Home केजरीवाल विशेष भ्रष्टाचार में शीला सरकार से भी आगे निकली केजरीवाल सरकार ?

भ्रष्टाचार में शीला सरकार से भी आगे निकली केजरीवाल सरकार ?

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क्या दिल्ली के विवादास्पद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार ने भ्रष्टाचार के मामले में शीला दीक्षित सरकार को भी पीछे छोड़ दिया है ?क्योंकि उनके सियासी विरोधी आरोप लगाने लगे हैं कि ढाई साल से भी कम समय में उनकी सरकार में जितने घोटाले हुए हैं, उसने 15 साल की शीला सरकार के भी सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। दरअसल अपने ही मंत्री से दो करोड़ रुपये की रिश्वत लेने के आरोपों से घिरने के बाद बाकी आरोपों की भी गंभीरता कई गुना बढ़ गई है। दूसरों पर बिना सोचे-समझे लांछन लगाने में उस्ताद केजरीवाल की जुबान से आज बोली नहीं फूट पा रही है। इससे उनपर और भी गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। यहां पर शीला दीक्षित सरकार और केजरीवाल सरकार पर लगे भ्रष्टाचारों के आरोपों को रखेंगे और उसी आधार पर परखने की कोशिश करेंगे कि, क्या दिल्ली की वर्तमान सरकार शीला सरकार से भी ज्यादा भ्रष्ट सरकार है।

शीला सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप:

वॉटर टैंकर घोटाला-
आरोपों के अनुसार करीब 400 करोड़ रुपये का टैंकर घोटाला तब हुआ था, जब दिल्ली पर कांग्रेस का राज था और शीला दीक्षित मुख्यमंत्री थीं। जब ये घोटाला हुआ तब शीला दीक्षित न सिर्फ मुख्यमंत्री थीं, बल्कि वो दिल्ली जल बोर्ड की चेयरपर्सन भी थीं। इस घोटाले में दिल्ली में पानी सप्लाई के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर हायर किए गए प्राइवेट टैंकर्स में अनियमितताओं के आरोप हैं। सत्ता में आने के बाद जून 2015 में आम आदमी पार्टी सरकार ने जांच के लिए फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी गठित की। कमेटी ने अगस्त, 2015 में ही अपनी रिपोर्ट पेश की और 2012 में 400 करोड़ रुपये का घोटाला होने की बात कही। रिपोर्ट में कहा गया कि प्राइवेट कंपनियों से लिए गए 385 स्टेनलैस-स्टील वॉटर टैंकरों को असल कीमत से तीन गुना महंगे दाम पर खरीदा गया। रिपोर्ट को दिल्ली सरकार ने एक साल तक दबाए रखा। एक साल बाद कपिल मिश्रा ने रिपोर्ट को उप-राज्यपाल के पास भेजकर सीबीआई और एसीबी से मामले की जांच कराने की मांग की। तत्कालीन उपराज्यपाल ने रिपोर्ट को एसीबी के पास भेज दिया, जिसने शीला दीक्षित और अरविंद केजरीवाल दोनों के ही खिलाफ मामला दर्ज किया।

कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला-
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले के आरोपों से भी घिरी रही हैं। आरोप है कि उनकी सरकार ने गेम्स के लिए लाइट की खरीद में गड़बड़ी की जिससे दिल्ली के पीडब्ल्यूडी विभाग को बड़ा नुकसान हुआ। दिल्ली की मौजूदा सरकार ने ही एक रिपोर्ट तैयार कराई थी, जिसमें शीला दीक्षित का नाम लेकर कहा गया कि उनकी सरकार ने निजी कंपनियों को गलत तरीके से फायदा पहुंचाकर सरकारी खजाने को 27 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया। आरोपों के अनुसार 5-5,6-6 हजार रुपये की लाइट सरकार ने 27,000 रुपये में खरीदी।

दिल्ली महिला आयोग में घोटाला-
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर दिल्ली की वर्तमान महिला आयोग की अध्यक्ष ने डीसीडब्ल्यू में घोटाले का आरोप लगाया था। एसीबी को किए अपनी शिकायत में स्वाति मालीवाल ने कहा था कि 2007 से 2015 के बीच आयोग में करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ। मालीवाल के अनुसार शीला ने अपने पसंदीदा ठेकेदारों को ठेके दिलवाए और उनके पास इसको लेकर 128 सबूत हैं। मालीवाल ने तो एक कदम आगे बढ़कर यहां तक कह दिया था कि इस घोटाले में शीला दीक्षित को बिना जांच के ही सीधे जेल में डाल देना चाहिए।

केजरीवाल सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप:

केजरीवाल पर रिश्वत लेने का आरोप-
करीब ढाई साल पुराने अरविंद केजरीवाल सरकार पर भ्रष्टाचार का ये सबसे गंभीर आरोप है। जो आदमी भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को भुनाकर मुख्यमंत्री बना उसके अपने ही कैबिनेट सहयोगी ने 2 करोड़ रुपये रिश्वत लेने का आरोप लगाया है। सबसे बड़ी बात ये है कि कपिल मिश्रा ने केजरीवाल से जिस व्यक्ति से रिश्वत लेने का आरोप लगाया है, वो उन्हीं की सरकार में सीएम के चहते मंत्री सत्येंद्र जैन हैं। कपिल मिश्रा के आरोपों में कितना दम है ये तो जांच के बाद पता चलेगा। लेकिन कुछ तथ्य ऐसे हैं जिससे ईमानदारी का चोला ओढ़े केजरीवाल की कलई खुल जाती है। जैसे इतने गंभीर आरोप पर न तो उन्होंने सफाई देने की जरूरत समझी है और न ही कपिल मिश्रा के विरोध में किसी कानूनी कार्रवाई की ही बात कही है।

स्वास्थ्य मंत्री का घोटाला-
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ आयकर विभाग की जांच में कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। उनपर पर हवाला के जरिए 16.39 करोड़ रुपए मंगाने का आरोप है। इन मामलों में उनकी सघन जांच हो रही है। इसके अलावा जैन पर अपनी ही बेटी को दिल्ली सरकार के मोहल्ला क्लीनिक परियोजना में सलाहकार बनाने का भी आरोप है। इस केस की जांच भी सीबीआई के जिम्मे है। शुंगलू कमेटी ने भी इस मामले में दिल्ली सरकार पर उंगली उठाई है। यहां ये बताना आवश्यक है कि कपिल मिश्रा ने इन्हीं पर केजरीवाल को पैसे देने के आरोप लगाए हैं। मिश्रा के अनुसार जैन ने अपनी करतूतों पर पर्दा डाले रखने के लिए केजरीवाल के किसी रिश्तेदार की 50 करोड़ रुपये की डील भी कराई है।

विज्ञापन घोटाला-
केजरीवाल पर विज्ञापनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के उल्लंघन का भी आरोप है। इसके लिए उनकी पार्टी से 97 करोड़ रुपये वसूले भी जाने हैं। जांच में पाया गया है कि सरकारी विज्ञापनों के माध्यम से केजरीवाल ने अपनी और अपनी पार्टी का चेहरा चमकाने की कोशिश की है। इनमें से उनकी पार्टी की ओर से दिए गए कई झूठे और बेबुनियाद विज्ञापन भी शामिल हैं। सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार भी केजरीवाल सरकार पर दूसरे राज्यों में अपने दल का प्रचार करने के लिए दिल्ली की जनता के खजाने पर डाका डालने का आरोप है। पहले साल के काम-काज पर तैयार रिपोर्ट कहती है कि पहले ही साल में केजरीवाल सरकार ने 29 करोड़ रुपये दूसरे राज्यों में अपने दल के विज्ञापन पर खर्च किए। 2015-16 में केजरीवाल ने जनता के 522 करोड़ रुपये विज्ञापन पर खर्च कर किए थे।

‘टॉक टू ए के’ घोटाला-
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ भी सीबीआई भ्रष्टाचार के मामले दर्ज कर जांच कर रही है। आरोपों के अनुसार सिसोदिया ने केजरीवाल के टॉक टू एके कार्यक्रम के प्रचार के लिए 1.5 करोड़ रुपये में एक पब्लिक रिलेशन कंपनी को काम सौंप दिया। जबकि मुख्य सचिव ने इसके लिए इजाजत नहीं देने को कहा था।

रिश्तेदार के साथ मिलकर घोटाला-
दिल्ली के विवादास्पद सीएम केजरीवाल, उनके रिश्तेदार सुरेन्द्र कुमार बंसल और पीडब्ल्यूडी विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ भी भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच हो रही है। इस केस में शिकायतकर्ता ने मुख्यमंत्री के रिश्तेदार पर जाली दस्तावेजों के आधार पर फर्जी कंपनियों के नाम से ठेके लेने और उसके लिए जाली बिल बनाकर सरकारी खजाना लूटने का आरोप है।

बीआरटी कॉरीडोर तोड़ने का घोटाला-
केजरीवाल सरकार पर दिल्ली में बीआरटी कॉरीडोर को तोड़ने के लिए दिए गए ठेके में भी धांधली का आरोप लग चुका है। आरोपों के अनुसार इस मामले में दिल्ली सरकार ने ठेकेदार को तय रकम के अलावा कंक्रीट और लोहे का मलबा भी दे दिया, जिसकी कीमत करोड़ों रुपये में थी। इस मामले में पिछले साल एसीबी छापेमारी करके कुछ दस्तावेज भी जब्त कर चुकी है।

स्ट्रीट लाइट घोटाला-
आम आदमी पार्टी नेता राखी बिड़लान पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। आरोपों के अनुसार उन्होंने मंगोलपुरी में 15 हजार की सोलर स्ट्रीट लाइट को एक लाख रुपये और 10 हजार में लगने वाली सीसीटीवी कैमरों पर सरकार के 6 लाख रुपये उड़ा दिए।

खाद्य मंत्री का भ्रष्टाचार
केजरीवाल सरकार में खाद्य मंत्री रहे असीम अहमद खान ने अपने विधानसभा क्षेत्र मटियामहल में एक बिल्डर से निर्माण कार्य जारी रखने के लिए 6 लाख रुपये मांगे थे। लेकिन इस मामले का खुलासा हो जाने के डर से केजरीवाल ने उन्हें आनन-फानन में बर्खास्त कर दिया।

केजरीवाल सरकार का राशन ‘कांड’
केजरीवाल के सामाजिक कल्याण, महिला व बाल विकास मंत्री रहे संदीप कुमार पर एक महिला ने राशन कांड बनवाने के लिए जबरन संबध बनाने के आरोप लगाए। केजरीवाल के चहेते मंत्री की सीडी वायरल हो गई और उन्हें अपने करीबी मंत्री को लाचार होकर बर्खास्त करना पड़ गया

जालसाजी में फंसे कानून मंत्री
दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर को जाली सर्टिफिकेट रखने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था। इसको लेकर केजरीवाल और उनकी टीम ने कुछ दिनों तक जबर्दस्त नौटंकी की। दिल्ली में इमरजेंसी जैसे हालात होने तक का मातम मनाना शुरू कर दिया। लेकिन आखिरकार दूध का दूध पानी का पानी हो गया और तोमर की लॉ समेत बाकी डिग्रियां भी फर्जी पाई गईं। दिल्ली के पढ़े-लिखे इंजीनियर मुख्यमंत्री का दावा था कि उन्होंने खुद तोमर के सर्टिफिकेट देखकर टिकट दिए थे।

संविधान को ताक पर रखकर बांटी रेवड़ियां
13 मार्च, 2015 को आप सरकार ने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बना दिया। ये जानते हुए भी कि यह लाभ का पद है, उन्होंने ये कदम उठाया। दरअसल उनकी मंशा अपने सभी साथियों को प्रसन्न रखना था। उनका इरादा अपने विधायकों को लालबत्ती वाली गाड़ी, ऑफिस और अन्य सरकारी सुविधाओं से लैस करना था, ताकि उनके ये भ्रष्ट साथी ऐश कर सकें। लेकिन कोर्ट में चुनौती मिली तो इनकी हेकड़ी गुम हो गई। हालांकि केजरीवाल सरकार ने ऐसा कानून भी बनाने की कोशिश कि जिससे संसदीय सचिव का पद संवैधानिक हो जाए। लेकिन हाई कोर्ट के आदेश से मजबूर होकर ये फैसला निरस्त करना पड़ा। अब उन विधायकों की सदस्यता पर चुनाव आयोग की तलवार लटकी हुई है।

सबसे बड़ी बात है कि केजरीवाल सत्ता मिलते ही शीला दीक्षित को जेल भेजने का दंभ भरते थे। वो उनके खिलाफ हजारों पन्नों का दस्तावेज भी रखने का दावा करते थे। लेकिन सत्ता में आते ही सारे सबूत और सारे आरोप हवा हो गए। अब जब उनपर कपिल मिश्रा ने आरोप लगाए हैं तो उसका जवाब नहीं दे पा रहे। अगर कपिल झूठ बोल रहे हैं तो उनपर मुकदमा क्यों नहीं करते ? सत्येंद्र जैन को बचाने की कौन सी मजबूरी है? जैन उनका कौन सा राज जानते हैं ? रही बात शीला दीक्षित की तो भले ही उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हों, लेकिन उनके कार्यकाल में जो दिल्ली चमकती दिखाई देती थी, उसे केजरीवाल एंड कंपनी ने अपनी करतूतों से मुरझा दिया है।

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