Home नरेंद्र मोदी विशेष रोजगार पर ‘दुष्प्रचार’ को इन तथ्यों से मिल रहा जवाब

रोजगार पर ‘दुष्प्रचार’ को इन तथ्यों से मिल रहा जवाब

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कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने अमेठी दौरे पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगर ‘किसान और रोजगार’ जैसे दो बड़े मुद्दों का समाधान नहीं कर सकते तो कह दें, हम ये काम छह महीने में करके दिखा देंगे। राहुल गांधी छह महीने की बात कह रहे हैं, लेकिन क्या उन्हें पता नहीं है कि स्वतंत्रता के बाद पिछले सत्तर सालों में साठ साल तो कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ही केंद्र में रही है।

बहरहाल राहुल गांधी की अपनी ‘समझ’ है। लेकिन वास्तविकता उनके ‘दुष्प्रचार’ से बहुत अलग है। आइये हम जानते हैं मोदी सरकार के प्रयासों का रोजगार के क्षेत्र में कितना असर हुआ है।

स्वावलंबन की ओर बढ़ चला भारत
स्किल डेवलपमेंट, स्टार्ट अप, मेक इन इंडिया और मुद्रा योजना जैसी कई क्रांतिकारी योजनाएं भारत को समृद्ध और स्वाबलंबी बनाने की दूरदर्शी सोच के साथ आगे बढ़ रही हैं। डिजिटल इंडिया के माध्यम से स्वाभाविक माहौल के साथ जीएसटी जैसा बड़ा आर्थिक सुधार सकारात्मक संदेश देने में सफल रहा है। एफडीआई को बढ़ावे के साथ ही भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए मेक इन इंडिया लॉन्च किया गया।

job creator बन रहा भारत का युवा वर्ग
मोदी सरकार सिर्फ रोजगार के लिए रोजगार पैदा करने की खानापूर्ति पर काम नहीं कर रही, बल्कि एक ऐसा वातावरण बना रही है जिससे रोजगार पाने वाले और रोजगार पैदा करने वाले दोनों का विकास हो। स्किल डेवलपमेंट और स्टार्टअप इंडिया जैसे कदम बता रहे हैं कि आने वाले कुछ वर्षों में भारत की तस्वीर बदलने वाली है।

8.19 करोड़ को मिला रोजगार
मुद्रा योजना के तहत 8.19 करोड़ से अधिक लोगों ने मुद्रा योजना के तहत ऋण लिया है। यदि कम से कम एक व्यक्ति के रोजगार मिलने का भी औसत मान लिया जाये तो 8.19 करोड़ लोगों को रोजगार मिला है। दो करोड़ 63 लाख ऐसे हैं जिन्होंने पहली बार बैंकों से लोन पाया है। रोजगार पाने वालों की संख्या हर एक ईकाई में एक से अधिक ही होता है। एक के औसत को ही मान लिया जाये तो 8.19 करोड़ लोगों के रोजगार मिलने की बात को नकारा नहीं जा सकता है।

मुद्रा योजना से सशक्त हुईं 6.2 करोड़ महिलाएं
08 अप्रैल 2015 को मुद्रा योजना का शुभांरभ किया। अब इसका सीधा फायदा दिखाई दे रहा है। मोदी सरकार ने इस योजना के तहत लोगों को अभी तक 3,55,590 करोड़ रुपये से अधिक ऋण दिया है। इसमें से लगभग 50 प्रतिशत यानि 1,78,313 करोड़ रुपये 6.2 करोड़ महिलाओं को मिला है। यह कुल ऋण लेने वालों की संख्या का 78 प्रतिशत है।

स्किल डेवलपमेंट से बढ़ रहे रोजगार के अवसर
आवश्यकता और उपलब्ध मानव संसाधनों के बीच अगर सही तालमेल न रखा गया तो देश आर्थिक और सामाजिक विकास की दौर में पिछड़ सकता है। इसी सोच के साथ मई 2014 में सरकार बनते ही अलग से इसके लिए कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय का गठन किया गया। इसके लिए देश भर में 21 मंत्रालयों और 29 राज्यों में चल रहे 70 से ज्यादा कौशल विकास कार्यक्रम को इसी मंत्रालय के अंदर ले आया गया।

2022 मे 11 करोड़ स्किल्ड वर्क फोर्स की होगी डिमांड
12,000 करोड़ रुपये के बजट के साथ शुरू हुई प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत चार साल में एक करोड़ युवकों को प्रशिक्षित करना है। स्किल डेवलपमेंट के तहत अब तक 56 लाख से अधिक युवा प्रशिक्षित किये जा चुके हैं जिनमें से करीब 24 लाख अपने हुनर से जुड़े क्षेत्र में रोजगार पा चुके हैं। हालांकि 2022 तक देश में सभी 24 महत्‍वपूर्ण क्षेत्रों में 10.9 करोड़ से अधिक मानव संसाधनों की आवश्यकता होगी।

रियल इस्टेट में नौकरियों की बहार
आंकड़े बताते हैं कि रियल एस्टेट और रिटेल समेत देश के कम से कम 24 सेक्टरों में आने वाले पांच सालों में करीब 12 करोड़ स्किल्ड कामगारों की आवश्यकता होगी। सरकार की योजनाओं के तहत प्रशिक्षित युवाओं के लिए रोजगार के भरपूर अवसर होंगे।

IT सेक्टर में बढ़े रोजगार के अवसर
NASSCOM के अनुसार भारत में आईटी कंपनियों ने केवल पिछले साल 1.7 लाख नौकरियां दी हैं। आखिरी तिमाही में यानि 2017 के पहले तीन महीनों में ही 50 हजार लोगों को रोजगार मिला है। वर्तमान में आईटी सेक्टर में 39 लाख लोग रोजगार से जुड़े हैं। जबकि इनमें से 6 लाख नौजवानों को पिछले तीन सालों के दौरान नौकरी मिली है। NASSCOM का अनुमान है कि 2025 तक देश में आईटी क्षेत्र का कारोबार 350 करोड़ डॉलर का होगा और जिसमें 25 से 30 लाख और अधिक नौकरियों के अवसर पैदा होंगे।

PMAY ने बढ़ाए रोजगार के अवसर
दो साल पहले शुरू की गयी प्रधानमंत्री आवास योजना ने अब तक 1.2 करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान किया है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अब तक 1,10,753 करोड़ रुपये का निवेश किया जा चुका है। अनुमान है कि इस पूरी योजना के तहत लगभग 4.5 करोड़ लोगों को रोजगार मिल सकता है।

20 लाख महिलाएं घर से कर रहीं अरबों का कारोबार
डिजिटल लेनदेन के सरकार के प्रयासों में अब होम मेकर्स भी बढ़-चढ़कर हाथ बंटा रही हैं। घर से बैठकर कम से कम 20 लाख महिलाएं 8 से 9 अरब डॉलर का व्यापार कर रही हैं। व्हाट्सऐप और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए वो अपने द्वारा बनाये गए सामान को लोगों तक पहुंचा रही हैं।

पांच सालों में होगा साठ अरब डॉलर का कारोबार
घर से ऑनलाइन रीसेलिंग का व्यापार करने वाली महिलाओं की संख्या में अगले पांच सालों में हर वर्ष 50 से 60 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है। इसके साथ ही 2022 तक ये व्यापार 48 से 60 अरब डॉलर तक पहुंच जाने का अनुमान है।

मोदी सरकार का ‘एक्शन प्लान’
सीआईआई के अनुसार, वित्त वर्ष 2012 से 2016 के बीच भारत में रोजगार के 1.46 करोड़ मौके बने थे यानि हर साल 36.5 लाख अवसर। कामकाजी उम्र वाले लोगों की संख्या में 8.41 करोड़ की वृद्धि हुई, इनमें वास्तविक श्रम बल में बढ़ोतरी केवल 2.01 करोड़ रही। यानि 2.01 करोड़ में 1.46 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिले।

 

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