Home पश्चिम बंगाल विशेष जिहाद के ‘टाइम बॉम्ब’ पर बैठा है पश्चिम बंगाल

जिहाद के ‘टाइम बॉम्ब’ पर बैठा है पश्चिम बंगाल

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पश्चिम बंगाल ऐसे टाइम बॉम्ब पर है जो कभी भी विस्फोट कर सकता है। भद्रजनों का प्रदेश आतंकवादियों और जिहादियों का अड्डा बन गया है। गृह मंत्रालय की हाल की रिपोर्ट भी बताती है कि पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और असम बांग्लादेश और म्यांमार के आतंकी-जिहादी मॉड्यूल का गढ़ बन चुका है। बांग्लादेशी आतंकियों ने राज्य के कोने-कोने में पैठ बना ली है। अब ये जिहादी-आतंकी देश के दूसरे हिस्सों में भी फैल चुके हैं।

पश्चिम बंगाल सरकार देती है घुसपैठियों को पनाह
पिछले दो दशकों से पश्चिम बंगाल में जिहादी और कट्टरवादी ताकतों की वृद्धि हुई है। वर्तमान सरकार में हर बीतते दिन के साथ ये ताकतें मजबूत होती जा रही हैं। दक्षिण पूर्व एशिया को लेकर हाल में जो एक रिपोर्ट प्रकाशित किया गया है वह बहुत ही चिंताजनक है। बांग्लादेश सरकार ने भी भारत के गृहमंत्री को जो रिपोर्ट भेजी है उससे साफ जाहिर होता है कि बांग्लादेश और म्यांमार के आतंकी मॉड्यूल के लिए पश्चिम बंगाल स्वर्ग के समान है। दरअसल म्यांमार और बांग्लादेश में इन जिहादी-कट्टरवादी ताकतों के विरुद्ध कार्रवाई की जा रही है, लेकिन पश्चिम बंगाल में इन्हें संरक्षण दिया जा रहा है।

सीमावर्ती जिलों में घुसपैठ का बड़ा नेटवर्क
पश्चिम बंगाल की सीमा बांग्लादेश से करीब 2200 किलोमीटर तक जुड़ी हुई है। यह जिहादी आतंकियों के लिए सेफ रूट बन गया है। जिहादी संगठन अल इस्लामी यानी हूजी और जमात उल मुजाहिदीन यानी जेएमबी ने यहां गहरे तक पैठ बना लिया है। पश्चिम बंगाल में मुस्लिमों की अधिक आबादी इन्हें छिपने में सहायक होती है और सरकार की तरफ से इन ताकतों को संरक्षण दिया जा रहा है। रिपोर्ट कहती है कि कोलकाता के रास्ते ये आतंकी देश के कोने-कोने तक पहुंच चुके हैं।

त्रिपुरा, असम में भी बढ़ता जा रहा है जिहादी खतरा
खुफिया सूत्रों के अनुसार हूजी और जेएमबी के 2010 आतंकी भारत में हैं। माना जा रहा है कि सिर्फ बंगाल बॉर्डर के जरिये ही कम से कम 720 आतंकियों ने देश में प्रवेश किया है। हालांकि बंगाल सरकार तथ्यों को छिपाना चाहती है, बावजूद राज्य सरकार की रिपोर्ट के अनुसार 2014 में 800 और 2015 में 659 आतंकियों ने बंगाल की सीमा में प्रवेश किया है। ये सिर्फ बंगाल में ही नहीं बल्कि असम और त्रिपुरा में भी संरक्षण पा रहे हैं। एनआइए ने 2014 में पश्चिम बंगाल के बर्दवान जिले में जेएमबी के ऑपरेटिव्स का खुलासा किया था और वहां से आरडीएक्स, घड़ियां और सिम कार्ड सहित कई विस्फोट सामग्रियां पकड़ी थीं।

ममता सरकार बनवाती है आतंकियों के आधार कार्ड
11 अगस्त को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से गिरफ्तार संदिग्ध बांग्‍लादेशी आतंकी अब्दुल्लाह अल मामून ने यूपी एटीएस की पूछताछ में अहम खुलासा करते हुए बताया है कि कैसे भारत में आतंकियों की खेप सीमा पार से पहुंचती है और चंद रुपयों में इनका पहचान पत्र भी बन जाती है। कोलकाता पुलिस ने मार्च में एक और संदिग्ध इदरिश अलिवास को गिरफ्तार किया था जो शहर के बड़ा बाजार इलाके से पकड़ाया था, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि ममता सरकार इसे राजनीति के चश्मे से देखती है। राज्य सरकार पूरी तरह से देश की सुरक्षा की अनदेखी कर रही है। सवाल यह है कि बांग्लादेश की यह रिपोर्ट ममता की आंख खोलेगी? वह देश हित में कुछ कदम उठाएंगी?

ममता राज के 8000 गांवों में एक भी हिंदू नहीं
ममता राज में इन जिहादी ताकतों को संरक्षण देने के कारण सामाजिक सद्भाव बिगड़ गए हैं। स्थिति यह है कि जहां भी मुस्लिम जनसंख्या औसत से थोड़ा भी अधिक होता है जिहादी-कटरपंथी ताकतें हिंदुओं के साथ अत्याचार करने लगते हैं। ममता सरकार की नीति के कारण राज्य में अलार्मिंग परिस्थिति उत्पन्न हो गई है। प. बंगाल के 38,000 गांवों में 8000 गांव अब इस स्थिति में हैं कि वहां एक भी हिन्दू नहीं रहता, या यूं कहना चाहिए कि उन्हें वहां से भगा दिया गया है। बंगाल के तीन जिले जहां पर मुस्लिमों की जनसंख्या बहुमत में हैं, वे जिले हैं मुर्शिदाबाद जहां 47 लाख मुस्लिम और 23 लाख हिन्दू, मालदा 20 लाख मुस्लिम और 19 लाख हिन्दू, और उत्तरी दिनाजपुर 15 लाख मुस्लिम और 14 लाख हिन्दू। दरअसल बांग्लादेश से आए घुसपैठिए प. बंगाल के सीमावर्ती जिलों के मुसलमानों से हाथ मिलाकर गांवों से हिन्दुओं को भगा रहे हैं और हिन्दू डर के मारे अपना घर-बार छोड़कर शहरों में आकर बस रहे हैं।

ममता राज में घटती जा रही हिंदुओं की संख्या
पश्चिम बंगाल में 1951 की जनसंख्या के हिसाब से 2011 में हिंदुओं की जनसंख्या में भारी कमी आयी है। 2011 की जनगणना ने खतरनाक जनसंख्यिकीय तथ्यों को उजागर किया है। जब अखिल स्तर पर भारत की हिन्दू आबादी 0.7 प्रतिशत कम हुई है तो वहीं सिर्फ बंगाल में ही हिन्दुओं की आबादी में 1.94 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जो कि बहुत ज्यादा है। राष्ट्रीय स्तर पर मुसलमानों की आबादी में 0.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जबकि सिर्फ बंगाल में मुसलमानों की आबादी 1.77 फीसदी की दर से बढ़ी है, जो राष्ट्रीय स्तर से भी कहीं दुगनी दर से बढ़ी है।

 

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