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गुजरात के गांव बने दुनिया के लिए मॉडल

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गुजरात मॉडल पर बहस कभी रुकती नहीं। लेकिन गुजरात के गांव आएंगे तो आपको इस मॉडल की सही जानकारी मिल पाएगी। समग्र विकास की धारणा के साथ कार्य करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री रहते गुजरात में जितना विकास शहरों का किया उतना ही गांवों के विकास पर भी फोकस किया। 

उन्होंने गांवों को समृद्ध और शक्तिशाली बनाने के लिए कई पहल किए हैं। समरस पंचायतें और ई ग्राम जैसी योजनाओं ने जहां गांव के विकास को रफ्तार दी है। वहीं वतन सेवा जैसी योजनाओं के जरिये प्रवासी भारतीयों को भी अपने गांवों से जुड़ने का अवसर प्रदान किया है। 

समरस पंचायतों से सुराज का सपना साकार
मेरी कोशिश है कि प्रत्येक गांव का जीवन जाग्रत बने। मुझे विश्वास है कि सरपंचों के नेतृत्व में गुजरात का एक-एक गांव जीवंत बनकर धड़कता रहेगा।
-नरेंद्र मोदी
जहां न कोई राजनीतिक विद्वेष हो, जहां न जातियों का क्लेश हो, जहां न धर्मों का कोई भेद हो, जहां सिर्फ सर्वसहमति हो… इसी कंसेप्ट के तहत गुजरात में विकसित हुई हैं समरस पंचायतें।

कई क्षेत्रों में देश को दिशा दिखा रहे गुजरात की समरस पंचायतें भी मॉडल बन गईं हैं। 13,693 पंचायतों में 28 प्रतिशत समरस पंचायतों का दर्जा पा चुकी हैं। नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्रित्व काल में विकसित इन पंचायतों में गांव के लोग मिल-जुलकर सर्वसम्मति से अपना सरपंच चुन लेते हैं। इससे गांव के लोगों को मन मुताबिक मुखिया तो मिल ही जाता है, चुनाव करवाने का सरकारी खर्च भी बच जाता है। इतना ही नहीं ऐसी समरस पंचायतों को समरस ग्राम पंचायत का दर्जा देकर विकास कार्य के लिए सरकार अलग से वितीय सहायता भी देती है। समरस पंचायतों का उद्देश्य गांवों में सुराज व्यवस्था को स्थापित करना है।

गांव-गांव में पहुंचा ब्रॉड बैंड
गुजरात की सभी पंचायतें ब्रॉडबैंड सेवा से जुड़ी हुई हैं। लगभग सभी गांवों में इंटरनेट की सुविधा पहुंची हुई है। इससे देश-दुनिया से जहां गांव सहज रूप से जुड़े हुए हैं। स्वागत ऑनलाइन जैसे कार्यक्रमों के जरिये जनसुनवाई जैसे कार्य अब ऑनलाइन ही हो जाते हैं और आम लोगों को शहरों तक आने-जाने के लिए पैसे खर्च नहीं करने पड़ते हैं। राज्य की तमाम पंचायतें अब ई ग्राम और विश्वग्राम ब्रॉड बैंड कनेक्टिविटी से जुड़ी हुईं हैं।

एक नेटवर्क से जुड़े 26 जिले और 226 तालुका
गुजरात का सारा मैनेजमेंट ‘गुजरात स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क’ से जुड़ा हुआ है। 2001 से चालू यह नेटवर्क 26 जिलों और 226 तालुकों को उनके सभी कार्यालयों से जोड़ता है। ‘अपना तालुका, वाइब्रेंट तालुका’ (ए.टी.वी.टी.) की नीति लागू की गई है ताकि लोग उपलब्धि तथा प्रगति को नीचे के धरातल तक समझ सकें। गुजरात में सरकारी सुविधाएं हर कोने-कोने तक पहुंच गई हैं। शासन तालुका के भी नीचे तक प्रभावी, तीव्रगामी तथा पारदर्शी बन गया है।

ई-पंचायतों से आया ग्रामीण जीवन में बदलाव
गुजरात ऐसा राज्य है जहां स्थानीय चुनाव भी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम से करवाए जा रहे हैं। ई पंचायतों के जरिये अब जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र जैसी चीजों के लिए लोगों को तालुका या जिला जाने की जरूरत नहीं होती है। सब कुछ पंचायतों से ही मिल जाता है। भूमि रिकॉर्ड के लिए बनाई गई ई-धारा योजना से भी लोगों को अपनी जमीन सुरक्षित रखने में मदद मिल रही है।

वतन सेवा योजना के जरिये अपने गांव से जुड़े प्रवासी
अपने गांव और समाज के लिए कुछ करने की इच्छा रखने वाले प्रवासी भारतीयों को एक मंच मुहैया कराता है वतन सेवा योजना। इस योजना के तहत लोग गांवों में आधारभूत संरचना के विकास में योगदान दे रहे हैं। गांवों में सड़क, ग्राम द्वार, हैंडपम्प, स्वच्छता और जन सुविधाएं जैसी चीजें प्रवासी भारतीय अपने फंड से दे रहे हैं। इस योजना के तहत आणंद, पोरबंदर, राजकोट, वड़ोदरा के गांवों में सामुदायिक एवं विवाह केंद्र, प्रसव केंद्र, कन्या महाविद्यालय, नेत्र अस्पताल और विद्यालयों की स्थापना की गई है। ई ग्राम के विकास में भी प्रवासी भारतीय योगदान दे रहे हैं। इसके तहत कम्प्यूटर, इंटरनेट कनेक्टिविटी, प्रिंटर आदि के रूप में आर्थिक योगदान दे रहे हैं।


देश का पहला स्मार्ट विलेज बना पुनसारी
जब आप किसी गांव के बारे में सोचते हैं तो जेहन में कच्चे मकान, तंग और गंदी गलियां, नाली, पानी और बिजली की सुविधाओं का ना होना ही जेहन में आता है। लेकिन गुजरात का पुनसारी गांव देश के पहले स्मार्ट गांव का दर्जा पा चुका है। इस गांव की शक्ल तो गांव की है लेकिन सुविधाएं शहरों जैसी हैं। गांव का गली-गली सीसीटीवी कैमरे की जद में। फ्री वाई-फाई की सुविधा है और पीने के लिए पूरे गांव में मिनरल वाटर की सप्लाई है। गांव के कोने- कोने में डेढ़ सौ लाउड स्पीकर लगे हैं जिससे सरपंच की कोई भी घोषणा लोगों तक सीधे पहुंच जाती है। इतना ही नहीं गांव में एक स्मार्ट स्कूल भी है जहां जितने बच्चे हैं उतने ही कंप्यूटर भी हैं।


देश का पहला डिजिटल गांव बना अकोदरा
देश का पहला डिजिटल गांव भी गुजरात का ही है। साबरकांठा जिले के अकोदरा गांव में डिजिटल लेन-देन प्रचलन में है। अकोदरा देश का ऐसा पहला गांव है जहां कैशलेस इकॉनामी चलती है। गांव के लोग अपनी जरूरत की वस्‍तुओं की खरीदारी का खर्च मोबाइल बैंकिंग, डेबिट कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग का उपयोग करते हुए कर रहें हैं।

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