पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के नेतृत्व में निर्मम राज का एक और बड़ा उदाहरण सामने आया है। पुरुलिया में बीजेपी के एक दलित नौजवान कार्यकर्ता त्रिलोचन महतो की ना सिर्फ हत्या की गई, बल्कि उसकी लाश को पेड़ से लटकाकर उसके पीछे यह लिखा गया कि बीजेपी के लिए काम करने का यही हश्र होगा।
ममता राज में चरम पर नफरत की राजनीति
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के शासन में नफरत की राजनीति का यह एक ऐसा नमूना है जिससे इंसानियत की रूह भी कांप जाए। लेकिन दिल दहलाने वाली इस घटना पर ना सिर्फ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बल्कि विपक्ष और ‘सेक्युलर’ पत्रकारों और बुद्धिजीवियों का पूरा खेमा चुप है। जरा सोचिए अगर बीजेपी की जगह विपक्ष की किसी पार्टी के कार्यकर्ता के साथ अगर ऐसा हुआ होता तो इन सबने अब तक कितना हंगामा न खड़ा कर दिया होता।
इस जघन्य हत्याकांड के लिए मीडिया में जगह नहीं
हैरानी की बात है कि पुरुलिया के इस जघन्य कांड के लिए मीडिया में कोई जगह नहीं। न्यूज चैनल ABP के एक पत्रकार ने इस घटनाक्रम पर ट्वीट तो किया है, लेकिन चैनल इस पर खामोश है। अगर ऐसी ही घटना का शिकार बीजेपी शासित राज्य में विपक्षी पार्टी से जुड़ा कार्यकर्ता हुआ होता तो चैनल पर अब तक कई तरह की बहस हो चुकी होती। लोगों ने ट्वीट पर जिस तरह की राय जाहिर की है उससे यह साबित हो जाता है कि विपक्षी पार्टियां हों या मीडिया का एक खेमा सब पार्टी देखकर ही बात करते हैं या खबर दिखाते हैं।
पुरुलिया में18 साल के @BJP4Bengal के दलित कार्यकर्ता त्रिलोचन महतो की हत्या कर लाश पेड़ से लटका दी,उसके पीछे लिखा है “BJP के लिए काम करने का यही हश्र होगा” pic.twitter.com/dSKj6hYqRR
— Vikas Bhadauria ABP (@vikasbha) May 30, 2018
बीजेपी का दलित मारा गया वह दलित नहीं होता है यह किसी और पार्टी का मारा जाता तो इन सभी लोग चिल्ला-चिल्लाकर पागल हो जाते हैं कि मोदी जी के राज में दलितों पर अत्याचार
— shivraj parihar (@shiv_82) May 30, 2018
यह समाचार अभी भी कि किसी प्राइम मीडिया के स्क्रीन पर नहीं दिख रहा है क्योंकि बंगाल में तो सेकुलरिज्म सिद्ध कराना है ना
— Dr. Umesh Shukla (@dus_vns) May 30, 2018
बंगाल, केरल,पूर्व की त्रिपुरा मे ऐसे ही दलित सहित अन्य हिन्दुओं को भी मारकर इसी प्रकार लटकाया जाता था ताकि वे दहशत में आकर बीजेपी को वोट न करें।किसी विपक्ष ने आजतक गलती से भी चू तक नहीं किया ।
औकात नहीं कि कोई संगठन सामने आए— Jitendra dev sharma (@JDsharma85) May 30, 2018
ममता और वाम दलों के शासन का खूनी इतिहास
बंगाल में राजनीतिक झड़पों का एक लंबा और रक्तरंजित इतिहास रहा है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2016 में बंगाल में राजनीतिक कारणों से झड़प की 91 घटनाएं हुईं और 205 लोग हिंसा के शिकार हुए। 2015 में राजनीतिक झड़प की कुल 131 घटनाएं दर्ज की गई थीं और 184 लोग इसके शिकार हुए थे। वर्ष 2013 में बंगाल में राजनीतिक कारणों से 26 लोगों की हत्या हुई थी, जो किसी भी राज्य से अधिक थी। 1997 में बुद्धदेब भट्टाचार्य ने विधानसभा मे जानकारी दी थी कि वर्ष 1977 से 1996 तक पश्चिम बंगाल में 28,000 लोग राजनीतिक हिंसा में मारे गये थे।