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रूस से S-400 ‘ब्रह्मास्‍त्र’ की आपूर्ति शुरू, मोदी राज में भारत दूसरे देशों के दबाव में नहीं, अपने संकल्प से चलता है

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पिछले सात साल के शासन में आत्मविश्वास से लबरेज एक ‘न्यू इंडिया’ का  उदय हुआ है, जो हर चुनौती से टकराने का साहस और सामर्थ्य रखता है। भारत अब दूसरे देशों की सोच और उनके दबाव में नहीं, बल्कि अपने संकल्प से चलता है। राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर समझौता नहीं करता। इसका प्रमाण चीन से तनाव के बीच रूस से आधुनिक ब्रह्मास्‍त्र कहे जाने वाले एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम की आपूर्ति शुरू होने से मिलता है। इस सिस्टम की पहली खेप भारत पहुंच चुकी है और रूस के सेन्ट्रल सैन्य टेक्नोलॉजी कॉरपोरेशन के डायरेक्टर दिमित्री शुगाएव ने इसकी पुष्टि भी कर दी है। शुगाएव ने कहा कि भारत को एस-400 सिस्‍टम की आपूर्ति शुरू हो गई है और यह तय समय पर चल रही है।

समझौते के तहत 400 किमी तक हवाई सुरक्षा मजबूत करने के लिए भारत को पांच स्क्वाड्रन की आपूर्ति की जाएगी। पहली स्क्वाड्रन की आपूर्ति इस साल के अंत तक पूरी हो जाएगी। चीन पहले ही रूस से एस-400 खरीद चुका है और इसे तिब्बत में तैनात भी कर रखा है। ऐसे में जरूरी है कि भारत के पास भी चीन की तरह एक मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम हो। एस-400 के आ जाने पर भारत, चीन और पाकिस्तान से लगती सीमा पर इनकी तैनाती यदि कर देता है तो इन दोनों शत्रु देशों के खिलाफ उसका डिफेंस काफी मजबूत हो जाएगा। गौरतलब है कि भारत ने रूस से अक्टूबर 2018 में 35 हजार करोड़ रुपये कीमत का सतह से हवा में मार करने वाले इस मिसाइल सिस्टम की आपूर्ति का समझौता किया था। सूत्रों के अनुसार मोदी सरकार की कड़ी सौदेबाजी की वजह से भारत को करीब 7 हजार करोड़ रुपये की बचत हुई थी।

 क्यों बेहतरीन है एस-400

  • एक साथ 36 आसमानी लक्ष्यों को निशाना बनाने की क्षमता है।
  • 400 किमी के दायरे में उड़ती वस्तु को पता लगाने की क्षमता है।
  • उड़ती वस्तु का पता लगाते ही उसे पल भर में नष्ट कर देता है।
  • सिस्‍टम को वाहन से कहीं भी आसानी से पहुंचाया जा सकता है।
  • हमले के लिए 5-10 मिनट के भीतर तैयार किया जा सकता है।
  • अपनी ओर आती मिसाइलों और फाइटर प्लेन को नष्ट करता है।
  • क्रूज मिसाइल और मानव रहित (यूएवी) को नष्ट कर सकता है।
  • यह मिसाइल रक्षा प्रणाली चार अलग-अलग मिसाइलों से लैस है।

मोदी सरकार की दो टूक, रक्षा जरूरतों से कोई समझौता नहीं

भारत से पहले तुर्की रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीद चुका है। इससे गुस्साया अमेरिका तुर्की पर प्रतिबंध भी लगा चुका है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या भारत पर अमेरिका के काट्सा प्रतिबंधों का खतरा मंडराने लगा है? इससे पहले भी अमेरिका समय-समय पर इस सौदे को लेकर भारत को अपने दबाव में लेने की कोशिश कर चुका है लेकिन भारत अमेरिका को दो टूक कह चुका है कि वह अपनी रक्षा जरूरतों से कोई समझौता नहीं करेगा। रूस के साथ एस-400 को लेकर हुए करार पर वह किसी दबाव के आगे नहीं झुकेगा। इस मामले में भारत वही करेगा, जो राष्ट्रहित में होगा।

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