Home समाचार देखिए कांग्रेस का दोगलापन, पहले किया राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़, अब सवालों...

देखिए कांग्रेस का दोगलापन, पहले किया राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़, अब सवालों के पीछे नाकामियों को छिपाने की कोशिश

SHARE

भारत-चीन सीमा पर दोनों देशों के बीच टकराव जारी है। कांग्रेस और वामपंथियों को छोड़कर पूरा विपक्ष इस समय मोदी सरकार के साथ खड़ा है। वहीं देश की जनता में भी चीन के खिलाफ काफी आक्रोश है। लेकिन कांग्रेस मोदी सरकार से ही लड़ने में व्यस्त है। आज कांग्रेस सीमा की सुरक्षा को लेकर घड़ियाली आंसू बहा रही है। कांग्रेस का मकसद सिर्फ जनता को गुमराह कर मोदी सरकार बदनाम करना और सत्तर साल की अपनी नाकामियों से लोगों का ध्यन हटाना है। कांग्रेस की मौजूदा रणनीति ही उसके गले की फांस बन गई है। उसकी पुरानी गलितायां उसका पीछा नहीं छोड़ रही हैं और रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं। इसी बीच लद्दाख के जंसकार के काउंसलर ने कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाया है कि साल 2004 से 2014 के बीच कांग्रेस ने लेह-मनाली मार्ग का निर्माण नहीं होने दिया। 

कांग्रेस ने लेह-मनाली रोड के निर्माण में दिखाई लापरवाही

Zee News के मुताबिक जंसकार के काउंसलर स्टांजिन लप्पा ने कहा है कि यूपीए सरकार में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी सड़क के निर्माण में देरी की गई। साल 2004 से 2014 तक किसी भी अहम सड़क पर कोई काम नहीं हुआ। कांग्रेस ने लेह-मनाली रोड के निर्माण में लापरवाही दिखाई। साल 2007 में ही लेह-मनाली सड़क बनकर तैयार होनी थी। 

वाजपेयी सरकार ने दी थी लेह-मनाली रोड प्रोजेक्ट को मंजूरी 

बता दें कि स्टांजिन लप्पा ने रोहतांग सुरंग के बारे में बात की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की 95वीं जयंती पर 25 दिसंबर 2019 को उनकी स्मृति में रोहतांग सुरंग का नामकरण ‘अटल सुरंग’ के रूप में करने की घोषणा की। यह सुरंग हिमाचल प्रदेश के मनाली को लेह से जोड़ेगी, और इस सड़क से लेह और मनाली के बीच की दूरी 46 किलोमीटर कम हो जाएगी। 8.8 किलोमीटर लंबी इस सुरंग की योजना पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने जून 2000 में बनाई थी। अटल सुरंग के दक्षिणी भाग को जोड़ने वाली सड़क की आधारशिला 26 मई, 2002 को रखी गई थी। अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 2003 में रोहतांग सुरंग का शिलान्यास किया था।

सितंबर 2020 में परियोजना के उद्घाटन होने की उम्मीद

यूपीए सरकार की लापरवाही की वजह से इस परियोजना में देरी हुई। मोदी सरकार के आने के बाद इस प्रोजेक्ट के काम में तेजी आई। कोरोना संकट के बावजूद आज भी इस पर काम चल रहा है। सितंबर में इसका उद्घाटन होने की उम्मीद है, और इस सड़क के पूरा हो जाने पर यह समुद्र तल से लगभग 10,000 फीट (3,000 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित दुनिया की सबसे ऊंची राजमार्ग सुरंग होगी। अगर एक बार यह सड़क पूरा हो गया तो मनाली और लेह के बीच वर्ष के सभी मौसमों में कनेक्टिविटी रहेगी। इसके जुड़ने से भारतीय सेना और अन्य सुरक्षा बल आसानी से चीन की सीमा की ओर पहुंच सकते हैं।

आंकड़ों से भी होती है कांग्रेस की लापरवाही की पुष्टि

स्टांजिन लप्पा के दावे की पुष्टि आंकड़े भी कर रहे हैं। साल 2008 से 2014 तक यूपीए सरकार में सीमा के पास 1 सुरंग का निर्माण हुआ, 7,270 मीटर लंबे पुल बनाए गए और 3,610 किमी सड़कें बनीं जबकि मोदी सरकार में साल 2014 से 2020 तक 6 सुरंगें बन चुकी हैं और करीब 19 सुरंगों के निर्माण की योजना है। इसके अलावा मोदी सरकार में पिछले 6 साल में 14,450 मीटर लंबे पुल बनाए गए और 4,764 किलोमीटर सड़कें बनीं। इससे स्पष्ट है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के मुकाबले मोदी सरकार में भारत सीमा पर मजबूत हुआ है।

यूपीए की तुलना में मोदी सरकार ने किया अधिक बजट आवंटन

गौरतलब है कि यूपीए सरकार में इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के लिए बजट में भी कम रुपये दिए। साल 2016 के बाद मोदी सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में तेजी लाई और बजट को भी बढ़ाया। साल 2008 से 2016 के बीच इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए 3,300 से 4,600 करोड़ रुपये दिए गए। जबकि साल 2016 के बाद इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए 2017-18 के बजट में 5,450 करोड़ रुपये दिए गए। इसके बाद साल 2018-19 में 6,700 करोड़, साल 2019-20 में 8,050 करोड़ और इस साल 2020-21 के बजट में 11,800 करोड़ रुपये दिए गए।

यूपीए सरकार : प्रोजेक्ट लागत के 98% खर्च, सड़कें बनीं आधी से भी कम

हैरानी तो CAG की साल 2018 की रिपोर्ट से होती है। रिपोर्ट के मुताबिक 2012 तक 61 सड़कें बननी थीं लेकिन 2016 तक केवल 22 सड़कें ही बनीं। इन 22 सड़कों पर 4,536 करोड़ खर्च हुए जबकि पूरे प्रोजेक्ट की लागत 4,622 करोड़ थी यानि बजट का 98% खर्च हुआ लेकिन आधी से कम सड़कें ही बनीं।

यूपीए सरकार में चीन सीमा पर इनफ्रास्ट्रक्चर निर्माण की अनदेखी

अगर इतिहास देखा जाए तो कांग्रेस के शासन में चीन के साथ लगने वाली सीमा के आस पास इनफ्रास्ट्रक्चर को बनाने में आनाकानी की है जिसका नतीजा हमें आज भुगतना पड़ रहा है। सड़क जैसी बुनियादी जरूरत न होने के कारण ही सेना LAC पर गश्त नहीं लगा पाती थी और चीन ने सड़क बना कर भारत की जमीन को धीरे-धीरे हड़पने का पूरा प्रबंध कर लिया था। यह मानसिकता प्रधानमंत्री मोदी के आने के बाद बदली और बॉर्डर के आस-पास सड़कों का निर्माण शुरू हुआ।

सीमा पर सड़क निर्माण में देरी के पीछे MoU तो नहीं ?

हालांकि, अब कांग्रेस पार्टी का चीन के CCP के साथ MoU साइन होने के खुलासे के बाद यह शक होना लाज़मी है कि कहीं कांग्रेस पार्टी ने उसी MoU को ध्यान में रख कर सड़क निर्माण में देर तो नहीं की? जंसकार के काउंसलर स्टांजिन लप्पा ने जिस तरह से कांग्रेस पार्टी के ऊपर आरोप लगाए हैं उससे ये शक और गहरा हो जाता है क्योंकि कुछ दिनों पहले ही यह खुलासा हुआ था कि कि कांग्रेस की रजीव गांधी फाउंडेशन ने CCP से धन प्राप्त किया था और फिर उसके बाद एक शोध प्रकाशित किया था कि भारत को चीन के साथ Free Trade Agreement करना चाहिए, जबकि इससे भारत को व्यापार में कई गुना नुकसान होता। इससे यह कहना गलत नहीं होगा कि लेह-मनाली मार्ग के निर्माण में देर भी जानबूझकर की गयी थी।

 

Leave a Reply Cancel reply