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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: अयोध्‍या में विवादित जमीन पर बनेगा राम मंदिर, दूसरी जगह बनेगी मस्जिद

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अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 2.77 एकड़ विवादित जमीन रामलला को देने का आदेश दिया है। अदालत ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के लिए कहीं और अलग से 5 एकड़ जमीन देने का भी आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार तीन महीने में ट्र्स्ट बना कर मन्दिर निर्माण की व्यवस्था करे। 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार तीन महीने में ट्र्स्ट बना कर फैसला करे। ट्रस्ट के मैनेजमेंट के नियम बनाए, मन्दिर निर्माण के नियम बनाए। विवादित जमीन के अंदर और बाहर का हिस्सा ट्रस्ट को दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ ही अयोध्या में राम मंदिर का रास्ता साफ हो गया है।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली संवैधानिक पीठ ने सर्वसम्मति से अपना यह ऐतिहासिक फैसला दिया। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस अब्दुल नजीर की संविधान पीठ ने इस मुकदमें की 40 दिन तक मैराथन सुनवाई करने के बाद 16 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। 

शीर्ष अदालत ने कहा है कि इस फैसले का आधार आस्था नहीं बल्कि कानून है और उसने तमाम सबूतों पर गौर करने के बाद यह फैसला सुनाया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े और शिया वक्फ बोर्ड के दावों को खारिज कर दिया। हालांकि निर्मोही अखाड़े को ट्रस्ट में जगह देने की अनुमति को स्वीकार कर लिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी। चीफ जस्टिस ने कहा कि मीर बाकी ने बाबर के वक्‍त बाबरी मस्जिद बनवाई थी। बाबरी मस्जिद को गैर-इस्‍लामिक ढांचे पर बनाया गया। बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी। पुरातत्‍व विभाग की रिपोर्ट से साबित होता है कि मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनाई गई थी। एएसआई के मुताबिक मंदिर के ढांचे के ऊपर ही मंदिर बनाया गया था। कोर्ट ने यह भी कहा कि खुदाई में इस्‍लामिक ढांचे के सबूत नहीं मिले।

सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान को कानूनी मान्‍यता देते हुए कहा कि हिंदुओं की ये आस्था कि भगवान श्रीराम का जन्म अयोध्या में हुआ है, इस पर कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदू इस स्थान को भगवान राम का जन्मस्थान मानते हैं, यहां तक कि मुस्लिम भी विवादित जगह के बारे में यही कहते हैं। ऐतिहासिक उद्धहरणों से भी संकेत मिलते हैं कि हिंदुओं की आस्था में अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित जमीन को तीन हिस्‍सों में बांटने का जो फैसला दिया वो तार्किक नहीं था। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2010 में विवादित 2.77 एकड़ जमीन को राम लला, सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा के बीच बराबर-बराबर बांटने का फैसला सुनाया था, लेकिन तीनों ही पक्ष ने इसे मानने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में यह दूसरी सबसे लंबे समय तक चलने वाली सुनवाई रही। इस मामले में पहले नंबर पर मील का पत्थर कहा जाने वाला केशवानंद भारती मामला है जिसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने 68 दिनों तक की थी।

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