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किसान आंदोलन सुलझाते हुए लेफ्ट सरकार ने ले ली थी 14 किसानों की बलि!

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नए कृषि कानून का कांग्रेस समेेत लेफ्ट पार्टियां भी विरोध कर रही हैं, साथ ही किसानों को सरकार के खिलाफ उकसाने के हरसंभव कोशिश भी कर रही हैं। इन पार्टियों का इतिहास किसानों पर अत्याचार करने का रहा है। 1998 में मध्य प्रदेश की कांग्रेसी दिग्विजय सिंह सरकार ने आंदोलन कर रहे किसानों पर पुलिस फायरिंग का आदेश दिया था, जिसमें 22 किसानों की मौत हो गई थी तो 2006 में पश्चिम बंगाल के सिंगूर और नंदीग्राम में वामपंथी बुद्धदेव सरकार ने अपनी जमीन के लिए लड़ रहे किसानों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया था, जिसमें 14 किसानों की मौत हो गई थी।

2006 में पश्चिम बंगाल सरकार ने कार फैक्ट्री के लिए हुगली जिले के सिंगूर में 5 गांव से किसानों की जमीन लेने का फैसला लिया। 18 मई 2006 को टाटा ग्रुप ने ऐलान किया कि वह पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के सिंगूर में करीब 997 एकड़ जमीन पर लखटकिया कार फैक्ट्री बनाएंगे। पश्चिम बंगाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने सिंगूर के पांच गांव गोपालनगर, सिंघेरभेरी, बेराबेरी, खासेरभेरी और बाजेमेलिया के 9 हजार से अधिक किसानों से लगभग 997 एकड़ जमीन लेने की योजना तैयार की। 

राज्य सरकार ने इसके लिए 6 हजार किसानों को जमीन देने के लिए राजी कर लिया, लेकिन शेष किसानों ने जमीन देने से मना कर दिया। हालांकि, सरकार ने उनसे जबरन जमीन पर कब्जा ले लिया. जमीन अधिग्रहण के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन के दौरान पुलिस फायरिंग में 14 किसान मारे गए। 

नंदीग्रामः अधिग्रहण के विवाद में किसानों का संघर्ष

सिंगूर के अलावा नंदीग्राम शहर भी किसानों के साथ हुई बर्बरता के लिए जाना जाता है। नवंबर 2007 में पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम में इंडोनेशिया की एक कंपनी सालिम ग्रुप के स्पेशल इकॉनोमिक जोन के लिए जमीन अधिग्रहण के विवाद में पुलिस के साथ हुए संघर्ष में 14 किसानों की जान चली गई। 

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