प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार बैंकों का पैसा लूट कर भागने वाले भगोड़े अपराधियों पर काल बन कर टूट पड़ी है। मोदी सरकार की सख्ती के बाद देश से फरार शराब कारोबारी विजय माल्या ने फिर कहा कि बैंक उसके बकाये रकम को वसूल कर ले। जेल जाने के डर से विजय माल्या ने गुरुवार को ट्वीट कर एक बार फिर बैंकों के बकाये रकम की भुगतान की बात दोहराई। माल्या ने ट्वीट कर कहा, ‘मैं आदरपूर्वक पूछता हूं कि जब मैं पैसे देने की पेशकश पहले ही कर चुका हूं, फिर प्रधानमंत्री अपने बैंकों को मुझसे पैसे लेने का निर्देश क्यों नहीं दे रहे हैं, ताकि वह किंगफिशर एयरलाइंस को दिए गए कर्ज की पूरी वसूली का कम से कम दावा तो कर सकें।’
Following on from my earlier tweet, I respectfully ask why the Prime Minister is not instructing his Banks to take the money I have put on the table so he can at least claim credit for full recovery of public funds lent to Kingfisher.
— Vijay Mallya (@TheVijayMallya) February 14, 2019
उन्होंने कहा, ‘बकाये के भुगतान की पेशकश मैं कर्नाटक उच्च न्यायालय में कर चुका हूं। इसे हलके में लेकर खारिज नहीं किया जा सकता। यह पूरी तरह वास्तविक, गंभीर, ईमानदार और तत्काल हासिल करने वाली पेशकश है। पता नहीं बैंक क्यों किंगफिशर एयरलाइंस को दिए गए पैसे नहीं ले रहे हैं।’
I have made the offer to settle before the Hon’Ble High Court Court of Karnataka. This cannot be dismissed as frivolous. It is a perfectly tangible, sincere, honest and readily achievable offer. The shoe is on the other foot now. Why don’t the Banks take the money lent to KFA ?
— Vijay Mallya (@TheVijayMallya) February 14, 2019
विजय माल्या जैसे लोगों को शिकंजे में कसने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार की मेहनत रंग लाती दिख रही है। सरकार की कोशिशें एक नजर में –
विजय माल्या के प्रत्यर्पण को मंजूरी
मोदी सरकार के प्रयासों का ही नतीजा है कि ब्रिटेन ने हाल ही में भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण को मंजूरी दी है। मोदी सरकार की पैरवी के बाद ब्रिटेन के की सरकार ने विजय माल्या को भारत प्रत्यर्पित करने के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए। गौरतलब है कि लंदन की विशेष अदालत ने पिछले वर्ष 10 दिसंबर को माल्या के प्रत्यर्पण की मंजूरी दे दी थी और अदालत ने मामला ब्रिटिश सरकार को भेज दिया था। विजय माल्या पर पंजाब नेशनल बैंक समेत कई बड़ी बैंकों का 9 हजार करोड़ रुपये लेकर भारत से फरार होने का आरोप है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुआई में केंद्र सरकार माल्या के फरार होने के बाद से ही उसे भारत लाने की कोशिश में लगी थी। मोदी सरकार ने माल्या को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत माल्या पर कार्रवाई थी और कोर्ट ने पिछले महीने माल्या को भगोड़ा घोषित किया था। भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून-2018 के तहत माल्या पहला अपराधी है जिसे भगोड़ा घोषित किया गया है।
2014 में सीबीआई ने बैंक लोन में गड़बड़ी की जांच शुरू की और चार्जशीट दाखिल की। जांच की कार्रवाई आगे बढ़ी तो विजय माल्या देश से फरार हो गए और ब्रिटेन के लंदन में जा छिपे। इसके बाद पीएम मोदी की पहल पर माल्या का पासपोर्ट रद्द कर दिया गया। सरकार की ओर से ब्रिटेन को प्रत्यर्पण के लिए अनुरोध पत्र सौंपा गया। अक्टूबर, 2017 में पहली बार माल्या को लंदन में गिरफ्तार हुए। तभी साफ हो गया था कि मोदी सरकार इस भगोड़े को छोड़ने वाली नहीं है। माल्या के खिलाफ आर्थिक गबन के कई मामले चल रहे हैं। कुछ मामलों में अदालत के निर्देश पर माल्या की कंपनियों के स्वामित्व वाली परिसंपत्तियां जब्त की गई हैं।
विजय माल्या की संपत्ति को अटैच करने का आदेश
08 मई, 2018 को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने फ़ॉरेन एक्सचेंज रेग्युलेशन ऐक्ट (FERA) उल्लंघन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में विजय माल्या की संपत्तियों को अटैच करने का आदेश दिया है। गौरतलब है कि 9,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में भारत के ‘भगोड़े’ हैं और मार्च 2016 से लंदन में रह रहे हैं। पिछले साल अप्रैल में स्कॉटलैंड यार्ड के प्रत्यर्पण वॉरंट पर गिरफ्तारी के बाद से वह जमानत पर हैं।
सरकार की पहल पर माल्या को लंदन की कोर्ट से मिला झटका
ब्रिटेन और भारत में विजय माल्या पर करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है। इनमें से एक मामले में विजय माल्या की याचिका को लंदन की एक कोर्ट ने खारिज कर दिया। गौरतलब है कि भारत के 13 बैंकों के समूह ने माल्या से 1.55 अरब डॉलर से अधिक की वसूली के लिए यहां एक मामला दर्ज कराया था। अदालत के इस आदेश से 10, 000 करोड़ रुपये से अधिक राशि वसूले जाने का रास्ता साफ हो गया है।
गौरतलब है कि विजय माल्या की पीठ पर कांग्रेस के शीर्ष नेताओं हाथ था, इसलिए वे एक के बाद एक घोटाला करने में सफल होते चले गए। 2008 से जारी घोटाले पर जब मोदी सरकार ने शिकंजा कस दिया तो माल्या लंदन भाग गए, लेकिन केंद्र की मोदी सरकार की सख्ती के चलते वे वहां भी चैन से नहीं रह पा रहे हैं।
भ्रष्टाचार पर सख्ती के लिए बनाए गए कई कानून
मोदी सरकार ने हर बार यह साबित किया है कि भ्रष्टाचार के मामले में कोई कितना भी बड़ा क्यों ना हो बख्शा नहीं जाएगा। सरकार हर स्तर पर देश के आर्थिक अपराधियों को कानून के दायरे में लाने की कोशिश कर रही है और इसके लिए कई सख्त कानून भी बनाए हैं, आइये डालते हैं एक नजर-
*फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर्स ऑर्डिनेंस
*राष्ट्रीय वित्तीय सूचना प्राधिकरण को मंजूरी
*संपत्ति गुणवत्ता की समीक्षा
*इंसोल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड
*अनरेग्युलेटेड डिपॉजिट स्कीम पर रोक विधेयक
*पीएसबी पुनर्पूंजीकरण
*एफआरडीआई विधेयक
*बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम
मोदी सरकार एक-एक भगोड़े अपराधी को भारत लाने में लगी है। अभी हाल ही में वीवीआईपी हेलिकॉप्टर अगस्ता वेस्टलैंड डील के बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल को यूएई से भारत लाया गया था और विजय माल्या के प्रत्यर्पण को ब्रिटेन की कोर्ट ने मंजूरी दी है। डालते हैं एक नजर
भगोड़ा कारोबारी विजय माल्या लाया जाएगा भारत
आजाद भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि हजारों करोड़ रुपये का घोटाला करने वाला कोई भगोड़ा अपराधी ब्रिटेन से भारत प्रत्यपर्ति हो रहा है। ब्रिटेन की कोर्ट ने भारत की बैंकों का 9 हजार करोड़ से अधिक लूट कर फरार होने वाले भगोड़े कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यपर्ण को मंजूरी दे दी है।
लंदन की कोर्ट में माल्या ने कई दलीले दीं लेकिन मोदी सरकार की तरफ से पेश किए तर्कों के सामने उसकी एक नहीं चली और अखिर कोर्ट ने माल्या को भारत प्रत्यर्पित करने का आदेश सुना दिया। जाहिर है कि उद्योगपति विजय माल्या कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार का करीबी थी और यूपीए शासन के दौरान ही उसे नियमों को एक किनारे रख कर फायदा पहुंचाया गया था।
बिचौलिया क्रिश्चियन मिशेल यूएई से प्रत्यर्पण कर भारत लाया गया
इसके पहले इसी महीने अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर सौदे के बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल जेम्स को प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया है। प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीति की वजह से ही संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) क्रिश्चियन मिशेल के प्रत्यर्पण पर राजी हुआ है। जाहिर है कि 3700 करोड़ रुपये के अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में मुख्य आरोपी है। अगस्ता वेस्टलैंड ने भारतीय वायु सेना के अधिकारियों और सोनिया गांधी समेत तत्कालीन यूपीए सरकार के लोगों को प्रभावित कर कंपनी की डील दिलाने में मदद के लिए मिशेल की नियुक्ति की थी। भारत लाने के बाद सीबीआई क्रिश्चिएन मिशेल से पूछताछ में लगी है। क्रिश्चियन मिशेल के भारत लाए जाने के बाद आने वाले दिनों में कांग्रेस पार्टी और सोनिया गांधी की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। क्रिश्चियन पर 3,700 करोड़ रुपये की अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर डील में मनी लॉन्ड्रिंग करने, घूस लेने और धोखाधड़ी करने का आरोप है। क्रिश्चियन पर आरोप है कि उसने घूस की रकम ट्रांसफर करने के लिए दो कंपनियों ग्लोबल सर्विसेज एफजेडई, दुबई और ग्लोबल ट्रेड एंड कॉमर्स सर्विसेज, लंदन का इस्तेमाल किया था।
इंडोनेशिया से पकड़ा गया भगोड़ा कारोबारी विनय मित्तल
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब से देश की सत्ता संभाली है उनकी प्राथमिकता हर स्तर पर भ्रष्टाचार और लूट-खसोट को खत्म करना रहा है। इसके लिए मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार रोकने वाले कई नए कानून बनाए हैं और कई पुराने कानूनों को मजबूत भी किया है। बैंकों का पैसा लूट कर विदेश भागने वालों को पकड़ने के लिए मोदी सरकार ने इसी साल अगस्त में भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून बनाया था। इस कानून के बनने के बाद विदेशों में बैठे घोटालेबाजों की शामत आ गई है। सीबीआई ने इसकी कानून के तहत 7 बैंकों से 40 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी कर फरार उद्योगपति विनय मित्तल को पकड़ने में कामयाबी हासिल की है। सीबीआई इस भगोड़े कारोबारी को इंडोनिशेया से प्रत्यर्पित कर भारत ले आई है। विनय मित्तल का नाम विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी जैसे भगोड़े आर्थिक अपराधियों की सूची में शामिल था। जिस प्रकास मोगी सरकार भगोड़े उद्योगपतियों पर कार्रवाई कर रही है, उससे लगता है कि वो दिन दूर नहीं है जब विजय माल्या और नीरव मोदी भी शिकंजे में होंगे।
गौरतलब है कि सीबीआई ने भगोड़े कारोबारी विनय मित्तल के खिलाफ 2014 और 2016 में कॉरपोरेशन बैंक और पीएनबी की शिकायत पर केस दर्ज किए थे। सीबीआई ने उसके फरार होने के बाद दिल्ली और गाजियाबाद की अदालत में सात चार्जशीट दाखिल की थीं। कोर्ट ने उसे भगोड़ा घोषित करते हुए रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था। सीबीआई ने कड़ी मशक्कत के बाद विनय मित्तल और उसके परिवार को इंडोनेशिया के बाली में खोज निकाला था और अब उसे प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया है।
मोदी सरकार की सख्ती का असर, बहरीन से पकड़ा गया भगोड़ा आर्थिक घोटालेबाज
सीबीआई ने 9 वर्ष पहले बैंकों को लाखों का चूना लगाने वाले एक आर्थिक घोटालेबाज को बहरीन में धर दबोचा है। सीबीआई ने मोहम्मद याहया नाम के इस शख्स के खिलाफ भगोड़ा आर्थिक अपराध कानून के तहत कार्रवाई की है। आपको बता दें कि मोदी सरकार ने बैंकों का धन लूट कर विदेश भागने वाले कारोबारियों पर सख्त कार्रवाई के लिए इसी वर्ष अगस्त में भगोड़ा आर्थिक अपराध कानून बनाया है। इस कानून के तहत देश ही नहीं विदेश में भी ऐसा घोटालेबाजों की संपत्ति जब्त करने का प्रावधान है।
मोदी सरकार के भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून के तहत सीबीआई को यह पहली कामयाबी थी। सीबीआई घोटालेबाज मोहम्मद याहया को पकड़कर भारत ले आई है। बता दें कि 47 वर्षीय मोहम्मद याहया 2003 में बैंगलुरू के कुछ बैंकों के साथ करीब 46 लाख रुपए का घोटाला करने बाद खाड़ी देश भाग गया था। याहया को बहरीन से पकड़ा गया। पिछले काफी समय से उस पर भारतीय एजेंसियों की नजर थी। बहरीन में उसकी गिरफ्तारी के बाद सभी आवश्यक कार्रवाई को पूरा कर भारत लाया गया। याहया के खिलाफ सीबीआई ने 2009 में जांच शुरू की थी, तबतक वह देश छोड़कर भाग चुका था। उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी हुआ था। मोहम्मद याहया पर आपराधिक षड्यंत्र रचने, धोखाधड़ी जैसे कई आरोप लगाए गए हैं।
जाहिर है कि घोटालेबाजों पर कड़ी कार्रवाई करने के लिए अगस्त में बने सख्त कानून के बाद यह पहला मामला है, जब सरकार किसी भगोड़े, घोटालेबाज को वतन वापस लाने में कामयाब रही हो। यह भगोड़े आर्थिक अपराधी नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, विजय माल्या जैसे घाटालेबाजों पर भी मोदी सरकार इसी कानून के तहत कार्रवाई कर रही है।