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एआई से ड्रोन तक खेती में आई तकनीकी क्रांति: मोदी राज में प्रौद्योगिकी से अन्नदाता बन रहे आत्मनिर्भर

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश के अन्नदाता प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं। अब देश के किसान सिर्फ अन्नदाता ही नहीं, बल्कि भारत की समृद्धि की नींव भी हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि जब किसान समृद्ध होगा तभी भारत समृद्ध होगा। इसी सोच के साथ मोदी सरकार लगातार बीज से लेकर बाजार तक किसान की यात्रा को आसान, पारदर्शी और लाभकारी बनाने में जुटी हुई है। आधुनिक प्रौद्योगिकियों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), मशीन लर्निंग, ड्रोन और सैटेलाइट अब खेतों तक पहुंचकर खेती को एक नई दिशा दे रहे हैं। यही वजह है कि खेती अब केवल परंपरागत तरीके पर निर्भर न होकर स्मार्ट, कुशल और टेक्नोलॉजी आधारित बनती जा रही है।

AI और IoT किसानों को खेत से जुड़ी तात्कालिक जानकारी देने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। किसान ई-मित्र चैटबॉट किसानों को उनकी भाषा में योजनाओं और तकनीकी समाधान उपलब्ध करा रहा है और अब तक 95 लाख से अधिक किसानों की मदद कर चुका है। राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली (NPSS) किसानों को मोबाइल से फसल की तस्वीर अपलोड कर कीट और रोग की तुरंत पहचान करने और समाधान पाने की सुविधा देती है। वहीं सैटेलाइट की मदद से फसल मानचित्रण और मौसम आधारित पूर्वानुमान आसान हो गया है।

खेती को डेटा आधारित और अधिक लचीला बनाने में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी भी अहम साबित हो रही है। इसरो और कृषि मंत्रालय के सहयोग से ‘फसल प्रोजेक्ट’ के तहत गेहूं, धान, ज्वार, सरसों जैसी प्रमुख फसलों की पैदावार का अनुमान लगाया जाता है। इसी तरह, सूखे की निगरानी और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए सैटेलाइट और ड्रोन का प्रयोग करके सही आंकलन किया जा रहा है। कृषि-निर्णय सहायता प्रणाली (Agri-DSS) जैसे प्लेटफॉर्म किसानों और नीति-निर्माताओं को एकीकृत जानकारी प्रदान कर रहे हैं।

खेती में ड्रोन का प्रवेश तो मानो गेम चेंजर साबित हो रहा है। इनसे छिड़काव, खेतों की निगरानी व सटीक खेती संभव हो गई है। सरकार किसानों को ड्रोन खरीदने और किराये पर उपयोग हेतु सब्सिडी मुहैया करा रही है। खासतौर पर ‘नमो ड्रोन दीदी योजना’ महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को सशक्त बना रही है, जिसमें 15,000 ड्रोन उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। वहीं ‘स्वामित्व योजना’ के तहत गांव-गांव में ड्रोन से भूमि का नक्शा तैयार किया जा रहा है, जिससे किसानों को कानूनी दस्तावेज और बैंक ऋण आसानी से मिल रहे हैं।

इसके साथ ही जनधन-आधार-मोबाइल (JAM) ट्रिनिटी किसानों को सीधे और पारदर्शी तरीके से आर्थिक सहायता पहुंचा रही है। बिचौलियों के बिना डीबीटी (Direct Benefit Transfer) ने किसानों की आय को सुनिश्चित किया है। हाल ही में पीएम किसान की 20वीं किस्त के रूप में 9.7 करोड़ किसानों के खातों में 20,500 करोड़ रुपये सीधे भेजे गए, जो JAM ट्रिनिटी की सफलता का उदाहरण है।

डिजिटल कृषि मिशन और राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-NAM) जैसे प्लेटफ़ॉर्म किसानों को अपनी उपज उचित दाम में और सही बाज़ार तक पहुँचाने में मदद कर रहे हैं। कुल मिलाकर अब खेती भाग्य और मेहनत पर ही नहीं, बल्कि तकनीक पर भी टिकी है, और यही तकनीक अन्नदाताओं को वास्तविक सशक्तिकरण प्रदान कर रही है।

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