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बहराइच की उमा ने डायरिया से लड़ने के लिए जल जीवन मिशन को बनाया हथियार, 50 गांवों के बच्चों को दी नई जिंदगी, स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी करेंगे सम्मानित

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार ने ऐसी कई योजनाएं शुरू की हैं, जो गरीबों, वंचितों और बेसहारा लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है। इनमें से एक जल जीवन मिशन है, जो पिछड़े इलाकों में बच्चों के लिए संजीवनी बन गया है। आज बच्चों को नई जिंदगी दे रहा है। यूपी की बहराइच की रहने वाली उमा देवी ने जल जीवन मिशन को डायरिया जैसी बीमारी से बचाव का एक हथियार बना दिया है। उन्होंने इस मिशन के बारे में लोगों को जागरूक करने और इसका लाभ लोगों तक पहुंचाने में ऐसा काम किया है, जो दूसरे लोगों के लिए मिशाल बन गया है। उमा देवी के काम से प्रभावित होकर प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें स्वतंत्रता दिवस समारोह का विशेष अतिथि बनाने का निमंत्रण भेजा है। उमा देवी के विशेष प्रयास और उपलब्धि को देखते हुए उन्हें सम्मानित किया जाएगा। 

उमा देवी ने जल जीवन मिशन के बारे में फैलाई जागरूकता 

दरअसल दो वर्ष पूर्व उमा देवी का बेटा डायरिया की वजह से बीमार हो गया। इसके बाद वह बार बार बीमार होने लगा। उमा अपने बेटे की बीमारी से तंग आ चुकी थी। उन्होंने इलाज के लिए बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराया। इलाज कर रहे डॉक्टर ने बताया कि दूषित पानी की वजह से उनका बच्चा बार-बार बीमार हो रहा है। इसके बाद उमा देवी ने इस बीमारी से लड़ने के लिए जल जीवन मिशन को अपना हथियार बनाया और इलाके के सभी बच्चों को डायरिया जैसी बीमारी से बचाने के लिए वीणा उठाया। उन्होंने महिला मंगल दल का गठन किया। गांव की महिलाओं को जागरूक करने के बाद महिला दल ने इलाके के 50 अन्य गांवों के लोगों को बीमारी से बचाव और स्वच्छ जल से होने वाले लाभ के बारे में बताया। उमा देवी का प्रयास रंग लाया और लोग जल जीवन मिशन के तहत घरों में नल से जल का कनेक्शन लगाने लगे। 

उमा देवी से प्रयास से गांवों में डायरिया बीमारी से मिली मुक्ति

गांवों में स्वच्छ पेयजल के इस्तेमाल से डायरिया जैसी बीमारियां दूर होने लगी हैं। इससे उमा देवी के काम की तारीफ चारो-तरफ होने लगी है। उमा देवी ना सिर्फ 50 गावों बल्कि पूरे जिले में चर्चित हो गई है और दूसरों के लिए मिसाल बन गई है। जब इसकी खबर जल निगम और जिला प्रशासन को लगी, तो उन्होंने उमा देवी के काम और उसके प्रभाव का आकलन किया तो हैरान रह गए। उमा देवी के काम से प्रभावित होकर जिले के अधिकारियों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को एक प्रस्ताव भेजा। इसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन नमामि गंगे के निदेशक को पत्र भेजा। इसमें उमा को 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के असवर पर दिल्ली में होने वाले कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि शामिल करने के निर्देश दिए गए। उमा देवी के असाधारण काम को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी उन्हें सम्मानित करेंगे।

जल जीवन मिशन का मुरीद हुआ विश्व स्वास्थ्य संगठन

गौरतलब है कि जल जीवन मिशन देश के पिछड़े और दूर-दराज के इलाकों के घरों में पाइप से स्वच्छ पेयजल पहुंचाकर समय और धन की बचत के साथ जल जनित रोगों से मुक्ति दिलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसलिए इस मिशन का मुरीद विश्व स्वास्थ्य संगठन भी हो गया है। इस संगठन के एक अध्ययन रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अगर इस मिशन को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया तो डायरिया के कारण हर साल होने वाली लगभग चार लाख लोगों की मौत को टाला जा सकता है।

WHO की अध्ययन रिपोर्ट : हर दिन 6.66 करोड़ घंटों की बचत

दरअसल 09 जून, 2023 को दिल्ली में एक कार्यक्रम में विश्व स्वास्थ संगठन के प्रतिनिधि डॉ. रोडेरिको एच. आफ्रिन ने अध्ययन रिपोर्ट को पेश किया। यह अध्ययन पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय के कहने पर डब्ल्यूएचओ ने किया ताकि स्वास्थ्य और समाज के क्षेत्र में जलजीवन मिशन के असर को समझा जा सके। डब्ल्यूएचओ के अध्ययन में जो तथ्य सामने आए वो इस मिशन की उपयोगिकता को साबित कर रहे हैं। अध्ययन के मुताबिक अगर इस मिशन के माध्यम से सभी लोगों तक स्वच्छ जल पहुंचता है तो खासकर महिलाओं के समय की बचत होगी। जो महिलाएं कई किलोमीटर दूर से सर पर मटके में पानी लेकर आती है, उन्हें इस कष्ट से मुक्ति मिलेगी और हर दिन 6.66 करोड़ घंटों की बचत होगी।

हर साल लगभग 4 लाख डायरिया रोग से होने वाली मौतें रुकेंगी

देश में डायरिया जैसी जल जनित बीमारियों की वजह से लाखों लोगों की मौत हो जाती है। इस मिशन के तहत हर घर में शुद्ध और सुरक्षित पेयजल आपूर्ति होने से डायरिया जैसी जल जनित बीमारियों से बच्चों और गरीब लोगों को बचाया जा सकता है। इससे हर साल लगभग 4 लाख डायरिया रोग से होने वाली मौतें रुकेंगी। भारत में 5 साल तक के बच्चों की मौतों का तीसरा बड़ा कारण डायरिया है और यह 13 प्रतिशत मौतों की वजह भी बनता है। इसलिए यह मिशन पिछड़े इलाकों में काफी कारगर साबित हो सकता है। इसके लिए जरूरी है कि इस मिशन को दीर्घकालीन प्रयास के साथ सफलता पूर्वक लागू किया जाए। 

डायरिया से लगभग 1.4 करोड़ डीएएलवाई की होगी बचत 

अध्ययन के अनुसार जल जीवन मिशन से डायरिया से लगभग 1.4 करोड़ दिव्यांगता समायोजित जीवन वर्षों (डीएएलवाई) को बचाया जा सकता है। डीएएलवाई की गणना मृत्यु के समय की आयु को अधिकतम संभावित आयु से घटाकर की जाती है। एक डीएएलवाई पूर्ण स्वास्थ्य के एक वर्ष के बराबर के नुकसान को कहते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में असुरक्षित पेयजल, जरूरी साफ-सफाई की कमी वैश्विक स्तर पर 14 लाख मौतों और 7.4 करोड़ डीएएलवाई के लिए जिम्मेदार रहे।

डायरिया के इलाज पर होने वाले खर्च में 101 अरब डॉलर की होगी बचत 

डब्ल्यूएचओ के अध्ययन के मुताबिक अगर इस मिशन के तहत हर घर में जल की आपूर्ति सुनिश्चित होती है तो जल जनित डायरिया जैसी बीमारियों की रोकथाम में मदद मिलेगी। डायरिया होने पर गरीब परिवारों को इलाज पर खर्च करना पड़ता है, जो उनकी शारीरिक और आर्थिक सेहत के लिए नुकसानदेह होता है। कई गरीब परिवार महंगे इलाज की वजह से कर्ज के दलदल में धंसते चले जाते हैं। आर्थिक तंगी की वजह से गरीब परिवार के लोगों का ठीक से इलाज भी नहीं हो पाता है। ऐसी स्थिति में इस मिशन के तहत हर घर में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति होने से डायरिया जैसी बीमारियों के इलाज पर कम खर्च करना पड़ेगा। इससे लगभग 101 अरब डालर की बचत हो सकती है। 

फाइल फोटो

अब तक 62 प्रतिशत ग्रामीण घरों में नल से जल की आपूर्ति

सरकारी आंकड़ों के अनुसार अब तक 62 प्रतिशत ग्रामीण घरों में नल से जल की आपूर्ति की व्यवस्था की जा चुकी है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में भारत की कुल आबादी के 36 प्रतिशत हिस्से के पास अपने घरों में बेहतर पेयजल स्रोतों तक पहुंच नहीं थी। इसमें 44 प्रतिशत ग्रामीण आबादी शामिल है। भारत के ग्रामीण इलाकों में जल स्रोतों तक पहुंच काफी मुश्किल है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन के सर्वे के मुताबिक झारखंड में महिलाओं को पानी के लिए जल स्रोतों तक केवल एक तरफ जाने में 40 मिनट लगते हैं। वहीं बिहार में  33 मिनट और ग्रामीण महाराष्ट्र ये औसतन 24 मिनट लगते हैं। 

2024 तक हर घर में पाइप से शुद्ध पेयजल पहुंचाने का लक्ष्य

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त, 2019 को लाल किले के प्राचीर से जल जीवन मिशन (जेजेएम) की घोषणा की थी। इस मिशन के तहत 2024 तक हर घर में पाइप के द्वारा पानी पहुंचाने का लक्ष्य है। इस जल जीवन मिशन के तहत 12 करोड़ से अधिक ग्रामीण घरों में नल से जल पहुंचा कर नया कीर्तिमान स्थापित किया गया है। इस मिशन की घोषणा होने के वक्त देश भर में 19.27 करोड़ घरों में से केवल 3.23 करोड़ यानी सिर्फ 17 प्रतिशत घरों में ही पानी का कनेक्शन था। मोदी सरकार ने कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बाद भी जल जीवन मिशन के तहत ज्यादातर ग्रामीण घरों तक नल से जल उपलब्ध करा दिया है। इससे आज देश के 12 करोड़ से अधिक घरों को नल से साफ पानी की आपूर्ति का लाभ मिल रहा है।

देश के 5 राज्यों- गोवा, तेलंगाना, हरियाणा, गुजरात और पंजाब के साथ 3 केंद्र शासित प्रदेशों पुडुचेरी, दमन और दीव तथा दादरा और नगर हवेली और अंडमान एंड निकोबार द्वीप समूह में हर घर नल से जल के दायरे में आ चुके हैं। इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के हर गांव के हर घर और सार्वजनिक संस्थान को पर्याप्त, सुरक्षित और नियमित नल से जल की आपूर्ति हो रही है। हिमाचल प्रदेश के 98.35 प्रतिशत, बिहार के 96.05 प्रतिशत के साथ जल्द ही संपूर्ण कवर के लिए तैयार हैं।

केंद्र और राज्य सरकारों के प्रयासों के कारण देश में 9.06 लाख स्कूलों और 9.39 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों में नल से जल आपूर्ति हो रही है। देश के 112 आकांक्षी जिलों में मिशन के लॉन्च के समय केवल 21.64 लाख घरों में नल का पानी उपलब्ध था, जो अब बढ़कर 1.67 करोड़ घरों में हो गया है। तेलंगाना से तीन आकांक्षी जिले- कोमाराम भीम आसिफाबाद, जयशंकर भूपलपल्ली और भद्रब्री कोठागुडेम, गुजरात के दो जिले- दाहोद और नर्मदा, पंजाब के मोगा और फिरोजपुर, हरियाणा के मेवात और हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में शत प्रतिशत घरों में नल से जल की आपूर्ति हो रही है।

जल जीवन मिशन ‘सोपान’ (बॉटम-अप) दृष्टिकोण का पालन करता है, जहां समुदाय योजना बनाने से लेकर उसे कार्यान्वित करने, प्रबंधन, संचालन और रख-रखाव के काम में अहम भूमिका निभाते हैं। इसे प्राप्त करने के लिए ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति (वीडब्लूएससी) /पानी समिति का गठन किया गया है तथा उन्हें मजबूत बनाया जा रहा है। समुदाय की सहभागिता से ग्रामीण कार्य-योजना विकसित की गई है, कार्यान्वयन समर्थन एजेंसियों को साथ लाया गया, ताकि कार्यक्रम के क्रार्यान्वयन में ग्रामीण समुदायों का समर्थन किया जा सके तथा लोगों में जागरूकता पैदा की जा रही है। अब तक देशभर में 5.24 लाख पानी समितियों का गठन किया गया है और 5.12 लाख ग्राम कार्य-योजनायें विकसित की गई हैं, जिससे कि समुदाय जल सुविधा का कारगर प्रबंध हो सकें।

हर घर में नल से जल पहुंचने के कारण ग्रामीण महिलाओं को सिर पर पानी ढोने से भी मुक्ति मिली है। जनता और खासतौर से महिलाओं तथा ग्रामीण समुदायों की सक्रिय भागीदारी की बदौलत, जल जीवन मिशन एक जन आंदोलन बन गया है। दीर्घकालीन पेयजल सुरक्षा, स्थानीय समुदाय और ग्राम पंचायतें एक साथ मिलकर यह काम कर रही हैं तथा वे सब मिलकर गांवों में जलापूर्ति प्रणालियों, अपने जल स्रोतों और इस्तेमालशुदा पानी के प्रबंधन की जिम्मेदारी निभा रही हैं। वर्ष 2024 तक हर ग्रामीण घर तक नल से जल पहुंचाने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता पूरी करने की दिशा में जल जीवन मिशन तेजी से काम कर रहा है।

हर घर में पीने लायक स्वच्छ जल पहुंचाने का काम जो पिछले 70 साल में नहीं हुआ, वो मोदी सरकार में पिछले चार साल से भी कम समय में हुआ है। जल जीवन मिशन के तहत मोदी सरकार हर घर नल से शुद्ध जल सुनिश्चित कर रही है। प्रधानमंत्री मोदी की ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ की परिकल्पना पर छोटी सी अवधि में ही 12 करोड़ से अधिक घरों में नल से जल की सुविधा है। केंद्र सरकार ने राज्यों से आग्रह किया है कि वे बाकी बचे स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों में जल्द से जल्द साफ पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करें, ताकि बच्चों के लिये बेहतर स्वास्थ्य, स्वच्छता और साफ-सफाई की व्यवस्था बन सके।

जनता और खासतौर से महिलाओं तथा ग्रामीण समुदायों की सक्रिय भागीदारी की बदौलत, जल जीवन मिशन एक जन आंदोलन बन गया है। दीर्घकालीन पेयजल सुरक्षा, स्थानीय समुदाय और ग्राम पंचायतें एक साथ मिलकर यह काम कर रही हैं तथा वे सब मिलकर गांवों में जलापूर्ति प्रणालियों, अपने जल स्रोतों और इस्तेमालशुदा पानी के प्रबंधन की जिम्मेदारी निभा रही हैं। वर्ष 2024 तक हर ग्रामीण घर तक नल से जल पहुंचाने की सरकार की प्रतिबद्धता पूरी करने की दिशा में जल जीवन मिशन अग्रसर है।

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