अर्नब गोस्वामी को परेशान करने की उद्धव सरकार की हर कोशिश नाकाम होती जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र की उद्धव सरकार को जोरदार झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने विशेषाधिकार हनन मामले में अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने विधानसभा सचिव को अदालत की अवमानना का नोटिस भी जारी किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने आज पूछा कि रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी की याचिका के संबंध में महाराष्ट्र विधानसभा सचिव के खिलाफ अदालत की अवमानना का कारण बताओ नोटिस क्यों नहीं जारी किया जा सकता है। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता अर्नब गोस्वामी को उनके खिलाफ जारी विशेषाधिकार नोटिस में सुनवाई तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।
बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा सचिव ने सीएम उद्धव ठाकरे की आलोचना के लिए अर्नब के खिलाफ विशेषाधिकार नोटिस जारी किया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अर्नब गोस्वामी की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे पेश हुए। उन्होंने पीठ को बताया कि विधानसभा सचिव के पत्र ने टीवी एंकर से स्पीकर और विशेषाधिकार समिति के बीच बातचीत को अदालत के समक्ष रखने पर पूछताछ की थी, क्योंकि वे स्वभाव से गोपनीय हैं।
पीठ ने सचिव के पत्र पर कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा के सचिव द्वारा 13 अक्टूबर को गोस्वामी को लिखे पत्र में कहा गया कि अदालत में विधानसभा के संचार का खुलासा करना गोपनीयता का उल्लंघन और अवमानना के समान है। यह न्याय के प्रशासन में सीधे हस्तक्षेप के समान है। पत्र के लेखक का इरादा याचिकाकर्ता (अर्नब गोस्वामी) को डराना प्रतीत होता है, क्योंकि उन्होंने इस अदालत से संपर्क किया था और ऐसा करने के लिए उन्हें दंड देने की धमकी दी गई थी।
पीठ ने कहा कि सचिव को यह समझने की सलाह दी जाती है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस अदालत में याचिका दाखिल करने का अधिकार स्वयं एक मौलिक अधिकार है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि यदि कोई नागरिक अनुच्छेद 32 के तहत अपने अधिकार के प्रयोग में इस अदालत से संपर्क करने से वंचित है, तो यह देश में प्रशासन के लिए एक गंभीर हस्तक्षेप होगा।