प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में किसानों की आय बढ़ाने के लिए परंपरागत खेती के अलावा कई अन्य कृषि उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है। शहद (Honey) उत्पादन भी उनमें से एक है, जिसका उत्पादन कर किसान न सिर्फ रोजगार प्राप्त कर रहे हैं, बल्कि उनका शहद विदेशों में भी निर्यात किया जा रहा है। दरअसल, शहद और उससे बने उत्पादों की मांग अब विदेशों में काफी बढ़ गई है और देश से हर साल उत्पादन का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा निर्यात किया जाता है। देश में ‘मीठी क्रांति’ को बढ़ावा देने की कोशिशें का ही परिणाम है कि वर्ष 2013 में जहां शहद का निर्यात 124 करोड़ रुपए का हुआ था वहीं वर्ष 2022 में यह बढ़कर 309 करोड़ रुपए हो गया यानी इस दौरान शहद निर्यात में 149 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
Indian Honey Goes Global ? ?
In line with PM @NarendraModi ji’s vision of ‘Sweet Revolution’ to harness the export potential of honey, India’s natural honey exports register a spectacular growth of 149% in April-May 2022 over April-May 2013. pic.twitter.com/dqaX329Csn
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) July 9, 2022
शहद (Honey) इम्यूनिटी बढ़ाता है इसलिए दुनियाभर में शक्कर के बजाय इसका सेवन बढ़ गया है। भारत शहद का दुनिया में 9वां सबसे बड़ा निर्यातक देश है। पिछले साल देश ने 716 करोड़ रुपए का शहद निर्यात(export) किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार द्वारा अब इसका प्रॉडक्शन बढ़ाने के लिए कई योजनाओं पर काम हो रहा है। वाणिज्य मंत्रालय के तहत आने वाला कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) अब ब्रिटेन, यूरोपीय संघ और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों में शहद का निर्यात बढ़ाने के लिए राज्य सरकारों, किसानों और अन्य हितधारकों के साथ काम कर रहा है। भारत शहद निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए विभिन्न देशों के शुल्क ढांचे पर नए सिरे से बातचीत कर रहा है। भारत ने 2020-21 में 716 करोड़ रुपये मूल्य के 59,999 टन प्राकृतिक शहद का निर्यात किया था। इसमें 44,881 टन अमेरिका को निर्यात किया गया था।
मधुमक्खी पालन और उससे जुड़े क्रियाकलापों को बढ़ावा देने के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘मीठी क्रांति’ के विजन को आगे लाए हैं। उन्होंने ‘मीठी क्रांति’ का आह्वान किया है। मीठी क्रांति का मकसद शहद की क्वालिटी बेहतर करना और निर्यात को बढ़ावा देना है। इसके तहत शहद की निर्यात क्षमता को बढ़ाने के लिए कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) गुणवत्तापूर्ण उत्पादन तथा नए देशों में बाजार के विस्तार के जरिये निर्यातों को बढ़ावा देने पर बल दे रहा है।
वर्तमान में भारत के प्राकृतिक शहद का निर्यात मुख्य रूप से एक ही बाजार अमेरिका पर निर्भर है। इसकी निर्यात में 80 प्रतिशत से भी अधिक हिस्सेदारी है। एपीडा के अध्यक्ष डॉ. एम अंगमुथु ने कहा, ‘हम अन्य देशों तथा अमेरिका, यूरोपीय संघ तथा अन्य देशों तथा दक्षिण पूर्व एशिया जैसे अन्य क्षेत्रों में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकारों, किसानों तथा अन्य हितधारकों के निकट सहयोग के साथ कार्य कर रहे हैं। भारत शहद के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न देशों द्वारा लगाए टैक्स पर भी फिर से बातचीत कर रहा है।
भारत ने वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 716 करोड़ रुपये के बराबर के 59,999 मीट्रिक टन (एमटी) प्राकृतिक शहद का निर्यात किया। इनमें से 44,881 एमटी अमेरिका को निर्यात किया गया। सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, बांग्लादेश तथा कनाडा भारतीय शहद के लिए अन्य शीर्ष गंतव्य रहे।
एपीडा विभिन्न स्कीमों, गुणवत्ता प्रमाणन तथा प्रयोगशाला परीक्षण के तहत सरकारी सहायता का लाभ उठाने के अतिरिक्त निर्यात बाजारों तक पहुंचने में शहद उत्पादकों को सुविधा उपलब्ध कराता रहा है। एपीडा उच्चतर माल ढुलाई लागत, शहद के शीर्ष निर्यात सीजन में कंटेनरों की सीमित उपलब्धता, उच्च न्यूक्लियर मैगनेटिक रेजोनेंस परीक्षण लागत तथा अपर्याप्त निर्यात प्रोत्साहन जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए निर्यातकों के साथ काम कर रहा है।
वर्ष 2020 में विश्व भर में 736,266.02 एमटी का शहद निर्यात किया गया। शहद के उत्पादक देशों में जहां भारत का स्थान 8वां है वहीं निर्यातक देशों में भारत का स्थान 9वां है। वर्ष 2019 में विश्व शहद उत्पादन 1721 हजार मीट्रिक टन का रहा था। इसमें सभी पराग संबंधित स्रोतों, जंगली फूलों तथा जंगल के वृ़क्षों से प्राप्त शहद शामिल हैं। चीन, तुर्की, ईरान और अमेरिका विश्व के प्रमुख शहद उत्पादक देशों में शामिल हैं जिनकी कुल विश्व उत्पादन में 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी है।
कोविड के बाद हुए लॉकडाउन के बाद कई प्रवासी कामगार मीठी क्रांति से जुड़े, जिसकी वजह से आज देश में शहद उत्पादन कई गुना बढ़ गया है। वैज्ञानिक तरीके से मधुमक्खी पालन के समग्र संवर्धन और विकास के लिए और “मीठी क्रांति” के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत 500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। भारत सरकार ने राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (एनबीएचएम) के लिए तीन वर्षों ( 2020-21 से 2022-23) के लिए 500 करोड़ रुपये के आवंटन को मंजूरी दी। इस मिशन की घोषणा फरवरी, 2021 में आत्म निर्भर भारत के हिस्से के रूप में की गई थी।
मीठी क्रांति का कार्यान्वयन
देश में ‘मीठी क्रांति‘ का कार्यान्वयन राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (एनबीबी) के जरिये किया जा रहा है, इसके लक्ष्य को अर्जित करने के लिए देश में वैज्ञानिक तरीके से मधुमक्खी पालन को समग्र रूप से बढ़ावा देना तथा उसका विकास करना है। मिनी मिशन के लिए 170 करोड़ रुपये का बजट है। इसका उद्वेश्य देश में मधुमक्खी पालन को विकसित करना, शहद क्लस्टरों का विकास करना, शहद की गुणवत्ता तथा उत्पादकता में सुधार लाना और निर्यात को बढ़ावा देना है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आज भारत प्रत्येक वर्ष लगभग 1.20 लाख टन शहद का उत्पादन करता है। शहद उत्पादन का लगभग 50 प्रतिशत निर्यात किया जाता है। बीते कुछ वर्षों में शहद व संबंधित उत्पादों का निर्यात बढ़कर करीब दोगुना हो चुका है। देश में गुणवत्तापूर्ण शहद का उत्पादन और अधिक हो सके इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं।
भारत से 100 देशों में प्राकृतिक शहद का निर्यात
कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्ट्री की बेवसाइट पर एक्सपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक भारत से प्राकृतिक हनी 100 देशों में भेजा जाता है। सभी देशों में भेजी गई शहद के मामले में 2020-21 में 716.23 करोड़ का शहद निर्यात किया गया जबकि 2021-22 में 1221.17 करोड़ से अधिक के शहद निर्यात की बात सामने आई। साल 2020-21 में अमेरिका में 482.58 करोड़ रुपये का शहद का निर्यात किया गया। 2021-22 में 1008.89 करोड़ रुपये का शहद निर्यात हुआ।
भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) ने शहद मार्केटिंग की कमान संभाली है और इसके लिए मधु क्रांति पोर्टल व हनी कॉर्नर सहित शहद परियोजनाएं शुरू की गई हैं। शहद (मीठी) क्रांति देशभर में तेजी से अग्रसर हो रही है। शहद का उत्पादन बढ़ाकर निर्यात में वृद्धि की जा सकती है, रोजगार बढ़ाए जा सकते हैं, वहीं गरीबी उन्मूलन की दिशा में भी बेहतर काम किए जा सकते हैं। नेफेड के शहद की मार्केटिंग की कमान संभालने से दूरदराज के मधुमक्खी पालकों को अच्छी मार्केट मिल पाएगी।
मधुक्रांति पोर्टल के माध्यम से पारदर्शिता
मधु क्रांति पोर्टल के माध्यम से पारदर्शिता आएगी एवं वैश्विक मानकों पर खरा उतरने वाले शहद का उत्पादन किया जा रहा है। सरकार ने पिछले कुछ समय में मापदंड बनाए हैं, जिससे स्थिति में काफी सुधार आई हैं। कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) में छोटे मधुमक्खी पालकों को शामिल करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है और उन्हें ट्रेनिंग देने का कार्य भी किया जा रहा है।
शहद उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए पांच राज्यों में शहद टेस्टिंग (Honey Testing) लैब और प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना से मधुमक्खी पालकों और छोटे किसानों को लाभ मिलेगा। सरकार देश में ‘मधु क्रांति’ लाने की दिशा में गंभीरता से काम कर रही है। इसके मद्देनजर जम्मू-कश्मीर के पुलवामा, बांदीपुरा और जम्मू, कर्नाटक के तुमकुर, उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, महाराष्ट्र के पुणे और उत्तराखंड में शहद परीक्षण प्रयोगशालाओं और प्रोसेसिंग यूनिट्स शुरू किया गया है। यह पीएम मोदी के छोटे किसानों को सशक्त बनाने के लक्ष्य को दर्शाती है।
मधुमक्खी पालन पर मिशन मोड में सरकार ‘राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन’ के लिए पैसे केंद्र सरकार देती है। इसका मकसद क्षेत्रीय स्तर पर 5 बड़ी और 100 छोटी लेबोरेटरी बनाना है। इसमें शहद और अन्य मधुमक्खी उत्पाद की टेस्टिंग की जाएगी। मिशन के तहत तीन वर्ल्डक्लास अत्याधुनिक लैब्स की स्थापना हो चुकी है। 25 छोटी लेबोरेटरी की स्थापना प्रक्रिया जारी है। भारत सरकार शहद उत्पादकों या मधुमक्खी पालकों के लिए प्रोसेसिंग यूनिट बनाने में भी मदद कर रही है।
भारत में उत्पादन के क्षेत्र
पूर्वोत्तर क्षेत्र तथा महाराष्ट्र देश में प्राकृतिक शहद उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र हैं। भारत में उत्पादित शहद के लगभग पचास प्रतिशत का उपभोग घरेलू रूप से किया जाता है तथा शेष का दुनिया भर में निर्यात कर दिया जाता है। कोरोना महामारी के दौर में शहद के निर्यात की प्रचुर संभावना है क्योंकि प्रतिरक्षण को बढ़ावा देने में एक प्रभावी प्रतिरक्षक तत्व तथा चीनी की तुलना में स्वस्थकर विकल्प के रूप में इसका उपभोग वैश्विक रूप से बढ़ गया है।
शहद और मधुमक्खी पालन का भारत में एक लंबा इतिहास रहा है। शहद प्राचीन भारत में बसे पथरीले आश्रयों और जंगलों में चखा गया सबसे पहला मीठा खाद्य पदार्थ था। मधुमक्खी पालन उद्योग के लिए कच्चे माल के रुप में मुख्य रुप से पराग और मकरंद का प्रयोग होता है जो कि फूल पौधों से प्राप्त होता है। भारत में प्राकृतिक और वनस्पति खेती दोनों में मधुमक्खी पालन को विकसित करने की अधिकाधिक क्षमता उपलब्ध है। लगभग 500 प्रजाति के फूल पौधे, जंगली और खेती किए गए दोनों प्रजातियां पराग और मकरंद के स्त्रोतों के रूप में उपयोगी हैं। मधुमक्खियों की कम से कम चार प्रजातियां हैं और डंकरहित मधुमक्खियों की तीन प्रजातियां हैं।
रेप्सीड/सरसों का शहद, नीलगिरी शहद, लीची शहद, सूरजमुखी शहद, करंज/ पोंगमिआ शहद, मल्टी-फ्लोरा हिमालयी शहद, बबूल शहद, जंगली वनस्पति शहद, मल्टी और मोनो फ्लोरा शहद आदि प्राकृतिक शहद की कुछ प्रमुख किस्में है।