गुजरात में दिसबंर में होने वाला विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए पहला अवसर होगा, जब राज्य की 6 करोड़ जनता उन्हें मुख्यमंत्री के रुप में नहीं बल्कि एक प्रधानमंत्री के रुप में अपने सामने पायेगी। इस चुनाव में गुजरात की जनता के सामने सिर्फ और सिर्फ एक ही मुद्दा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं। 2002 में मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद से नरेन्द्र मोदी ने राज्य को जिस विकास के पथ पर चलाया है, उसे गुजरात के मतदाता भलीभांति समझते हैं और उनका विश्वास है कि नरेन्द्र मोदी ही इस समय अकेले वह व्यक्ति है जो उनकी किसी भी दिक्कत को दूर करने की निर्णायक क्षमता रखते हैं।
जनता को मोदी के काम करने का तरीका पसंद आता है मुख्यमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी ने गुजरात राज्य का समेकित विकास किया है। 2001 के भूकंप में तबाह हुए भुज और कच्छ का पुनर्निमाण जिस तेज गति से किया, वह अपने आप एक मिसाल है। मोदी ने गुजरात को हिंदुस्तान का अकेला ऐसा राज्य बना दिया जो बिजली का उत्पादन खपत से ज्यादा करने लगा, जहां 2002 से पहले बिजली की किल्लत का बुरा दौर रहा था। इस समय राज्य में 29 हजार मेगावाट से अधिक बिजली का उत्पादन हो रहा है और दूसरे राज्यों को भी बिजली सप्लाई कर रहा है। यही नहीं 1951 से रुकी हुई नर्मदा बांध योजना को पूरा करके, सौराष्ट्र क्षेत्र में पानी की कमी को खत्म किया और खेती को किसानों के लिए एक लाभप्रद उद्यम में बदल दिया।
जनता का मोदी पर विश्वास- प्रधानमंत्री मोदी के काम करने के तरीके में इतनी शक्ति है कि सभी उनसे आकर्षित होते हैं। 2002 से लगातार विधानसभा चुनावों में भारी विजय इस आकर्षण और विश्वास के पुख्ता सबूत हैं। यह करिश्मा केवल गुजरात तक ही सिमट कर नही रहा बल्कि 2014 के लोकसभा चुनाव में मिले प्रचंड बहुमत ने सिद्ध कर दिया कि जनता का मोदी से भावनात्मक लगाव है। 2014 के बाद हुए राज्यों के विधानसभा चुनावों में मिली जीत ने प्रधानमंत्री मोदी के व्यक्तित्व के इस करिश्माई अंदाज को साबित किया है। मोदी के प्रति लोगों का विश्वास ही उनकी सबसे बड़ी थाती है, इस बात को तो विपक्ष के धुरधंर भी मानते हैं।
गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी की जीत का सबसे बड़ा कारण जनता का विश्वास और भावनात्मक लगाव होगा, जिसे चुनौती देने के लिए विपक्ष के तरकश में कोई तीर नहीं है। यह तो चुनावी जंग है, जिसमें आरोपों और प्रत्यारोपों का लगना स्वाभाविक है, लेकिन जीत व्यक्ति और व्यक्तित्व की होती है, और इस मामले में नरेन्द्र मोदी अलग और अकेले हैं।