Home चार साल बेमिसाल प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में परिवहन क्रांति की ओर बढ़ता भारत

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में परिवहन क्रांति की ओर बढ़ता भारत

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश परिवहन क्रांति की ओर बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार देश में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में विशेष ध्यान दे रही है। चाहे सड़क हो, रेल हो, हवाई मार्ग हो, समुद्री मार्ग हो सभी के विकास के लिए मोदी सरकार लाखों करोड़ रुपये की परियोजनाओं पर काम कर रही है। इसी क्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को लेह में श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर जोजिला सुरंग की आधारशिला रखी। इस सुरंग के पूरा हो जाने से श्रीनगर-करगिल और लेह से हर मौसम में खुला रहने वाला सड़क सम्पर्क उपलब्ध हो जाएगा। जोजिला सुरंग एशिया की सबसे लम्बी दोहरी सुरंग है और सर्दियों में भारी हिमपात से यह राजमार्ग बंद हो जाता है। पीएम मोदी ने श्रीनगर में रिंग रोड परियोजना की भी आधारशिला रखी। इससे बांदीपोरा, उड़ी और गंदरबल के लिये यातायात सुगम हो जाएगा।

मोदी सरकार ने रेल, सड़क, हवाई और समुद्री यातायात इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण की दिशा में ऐतिहासिक काम किया है। डालते हैं एक नजर-

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर के तेजी से काम
केंद्र सराकर ने देश की राजधानी दिल्ली और आर्थिक राजधानी मुंबई के बीच नया एक्सप्रेसवे बनाने की योजना बनाई है। गुरुग्राम से मुंबई के बीच करीब 1250 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे अगले तीन वर्ष में बनकर तैयार हो जाएगा। अभी सड़क मार्ग से दिल्ली से मुंबई जाने में 24 घंटे लगते हैं, लेकिन इस एक्सप्रेसवे से यह दूरी मात्र 12 घंटे में ही पूरी हो जाएगी, यानी राजधानी एक्सप्रेस के 16 घंटे से भी 4 घंटे कम समम में दिल्ली से मुंबई पहुंचना संभव होगा।

सौजन्य

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि 60,000 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह एक्सप्रेसवे देश के सबसे पिछड़े दो जिलों हरियाणा के मेवात और गुजरात दाहोद से होकर गुजरेगा। अभी दिल्ली और मुंबई के बीच की दूरी 1,450 किलोमीटर हो इस एक्सप्रेसवे के बाद घटकर 1,250 किलोमीटर रह जाएगी। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक इस एक्सप्रेसवे को बनाने के लिए वडोदरा से सूरत के बीच काम के लिए टेंडर जारी किए जा चुके हैं, जबकि सूरत से मुंबई के लिए टेंडर जल्द जारी होने वाले हैं। यह एक्सप्रेसवे राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश के पिछड़े जिलों के विकास का जरिया बनेगा और कई पिछड़े इलाके गुरुग्राम की तरह चमक सकेंगे।

28 बड़े शहरों में रिंग रोड बनाने की योजना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास में लगी हुई है। इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने का अहम हिस्सा है सड़क निर्माण। सड़क निर्माण इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि सड़क अच्छी होंगी तो परिवहन गति पकड़ेगा और व्यापार बढ़ेगा। केंद्र सरकार इसी फार्मूले पर काम कर रही है, शहर हों या ग्रामीण इलाके या फिर पहाड़ी क्षेत्र सभी जगहों पर तेज गति से सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। अब सरकार ने देश के 28 बड़े शहरों में 36,290 करोड़ की लागत से रिंग रोड बनाने की योजना बनाई है। इसमें से 21,000 करोड़ की लागत वाली परियोजनाओं के लिए डीपीआर बनाने का काम चल रहा है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक यह परियोजनाएं मोदी सरकार की महात्वाकांक्षी भारतमाला कार्यक्रम का हिस्सा है। इसके तहत दिल्ली, लखनऊ, बेंगलुरु, रांची, पटना, श्रीनगर और उदयपुर समेत सभी बड़े शहरों में रिंग रोड की योजना बनाई गई है। इतना ही नहीं 28 रिंग रोड के अलावा 40 बाईपास की भी योजना बनायी गई है।

प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी सड़क योजनाएं
प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने 2022 तक 6.92 लाख करोड़ रुपये की लागत से 84,000 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण का लक्ष्य रखा है।स्वतंत्र भारत में किसी भी सरकार द्वारा बनाई गई यह सबसे बड़ी सड़क निर्माण योजना है। देश में पिछले सात दशकों में केवल 96,260 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण हुआ है, जबकि प्रधानमंत्री मोदी मात्र पांच सालों में लगभग इतनी ही लंबी सड़कें बनाने की योजना को लागू कर रहे हैं, जो किसी भी दृष्टि से एक रिकॉर्ड है। योजना पर लगभग सात लाख करोड़ रुपये का खर्च आएगा, जिसके लिए कई स्रोतों से धन की व्यवस्था की जा रही है। जापान भारत की कई सड़क परियोजनाओं में धन लगाने के लिए तैयार हो चुका है।भारतमाला परियोजना
इन महत्वाकांक्षी योजनाओं में सागरमाला और भारतमाला दो प्रमुख परियोजनाएं हैं। भारतमाला परियोजना के तहत देश के पश्चिम से लेकर पूर्व तक अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर सड़कों का जाल बिछाने की योजना है। 34,800 किलोमीटर लंबी इस योजना पर लगभग 5 लाख 35 हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इसमें सबसे महत्वपूर्ण 3,488 किलोमीटर लंबी चीन-भारत की सीमा पर सड़कों का निर्माण है, जो जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश तक फैला है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस संवेदशील क्षेत्र में 73 सड़कों के निर्माण का कार्य प्रारंभ कर दिया है, जिनमें से 46 सड़कों का निर्माण रक्षा मंत्रालय कर रहा है और शेष 27 सड़कों के निर्माण की जिम्मेदारी गृह मंत्रालय के हाथों में सौंपी है। इनमें से 24 सड़कें बनकर तैयार हो चुकी हैं और बाकी सड़कों का काम वर्ष 2020 तक पूरा कर लिया जाएगा।

नक्सल प्रभावित जिलों में सड़क निर्माण
प्रधानमंत्री मोदी देश की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने और नक्सल प्रभावित जिलों में आर्थिक विकास को गति देने के लिए 44 जिलों मे 11,724.53 करोड़ रुपये की संचार और सड़क परियोजनाओं को लागू कर रहे हैं। परियोजना के तहत 54,00 किलोमीटर सड़क का निर्माण हो रहा है। इसी के साथ 126 पुल, नालों का भी निर्माण भी किया जा रहा है। ग्रामीण विकास मंत्रालय इस परियोजना को लागू कर रहा है। वित्त मंत्रालय ने इसके लिए वर्ष 2016-2017 से लेकर वर्ष 2019-2020 के लिए 7,034.72 करोड़ रुपये का धन आवंटित कर दिया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने दी सड़कों के निर्माण को रफ्तार
देश में वर्ष 2012-2014 के बीच मात्र पांच हजार किलोमीटर लंबी सड़कों का ही निर्माण हो सका था, जबकि प्रधामंत्री मोदी के नेतृत्व में पिछले एक साल में 8200 किलोमीटर सड़कों का निर्माण हुआ। इस तरह प्रतिदिन 25 किलोमीटर सड़कों का निर्माण हो रहा है, जो अब तक देश में एक रिकॉर्ड है। सरकार का लक्ष्य प्रतिदिन 40 किलोमीटर से अधिक सड़कों का लक्ष्य है।

केंद्र की सड़क परियोजनाएं से देश की सीमाएं चाकचौबंद
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हर मौसम में आवागमन के लिए अनुकूल जिस सड़क परियोजना की आधारशिला कुछ महीनों पहले रखी थी, उसके एक महत्वपूर्ण चरण पर काम तेज गति से आरंभ हो चुका है। उत्तराखंड में पिथौरागढ़ और टनकपुर को जोड़ने वाली 12 मीटर चौड़ी सड़क पर काम तेजी से चल रहा है। पहाड़ी क्षेत्रों से गुजरने वाली 150 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण वर्ष 2019 तक पूरा कर लिया जाएगा। इस सड़क के बनने से नेपाल की सीमा तक सैन्य साजो-सामान को किसी भी मौसम में पहुंचाने में कोई बाधा नहीं होगी और पूर्वोत्तर सीमा पर चीन से मिलने वाली किसी भी चुनौती से निपटने में सेना और अधिक सक्षम और सशक्त होगी। प्रधानमंत्री मोदी ने देश में सड़कों का जाल बिछाने की कई महत्वाकांक्षी योजनाएं आरंभ की हैं, जिससे देश की आर्थिक प्रगति के साथ-साथ सामरिक सुरक्षा में भी जबर्दस्त बढ़ोतरी हो रही है।

पीएम मोदी की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’
प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्वोत्तर राज्यों के विकास के साथ-साथ देश की सामरिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ बनाई, जिसके तहत पूर्वोत्तर के सातों राज्यों को पूर्वी और दक्षिणी पूर्वी एशिया के देशों- म्यांमार, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लावोस, फिलीपींस, सिंगापुर, थाइलैंड और वियतनाम से व्यापार करने के लिए फ्रंटलाइन राज्य के रूप में लिया गया। इसी नीति के तहत बांग्लादेश के साथ संबंध सुधारने को प्रधानमंत्री मोदी ने प्राथमिकता दी और उसके साथ कई समझौते करके सबंधों को एक ठोस मजबूती दी। पूर्वोत्तर राज्यों के विकास को मजबूती देने के लिए ही प्रधानमंत्री मोदी ने ASEAN देशों की पिछले तीन सालों में कई यात्राएं कीं और सामरिक महत्त्व के कई समझौते किये। आज इन देशों से संबंध एक नई ऊंचाई पर पहुंच चुके हैं। देश में ऐसा पहली बार हुआ, जब इस वर्ष गणतंत्र दिवस समारोह में ASEAN देशों के सभी दस राष्ट्रों के शासनाध्यक्ष अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। एक तरफ इन राज्यों से सटे हुए देशों के साथ संबंधों को मजबूत किया जा रहा है तो दूसरी ओर सड़कों, रेल, बंदरगाहों का निर्माण करके इन राज्यों द्वारा इन देशों से व्यापार करने की सुविधा बढ़ाई जा रही है। इस नीति से पूर्वोत्तर राज्यों का आर्थिक विकास तो होगा ही, साथ ही साथ सामरिक स्तर पर भारत की सुरक्षा मजबूत होगी।

जापान की भागीदारी
पूर्वोत्तर के राज्यों के विकास में ASEAN देशों के साथ-साथ जापान की एक बड़ी भूमिका है। जापान, भारत का शुरू से सहयोगी रहा है और भारत के आधारभूत ढांचे के विकास के लिए निवेश करता रहा है। जापान में वर्ष 2012 में शिंजों अबे की सरकार बनने और वर्ष 2014 में नरेन्द्र मोदी के भारत में प्रधानमंत्री बनने से रिश्तों में एक नई ताजगी आई है। जापान वर्ष 2019 तक भारत में 33 बिलियन डॉलर का निवेश कर रहा है। इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री मोदी की सामारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कई परियोजनाओं में भी जापान निवेश करने की तैयारी कर रहा है।
• अरुणाचल प्रदेश में पनबिजली परियोजना
• नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार से जोड़ने के लिए सड़क और पुल परियोजना
• इंफाल (मणिपुर) को मोरेह (म्यांमार) की सड़क परियोजना
• म्यांमार के Dawei SEZ से पूर्वोत्तर राज्यों को जोड़ने की परियोजना
• म्यांमार Sittwe बंदरगाह से जोड़ने वाली Kaladan Multimodal Transit Transport Project
• पूर्वोत्तर राज्यों में स्मार्ट सिटी परियोजना
• बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार से लगे नेशनल हाईवे 51 व 54 को upgrade करने की परियोजना
• त्रिपुरा की फेनी नदी पर पुल परियोजना, जो अगरतल्ला को बांग्लादेश के चिटगांव से जोड़ेगी।
• आयजोल- तियुपांग(मिजोरम) सड़क परियोजना- यह परियोजना 32 देशों के सहयोग से बनने की तैयारी में Great Asian Highway का हिस्सा होगी। Great Asian Highway, 141,000 किमी. लंबी सड़कों का नेटवर्क होगी।

सागरमाला परियोजना
प्रधानमंत्री मोदी की एक अन्य महत्वपूर्ण सागरमाला परियोजना है। इस परियोजना पर लगभग 70 हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा, जो पूर्व और पश्चिम में स्थित बंदरगाहों को सड़क और रेल मार्ग से जोड़ने की योजना है। इस योजना से देश के शिपिंग क्षेत्र की तस्वीर पूरी तरह से बदल जाएगी। जलमार्ग से माल की ढुलाई से देश में औसतन हर साल 40 हजार करोड़ रुपये की बचत होगी और देश के अंदर जलमार्गों का विकास होगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने सड़क परियोजनाओं के जरिए देश में आर्थिक गति को तेज करने के साथ-साथ देश की सामरिक सुरक्षा को मजबूत करने का एक दूरदर्शी कदम उठाया है। सड़कों से देश के सकल घरेलू उत्पाद के साथ साथ प्रति व्यक्ति आय में भी बढ़ोतरी होगी, जो भारत को कुछ ही वर्षों में आर्थिक रूप से संपन्न कर देगी।

प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर रेलवे के विकास के लिए कई काम हुए हैं। डालते हैं इन कामों पर एक नजर – 

रेलवे ट्रैक के नवीनीकरण में हुआ रिकॉर्ड स्तर पर काम
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यातायात साधनों को मजबूत बनाने के लिए विशेष बल देते हैं। उसी का परिणाम है कि रेलवे विभाग अपने कार्यों में तेजी ला रहा है। रेलवे नेटवर्क में ट्रैक नवीनीकरण का काम काफी महत्वपूर्ण होता है। एक लंबे अंतराल के बाद रेलवे विभाग ने रिकॉर्ड स्तर पर रेलवे ट्रैक के नवीनीकरण के लक्ष्य को न केवल पूरा किया बल्कि लक्ष्य से अधिक ट्रैक का नवीनीकरण किया है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में रेलवे ट्रैक के नवीनीकरण का लक्ष्य 4,389 किमी था। प्रधानमंत्री की पहल पर रेलवे ने अपना लक्ष्य हासिल करते हुए एक साल में 4,405 किमी रेलवे ट्रैक का नवीनीकरण किया। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है क्योंकि इससे पहले वर्ष 2004-05 में सबसे अधिक किमी रेलवे ट्रैक का नवीनीकरण हुआ। तब भी 4,175 किमी रेलवे ट्रैक का नवीनीकरण हो पाया था। यह रिकॉर्ड भी भारतीय जनता पार्टी के नेता व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पहल पर हुआ था। तब पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी ने अलग से फंड की व्यवस्था की थी।

एक रिपोर्ट के अनुसार, रेलवे ट्रैक का देशभर में 1,14,907 किमी का नेटवर्क है। इतने बड़े रेल नेटवर्क को देखते हुए हर साल कम से कम 4,500 किमी रेलवे ट्रैक में बदलाव होना चाहिए था लेकिन 2004 से 2014 के बीच यूपीए-1 और यूपीए-2 के शासन काल में रेलवे को इस काम के लिए वित्तीय संकट के दौर से गुजरना पड़ा था। इसके कारण ट्रैक नवीनीकरण का काम पीछे होता चला गया और इस वजह से रेल दुर्घटनाओं में समय के साथ वृद्धि हुई थी।

नए रेल बजट में भी प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर एक लाख करोड़ रुपए का राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष बनाया है जिसे पांच साल में खर्च किया जाना है। सरकार की पहल पर रेल सुरक्षा के लिए किए गए उपायों का असर दिखने लगा है। पिछले वित्तीय वर्ष 2016-17 में रेल दुर्घटनाओं की संख्या 104 थी जो 2017-18 में घटकर 73 रह गई है। 35 सालों में पहली बार रेल दुर्घटनाओं की संख्या 100 से कम रही है। ये भी अपने आप में रिकॉर्ड है। 

भारतमाला की तर्ज पर हाई-स्पीड ट्रेन कॉरिडोर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर रेल इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए भारतमाला सड़क परियोजना की तरह ही देश के सभी प्रमुख शहरों को जोड़ने के लिए एक हाई-स्पीड ट्रेन कॉरिडोर बनाने जा रही है। 10 लाख करोड़ रुपये की लागत से भारतमाला हाइवेज डिवेलपमेंट प्रोग्राम की तर्ज पर बनाया जाने वाला यह कॉरिडोर लगभग 10,000 किलोमीटर लंबा होगा। इन रेल लाइनों पर ट्रेनें 200 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से चल सकेंगी।

11,661 करोड़ की 6 परियोजनाओं को मंजूरी
केद्र सरकार ने 11,661 करोड़ लागत वाली रेलवे की 6 परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान की है। इन परियोजनाओं में यूपी, बिहार, एमपी और ओडिशा के दूर-दराज के इलाकों में रेल नेटवर्क का विस्तार, 881 किलोमीटर रेल लाइन का विद्युतीकरण और दोहरीकरण शामिल हैं। इन परिजोनाओं के पूरा होने में 211 लाख मानव दिवस के बराबर रोजगार का सृजन होगा। 

बिहार में 2,729 करोड़ के दो प्रोजेक्ट
रेल नेटवर्क के विस्तार की इन परियोजना के तहत बिहार के मुजफ्फरपुर-सगौली व सगौली-वाल्मिकी नगर रेलवे लाइन का विद्युतीकरण व दोहरीकरण होगा। 100.6 किलोमीटर और 109.7 किलोमीटर की इन दोनों परियोजनाओं पर 2,729.1 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसके अलावा 116.95 किलोमीटर लम्बे भटनी-औंड़िहार रेलवे लाइन का दोहरीकरण और विद्युतीकरण होगा भी होगा। 1,300.9 करोड़ रुपये की लागत से यह काम 2021-22 तक पूरा होने की उम्मीद है। इससे मुगलसराय व इलाहाबाद के बीच रूट के कंजेशन को कम करने के साथ ही वाराणसी को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी। इस परियोजना के पूरा होने से बिहार, पश्चिम बंगाल व उत्तर-पूर्व जाने वाले यात्रियों को लाभ पहुंचेगा।

बुंदेलखंड में 5 हजार करोड़ के रेलवे प्रोजेक्ट मंजूर
उत्तर प्रदेश के पिछड़े इलाके बुंदेलखंड में 425 किलोमीटर लंबी झांसी-मानिकपुर और भीमसेन-खैरार लाइन के दोहरीकरण और विद्युतीकरण को भी मंजूरी दी गई है। 4,955.72 करोड़ से ये काम 2022-23 तक पूरा होने की संभावना है। इस परियोजना के पूरा होने से उत्तर प्रदेश के झांसी, महोबा, बादा, चित्रकूट और मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में विकास को गति मिलेगी। डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से कनेक्टिविटी देने के साथ ही, खजुराहो के पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा ओडिशा में 130 किलोमीटर लंबी जैपोर-मलकानगिरी नई लाइन परियोजना के 2,676.11 करोड़ की लागत से 2021-22 तक पूरा होने की संभावना है। यह परियोजना ओडिशा के कोरापुट और मलकानगिरि के जिलों को कवर करेगी। इस परियोजना से नक्सलवाद प्रभावित मलकानगिरि और कोरापुट जिलों में न सिर्फ बुनियादी ढांचे का विकास होगा, बल्कि नक्सलवाद पर लगाम लगाने में भी मदद मिलेगी।

देश में 600 रेलवे स्टेशन बनेंगे हाईटेक
रेलवे स्टेशनों पर यात्री सुविधाओं को बढ़ाने और इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए रेलवे मंत्रालय ने निजी कंपनियों को शामिल करने की योजना बनाई है। आम बजट 2018 में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने देश के 600 स्टेशनों के पुनर्विकास करने का ऐलान किया था। इन स्टेशनों को दोबारा बनाने में एक लाख रुपये की लागत आएगी। रेलवे ने अपनी इस महात्वाकांक्षी योजना में निजी कंपनियों को शामिल करने का फैसला किया है। इसके तहत रेलवे इन स्टेशनों का 25 से 50 प्रतिशत काम करने के बाद निजी कंपनियों को 99 साल की लीज पर सौंप देगी। कैबिनेट की मंजूरी मिलते ही इस पर काम शुरू कर दिया जाएगा। पहले फेज में इंडियन रेलवे स्‍टेशन डेवेलपमेंट कॉरपोरेशन (IRSDC) 130 स्‍टेशनों पर काम शुरू करेगा। 1 लाख करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट पर कार्य प्रारंभ करने के लिए केंद्र सरकार ने बजट में 3300 करोड़ की रकम दी है।

रेल बजट में भी दिखा था इंफ्रास्ट्रक्चर विकास का मंत्र
आम बजट 2018 में भी रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर खासा जोर दिखा था। दूसरी बार आम बजट के साथ पेश किए गए रेल बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने किसी भी नई ट्रेन का ऐलान नहीं किया। 1 लाख 48 करोड़ के रेल बजट में रेलवे के ढांचे मजबूत करने के लिए कई घोषणाएं की गईं। इसमें पूरे देश में रेलवे को ब्रॉड गेज करना और 18 हजार किलोमीटर रेल लाइन का दोहरीकरण जैसी अहम घोषणाएं शामिल थीं। रेल बजट में मोदी सरकार ने माल ढुलाई के लिए 12 वेगन बनाए जाने, मुंबई में 90 किलोमीटर तक पटरी का विस्तार करने, मुंबई में लोकल नेटवर्क का दायरा बढ़ाने, दो साल में 4,267 मानवरहित रेलवे क्रासिंग को खत्म करने, 700 नए रेल इंजन तैयार करने समेत कई दूसरी महत्वपूर्ण घोषणाएं शामिल थीं।

रेलवे अपना रही सुरक्षा के लिए आधुनिक तकनीक
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में रेल मंत्रालय ने सुरक्षा मानकों पर तेजी से काम किया है। जहां तकनीक की जरूरत है, रेल मंत्रालय तकनीक का इस्तेमाल करने में पीछे नहीं है। हाल ही में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों की भीड़ को मैनेज करने के लिए द्रोण कैमरे का इस्तेमाल किया जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार की पहल का ही असर है कि पिछले वर्ष की तुलना में चालू वित्त वर्ष में समान अवधि के दौरान एक अप्रैल 2017 से 30 नवंबर 2017 के बीच ट्रेन हादसों में काफी कमी आई है। ट्रेन हादसों की संख्या 85 से घटकर 49 रह गई है। रेल पटरी के नवीनीकरण के काम में भी तेजी आई। चालू वित्त वर्ष में नवंबर 2017 तक 2,148 किलोमीटर पुरानी रेल पटरियों को बदला जा चुका है। अब तक 2,367 मार्ग किलोमीटर के इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन की रिकॉर्डिंग की गई। रेल परिचालन की गति बढ़ाने के लिए अर्ध हाई स्पीड और हाई स्पीड ट्रैक को लेकर काम जारी है।

प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर पूर्वोत्तर राज्यों का तेज गति से विकास हो रहा है। यह मोदी सरकार के एक्ट इस्ट पॉलिसी के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। एक नजर डालते हैं पूर्वोत्तर क्षेत्र को समर्पित मोदी सरकार की योजनाओं पर-

पूर्वोत्तर के विकास के लिए समर्पित मोदी सरकार,कई परियोजनाओं को मंजूरी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार का फोकस पूर्वोत्तर राज्यों के समेकित विकास पर रहता है। मोदी सरकार ने जितना ध्यान पूर्वोत्तर के विकास पर दिया है, आजादी के बाद किसी भी सरकार ने नहीं दिया। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मार्च, 2020 तक जारी रखने के लिए पूर्वोत्‍तर क्षेत्र विकास (डोनर) मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं को मंजूरी दे दी है। पूर्वोत्‍तर क्षेत्र विकास की निम्‍नलिखित योजनाओं को मंजूरी दी गई है :

*एनईसी की योजनाओं के तहत- वर्तमान में जारी परियोजनाओं के लिए मौजूदा वित्‍त पोषण रुख (90:10 आधार) और नई परियोजनाओं के लिए 100 प्रतिशत केंद्रीय वित्‍त पोषण के साथ विशेष विकास परियोजनाएं।
*एनईसी द्वारा वित्‍त पोषित अन्‍य परियोजनाओं के लिए- राजस्‍व और पूंजीगत दोनों ही- 100 प्रतिशत केंद्रीय वित्‍त पोषण आधार पर, मौजूदा रुख के साथ जारी रहेंगी।
*100 प्रतिशत केंद्रीय वित्‍त पोषित पूर्वोत्‍तर सड़क क्षेत्र विकास योजना (एनईआरएसडीएस) का विस्‍तार।
*अव्यपगत केन्‍द्रीय संसाधन पूल (एनएलसीपीआर-सी) को क्रियान्‍वयन के लिए एनईसी को हस्‍तांतरित किया गया।
*विभिन्‍न मंत्रालयों / विभागों के प्रयासों में सामंजस्‍य के जरिए संसाधनों का अनुकूलन सुनिश्चित करने का प्रस्‍ताव।

एनईसी की मौजूदा योजनाओं के अधीनस्थ परियोजनाएं एनएलसीपीआर (केंद्रीय) और एनईआरएसडीएस पूर्वोत्‍तर क्षेत्र के लोगों के सामाजिक – आर्थिक लाभों में वृद्धि करेंगी, जिससे इन लोगों की क्षमताएं और आजीविका बेहतर होंगी।

वर्तमान समय में 72.12 प्रतिशत की मंजूर लागत वाली ज्‍यादातर परियोजनाओं (840 में से 599 परियोजनाएं) और समस्‍त जारी परियोजनाओं के लिए लंबित देनदारियों के 66 प्रतिशत (2299.72 करोड़ रुपये में से 1518.64 करोड़ रुपये) का वित्‍त पोषण ‘एनईसी की योजनाएं- विशेष विकास परियोजना के जरिए होता है, जिसके तहत चयनित परियोजनाओं के लिए धनराशि को 90:10 आधार पर केन्‍द्र और राज्‍य के बीच बांटा जाता है और इसका क्रियान्‍वयन संबंधित राज्‍य सरकारों द्वारा किया जाता है। इसके अलावा कुछ राशि-राजस्‍व एवं पूंजीगत दोनों ही-को 100 प्रतिशत केंद्रीय वित्‍त पोषण के आधार पर मुहैया कराया जाता है और क्रियान्‍वयन राज्‍य एवं केन्‍द्रीय एजेंसियों के जरिए होता है।

एनईसी की योजना- विशेष विकास परियोजना पहले के 90:10 आधार पर समूह अनुदान की जगह 100 प्रतिशत अनुदान के साथ एक केन्द्रीय क्षेत्र योजना के रूप में परिवर्तित हो जाएगी। शेष घटक वर्तमान की तरह 100 प्रतिशत केन्द्रीय फंडिंग आधार पर वित्त पोषित होते रहेंगे।

जल प्रबंधन के लिए उच्च स्तरीय समिति
पूर्वात्तर क्षेत्र को बाढ़ आपदा से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर अक्टूबर में सरकार ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में पूर्वोत्तर क्षेत्र में जल प्रबंधन के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था। समिति पन बिजली, कृषि, जैव विविधता संरक्षण, बाढ़ से होने वाले मिट्टी के क्षरण में कमी लाने, अंतर्देशीय जल यातायात, वन, मछली पालन और ईको-पर्यटन के रूप में जल प्रंबधन के लाभों को बढ़ाने का काम करेगी। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय इसका समन्वय करेगा। समिति को अपनी रिपोर्ट जून, 2018 तक देने के लिए कहा गया है। प्रधानमंत्री इसी साल अगस्त में बाढ़ का जायजा लेने पूर्वोत्तर राज्य आए थे, तब उन्होंने 2000 करोड़ रुपये के बाढ़ राहत पैकेज की घोषणा की थी।

पूर्वोत्तर पर्वतीय क्षेत्र के लिए समर्पित योजना
3 दिसंबर को डॉ. जितेन्द्र सिंह ने ‘पूर्वोत्तर पर्वतीय क्षेत्र विकास’ के लिए 90 करोड़ रुपये की घोषणा की। इस योजना की शुरुआत पायलेट आधार पर 2 साल के लिए पहले चरण में तामंगलांग जिले से हुई। नई दिल्ली में ‘पूर्वोत्तर हस्तशिल्प-सह-हथकरघा प्रदर्शनी-सह-बिक्री उत्सव’ का उद्घाटन करते हुए डॉ. सिंह ने कहा था कि पूर्वोत्तर जनकल्याण संबंधी समस्त लक्ष्यों के लिए पूर्वोत्तर राज्यों की पर्वतीय क्षेत्र विकास की मौजूदा योजनाओं में इस संबंध में प्रावधान किया जाना चाहिए। इससे पहले 5 जून, 2017 को इम्फाल (मणिपुर) में पूर्वोत्तर के लिए ‘पर्वतीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम’ की घोषणा की थी। यह घोषणा पूर्वोत्तर विकास वित्त निगम लिमिटेड द्वारा आयोजित निवेशकों और उद्यमियों की बैठक के दौरान की गई थी। इसमें पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय और मणिपुर सरकार ने भागीदारी की थी। इस योजना से मणिपुर, त्रिपुरा और असम के पर्वतीय क्षेत्रों को लाभ होगा।

पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए व्यापार शिखर सम्मेलन
पूर्वोत्तर क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने 16 नवंबर को नई दिल्ली में ‘12वां पूर्वोत्तर व्यापार शिखर सम्मेलन’ का आयोजन किया। इस सम्मेलन का उद्देश्य भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में व्यापार अवसरों की संभावनाओं की पहचान करना था। इसके तहत सार्वजनिक-निजी भागीदारी के साथ संरचना और सम्पर्कता, कौशल विकास, वित्तीय समावेश, पर्यटन, सत्कार एवं खाद्य प्रसंस्करण संबंधी सेवा क्षेत्र विकास पर विशेष ध्यान दिया जाना है।

पूर्वोत्तर क्षेत्र देश की पहली एयर डिस्पेंसरी
पूर्वोत्तर का पूरा क्षेत्र सुगम्य नहीं है। दूरदराज क्षेत्र में तुरंत पहुंचना सुलभ नहीं है। इसको देखते हुए भारत की पहली ‘एयर डिस्पेंसरी’ पूर्वोत्तर राज्य को मिला है। इसके तहत हेलीकॉप्टर के जरिये चिकित्सा सेवा दी जाएगी। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय ने इस पहल के लिए 25 करोड़ रुपये की आरंभिक धनराशि जारी कर दी है। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि मंत्रालय का प्रस्ताव मंजूर हो गया है। अब यह नागरिक विमानन मंत्रालय के पास है और इसकी प्रक्रिया अंतिम चरणों में है।

पूर्वोत्तर क्षेत्र की संस्कृति के प्रसार के लिए दिल्ली में केंद्र
पूर्वोत्तर क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत के प्रचार-प्रसार के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। इसके लिए दिल्ली में एक पूर्वोत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक एवं सूचना केन्द्र स्थापित करने की घोषणा 16 अगस्त 2017 को हुई। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने पूर्वोत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक एवं सूचना केन्द्र की स्थापना के उद्देश्य से पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी) को लगभग 6 करोड़ रूपये की लागत से नई दिल्ली के द्वारका सैक्टर 13 में 5341.75 वर्ग मीटर (1.32 एकड) क्षेत्रफल भूमि आवंटित किया है। यह केन्द्र दिल्ली में पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए एक सांस्कृतिक एवं सम्मेलन/सूचना हब के रूप में कार्य करेगा।

जेएनयू और बंगलुरू विवि में पूर्वोत्तर विद्यार्थियों के लिए नया छात्रावास
पूर्वोत्तर क्षेत्र से बाहर किसी भी अन्य राज्य की तुलना में उत्तर-पूर्व के छात्रों की संख्या जेएनयू में सबसे अधिक है। जेएनयू में लगभग 8 हजार से अधिक छात्र हैं। इसे देखते हुए 24 जुलाई 2017 को नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) परिसर में बराक छात्रावास का शिलान्यास किया गया। पिछले वर्ष बंगलुरू विश्वविद्यालय में भी विशिष्ट रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र की छात्राओं के लिए एक छात्रावास का शिलान्यास किया गया था।

डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए टोका पैसा ई वॉलेट
राज्‍य मंत्री डॉ. जितेन्‍द्र सिंह तथा असम के मुख्‍यमंत्री सर्बानंद सोनवाल ने 11 जनवरी, 2017 को गुवाहाटी में डीजी धन मेला का उद्घाटन किया था। तब कैशलेस अर्थव्‍यवस्‍था की पहल के तहत ‘’टोका पैसा’’ ई वॉलेट का उद्घाटन किया। इसे पूर्वोत्तर में रहने वाले लोगों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया था।

पूर्वोत्तर क्षेत्र स्टार्टअप के लिए वेंचर की स्थापना
पूर्वोत्तर क्षेत्र में उद्यमिता और स्टार्टअप को प्रोत्साहन देने के लिए ‘’नॉर्थ ईस्‍ट कॉलिंग’’ उत्‍सव 9 दिसम्‍बर, 2017 में नई दिल्‍ली में आयोजन हुआ। इस अवसर पर 100 करोड़ रुपए की प्रारंभिक पूंजी से ‘’नॉर्थ ईस्‍ट वेंचर फंड’’ को लॉंच किया गया। इस कोष को पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय और उत्तर पूर्व वित्त विकास कॉर्पोरेशन का संयुक्‍त उद्यम है। उत्तर पूर्व भारत में सतत पोषणीय पर्यटन को प्रोत्‍साहन देने के लिए उत्तर पूर्व पर्यटन विकास परिषद का भी गठन किया गया।

ट्युरिअल जल विद्युत परियोजना
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 16 दिसंबर, 2017 को मिजोरम में 60 मेगावॉट की ट्युरिअल जल विद्युत परियोजना राष्ट्र को समर्पित किया। 1302 करोड़ रुपए की लागत की यह परियोजना मिजोरम में स्थापित सबसे बड़ी परियोजना है। इससे राज्य का संपूर्ण विकास और केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी और प्रमुख कार्यक्रम “सभी को सातों दिन चौबीसों घंटे किफायती स्वच्छ ऊर्जा” के लक्ष्य को पूर्ण किया जा सकेगा। परियोजना से अतिरिक्त 60 मेगावाट बिजली प्राप्‍त होने के साथ ही मिजोरम राज्य अब सिक्किम और त्रिपुरा के बाद पूर्वोत्तर भारत का तीसरा बिजली सरप्लस वाला राज्य बन जाएगा।

पूर्वोत्तर की अर्थक्रांति का आधार भूपेन हजारिका पुल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 मई, 2017 को असम के ब्रह्मपुत्र नदी की सहायक लोहित नदी पर बने देश के सबसे लंबे पुल का उद्घाटन किया। पीएम ने इस पुल का नाम विश्व प्रसिद्ध लोकगायक भूपेन हजारिका सेतु रखने की घोषणा की थी। इस पुल की महत्ता को बताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि यह पुल न सिर्फ असम और अरुणाचल को जोड़ने की कड़ी के रूप में काम करेगा बल्कि यह पूरे पूर्वोत्तर की अर्थक्रांति का आधार बनेगा। असम और अरुणाचल प्रदेश को जोड़ने वाले 9.15 किलोमीटर लंबे पुल के बन जाने से दोनों प्रदेशों के बीच की यात्रा का समय छह घंटे से कम होकर मात्र एक घंटा रह गया है। इस पुल के चालू होने से असम और अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी भाग के लिए संपर्क सुनिश्चित हो गया है। इससे रोजाना लगभग 10 लाख रुपए की पेट्रोल और डीजल की बचत होने लगी है। अभी तक यहां ब्रह्मपुत्र नदी को पार करने के लिए केवल दिन के समय नौका का ही उपयोग किया जाता था और बाढ़ के दौरान यह भी संभव नहीं होता था।

विनाशकारी बाढ़ से मुक्ति के लिए शोध परियोजना
प्रधानमंत्री ने ब्रह्मपुत्र और विनाशकारी बाढ़ में उसकी भूमिका का अध्ययन करने के लिए एक शोध परियोजना के लिए 100 करोड़ रुपये का कोष स्थापित करने की घोषणा की है। इस परियोजना के लिये एक उच्चाधिकार समिति होगी, जिसमें वैज्ञानिक, शोधकर्ता, इंजीनियर शामिल होंगे। वे नदी के बारे में अध्ययन करेंगे और बाढ़ से निपटने के उपाय सुझाएंगे। यह दीर्घकालिक परियोजना होगी। 

पूर्वोत्तर राज्य को विशेष पैकेज
केंद्र सरकार स्वयं सहायता समूहों, विशेषकर महिला स्वयं सहायता समूहों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। दिसंबर 2015 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पूर्वोत्तर राज्यों के लिए एक विशेष पैकेज की मंजूरी दी। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के क्रियान्वयन को रफ्तार देना है, जिसके अंतर्गत 2023-24 तक पूर्वोत्तर राज्यों के दो-तिहाई ग्रामीण परिवारों को कवर करने का लक्ष्य है।

मेघालय में फुटबॉल स्टेडियम
मेघालय में मिशन फुटबॉल का उद्देश्य जमीनी स्तर की प्रतिभाओं को सामने लाना और उन्हें निखारने व बच्चों और युवाओं को पेशेवर फुटबॉल खिलाड़ी के तौर पर सामने लाना है। इसमें केंद्र सरकार का पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय मदद कर रहा है। इस मंत्रालय के सहयोग से मेघालय में 38 करोड़ रुपये की लागत से फुटबॉल स्टेडियम बनाया गया है।

डॉपलर वेदर रडार से पूर्वोत्तर क्षेत्र को विशेष रूप से फायदा
दुनिया में सबसे ज्यादा बारिश चेरापूंजी में होती है। चेरापूंजी में 27 मई, 2017 को पीएम मोदी ने डॉपलर वेदर रडार को राष्ट्र के नाम समर्पित किया। इस रडार प्रणाली से विशेषकर पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए बेहतर मौसम अनुमान जारी करना संभव होगा। इससे खराब मौसम से होने वाले नुकसान को न्यूनतम करने में मदद मिलेगी, क्योंकि सौंदर्य और रोमांच की इस धरती को भारी बारिश और भूस्खलन के कारण तमाम प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ा है। 

रेल नेटवर्क से जुड़े पूर्वोत्तर राज्य
मोदी सरकार अब तक पूर्वोत्तर में रेल नेटवर्क के विकास पर 10 हजार करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है। इस वित्तीय वर्ष में रेलवे मंत्रालय की योजना 5 हजार करोड़ रुपए खर्च करने की है। नवंबर, 2014 में मेघालय और अरुणाचल प्रदेश भारत के रेल मानचित्र पर आ चुके थे। त्रिपुरा की राजधानी अगरतला को इसी साल ब्रॉड गेज रेलवे लाइन से जोड़ा गया। अब मणिपुर और मिजोरम जैसे राज्यों को भी ब्रॉड गेज यात्री ट्रेनों से जोड़ने का काम तेजी से हो रहा है।

पूर्वोत्तर के राजमार्ग के विकास के लिए विशेष निगम
पूर्वोत्तर क्षेत्र में राजमार्गों के विकास के लिए एक विशेष निगम ‘राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम’ की स्थापना की गई है। इसका उद्देश्य क्षत्र के हर जिले को राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ना है। यह निगम ब्रह्मपुत्र नदी पर तीन नए पुलों का निर्माण कर रहा है। यह पूर्वोत्तर क्षेत्र में 34 सड़क परियोजनाओं का क्रियान्वयन कर रहा है, जिसमें 10 हजार करोड़ रुपये की लागत से 1,000 किलोमीटर सड़कों का निर्माण हो रहा है।

पूर्वोत्तर क्षेत्र को मिलेगा 19 राष्ट्रीय जलमार्ग
केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर में 19 जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग के रूप में विकसित करने की घोषणा की है।

सिक्किम जैविक राज्य घोषित
पूर्वोत्तर क्षेत्र में भारत की जैविक फूड बास्केट बनने की तमाम संभावनाएं हैं। इससे किसानों की आय में बढ़ोत्तरी होगी। इसको देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने सिक्किम को देश का पहला जैविक राज्य घोषित किया है। दूसरे पूर्वोत्तर राज्य को सिक्किम से सीखने की आवश्यकता है।

ऊर्जा के लिए आत्मनिर्भर बनाने के लिए कटिबद्ध
पूर्वोत्तर क्षेत्र के सभी राज्य को 24 घंटे बिजली मिले। इसके लिए नरेन्द्र मोदी की सरकार आगे बढ़कर काम कर रही है। इसके लिए केंद्र सरकार बिजली क्षेत्र में भारी निवेश कर रही है। पूरे आठ पूर्वोत्तर राज्यों में बिजली के लिए दो बड़ी परियोजनाओं पर काम चल रहा है, जिन पर 10 हजार करोड़ रुपये की लागत आएगी। 

दूरसंचार के लिए केंद्र की विशेष योजना
पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए मोदी सरकार 5,300 करोड़ रुपये की लागत से एक व्यापक दूरसंचार योजना लागू कर रही है। अगरतला बांग्लादेश के कॉक्स बाजार के माध्‍यम से अंतरराष्ट्रीय गेटवे से जुड़ने वाला देश का तीसरा शहर है। इससे जहां दूरसंचार संपर्क में सुधार हुआ है, वहीं क्षेत्र के आर्थिक विकास को रफ्तार मिलेगी।

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