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सुषमा स्वराज की विरासत को संभालना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी- पीएम मोदी

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दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में दिवंगत भाजपा नेता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के लिए आज प्रार्थना सभा आयोजित की गई। इस प्रार्थना सभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह समेत भाजपा के कई दिग्गज नेता मौजूद थे। दिवंगत सुषमा स्वराज को श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सुषमा जी के व्यक्तित्व के अनेक पहलू थे।

पीएम मोदी ने कहा, “सुषमा जी के व्यक्तित्व, कृतित्व को लेकर विभिन्न लोगों ने जो भाव व्यक्त किए हैं, मैं उनमें अपना स्वर मिलाता हूं। सुषमा जी के व्यक्तित्व के अनेक पहलू थे, जीवन के अनेक पड़ाव थे। बीजेपी के कार्यकर्ता के रूप में, एक अनन्य साथी के रूप में काम करते-करते हम अनगिनत घटनाओं के साक्षी रहे हैं। व्यवस्था के तहत, अनुशासन के तहत जो भी काम मिले, उसको जी-जान से करना और व्यक्तिगत जीवन में बहुत बड़ी ऊंचाई प्राप्त करने के बाद भी करना- जो भी अपने को कार्यकर्ता मानते हैं, उन सबके लिए इससे बड़ी प्रेरणा नहीं हो सकती है। इस बार जब उन्होंने लोकसभा चुनाव न लड़ने का फैसला किया और वो अपने विचारों में बड़ी पक्की रहती थी। एक बार उन्होंने पहले भी चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था। तब मैं और वेंकैया जी से उनसे मिले और कहा कि आप कर्नाटक जाइए, तो उन्होंने ये चुनौती भरा काम एक पल देर किए बिना किया।”

पीएम मोदी ने कहा, “लेकिन, इस बार वो इतनी पक्की थीं कि उन्होंने सार्वजनिक घोषणा कर दी। वे विचारों की पक्की भी थीं, और उसके अनुसार अपने को जीने का प्रयास भी करती थीं। सुषमा जी ने चुनाव नतीजे आने के बाद पहला काम यह किया कि मकान खाली करके अपने निजी आवास में चली गईं। सुषमा जी का भाषण प्रभावी होता था, प्रेरक भी होता था। सुषमा जी के वक्तृत्व में विचारों की गहराई हर कोई अनुभव करता था, तो अभिव्यक्ति की ऊंचाई हर पल नए मानक पार करती थी। दोनों का होना बहुत बड़ी साधना के बाद होता है। वे कृष्ण भक्ति को समर्पित थीं। वे कृष्ण का संदेश को जीती थीं। उनकी यात्रा को देखें, तो लगता है कि ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते…’ क्या होता है, ये सुषमा जी ने दिखाया।”

पीएम मोदी ने कहा, “उन्होंने जम्मू कश्मीर, धारा 370 पर कई मंचों पर बोला होगा। उस मुद्दे से उनका जुड़ाव था। जब जीवन का इतना बड़ा सपना, लक्ष्य पूरा हो, और खुशी समाती न हो- सुषमा जी के जाने के बाद जब मैं बांसुरी से मिला तो बांसुरी ने मुझे कहा कि इतनी खुशी-खुशी वो गई हैं कि कल्पना नहीं की जा सकती। उस खुशी के पल को जीते-जीते वो श्रीकृष्ण के चरणों में पहुंच गईं।उन्हें जो भी काम मिला, उसमें श्रेष्ठ परंपरा को बनाए रखते हुए समकालीन परिवर्तन क्या लाना है, ये उनकी विशेषता रही। उन्होंने विदेश मंत्रालय में प्रोटोकॉल की पूरी परिभाषा को पीपुल्स कॉल की परिभाषा में बदल दिया। किसी के पासपोर्ट का रंग कुछ भी क्यों न हो, उसके रगों में भारतीय रंग है तो उसकी मदद वे करती थीं।”

पीएम मोदी ने कहा, “उम्र में मुझसे छोटी थीं, शारीरिक मर्यादाओं से जूझती थीं, जिम्मेदारियां निभाती रहती थीं। मुझे उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता था। यूएन में मेरा भाषण होना था। उन्हें कहा, आपकी स्पीच कहां है। मैंने कहा स्पीच तो लिखी नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होता है भाई। मेरा नवरात्रि का उपवास चल रहा था। ड्राफ्ट रात में तैयार हुई। वे मृदु थीं, ममतामयी थीं। लेकिन, कभी-कभी उनकी जबान में पक्का हरियाणवी टच भी होता था। हरियाणवी टच के साथ बात को कहना और टस से मस न होना, ये उनकी विशेषता थी। मेरे लिए कौन क्या सोचेगा, इसकी चिंता किए बिना, जिम्मेवारियों को निभाने के लिए अपने-आप को कसना, एक कार्यकर्ता क रूप में समर्पित भाव से कार्य करते रहना- ये सब उनकी विशेषता थी। सुषमा जी एक उत्तम कार्यकर्ता के रूप में, एक श्रेष्ठ साथी के रूप में बहुत कुछ देकर, बहुत कुछ छोड़कर गई हैं।”

उन्होंने कहा, “सुषमा स्वराज की विरासत को संभालना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उनकी जो ताकत थी, उसकी कुछ झलक मैंने बांसुरी में अनुभव की। सुषमा जी के जाने के बाद अपने पिता और परिस्थिति को भी संभालने का उसने काम किया।  सुषमा जी का एक लघु रूप बांसुरी में दिखता है। उन्हें आदरपूर्वक नमन करता हूं। प्रभु हमें उनके आदर्शों पर चलने की शक्ति दें, यही से कामना है।” 

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