Home समाचार सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन पैकेज

सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन पैकेज

SHARE

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने 2022 तक सोलर बिजली उत्पादन को एक लाख मेगावाट तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध दिखाई दे रही है। सरकार सोलर फोटोवोल्टिक मैन्यूफैक्चरिंग को प्रोत्साहन देने के लिए 11 हजार करोड़ रुपये का पैकेज देने पर विचार कर रही है। ताकि ऊर्जा की जरूरतें भी पूरी हों और प्रकृति का संरक्षण भी साथ-साथ जारी रहे।

सोलर मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए 11 हजार करोड़ रुपये का पैकेज

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने सौर ऊर्जा के उत्पादन में तेजी लाने के लिए नई स्कीम पर विचार कर रही है। इस स्कीम के तहत सोलर  फोटोवोल्टिक (पीवी) मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में 11 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। इसके लिए मंत्रालय ने एक प्रस्ताव तैयार किया है, जिस पर 31 दिसंबर तक विचार करने के लिए संबंधित पक्षों को भेजा गया है। अगले महीने तक स्कीम को अंतिम रूप दिया जाएगा और इसकी घोषणा एक फरवरी,2017 को बजट में की जा सकती है। जिसे वित्तीय वर्ष 2018-19 में लागू किया जाएगा। इस स्कीम में निवेश राशि के 30 प्रतिशत तक सब्सिडी देने का प्रस्ताव है। जो सब्सिडी नहीं लेंगे उन्हें तीन प्रतिशत तक सस्ता कर्ज मिलेगा। साथ ही मशीनरी के आयात पर आयात शुल्क नहीं लगाने का फैसला हो सकता है। ताकि मशनीरी के मूल्य में कमी की जा सके। इसके अलावा मंत्रालय सोलर सेक्टर के आधुनिकीकरण के लिए ‘टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन फंड’ बनाने पर विचार कर रहा है।

सौर ऊर्जा में जगतगुरु बना भारत 

ऊर्जा क्षेत्र का कायापलट करने के लिए सरकार ने पिछले तीन सालों में कई योजनाओं को लागू किया, जिनके सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं। इस दौरान सौर ऊर्जा में 370 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। पहले के लगभग 2.6 गीगावॉट की तुलना में अब 12.2 गीगावॉट से अधिक हो गई है। इसे 2022 तक 100 गीगावॉट करने का लक्ष्य है। वहीं सोलर रूफ टॉप की स्थापित क्षमता में 15 गुना वृद्धि हुई है। 2014-15 में यह 41 मेगावॉट थी, जो 2016-17 में बढ़कर 656 मेगावॉट हो गई। विश्व का सबसे बड़ा भूमि पर स्थापित सौर संयंत्र भारत मेंं है और विश्व का सबसे बड़ा रूफटॉप दोनों ही भारत में हैं। इस लिए इंटरनेशनल सोलर अलायंस ने भारत को जगतगुरु की पदवी दी है।

2018 तक हर गांव होगा रोशन
मोदी सरकार ने अगले साल अक्टूबर तक देश के सभी गांवों में बिजली पहुंचा देने का वादा किया है। दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत जिस गति से ग्रामीण विद्युतीकरण का काम हो रहा है उससे यह असंभव सा लगने वाला काम संभव लग रहा है। तीन साल पहले मोदी सरकार के गठन के समय देश के 18,452 गांव बिजली से वंचित थे। जिनमें से 13 मई, 2017 के अनुसार 13,551 गांवों में बिजली पहुंच चुकी है। बाकी बचे 4941 गांवों में बिजली पहुंचाने का काम तेजी से चल रहा है।

बिजली उत्पादन बढ़ा, बर्बादी रुकी
मोदी सरकार द्वारा उठाये गये कदमों का असर है कि देश में लगातार बिजली उत्पादन में बढ़ोत्तरी हो रही है। इसकी दो बड़ी वजहें हैं। एक तरफ वितरण में होने वाला नुकसान कम हुआ है। दूसरी ओर सफल कोयला एवं उदय नीति से उत्पादन बढ़ा है। जैसे- 2013-14 में बिजली उत्पादन 96,700 करोड़ यूनिट हुआ था, जो 2014-15 में बढ़कर 1,04,800 करोड़ यूनिट हो गया। ये दौर आगे भी जारी रहा और 2016-17 में बिजली उत्पादन 1,16,000 करोड़ यूनिट हो गया। 2017 तक बिजली हानि या चोरी घटकर 25 प्रतिशत रह गयी है। 2017 पहला ऐसा वर्ष है जब बिजली की अधिकता रही । 2016-17 में पहली बार नवीकरणीय ऊर्जा की शुद्ध बढ़त परंपरागत ऊर्जा की शुद्ध बढ़त से अधिक रही। सौर और पवन ऊर्जा अब तक के सबसे कम मूल्य पर उपलब्ध है।

देश के कुल ऊर्जा उत्पादन में सौर ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ रही है, जिससे परंपरागत ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता कम होगी। साथ ही पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा। 2022 तक देश के हर घर को चौबीसों घंटे बिजली देने का लक्ष्य है, जिस गति से काम चल रहा है उससे अब यह प्राप्त कर लेना आसान लगने लगा है, पहले यह कल्पना भी नहीं की जा सकती थी कि देश में ऐसा भी हो सकता है।

Leave a Reply Cancel reply