Home नरेंद्र मोदी विशेष प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की शक्ति को पहचान रही दुनिया

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की शक्ति को पहचान रही दुनिया

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कई चीजें ऐसी हुई हैं जिससे यह बात साबित होती है कि भारत को अब कोई हल्के में नहीं ले सकता। दरअसल भारत दुनिया भर में विदेशी और अंतरराष्ट्रीय नीतियों के संदर्भ में एक बड़ा कारक बनकर उभरा है और अब वैश्विक मंच पर ज्यादा मुखर है। बीते चार वर्षों में पीएम मोदी की लीडरशिप में भारत न केवल विश्व क्षितिज पर दमदार स्थिति में आया है बल्कि वैश्विक शक्ति बन गया है।

एक दौर वह भी था जब भारत विश्व की महाशक्तियों के भरोसे रहता था। आज भारत बोलता है तो दुनिया सुनती है। भारत के बढ़ते महत्व को अब अमेरिका ने भी स्वीकार कर लिया है। भारत की बढ़ती शक्ति को देखते हुए अमेरिका ने अपनी रणनीति को नया कोण दते हुए अपनी प्रशांत कमान यानि पेसेफिक कमांड का नाम बदलकर उसके साथ भारत का नाम भी जोड़ दिया है।

अमेरिका ने अपनी प्रशांत कमान का नाम बदलकर हिंद-प्रशांत कमान किया
अमेरिका का पैसिफिक कमांड अब कमांड इंडो-पैसिफिक कमांड नाम से जाना जाएगा। दरअसल इस कमांड के नाम में बदलाव भारत के बढ़ते सैन्य महत्व को दर्शाता है। अमेरिका का ये कदम रणनीतिक सोच में हिंद महासागर और भारत की बढ़ती शक्ति को भी बताता है। दरअसल इस कमांड का गठन दूसरे विश्व युद्ध के बाद हुआ था। सत्ता में आने के तुरंत बाद ट्रंप प्रशासन ने एशिया प्रशांत का नाम बदल कर भारत-प्रशांत कर दिया था और क्षेत्र में भारत को एक विशिष्ट दर्जा दिया था। गौरतलब है कि यह अमेरिका का मुख्य लड़ाकू कमांड है जिसके तहत करीब आधी दुनिया आती है।

प्रधानमंत्री मोदी की पहल से बना अंतरराष्ट्रीय सौर संगठन
11 मार्च, 2018 को इंटरनेशनल सोलर अलायंस के प्रथम सम्मेलन में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने स्पष्ट कहाइसका सपना पीएम मोदी ने देखा था, जिसको सब मिलकर पूरा कर रहे हैं। दो साल पहले यह सिर्फ एक आइडिया था, जिसपर इतनी जल्दी काम हुआ और अब बड़ा बदलाव हो रहा है। दरअसल ‘अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई पहल का परिणाम है। इसकी घोषणा भारत और फ्रांस द्वारा 30 नवंबर 2015 को पेरिस में की गई थी। आईएसए के गठन का लक्ष्य सौर संसाधन समृद्ध देशों में सौर ऊर्जा का उपयोग बढ़ाना और इसे बढ़ावा देना है। अब तक इस मंच से दुनिया के 121 से अधिक देश जुड़ चुके हैं। विशेष बात यह है कि यह पहला विश्वस्तरीय अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसका मुख्यालय भारत के गुरुग्राम में है।

पीएम मोदी के आह्वान पर विश्व ने योग को अपनाया
26 सितंबर, 2014 को प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में पहली बार विश्व से देशों से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का आह्वान किया था। यह उनके व्यक्तित्व का ही प्रभाव था कि तत्काल ही दुनिया के 192 देशों ने इस प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी। इसके बाद 177 देशों ने इसका सह-प्रायोजक बनना भी स्वीकार किया। दरअलस यह संयुक्त राष्ट्र संघ के इतिहास की पहली घटना जब किसी प्रस्ताव को इतना बड़ा समर्थन मिला था। 21 जून 2015 से जब भारतीय प्राचीन सांस्कृतिक विरासत को को एक नई पहचान मिली और  पूरा विश्व एक साथ सूर्य नमस्कार करने लगा। जाहिर है हर भारतीय का मस्तक ऊंचा करने वाले इस कार्य का श्रेय नि: संदेह पीएम मोदी को है।

यमन संकट के दौरान दुनिया ने माना भारत का लोहा
जुलाई 2015 में यमन गृहयुद्ध की चपेट में था और सुलगते यमन में पांच हजार से ज्यादा भारतीय फंसे हुए थे। बम गोलों और गोलियों के बीच हिंसाग्रस्त देश से भारतीयों को सुरक्षित निकालना मुश्किल लग रहा था। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व और विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह के सम्यक प्रबंधन और अगुआई ने कमाल कर दिया। भारतीय नौसेना, वायुसेना और विदेश मंत्रालय के बेहतर समन्वय से भारत के करीब पांच हजार नागरिकों को सुरक्षित निकाला गया, वहीं 25 देशों के 232 नागरिकों की भी जान बचाने में भारत को कामयाबी मिली। इस सफलता ने विश्वमंच पर भारत का लोहा मानने के लिए सबको मजबूर कर दिया ।

जलवायु परिवर्तन पर दुनिया को पीएम मोदी पर भरोसा
26 सितंबर, 2015 को संयुक्त राष्ट्र में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया के सामने ‘क्लाइमेट चेंज’ के साथ ‘क्लाइमेट जस्टिस’ की बात पहली बार सामने रखी। उन्होंने कहा कि इससे पर्यावरण को लेकर एक संकल्प का भाव पैदा होगा।  दुनिया के देशों ने उनके प्रस्ताव को समर्थन दिया। दरअसल जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर जहां विश्व के अधिकतर देश अपने हितों को देख रहे हैं, वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया के देशों में आस जगाई कि वे इस मामले में नेतृत्व कर सकते हैं। यूरोपियन यूनियन ने तो पीएम मोदी पर भरोसा करते हुए जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भारत को नेतृत्व करने का प्रस्ताव तक दे दिया है। जाहिर है पीएम मोदी की इस पहल ने न सिर्फ दुनिया में भारत की साख मजबूत की बल्कि संसार को पर्यावरण के मामले में एक पॉजिटिव सोच भी दी।

पीएम मोदी के प्रयासों से आतंकवाद पर एकमत हुई दुनिया
‘’कोई अच्छा या बुरा आतंकवाद नहीं होता और न ही इसकी सीमा होती है। आतंकवाद की चुनौती को गंभीरता से लेने की जरूरत है। इसे राजनीतिक नफा नुकसान के पैमाने पर मापा नहीं जा सकता। दुनिया को आतंकवाद के खिलाफ एक सुर में बोलना होगा।‘’ 30 सितंबर, 2014 को अमेरिका की धरती पर ही अमेरिका को आईना दिखाने का काम किया। इसके बाद तो वे विश्व के अधिकतर देशों को भी ये समझाने में कामयाब रहे हैं कि दुनिया में अच्छा और बुरा आतंकवाद नहीं होता बल्कि आतंकवाद सिर्फ आतंकवाद है। उनके ही प्रयासों का परिणाम है कि आज अमेरिका, रूस, जापान, जर्मनी, यूरोपियन यूनियन और इजरायल जैसे देश भारत के इस पक्ष के साथ खड़े हैं। कश्मीर में हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों पर अमेरिकी रोक और सैयद सलाहुद्दीन जैसे आतंकियों पर बैन भारत के बढ़े हुए प्रभुत्व का ही परिणाम है। पाकिस्तान को आतंकवाद का संरक्षक देश घोषित किया जाना इसी प्रयास का परिणाम है।

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