नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों ने नारे लगाए कि हम कागज नहीं दिखाएंगे और अपना नाम भारतीय राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर में दर्ज नहीं करवाएंगे लेकिन यही लोग कोरोना संकट के समय सरकारी सहायता राशि लेने के लिए बैंकों के बाहर लंबी लंबी लाइन लगा रहे हैं।
सोशल मीडिया पर इन दिनों एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें बैंक के बाहर सैकड़ों महिलाएं बुर्का पहन कर बैंक के बाहर खड़ी हैं और अपनी बारी का इंतजार कर रही है। वीडियो बनाने वाले व्यक्ति कर रहा है कि बैंकों से फ्री का पैसा लेने के लिए महिलाओं की ये लाइन लगी है।
Wen u ask them to show documents for NRC they agitate sitting on Road
Spit venom on #Modiji
But when #Modiji announces free money,they r 1st to stand in que & shamelessly receive it?!
Let's use these opportunities & their weakness to check & collect documents!#ThursdayWisdom pic.twitter.com/2P3T1bVC0I— RajiAiyer??✨ (@RajeIyer) April 9, 2020
दरअसल, काेरोना वायरस के बीच लॉक डाउन में परेशानी का सामना कर रही महिलाओं के लिए सरकार द्वारा की गई राहत की घोषणा में महिलाओं के जनधन खाते में 500 रुपये की पहली किस्त पहुंच गई है और इसे निकालने के लिए बैंकों के बाहर राहत राशि निकालने के लिए भीड़ लग गई केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत महिला खाताधारकों के खातों में पहली किस्त के रूप में अप्रैल में 500 रुपये डाले गए हैं। अगले दो माह के दौरान 500-500 रुपये की दो समान किस्तों में 1,000 रुपये डाले जाएंगे।
हम कागज नहीं दिखाएंगे
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देशभर में लोगों ने हंगामा किया था। दिल्ली के जामिया नगर इलाके में तो कुछ लोग महीनों तक इसके खिलाफ धरने पर बैठे रहे जबकि देश के अलग अलग हिस्सों में देश विरोधी ताकतों ने आगजनी, तोड़फोड़ और प्रदर्शन कर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ उत्तर पूर्व दिल्ली में रास्ता रोक कर धरने पर बैठ गए जिसके बाद तनाव हुआ और दंगा भड़क गया। दंगे में कई लोगों की जानें गईं और संपत्ति का भारी नुकसान हुआ। कानून का विरोध करने वाले लोगों ने भ्रम फैलाया कि यह कानून अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हैं, हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के लगातार बयान आए कि यह देश के किसी नागरिक की नागरिकता छिनने के लिए नहीं है बल्कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक प्रताड़ित लोगों को नागरिकता देने के लिए हैं।