा लक्ष्य ये है कि देश के हर जिले में कम के कम एक मेडिकल कालेज जरूर हो। *** *** ***
मैं आज देश के हर राज्य से, हर राज्य की सरकार से, ये आग्रह करूंगा कि वो प्राकृतिक खेती को जन-आंदोलन बनाने के लिए आगे आएं।
इस अमृत महोत्सव में हर पंचायत से कम के कम एक गांव प्राकृतिक खेती से जरूर जुड़े, ये प्रयास कर सकते हैं।आज पूरा यूपी भली-भांति जानता है कि लाल टोपी वालों को सिर्फ लाल बत्ती से मतलब रहा है, आपकी दुख-तकलीफों से नहीं।
इसलिए याद रखिए, लाल टोपी वाले यूपी के लिए रेड अलर्ट हैं, यानी खतरे की घंटी।
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नीति सही हो, नीयत साफ हो तो नियती भी बदलती हैuP + YOGI = UPYOGI