Home विशेष जीएसटी पर दूर हुआ भ्रम, समस्याएं हो रहीं कम

जीएसटी पर दूर हुआ भ्रम, समस्याएं हो रहीं कम

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जीएसटी यानि वस्तु एवं सेवा कर लागू हुए चालीस दिन हो गए हैं। जीएसटी को लेकर व्यापारियों में बना भ्रम दूर हो चुका है और उद्यमी इस नयी कर व्यवस्था के साथ सहज होते जा रहे हैं।

15 लाख नये उद्यमियों ने करवाया रजिस्ट्रेशन

टैक्स की इस नयी पारदर्शी व्यवस्था के तहत देश भर में 15 लाख से अधिक कारोबारियों ने जीएसटीएन पर पंजीकरण कराने के लिए आवेदन किया है। यह संख्या उन 71 लाख उद्यमियों से अलग है जो जीएसटीएन पर पूर्व से ही पंजीकृत हैं।

निर्यातकों में जीएसटीएन को लेकर उत्साह

वस्तु एवं सेवा कर से सबसे बड़ा लाभ उन निर्यातकों को मिला है, जिन्हें जीरो कर देने के साथ इनपुट टैक्स क्रेडिट का भी फायदा मिल रहा है। निर्यात पर जीरो जीएसटी के प्रावधान से भारतीय निर्यातकों को विश्व बाजार की प्रतिस्पर्धा में मजबूती से खड़े होने का अवसर मिल रहा है, यह भारत को वस्तुओं और सेवाओं के निर्यातक हब के रुप में स्थापित करने में बड़ा कदम है।  इससे देश में रोजगार के लाखों नये अवसर युवाओं के लिए खुल रहे हैं। दरअसल देश में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने यह ऐतिहासिक कदम उठाया है।

निर्यातकों के लिए आसान व्यवस्था

1 जुलाई को लागू जीएसटी आईटी तकनीक के विशाल ढांचे पर खड़ी की गई है। इसमें सरकार को कर देना, इनपुट टैक्स क्रेडिट और रिटर्न फाइल करना सभी कुछ ऑनलाइन हो रहा है। इस व्यवस्था के कारण हर लेन-देन तेज और पारदर्शी तरीके से हो रहा है। दरअसल अब कोई भी व्यापारी जिसका कारोबार 20 लाख रुपये से अधिक है, उसे नया टैक्स इनवॉयस नंबर (टीआइएन) लेना है। इसे जीटीआइएन कहा जाता है और यह महज तीन दिनों में दे दिया जा रहा है।  

जीएसटी सुविधा केंद्र से मुश्किलें कम हुईं

केंद्र सरकार ने सभी राज्यों के रेंज कार्यालयों में जीएसटी सुविधा केंद्र बनाए हैं। इसके अतिरिक्त जीएसटी विशेषज्ञों की नियुक्तियां भी की जा चुकीं हैं। हालांकि  पुरानी व्यवस्था से नयी व्यवस्था को अपनाने में कुछ तकनीकी और नियमों की दिक्कतें जरूर हैं। लेकिन इसे दूर करने के लिए सरकार की पहले से ही पूरी तैयारी है। उद्यमियों की समस्याओं को दूर करने के लिए वित्त मंत्रालय में एक प्रकोष्ठ लगातार काम कर रहा है और राज्यों में भी राजस्व अधिकारी कारोबारियों की मदद को तत्पर हैं।

हर दिन दूर हो रही हैं दिक्कतें

जुलाई से जीएसटी लागू होने के बाद से सूरत से लेकर भदोही तक कपड़ा एवं कालीन व्यापारियों में हड़कंप मचा था। इस क्षेत्र में 18 फीसदी जीएसटी लगाये जाने के विरोध में कारोबारी हड़ताल पर थे। लेकिन सरकार ने कारोबारियों की समस्याओं को सुना, समझा और अब उन्हें जॉब वर्क पर 18 प्रतिशत के बजाय सिर्फ पांच प्रतिशत ही जीएसटी देना होगा। यानि सरकार ने इस तरह की सभी दिक्कतों को दूर करने के लिए कमर कस रखी है।

निर्यात खेपों के फंसने की समस्या का तुरंत समाधान

जीएसटी लागू होने के बाद परिचालन संबंधी समस्याओं की वजह से पूरे देश में निर्यात खेपों के फंसने के बढ़ रहे मामलों के समाधान की दिशा में सरकार तेजी से आगे बढ़ रही है।  पिछले कुछ दिनों में ऐसी खबरें आई हैं कि पूरे देश में निर्यात खेपें विभिन्न बंदरगाहों या फैक्ट्री गेटों पर ही फंसी हुई हैं, क्योंकि व्यापारियों के साथ-साथ कर अधिकारियों में भी जीएसटी के तहत निर्यात के संबंध में अनिश्चितताएं बनी हुई हैं। सरकार ने इस पर तुरंत एक्शन लिया और वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के तहत वाणिज्य विभाग और केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) दोनों ने पिछले दो दिनों में निर्यात इकाइयों के साथ मुलाकात की। इसके साथ ही जीएसटी से संबंधित निर्यात चिंताओं के समाधान के लिए नोडल अधिकारियों के तौर पर दो वरिष्ठ अधिकारियों की भी नियुक्ति की।  साथ ही सीबीईसी ने एक अधिसूचना भी जारी की है जिसमें कर मानकों के संबंध में कुछ खास बदलावों का संकेत दिया गया है। इसके लिए अगली अधिसूचना भी जल्द जारी की जा रही है। इसके अलावा क्षेत्रीय कर कार्यालयों को नये मानकों के साथ तेजी से अमल करने के निर्देश भी दिए गए हैं। सरकार की यह त्वरित कार्यवाही निर्यातकों को आईजीएसटी चुकाने के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट उपलब्ध कराने और बांडों पर आईजीएसटी की छूट की प्रक्रिया को स्पष्ट करने के लिए की गई ।

निर्यातकों को हुआ फायदा

जीएसटी से देश में अब किसी  प्रकार का कोई चेक पोस्ट नहीं है, जिससे निर्यातकों को उत्पादों के यातायात के शुल्क 25 से 30 प्रतिशत की बचत से एक बड़ा लाभ भी हो रहा है। इनपुट क्रेडिट के द्वारा सामान की लागत घटने से भी और निर्यातकों को अच्छा खासा फायदा है।

 

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