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हीरो नहीं विलेन: सोनम वांगचुक अब विदेशी चंदा, करोड़ों की हेराफेरी, मनी लॉन्ड्रिंग और भड़काऊ भाषण के गंभीर आरोपी

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डीप स्टेट के एजेंट बने लद्दाख के सोनम वांगचुक की विदेशी फंडिंग के जो तथ्य सामने आ रहे हैं, उनसे करोड़ों की फंडिंग, खातों को छिपाने के मामले में उनकी नीयत और लद्दाख में हालात बिगाड़ने की साजिश के सूत्र जुड़ते दिख रहे हैं। जिस वांकचुक को कभी लद्दाख के आंदोलनों का चेहरा माना जाता है, अब वो गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों के केंद्र में हैं। वित्तीय अनियमितताओं के चलते ही वांगचुक के एनजीओ का एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया है। दान और आंदोलन के नाम पर जुटाई गई रकम गैरसरकारी संगठन (एनजीओ) से निकलकर निजी कंपनी में पहुंची, और वहां से सीधे निजी खातों और यहां तक की विदेशों तक भी पहुंच रही है। वांगचुक दावा जनहित का करते रहे हैं, पर हकीकत में पैसों का खेल सामने आया है। दरअसल इस सोशल एक्टिविस्ट का लबादा ओढ़े वांगचुक का असली चेहरा अब सबके सामने आ गया है। वे रेफरेंडम से लेकर यूटी के बजाए जम्मू का हिस्सा बनने की वकालत करने लगा है। वो सबसे सामने कॉरपोरेट के विरोध का नाटक करते रहे और असलीयत में चोरी-छिपे उन्हीं से अनुदान भी लेते रहे। इसी बीच हैरान कर देने वाली बात यह भी है कि सोनम वांगचुक का ‘पाकिस्तान कनेक्शन’ भी भी सामने आ रहा है। देशद्रोह की श्रेणी में आने वाले इस कृत्य के लिए लद्दाख के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) एसडी सिंह जामवाल ने वांगचुक की पाकिस्तान-बांग्लादेश की यात्राओं पर सवाल उठाए हैं।

आंदोलन की आड़ में देश की भावनाओं से खिलवाड़
देश की सुरक्षा एजेंसियों की जांच में यह सनसनीखेज सच सामने आने लगा है कि लद्दाश में हिंसा, आगजनी और विरोध महज गड़बड़ी का मामला नहीं हैं, बल्कि यह सुनियोजित साजिश का भी संकेत देते हैं। जिसके तहत वांगचुक ने आंदोलन की आड़ में जनता की भावनाओं को भड़काकर निजी और संगठनात्मक हित साधने का प्रयास किया है। सबसे बड़ा और ताजा घटनाक्रम गृह मंत्रालय का वह निर्णय है, जिसमें उसने सोनम वांगचुक द्वारा स्थापित स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) की एफसीआरए (FCRA) रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया। यह फैसला विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम, 2010 के तहत कई गंभीर उल्लंघनों के बाद लिया गया। यह कोई साधारण प्रशासनिक कदम नहीं है- इसका सीधा असर SECMOL की विदेशी चंदा प्राप्त करने की वैधता पर पड़ा है। इसके अलावा, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने भी जाँच शुरू कर दी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं विदेशी चंदा का दुरुपयोग कहां हुआ है। प्रारंभिक जांच से जो आंकड़े सामने आए हैं, वे चौंकाने वाले हैं।

एक साल में संस्था को चंदा 6 से बढ़कर हुआ 15 करोड़
सबसे पहले बात सोनम वांगचुक की संस्था हिमालयन इंस्टीट्यूट्स ऑफ अल्टरनेटिव्स (एचआईएएल) की करते हैं। दस्तावेज बताते हैं कि इस संस्था को 2023-24 में करीब 6 करोड़ रुपये का चंदा मिला था, पर अगले ही साल यह रकम बढ़कर 15 करोड़ से भी ज्यादा हो गई। मतलब एक साल में दान ढाई गुना से भी अधिक। यहीं नहीं, संस्था के पास सात बैंक खाते पाए गए, लेकिन इनमें से चार की जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई। एचआईएएल ने बिना एफसीआरए पंजीकरण कराए ही डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक का विदेशी चंदा लिया जो कानून का सीधा उल्लंघन है। इससे यह संदेह और गहरा हो गया है कि कहीं सुनियोजित तरीके से वित्तीय लेन-देन को छुपाने का प्रयास तो नहीं हुआ।

सोनम वांगचुक निदेशक और पत्नी गीतांजलि डायरेक्टर
इसके साथ ही एक निजी कंपनी शेष्योन इनोवेशंस प्राइवेट लिमिटेड (SIPL) भी जाँच के दायरे में आई है, जिसमें सोनम वांगचुक निदेशक के रूप में और उनकी पत्नी गीतांजलि जेबी डायरेक्टर हैं। आरोप है कि HIAL से इस निजी कंपनी में 6.5 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए। इससे हितों के टकराव (Conflict of Interest) और फंड के दुरुपयोग के सवाल खड़े हो गए हैं। इतना ही नहीं, इस कंपनी का शुद्ध लाभ (Net Profit) एक वर्ष में 6.13 प्रतिशत से गिरकर सिर्फ 1.14 प्रतिशत रह गया, जिससे संदेह और गहरा हो गया कि कहीं धनराशि को गलत तरीके से बाहर तो नहीं निकाला गया। सबसे गंभीर आरोप सोनम वांगचुक की व्यक्तिगत वित्तीय स्थिति पर हैं।

मुनाफे का पैसा दबाने का खेल का जांच एजेंसियों को शक
इन्वेस्टिगेशन में यह भी सामने आया है कि 2023-24 में वांगचुक की कंपनी का कुल लाभ 6.13 प्रतिशत था। 2024-25 में कारोबार बढ़कर करीब 9.85 करोड़ रुपये हो गया, पर मुनाफा घटकर सिर्फ 1.14 फीसदी रह गया। यानी टर्नओवर तो बढ़ा, लेकिन मुनाफा गायब। जांच एजेंसियों को शक है कि मुनाफे का पैसा दबाने का खेल किया गया। इतना ही नहीं, कंपनी के तीन खातों में से दो को छुपा लिया गया। एनजीओ से ट्रांसफर हुए 6.5 करोड़ रुपये इन्हीं खातों में पहुंचे थे। वांगचुक की पुरानी संस्था स्टूडेंट्स एजूकेशनल एंड कल्चर मूवमेंट आफ लद्दाख के नाम पर कुल नौ बैंक खाते हैं, पर इनमें से छह का जिक्र नहीं किया गया। यानी यहां भी परदेदारी है। अब सच्चाई सामने आ रही है।

नौ निजी खातों में आठ छिपाए करोड़ों का विदेशी लेन-देन
सबसे दिलचस्प बात कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी फंड (सीएसआर) की है। वांगचुक हर जगह कॉरपोरेट सेक्टर को कठघरे में खड़ा करते रहे हैं, लेकिन दस्तावेज बताते हैं कि उनकी संस्थाओं ने बड़े-बड़े कॉरपोरेट्स और सरकारी पीएसयू से भारी-भरकम सीएसआर फंड लिया। सामने से कॉरपोरेट विरोध और पीछे से उन्हीं से अनुदान का घी कंबल ओढ़कर पिया गया। जांच एजेंसियों ने सोनम वांगचुक के निजी खातों को भी खंगाला तो रिकॉर्ड चौंकाने वाले आया। वांगचुक के पास कुल नौ व्यक्तिगत बैंक खाते हैं। इनमें से आठ छिपाए गए। 2018 से 2024 के बीच इन खातों में 1.68 करोड़ रुपये की विदेशी रकम आई। साल 2021 से मार्च 2024 तक वांगचुक ने अपने निजी खातों से 2.3 करोड़ रुपये विदेश भी भेजे।

वांगचुक पर शिकंजा कसते हुए उनके एनजीओ का एफसीआरए रद्द
हैरानी की बात यह भी है कि इतना पैसा किन संस्थाओं या व्यक्तियों को गया, इसका कोई साफ रिकॉर्ड नहीं है। इससे हवाला के शक पुख्ता होते हैं। एफसीआरए की धारा 11 व 17 का स्पष्ट उल्लंघन, धोखाधड़ी से जुड़े अपराध भी जांच एजेंसी को एफसीआरए की धारा 11 और 17 का उल्लंघन साफ दिख रहा है। कंपनी अधिनियम की शर्तों की अनदेखी और भारतीय दंड संहिता की धारा 467 यानी फर्जी दस्तावेज और धोखाधड़ी से जुड़े अपराध भी जुड़ गए। यही कारण है कि केंद्र सरकार ने वांगचुक पर शिकंजा कसते हुए उनके एनजीओ का एफसीआरए रद्द कर दिया है। अब वांगचुक की संस्थाएं विदेश से वित्तीय लेन-देन नहीं कर सकेंगी। आने वाले समय में सीबीआई और ईडी का शिकंजा भी सोनम वांगचुक पर कसना तय है।

मनी लॉन्ड्रिंग: सोनम वांगचुक ने ₹2.3 करोड़ विदेश भेजा
जांच एजेंसियों के सूत्रों का कहना है कि उनके पास कुल 9 व्यक्तिगत बैंक खाते हैं, जिनमें से 8 खातों का खुलासा नहीं किया गया। इन खातों में ज्यादा संख्या में विदेशी पैसा आने का दावा किया गया है। और भी चिंताजनक बात यह है कि 2021 से अब तक सोनम वांगचुक ने 2.3 करोड़ रुपए से अधिक की पैसा विदेश भेजी, जिनके प्राप्तकर्ताओं की पहचान ‘अज्ञात संस्थाओं’ के रूप में बताई जा रही है। यह सीधे तौर पर मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका पैदा करता है। विडंबना यह है कि सोनम वांगचुक अक्सर कॉरपोरेट जगत और सरकारों की आलोचना करते रहे हैं, लेकिन आरोप है कि उनकी संस्थाओं ने सरकारी उपक्रमों (PSUs) और निजी कंपनियों से बड़ी मात्रा में CSR (कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व) फंड प्राप्त किए हैं। यदि यह आरोप सही साबित होते हैं, तो यह उनके सार्वजनिक बयानों और निजी कार्यों के बीच भारी विरोधाभास को उजागर करेगा।

आंदोलनकारी नेता के मुखौटे के पीछे छिपा है वित्तीय घोटाला
इन आरोपों के असर बहुत दूरगामी हो सकते हैं। अब तक लद्दाख के आंदोलन को एक जमीनी स्तर का संघर्ष माना जाता था, जो स्थानीय लोगों की स्वायत्तता (खुद निर्णय लेने वाले), पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक पहचान की मांगों पर आधारित था। लेकिन अगर ये वित्तीय अनियमितताएं बताती हैं कि यह आंदोलन तो एक व्यक्ति के निजी लाभ और राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं का माध्यम बनकर रह गया। जब कोई व्यक्ति सरकार और उद्योगों से पारदर्शिता की मांग करता है, तो उसे स्वयं भी उतनी ही पारदर्शिता दिखानी चाहिए। CBI की जांच में एक आंदोलनकारी नेता के मुखौटे के पीछे छिपे वित्तीय घोटाले का पर्दाफाश होगा। लद्दाख और देश की जनता को अब सत्य की प्रतीक्षा है, क्योंकि यही सच न केवल सोनम वांगचुक की छवि बल्कि लद्दाख के भविष्य को भी निर्धारित करेगा।

वांगचुक से जुड़े एक पाकिस्तानी खुफिया एजेंट की गिरफ्तारी
इस बीच लद्दाख में हुई हिंसा के बाद सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत गिरफ्तार किया गया है। सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक पर भीड़ को उकसाने, हिंसा भड़काने और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। इसी बीच इस मामले में पाकिस्तान का एंगल भी सामने आ रहा है। लद्दाख के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) एसडी सिंह जामवाल ने मीडिया से बातचीम में सोनम वांगचुक की पाकिस्तान यात्राओं पर सवाल उठाए। जामवाल ने कहा कि सोनम वांगचुक पाकिस्तान में डॉन के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे और उन पर केंद्र के साथ राज्य के दर्जे की बातचीत को विफल करने की कोशिश करने का आरोप है। उन्होंने वांगचुक की गिरफ्तारी से जुड़े एक पाकिस्तानी खुफिया एजेंट (पीआईओ) की गिरफ्तारी और कार्यकर्ता के पाकिस्तानी लोगों के संपर्क में होने के सुरागों के बारे में भी जानकारी दी।

सोनम वांगचुक ने पाकिस्तान और बांग्लादेश का दौरा किया
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक लद्दाख पुलिस की जांच में सोनम के पाकिस्तान कनेक्शन का खुलासा हुआ है। डीजीपी जामवाल ने बताया, “हमने हाल ही में एक पाकिस्तानी पीआईओ को भी गिरफ्तार किया है जो सोनम वांगचुक के संपर्क में था और उन्हें रिपोर्ट कर रहा था। हमारे पास इसका रिकॉर्ड है। वांगचुक पाकिस्तान में डॉन के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे, उन्होंने बांग्लादेश का भी दौरा किया था। हमने जिस पीआईओ को गिरफ्तार किया है, वह कुछ अहम चीजें पाकिस्तान भेज रहा था। हमने उस व्यक्ति को निगरानी में रखा है।”

वांगचुक ने की शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ने की कोशिश
पुलिस प्रमुख ने वांगचुक की कुछ विदेश यात्राओं को संदिग्ध बताते हुए कहा, ‘‘उन्होंने पाकिस्तान में द डॉन के एक कार्यक्रम में भाग लिया और बांग्लादेश भी गए।” वांगचुक, लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और केंद्रशासित प्रदेश को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर ‘लेह एपेक्स बॉडी’ और ‘करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस’ द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन का मुख्य चेहरा है। वांगचुक ने आंदोलन के मंच को अपने नियंत्रण में लेने और केंद्र सरकार व लद्दाख के प्रतिनिधियों के बीच जारी संवाद को कमजोर करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने लद्दाख के नेताओं को छह अक्टूबर को बातचीत के एक नए दौर के लिए आमंत्रित किया है। जामवाल ने बताया कि वांगचुक जानते थे कि दोनों पक्षों के बीच 25 सितंबर को एक अनौपचारिक बैठक होने वाली थी, इसके बावजूद उन्होंने अपना अनशन जारी रखा। जामवाल ने आरोप लगाया, इस बैठक से ठीक एक दिन पहले, भड़काऊ वीडियो और बयानों के जरिए शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ने की कोशिश की गई।

इससे पहले सोनम वांगचुक ने कब-कब आंदोलन किया?
2023 फरवरी की शुरुआत में सोनम वांगचुक ने केंद्र शासित प्रदेश को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर पांच दिन की भूख हड़ताल की थी। तब लद्दाख के लोग उनके साथ भूख हड़ताल में शामिल हुए।
18 जून 2023 को शुरू हुए सोनम वांगचुक ने अनशन ने लेह के एनडीएस स्टेडियम में सैकड़ों की भीड़ को आकर्षित किया। शुरुआत में यह अनशन सात दिनों का था, लेकिन उन्होंने इसे दो दिन और बढ़ा दिया।
वांगचुक का सरकार के खिलाफ पहला लंबा अनशन 6 मार्च 2024 से शुरू हुआ था। जलवायु से जुड़ी चुनौतियों के मुद्दे के साथ वे 21 दिनों की भूख हड़ताल पर थे।
सोनम की ओर से लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर अलग आंदोलन 1 सितंबर 2024 से शुरू हुआ। सोनम ने लेह से दिल्ली तक पैदल मार्च शुरू किया। इसे “दिल्ली चलो” नाम दिया गया, जिसमें लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) भी शामिल हुए।
वांगचुक ने इसके बाद 10 सितंबर 2025 से 35 दिनों के अनशन की शुरुआत हुई, जो भड़काऊ बयान के चलते हिंसक प्रदर्शन के कारण केवल 15 दिन में ही खत्म हो गई।

अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को बदनाम करने की दी धमकी
सोनम वांगचुक की दाल जब लद्दाख में दंगा और हिंसा कराकर नहीं गली तो अब वे भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने की धमकी भी देने लगे हैं। उन्होंने खुद एक वीडियो स्पीच में धमकी भरे लहजे में कहा कि “आपने देखा होगा कि आजतक के मेरे सारे अपडेट्स हिन्दी भाषा में हैं। उसका एक कारण हैं वो मैं नहीं चाहता कि भारत की ये अंदरूनी बातें विदेशों तक पहुंचे। हमारे नेताओं और भारत का अपमान अंतर्राष्ट्रीय मंच पर हो। वरना हमारे बहुत से समर्थक विदेशों में हैं। बहुत से नेटवर्क से हैं, जो हमारा समर्थन करना चाहते हैं। जैसे एशिया में मैग्सेसे अवार्ड फाउंडेशन है। जापान में कई फाउंडेशन हैं। वैसे ही यूरोप में रोलेक्स अवॉर्ड फाउंडेशन है। नोबेल पीस प्राइस फाउंडेशन है। जहां पर मैंने एक बहुत बड़ा लेक्चर किया था। वैसे ही अमेरिका में, साउथ अमेरिका में, तो फिर भी हम उन्हें मदद के लिए अभी तक नहीं बोल रहे हैं। मगर अब इतने दिन हुए और हमारी एक आवाज नहीं पहुंची, तो हम सोच रहे हैं कि कल से हम अपने सुबह का अपडेट अंग्रेजी भाषा में करें। ताकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी लद्दाख के हिमालय के पर्यावरण का क्या हो रहा है उसके बारे में ज्ञात तो और उनका भी समर्थन मिले।” यानि वे खुद एक अंतर्राष्ट्रीय साजिश की ओर इशारा कर रहे हैं।

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