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चीन के साथ सीमा विवाद पर अमेरिकी सीनेटर ने की प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ

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चीन के साथ सीमा विवाद पर भारत के रुख को लेकर एक शीर्ष अमेरिकी सीनेटर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ की है। रिपब्लिकन सीनेटर जॉन कैनेडी ने ‘फॉक्स न्यूज’ को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि मुझे इस बात पर बहुत गर्व है कि भारत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चीन के सामने डटकर खड़े हैं। हर देश उससे भाग और छिप नहीं रहा। उन्होंने कहा कि अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को यह बताना होगा कि हम उससे नियमों के मुताबिक चलने की उम्मीद करते हैं। अब, अमेरिका के अलावा, आपको पता है कि कितने देश चीन पर विश्वास करते हैं? एक भी नहीं। उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया उसके सामने खड़ा है। भारत उसके सामने खड़ा है। कनाडा उसके सामने खड़ा है। हमें यूरोप के बाहर के हमारे सहयोगियों का भी साथ देना होगा, चीन को बताना होगा कि उसे नियमों से चलना होगा नहीं तो हम उसके साथ व्यापार नहीं करने वाले। उसे ऐसे ही समझ आएगा।

गलवान मामले पर भारत को मिली बड़ी कूटनीतिक जीत
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत के कड़े तेवर के कारण गलवान मामले पर भारत को एक बड़ी कूटनीतिक जीत हासिल हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने निर्णयक सैन्य, आर्थिक और रणनीतिक कदम उठाकर चीन को पीछे होने पर मजबूर कर दिया। कूटनीतिक दबाव बनाने के लिए भारत ने दुनिया के तमाम बड़े देशों से बात की और उन्हें अपने पक्ष में किया। लद्दाख और सीमावर्ती इलाकों में सेना की मजबूत तैनाती कर खुद लेह जाकर प्रधानमंत्री मोदी ने जवानों का मनोबल बढ़ाया। आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूती देने के साथ 59 चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगा भारत ने चीन की आर्थिक कमर तोड़ दी। भारत के सख्त रवैये के बाद मजबूर होकर चीनी सेना झड़प वाली जगह के पेट्रोल प्वाइंट 14 से करीब 2 किलोमीटर पीछे चली गई है और दोनों पक्षों के सैनिकों के बीच एक बफर जोन बना दिया गया है। बफर जोन दो देशों की सीमा के बीच का खाली इलाका होता है।

मोदी के सिंहनाद से सहम गया चीन
भारत-चीन सीमा विवाद के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 3 जुलाई को अचानक लेह पहुंचने के तीन दिन बाद चीनी सेना के पीछे हटने की खबर आई। प्रधानमंत्री मोदी ने यहां जवानों के साथ संवाद के दौरान चीन पर निशाना साधते हुए कहा था कि अब विस्तारवाद का युग समाप्त हो चुका है। ये युग विकासवाद का है। विस्तारवाद ने ही मानवता का सबसे ज्यादा अहित किया, मानवता का विनाश करने का प्रयास किया। विस्तारवाद ने हमेशा विश्व शांति के सामने खतरा पैदा किया है। इतिहास गवाह है कि ऐसी ताकतें मिट गई हैं या सिकुड़ने के लिए मजबूर हो गई हैं।

तमाम बड़े देश भारत के साथ
भारत ने जिस तरह से सख्ती दिखाई उससे चीन को पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा। भारत ने चीन को सैनिक, आर्थिक और कूटनीतिक तीनों मोर्चों पर चीन को करारी शिकस्त दी। पहले भारत ने लेह-लद्दाख में जबरदस्त सैन्य शक्ति के जरिए चीन को सोचने पर मजबूर किया फिर 59 चीनी एप पर प्रतिबंध लगा और चीनी सामान के बॉयकॉट के साथ आर्थिक कमर तोड़ दी। इसके बाद भारत ने कूटनीतिक चाल चलते हुए विश्व बिरादरी में पाकिस्तान की तरह चीन को भी अलग-थलग कर दिया। रूस, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और फ्रांस के साथ सभी बड़े देश भारत के पक्ष में एकजुट हो गए।

गौरतलब है कि पिछले महीने 15 जून को गलवान घाटी में चीन सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे। झड़प में 43 चीनी सैनिकों भी मारे गए थे, लेकिन उसने इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की। झड़प के बाद भारत की सख्ती के आगे चीन एकदम लाचार- बेबस पड़ गया और आखिर में पीछे हटना पड़ा।

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