देश के सभी गांवों में बिजली पहुंचाने के बाद अब मोदी सरकार के लिए एक और अच्छी खबर आई है। विश्व बैंक ने देश के बाकी बचे 18 हजार से अधिक गांवों में बिजली पहुंचाने के लिए मोदी सरकार की तारीफ की है। विश्व बैंक ने कहा है कि भारत सरकार ने विद्युतीकरण के क्षेत्र में बहुत अच्छा काम किया है और देश की 80 प्रतिशत से अधिक आबादी तक बिजली पहुंच गई है। विश्व बैंक ने एक रिपोर्ट में कहा है कि 2010 से 2016 के बीच भारत ने प्रतिवर्ष 3 करोड़ लोगों को बिजली उपलब्ध कराई। विश्व बैंक ने यहां तक कहा है कि बिजली के क्षेत्र में मोदी सरकार ने अपने दावों से आगे बढ़कर काम किया है। विश्व बैंक की प्रमुख एनर्जी इकॉनमिस्ट विवियन फोस्टर ने कहा कि भारत में 85 फीसदी जनसंख्या तक बिजली पहुंच चुकी है। यह आंकड़ा भारत सरकार के दावे से अधिक है, क्योंकि सरकार अभी सिर्फ 80 फीसदी घरों तक ही बिजली पहुंचने की बात कह रही है।
इस साल देश का हर घर होगा रौशन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऊर्जा सेक्टर को रौशन कर दिया है। हर गांव में बिजली पहुंचाने के बाद अब प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार हर घर को रौशन करने की मुहिम चला रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 25 सितंबर, 2017 को प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना ‘सौभाग्य’ की शुरुआत की। हालांकि इसके तहत मार्च 2019 तक सभी घरों को बिजली उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन मोदी सरकार लक्ष्य से काफी पहले दिसंबर, 2018 तक सभी घरों में बिजली पहुंचा देना चाहती है। इस योजना का फायदा उन लोगों को मिलेगा जो पैसों की कमी के चलते अभी तक बिजली कनेक्शन नहीं ले पाए हैं। इसके तहत गरीब परिवारों को बिजली कनेक्शन मुफ्त उपलब्ध कराया जाता है। इस योजना पर 16 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च आएगा। सरकार ने 2018-19 के बजट में 2750 करोड़ रुपए ‘सौभाग्य’ के लिए दिए गए हैं। यह उन चार करोड़ परिवारों के घर में नयी रोशनी लाने के लिए है जिनके घरों में आजादी के 70 साल के बाद भी अंधेरा है।
मोदी राज में भारत को मिली अंधेरे से आजादी
28 अप्रैल को शाम 5.30 बजे जब मणिपुर के लाइसंग गांव में बिजली पहुंची तो इसके साथ ही मोदी सरकार ने इतिहास रच दिया। देश के प्रत्येक गांव तक बिजली पहुंचाने का प्रधानमंत्री मोदी का सपना पूरा हो गया, वो भी तय समय से पहले। इस उपलब्धि का ऐलान करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने ट्वीट में कहा कि, ‘28 अप्रैल 2018 को भारत की विकास यात्रा में एक ऐतिहासिक दिन के रूप में याद किया जाएगा। कल हमने एक वादा पूरा किया, जिससे भारतीयों के जीवन में हमेशा के लिए बदलाव आएगा। मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि अब भारत के हर गांव में बिजली सुलभ होगी।’
28th April 2018 will be remembered as a historic day in the development journey of India. Yesterday, we fulfilled a commitment due to which the lives of several Indians will be transformed forever! I am delighted that every single village of India now has access to electricity.
— Narendra Modi (@narendramodi) April 29, 2018
1000 दिन का लक्ष्य 987 दिन में पूरा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2015 को लालकिला से एक हजार दिन के भीतर देश के सभी गांवों को रौशन करने के लक्ष्य की घोषणा की थी। उस समय देश के कुल 18,452 गांवों में बिजली नहीं पहुंची थी। ये ऐसे गांव थे, जहां आजादी के करीब 70 साल बाद भी बिजली नहीं पहुंची थी। इसके लिए दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना शुरू की गई, जिसके तहत 987 दिन में ही लक्षय को पूरा कर लिया गया। देश के हर गांव में बिजली पहुंचाने की दिशा में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाली दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत 75,893 करोड़ के बजट का आवंटन किया गया था। अब बिजली से रौशन होने वाले कुल गांवों की संख्या 597,464 हो गई है।
अब हर घर होगा रौशन
अब मोदी सरकार की कोशिश दिसंबर, 2018 तक देश के हर घर में बिजली पहुंचा देने की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 25 सितंबर को प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना ‘सौभाग्य’ की शुरुआत की। इसका उद्देश्य ग्रामीण के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में भी देश में सभी घरों का विद्युतीकरण सुनिश्चत करना है। यहां हम आपके सामने रख रहे हैं प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना सौभाग्य से जुड़ी हर वो बातें जो आपके लिए जानना जरूरी है-
इस नई योजना का उद्देश्य क्या है?
‘सौभाग्य’ का उद्देश्य अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी सुनिश्चत करते हुए सभी घरों में बिजली पहुंचाना और ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के सभी शेष गैर विद्युतिकृत घरों में बिजली कनेक्शन सुलभ कराना है, ताकि देश में सभी घरों में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य हासिल किया जा सके।
अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी और घरों में बिजली कनेक्शन मुहैया कराने में क्या-क्या शामिल हैं?
घरों में बिजली कनेक्शन देने के कार्य में संबंधित घर से निकटतम विद्युत खंबे से सर्विस केबल घर तक लाना, बिजली मीटर लगाना, एलईडी बल्ब और एक मोबाईल चार्जिंग प्वाइंट के साथ एकल विद्युत प्वाइंट के लिए तार डालना शामिल है। यदि सर्विस केबल लाने के लिए संबंधित घर के निकट विद्युत खंबा उपलब्ध नहीं है तो कंडेक्टर एवं संबंधित उपकरणों के साथ अतिरिक्त खंबा लगाया जाना भी इस योजना में शामिल है।
क्या हर गैर विद्युतीकृत घर को पूरी तरह से मुफ्त में बिजली कनेक्शन दिया जाएगा?
हां गरीब परिवारों को मुफ्त बिजली कनेक्शन दिए जाएंगे। इस योजना के तहत सिर्फ 500 रुपये के भुगतान पर अन्य घरों को भी विद्युत कनेक्शन मुहैया कराए जाएंगे। इस राशि की वसूली बिजली बिलों के साथ 10 किस्तों में डिस्कॉम/विद्युत विभागों द्वारा की जाएगी।
क्या मुफ्त बिजली कनेक्शन में उपभोग या खपत के लिए मुफ्त बिजली भी शामिल है?
इस योजना में किसी भी श्रेणी के उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली मुहैया कराने का कोई प्रावधान नहीं है। संबंधित उपभोक्ताओं को खपत की गई बिजली की कीमत का भुगतान डिस्कॉम/विद्युत विभाग की तात्कालिक शुल्क दरों के अनुसार करना होगा।
भारत सरकार के पूर्ववर्ती कार्यक्रम ‘सभी के लिए 24×7 बिजली’ का भी समान उद्देश्य है। अतः यह इस कार्यक्रम से किस तरह भिन्न है?
‘सभी के लिए 24×7 बिजली’राज्यों के साथ एक संयुक्त पहल है जिसमें विशिष्ट राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश के रोडमैप एवं कार्य योजना को अंतिम रूप देने के लिए विद्युत क्षेत्र के सभी सेगमेंटों अर्थात विद्युत उत्पादन, पारेषण एवं वितरण, उर्जा दक्षता, डिस्कॉम की माली हालत इत्यादि को शामिल किया गया है, ताकि राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के साथ विचार-विमर्श कर सभी को 24 घंटे बिजली सुलभ कराई जा सके। सभी के लिए बिजली से संबंधित दस्तावेजों में विद्युत क्षेत्र की समस्त वैल्यू चेन के लिए आवश्यक विभिन्न कदमों का विवरण शामिल है।
सभी घरों को कनेक्टिविटी मुहैया कराना 24×7 विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत आवश्यक है। ‘सौभाग्य’ बिजली मुहैया कराने के मसले का समाधान करने की दिशा में एक आवश्यक संरचनात्मक सहायता है।
वितरण क्षेत्र में दो प्रमुख योजनांए यथा ग्रामीण क्षेत्रों के लिए डीडीयूजीजेवाई और शहरी क्षेत्रों के लिए आईपीडीएस पर पहले से ही अमल किया जा रहा है, अतः एक नई योजना की आवश्यकता क्यों है?
दीन दयाल उपाध्यायाय ग्राम ज्योति योजना ( डीडीयूजीजेवाई) के तहत गांवों/ घरों में बुनियादी विद्युत ढांचे का सृजन, मौजूदा बुनियादी ढांचे को मज़बूत एवं विस्तार करना, मौजूदा फीडरों/ वितरण ट्रांसफॉर्मरों/उपभोक्ताओं के यहां मीटर लगाना शामिल है, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति की गुणवत्ता और विश्वसनियता बेहतर की जा सके। इसके अलावा अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी के साथ-साथ केवल उन बीपीएल परिवारों को मुफ्त बिजली कनेक्शन मुहैया कराए जाते हैं, जिसकी पहचान राज्यों द्वारा अपनी सूची के मुताबिक की जाती है। हालांकि ऐसे कई गांव हैं जहां काफी पहले ही विद्युतीकरण हो चुका है लेकिन कई कारणों से अनेक घरों में बिजली कनेक्शन अब तक सुलभ नहीं हो पाए हैं। कई ऐसे गरीब परिवार है जिनके पास बीपीएल कार्ड नहीं है, लेकिन ये परिवार आरंभिक कनेक्शन चार्ज अदा करने में समर्थ नहीं है। अनपढ़ लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है कि विद्युत कनेक्शन कैसे लिया जाता है? दूसरे शब्दों में, अनपढ़ लोगों के लिए बिजली कनेक्शन लेने के मार्ग में बाधाएं आती है। कई जगहों पर आस-पास बिजली के खंबे नहीं है। विद्युत कनेक्शन लेने के लिए संबंधित घरों से अतिरिक्त खंबे एवं कंडक्टर लगाने का प्रभार लिया जाता है।
इसी तरह शहरी क्षेत्रों में एकीकृत विद्युत विकास योजना (आईपीडीएस) के तहत बिजली सुविधा मुहैया कराने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाता है, लेकिन कुछ परिवारों को मुख्यतः उनकी आर्थिक स्थिति के कारण अब तक विद्युत कनेक्शन नहीं मिल पाए हैं क्योंकि वे आरंभिक कनेक्शन चार्ज अदा करने में समर्थ नहीं है।
इन सभी कमियों को दूर करने और ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के सभी गैर विद्युतिकृत परिवारों को बिजली कनेक्शन मुहैया कराने से संबंधित प्रवेश बाधा दूर करने और अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी मुहैया कराने के मुद्दे को सुलझाने के लिए ही ‘सौभाग्य’ का शुभारंभ किया गया है।
क्या ‘सौभाग्य’ योजना की लागत डीडीयुजीजेवाई के तहत उपलब्ध परिव्यय से अलग है?
हां, सौभाग्य योजना पर आने वाली 16,320 करोड़ रूपये की लागत डीडीयुजीजेवाई के तहत किए जा रहे निवेश के अलावा है।
राज्यों को धनराशि के आवंटन का पैमाना क्या है?
योजना के तहत परियोजनाओं को मंजूरी राज्यों द्वारा पेश की जाने वाली विस्तृत परियोजना रिपोर्टों (डीपीआर) के आधार पर दी जाएगी। इस योजना के तहत धनराशि का कुछ भी अग्रिम आवंटन नहीं किया जाता है।
योजना को पूरे देश में कैसे लागू किया जाएगा?
परियोजना से संबंधित प्रस्ताव राज्यों की डिस्कॉम/विद्युत विभाग द्वारा तैयार किए जाएंगे और भारत सरकार के सचिव (विद्युत) की अध्यक्षता वाली अंतर-मंत्रालय निगरानी समीति द्वारा स्वीकृत किए जाएंगे। मंजूर परियोजनाओं के तहत विद्युतिकरण कार्य संबंधित डिस्कॉम/विद्युत विभाग द्वारा पूरे किए जाएंगे। ये कार्य टर्नकी ठेकेदारों अथवा विभाग अथवा उन उपयुक्त ऐजेंसियों के जरिए पूरे किए जाएंगे जो मानकों के मुताबिक इस कार्य को पूरा करने में समर्थ है।
समयबद्ध ढंग से लक्ष्य प्राप्ति के लिए रणनीति क्या है?
घरों को बिजली कनेक्शन तेजी से मुहैया कराने के लिए गांवों/ग्रामीण कलस्टरों में लाभार्थियों की पहचान के लिए शिविर लगाए जाएंगे। इसके तहत मोबाइल एप/ वेब पोर्टल के साथ अत्याधुनिक सूचना प्रोद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाएगा। बिजली कनेक्शन से संबंधित आवेदनों को इलेक्ट्रॉनिक ढंग से भी पंजीकृत किया जाएगा और आवेदक की फोटो, पहचान कार्ड की प्रति और/अथवा विभिन्न विवरण जैसे की मोबाइल नंबर/आधार नंबर/बैंक खाता संख्या इत्यादि सहित समस्त दस्तावेजीकरण कार्य संबंधित शिविरों में ही मौके पर पूरे किए जाएंगे, ताकि जल्द से जल्द कनेक्शन दिए जा सके।
ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायत/सार्वजनिक संस्थानों को भी आवेदन पत्र इकट्ठा करने एवं प्रलेखन कार्य पूरा करने के साथ-साथ बिजली बिलों के वितरण, राजस्व संग्रह और अन्य मान्य गतिविधियों के लिए भी अधिकृत किया जाएगा।
विद्युत नेटवर्क में 4 करोड़ घरों को शामिल करने पर बिजली की मांग में अनुमानित वृद्धि कितनी होगी?
प्रतिघर 1 किलोवाट के औसत लोड और प्रतिदिन 8 घंटे तक लोड के औसत उपयोग को ध्यान में रखते हुए प्रतिवर्ष लगभग 28000 मेगावाट अतिरिक्त बिजली और लगभग 80000 मिलियन यूनिट अतिरिक्त उर्जा की आवश्यकता होगी। यह एक परिवर्तनीय आंकड़ा है। आय के साथ-साथ बिजली उपयोग की आदत बढ़ने पर बिजली की मांग में परिवर्तन होना तय है। इन अनुमानों के परिवर्तित होने पर भी इस आंकड़े में तब्दीली होगी।
उन घरों के लिए क्या प्रावधान है जहां ग्रिड लाइने उपलब्ध कराना संभव नहीं है?
सुदुर एवं दूर-दराज के इलाको में अवस्थित घरों को 200 से लेकर 300 वाट के सोलर पावर पैक और 5 एलईडी लाइट, 1 डीसी पंखा, 1 डीसी पावर प्लग के साथ बैटरी बैकिंग सुलभ कराई जाएगी। इसके साथ ही 5 वर्षों के लिए मरम्मत एवं रखरखाव सुविधा भी मुहैया कराई जाएगी।
‘सौभाग्य’ के तहत कितने गैर विद्युतिकृत घरों को कवर किया जाएगा?
देश में लगभग 4 करोड़ गैर विद्युतिकृत घर होने का अनुमान लगाया गया है, जिनमें से लगभग 1 करोड़ बीपीएल ग्रामीण परिवारों को डीडीयुजीजेवाई की मंजूर परियोजनाओं के तहत पहले भी कवर किया जा चुका है। अतः कुल 300 लाख घरों को इस योजना के तहत कवर किए जाने की आशा है जिनमें से 250 लाख घर ग्रामीण क्षेत्रों में और 50 लाख घर शहरी क्षेत्रों में है।
क्या इस योजना में अवैध उपभोक्ताओं को माफ करते हुए इसमें उन्हें पंजीकृत कराने की सुविधा दी जाएगी? क्या स्कीम में कुछ इस तरह का भी लक्षित किया गया है?
अवैध कनेक्शनों की समस्या से संबंधित डिस्कॉम/विद्युत विभाग अपने-अपने नियमों/नियमनों के अनुसार निपटेगा। हालांकि इस योजना में स्पष्ट शब्दों में यह उल्लेख किया गया है कि ऐसे डिफॉल्टरों को इस योजना का लाभ नहीं दिया जाएगा जिनके कनेक्शन काटे जा चुके हैं।
यह योजना लोगों के लिए उनके दैनिक जीवन मे किस तरह उपयोगी साबित होगी?
बिजली सुविधा मुहैया कराई जाने से निश्चित तौर पर लोगों के जीवन की गुणवत्ता और मानव विकास पर हर पहलु से सकारात्मक असर पड़ेगा। पहला, बिजली सुलभ होने से घर को रोशन करने के लिए केरोसिन का विकल्प मिल जाएगा और घर के अंदर केरोसिन से होने वाला प्रदूषण समाप्त हो जाएगा और इस तरह लोगों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलेगी। इसके अतिरिक्त बिजली सुविधा से देश के सभी हिस्सों में दक्ष एवं अत्याधुनिक स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने में मदद मिलेगी। सूर्यास्त के बाद घरों के रोशन होने से वहां रहने वाले लोगों विशेषकर महिलाओं को अधिक व्यक्गित सुरक्षा महसूस होगी। इसी तरह सूर्यास्त के बाद सामाजिक एवं आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ेगी। बिजली सुलभ होने से सभी क्षेत्रों में शिक्षा सेवाओं को भी बढ़ावा मिलेगा और सूर्यास्त के बाद घरों में बेहतर रोशनी मिलने से बच्चे अपनी पढ़ाई पर और ज़्यादा समय दे सकेंगे और इस तरह भविष्य में अपने करियर में ज़्यादा आगे बढ़ सकेंगे। घरों के रोशन होने से इस बात की भी संभावना बढ़ गई है कि महिलांए पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा अध्ययन कर सकेंगी और आर्थिक रूप से भी अधिक आमदनी अर्जित कर सकेगी।
इस योजना से आर्थिक विकास और रोजगार सृजन को कैसे बढ़ावा मिलेगा?
घरों को रोशन करने के लिए केरोसिन के बजाए बिजली का उपयोग होने पर केरोसिन पर वार्षिक सब्सिडी घट जाएगी। इसके साथ ही पेट्रोलियम उत्पादों का आयात घटाने में भी मदद मिलेगी। हर घर में बिजली सुलभ होने से संचार के सभी साधनों यथा रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट, मोबाइल इत्यादि का कहीं अधिक उपयोग संभव हो पाएगा जिससे लोग इन संचार साधनों के जरिए सभी तरह की आवश्यक सूचनांए प्राप्त कर सकेंगे। किसानों को नई एवं बेहतर कृषि तकनीकों, कृषि मशीनरी, गुणवत्ता पूर्ण बीजों इत्यादि के बारे में जानकारी मिल पाएगी जिससे कृषि उत्पादन के साथ-साथ किसानों की आमदनी में उल्लेखनीय बढ़ोतरी संभव हो पाएगी। इसके अतिरिक्त किसान एवं युवा कृषि आधारित लघु उद्योग लगाने की संभावनाएं भी तलाश सकेंगे।
विश्वसनीय विद्युत सेवाएं उपलब्धन होने से दैनिक उपयोग की वस्तुओं वाली नई दुकानें, विनिर्माण कार्यशालाएं, आटा मिलें, कुटीर उद्योग इत्यादि खोलने मे भी आसानी होगी। इस तरह की आर्थिक गतिविधियों से प्रत्यक्ष के साथ-साथ अप्रत्यक्ष रोजगार भी सृजित होंगे। स्वयं इस योजना के क्रियान्वयन से भी रोजगार सृजित होंगे क्योंकि घरों में विद्युतिकरण कार्य के लिए अर्द्धकुशल/कुशल कामगारों की आवश्यकता पड़ेगी। इस योजना के क्रियान्वयन के दौरान लगभग 1,000 लाख दैनिक श्रम दिवस सृजित होंगे। 16,000 करोड़ रुपये से भी अधिक की राशि व्यय होने से कुछ सकारात्मक बाह्य असर पड़ेंगे जिससे और अधिक रोजगार सृजन में मदद मिलेगी जिससे अर्थिक विकास की गति बढ़ेगी।
क्या इस योजना के बारे में आम जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने की कोई योजना है ताकि अधिक से अधिक लोग इससे लाभान्वित हो सके?
भारत सरकार रेडियो, प्रिंट मीडिया, टेलीविजन, साइन बोर्डों इत्यादि के जरिए प्रचार-प्रसार अभियान चलाएगी। विभिन्न शोध अध्ययनों से पता चला है कि बिजली कनेक्शन की लागत, बिजली के उपयोग, केरोसिन के मुकाबले बिजली उपयोग की लागत, बिजली उपयोग के फायदों (प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष) इत्यादि सहित बिजली कनेक्शन की प्रक्रिया के बारे में जागरूकता न होने के कारण भी घरेलु विद्युतिकरण की प्रक्रिया धीमी है। अतः इस योजना के सभी पहलुओं से लोगों को अवगत कराने के लिए मल्टीमीडिया अभियान शुरू किया जाएगा। डिस्कॉम के अधिकारी बिजली के साथ-साथ ‘सौभाग्य’ के बारे में भी जागरूकता बढ़ाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में भी शिविर लगाएंगे। विद्यालय के शिक्षकों, ग्राम पंचायत के सदस्यों और स्थानीय साक्षर/शिक्षित युवाओं को भी इस जागरूकता अभियान से जोड़ा जाएगा।
साफ है कि प्रधानमंत्री मोदी ने ऊर्जा सेक्टर को रौशन कर दिया है। 26 मई 2014 को प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण के समय तक देश में बिजली की हालत बहुत ही खराब थी, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के कुशल नेतृत्व में देश आज बिजली निर्यात भी करने लगा है।
पहली बार बिजली निर्यातक बना देश
चार साल पहले देश अभूतपूर्व बिजली संकट झेल रहा था, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि अब देश में खपत से अधिक बिजली उत्पाद होने लगा है। केंद्रीय विधुत प्राधिकरण के अनुसार भारत ने पहली बार वर्ष 2016-17 ( फरवरी 2017 तक) के दौरान नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार को 579.8 करोड़ यूनिट बिजली निर्यात की, जो भूटान से आयात की जाने वाली करीब 558.5 करोड़ यूनिटों की तुलना में 21.3 करोड़ यूनिट अधिक है। 2016 में 400 केवी लाइन क्षमता (132 केवी क्षमता के साथ संचालित) मुजफ्फरपुर – धालखेबर (नेपाल) के चालू हो जाने के बाद नेपाल को बिजली निर्यात में करीब 145 मेगावाट की बढ़ोत्तरी हुई है।
बदल गई पॉवर सेक्टर की तस्वीर
मोदी सरकार की नीतियों के चलते आज पारंपरिक और गैर-पारंपरिक ऊर्जा का भी भरपूर उत्पादन होने लगा है। सबसे बड़ी बात भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर ही नहीं बना है, सौर ऊर्जा के क्षेत्र में एक बहुत बड़ा बाजार उभर कर सामने आया है। उर्जा क्षेत्र में इस कायापलट के पीछे उन योजनाओं के क्रियान्यवन में बेहतर तालमेल रहा है जिसे पिछले चार सालों में सरकार ने लागू किया है। उर्जा क्षेत्र की छोटी-छोटी समस्याओं को दूर करने के लिए लागू की गई इन योजनाओं से बहुत बड़े परिणाम सामने आए हैं। देश के हर घर को चौबीसों घंटे बिजली देने का लक्ष्य 2022 है, लेकिन जिस गति से काम चल रहा है उससे अब यह प्राप्त कर लेना आसान लगने लगा है, पहले यह कल्पना भी नहीं की जा सकती थी कि देश में ऐसा भी हो सकता है।
नई कोयला नीति
नरेंद्र मोदी सरकार की कोयला नीति काम करने लगी है। इसके चलते देश अब उर्जा संकट से लगभग उबर चुका है । पिछली यूपीए सरकार की गलत कोयला नीति की वजह से अधर में फंसे दर्जनों ताप बिजली घरों में फिर से काम शुरू होने की उम्मीद बढ़ गई है। हाल ही में ‘शक्ति’ नाम से एक नई कोल लिंकेज पॉलिसी को मंजूरी दी गई है जो नए ताप बिजली घरों को आसानी से कोयला ब्लॉक उपलब्ध कराएगा। साथ ही पुराने एवं अटके पड़े बिजली घरों को भी कोयला उपलब्ध हो सकेगा। इससे कम से कम 30 हजार मेगावाट क्षमता का अतिरिक्त उत्पादन शुरू हो सकेगा। यानि अगर उत्पादन में बढ़ोत्तरी होगी तो बिजली की दरों भी कटौती की संभावना रहेगी। यूपीए सरकार ने वर्ष 2007 में कोल लिंकेज नीति लाई थी जिसके तहत 1,08,000 मेगावाट क्षमता की बिजली परियोजनाओं को कोयला देने का समझौता किया गया था, लेकिन उस दौरान कोयला उत्पादन नहीं बढ़ पाने की वजह से इनमें से अधिकांश परियोजनाएं अटकी हुई थी। इसके बाद कई परियोनजाओं को कोयला आयात करने की अनुमति भी दी गई, लेकिन घोटाले और मुकदमों के कारण वो लागू न हो सकीं। अब जब देश में कोयला उत्पादन की स्थिति सुधरी है तो इन परियोजनाओं को भी नए सिरे से कोयला आवंटित करने की तैयारी की गई है।
परमाणु बिजली उत्पादन में भी आत्मनिर्भरता
मोदी सरकार ने 10 नए Pressurized Heavy-Water Reactors (PHWR) के निर्माण का फैसला किया है। सबसे बड़ी बात ये है कि ये काम अपने वैज्ञानिक करेंगे और कोई भी विदेशी मदद नहीं ली जाएगी। इन दस नए स्वदेशी न्यूक्लियर पावर प्लांट से 7,000 मेगावाट बिजली पैदा की जा सकेगी। इस निर्णय का सबसे बड़ा प्रभाव यह होगा कि भारत भी विश्व के अन्य देशों को Pressurized Heavy-Water Reactors की तकनीक देने वाला देश बन जायेगा, जो मेक इन इंडिया योजना को बहुत अधिक सशक्त करेगा। इसके अतिरिक्त 2021-22 तक 6,700 मेगावाट परमाणु ऊर्जा पैदा करने के लिए अन्य न्यूक्लियर पावर प्लांट के निर्माण का भी काम चल रहा है। इस समय देश में कुल 22 न्यूक्लियर पावर प्लांट बिजली पैदा कर रहे हैं जिनसे कुल 6,780 मेगावाट बिजली पैदा हो रही है।
UDAY से देश का भाग्योदय
देश की बिजली वितरण कंपनियों की खराब वित्तीय स्थिति में सुधार करके उनको पटरी पर लाने के लिए Ujwal DISCOM Assurance Yojana (UDAY)लागू किया गया। सभी घरों को 24 घंटे किफायती एवं सुविधाजनक बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करना ही इस योजना का मूल उद्देश्य है। यह योजना 20 नवंबर, 2015 से शुरू की गई इससे विरासत में मिली 4.3 लाख करोड़ रुपये के कर्ज की समस्या का मोदी सरकार ने स्थायी समाधान निकाल लिया। आज देश के सभी राज्य इस योजना से जुड़ चुके हैं।
उत्तर प्रदेश अंतिम राज्य था जो 14 अप्रैल 2017 को इस योजना में शामिल हुआ है। इसी साल जनवरी से UDAY वेब पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन की शुरुआत भी की गई है। इसे विभिन्न राज्यों के DISCOM में हो रहे कार्यों और वित्तीय स्थिति पर निगरानी रखने के लिए तैयार किया गया है। इसका काम डाटा को राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर में एकीकृत करके रखना है। इससे केन्द्रीय मंत्रालय स्तर पर DISCOM के काम पर निगरानी रखना आसान हो गया है। जिससे स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिला है, और गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है।
सड़कें हो रही हैं ‘उजाला’
प्रधानमंत्री मोदी ने 5 जनवरी 2015 को 100 शहरों में पारंपरिक स्ट्रीट और घरेलू लाइट के स्थान पर LED लाइट लगाने के कार्यक्रम की शुरूआत की थी। इस राष्ट्रीय स्ट्रीट लाइटिंग कार्यक्रम (NSLP) का उद्देश्य 1.34 करोड़ स्ट्रीट लाइट के स्थान पर LED लाइट लगाना है। अब तक देशभर में पुरानी लाइट्स बदलकर 21 लाख नए LED लाइट लगाई जा चुकी हैं। इससे 29.5 करोड़ इकाई KWH बिजली की बचत हुई है। यही नहीं इसके चलते 2.3 लाख टन कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी आई है। यह परियोजना 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चलाई जा रही है। सबसे बड़ी बात है कि इसके चलते खर्च और बिजली की तो बचत हो ही रही है प्रकाश भी पहले से काफी बढ़ गया है। यही नहीं भारी मात्रा में LED बल्बों की खरीद होने के चलते उसकी कीमत भी 135 रुपये के बजाय 80 रुपये प्रति बल्ब बैठ रही है।
रीयल टाइम मिलेगी पॉवरकट की सूचना
केंद्र सरकार ने 24×7 किफायती और बिना बाधा के देश को बिजली देने के लिए ‘ऊर्जा मित्र एप’ लांच किया है। ऐसी सुविधा बिजली उपभोक्ताओं को पहली बार मुहैया कराई जा रही है। लोग www.urjamitra.com तथा ‘ऊर्जा मित्र एप’ पर देश के शहरी/ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली कटने की सूचना पा सकते हैं। ये जानकारी उपभोक्ताओं तक रीयल टाइम में पहुंच जाती है और वो इससे जुड़ी शिकायत भी दर्ज करा सकते हैं।
2030 तक सौर उर्जा से बदल जाएगी देश की तकदीर
मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से उत्पन्न हुई जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए भी मोदी सरकार कदम उठा रही है। ताकि ऊर्जा की जरूरतें भी पूरी हों और प्रकृति का संरक्षण भी साथ-साथ जारी रहे। माना जा रहा है LED बल्ब का इस्तेमाल इस दिशा में अपने-आप में बहुत बड़ा कदम है। इसके प्रयोग से सालाना 8 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन को रोका जा सकता है। इसके साथ-साथ 4 हजार करोड़ रुपये की सालाना बिजली की बचत भी होगी। इसके साथ-साथ केंद्र सरकार नवीकरणीय ऊर्जा पर भी जोर दे रही है। इसके तहत सौर ऊर्जा का उत्पादन मौजूदा 20 गीगावॉट से बढ़ाकर साल 2022 तक 100 गीगावॉट करने का लक्ष्य है। सबसे बड़ी बात है कि पर्यावरण की रक्षा के लिए सरकार 2030 तक देश के सभी वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदल देने का लक्ष्य लेकर काम में जुटी है। इससे सालाना 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक fossil fuels (जीवाश्म ईंधन) की बचत होगी। सरकार की ओर से कराए गए एक रिसर्च के अनुसार 2030 तक राजस्थान की केवल एक प्रतिशत भूमि से पैदा हुई सौर्य ऊर्जा से देशभर के सभी वाहनों के लिए पर्याप्त ईंधन का इंतजाम हो सकता है।