कांग्रेस सांसद शशि थरूर को लेकर पार्टी में दरार बढ़ती ही जा रही है। बीते कुछ समय से थरूर पार्टी लाइन से अलग देशप्रेम और राष्ट्रहित के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। पीएम मोदी सरकार की तारीफ से लेकर इंदिरा गांधी की इमरजेंसी को काला अध्याय बताने तक वे सुर्खियों में हैं। इस कारण कांग्रेस हाईकमान लगातार असहज स्थिति में है। इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के. मुरलीधरन ने शशि थरूर पर फिर से निशाना साधते हुए कहा कि जब तक वह राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर अपना रुख नहीं बदलते, तब तक उन्हें राज्य की राजधानी में किसी भी पार्टी कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया जाएगा। मुरलीधरन ने दावा किया कि कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य थरूर को अब ‘हम में से एक’ नहीं माना जाता। हालांकि पार्टी के आला नेताओं की थरूर पर बोलती बंद है। दूसरी ओर तिरुवनंतपुरम के सांसद थरूर ने तुर्की-ब-तुर्की जवाब देते हुए कहा है कि “देश और उसकी सीमाओं पर हाल ही में जो कुछ हुआ, उसके सिलसिले में सशस्त्र बलों और केंद्र सरकार का समर्थन करने के मेरे रुख़ के कारण बहुत से लोग मेरी आलोचना कर रहे हैं। लेकिन मैं साफ-साफ कह रहा हूं कि मैं अपनी सच की बात पर अड़ा रहूंगा। क्योंकि मेरा मानना है कि देश के लिए यही सही है।”
राष्ट्रीय नेतृत्व तय करेगा कि कैसी हो कार्रवाईः के मुरलीधरन
वरिष्ठ कांग्रेस नेता के. मुरलीधरन ने कहा कि पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व तय करेगा कि कांग्रेस सांसद शशि थरूर के खिलाफ कैसी कार्रवाई की जरूरत है। थरूर की आलोचना करते हुए मुरलीधरन ने कहा कि तिरुवनंतपुरम के सांसद को राज्य की राजधानी में कांग्रेस के किसी भी कार्यक्रम में तब तक आमंत्रित नहीं किया जाएगा, जब तक कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा पर अपना रुख नहीं बदलते। पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरलीधरन ने यह भी कहा कि कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य थरूर को अब “हम में से एक” नहीं माना जाता। अब वह हमारे साथ नहीं हैं, इसलिए उनके किसी कार्यक्रम का बहिष्कार करने का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने आगे कहा कि पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व तय करेगा कि थरूर के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाए। मुरलीधरन इससे पहले एक सर्वेक्षण साझा करने पर थरूर पर निशाना साध चुके हैं, जिसमें कहा गया था कि थरूर यूडीएफ की ओर से मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे पसंदीदा विकल्प हैं।
राष्ट्र सर्वोपरि, पार्टियां केवल देश को बेहतर बनाने का माध्यम
मुरलीधरन की यह टिप्पणी थरूर द्वारा कोच्चि में एक कार्यक्रम में अपने रुख का बचाव करने के एक दिन बाद आई है। थरूर ने कहा था, “राष्ट्र पहले आता है और पार्टियां देश को बेहतर बनाने का माध्यम हैं।” थरूर ने कहा, “देश और उसकी सीमाओं पर हाल ही में जो कुछ हुआ, उसके सिलसिले में सशस्त्र बलों और केंद्र सरकार का समर्थन करने के मेरे रुख़ के कारण बहुत से लोग मेरी कड़ी आलोचना कर रहे हैं। लेकिन मैं अपनी बात पर अड़ा रहूंगा, क्योंकि मेरा मानना है कि देश के लिए यही सही है।” थरूर ने आगे कहा कि जब उनके जैसे लोग राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में अन्य दलों से सहयोग का आह्वान करते हैं, तो अक्सर उनकी अपनी ही पार्टियां उन्हें विश्वासघाती समझती हैं। उन्होंने आगे कहा, “यह एक बड़ी समस्या बन जाती है।” बता दें कि मुरलीधरन ने एक मलयालम दैनिक में लिखे थरूर के एक लेख के लिए भी उनकी आलोचना की थी, जिसमें सांसद ने आपातकाल के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की भूमिका पर आलोचनात्मक विचार व्यक्त किए थे।
शशि थरूर ने पार्टी हाईकमान को खुलकर कराया ‘सच का सामना’
इससे कुछ दिन ही पहले तिरुवनंतरपुरम से सांसद और वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी हाईकमान को ‘सच का सामना’ कराया है। थरूर ने पहले पीएम मोदी और उनकी सरकार के कामों की मुक्तकंठ से प्रशंसा की। फिर ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का गुणगान वैश्विक स्तर पर किया। उसके बाद इंदिरा गांधी द्वारा लगाए आपातकाल की खुलकर निंदा की है और इसे भारत के इतिहास का सबसे काला अध्याय बताया। इतना ही नहीं थरूर ने राहुल गांधी के चाचा संजय गांधी पर भी निशाना साधा है। मलयालम भाषा के अखबार ‘दीपिका’ में प्रकाशित अपने एक लेख में शशि थरूर ने कहा कि अनुशासन और व्यवस्था के लिए उठाए गए कदम जब आपातकाल जैसी क्रूरता में बदल जाते हैं, उन्हें किसी भी तरह उचित नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने अपने लेख में इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी द्वारा चलाए गए जबरन नसबंदी अभियान को ‘क्रूरता का सर्वोच्च उदाहरण’ बताया। उन्होंने लिखा, “गरीब ग्रामीण इलाकों में लक्ष्य पूरा करने के लिए हिंसा और दबाव का सहारा लिया गया, जो क्रूरता की पराकाष्ठा थी।
द हिंदू के लेख और एक्स पर पोस्ट कर दिखाया आईना
सांसद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने पिछले दिनों से ‘सत्य का मार्ग’ पकड़ लिया है, जो झूठ के आडंबर पर बैठे कांग्रेस के आला नेताओं को सुहा नहीं रहा है। दरअसल, कांग्रेस में वैसे ही काबिल लोगों की बहुत कमी है। एक-दो बचे हैं, उनकी काबिलियत की कद्र कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी को नहीं है। यही वजह है कि उनकी पटरी खरी-खरी और सही बात कहने वाले अपनी ही पार्टी के सांसद शशि थरूर के नहीं बैठ रही है। कांग्रेस सांसद ने पहले द हिंदू में लेख लिखकर कांग्रेस हाईकमान को आईना दिखाया था, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की समझ में नहीं आया। खरगे ने तब थरूर पर तंज करते हुए कहा, “मैं अंग्रेजी पढ़ नहीं सकता, लेकिन थरूर की लैंग्वेज बहुत अच्छी है। हमारे लिए देश पहले है, लेकिन कुछ लोगों के लिए मोदी फर्स्ट हैं।” इसके जवाब में शशि थरूर शानदार तरीके से गेंद कांग्रेस के पाले में ही डाल दी है। खरगे के राजनीतिक बयान पर शशि थरूर की साहित्यिक प्रतिक्रिया दी। दार्शनिक भाव के साथ एक्स पर यह टिप्पणी राजनीतिक रूप से भी एकदम दुरुस्त है। इसमें खरगे ही नहीं, बल्कि कांग्रेस पार्टी और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के लिए भी साफ-साफ, मगर सख्त संदेश दे दिया था।
राहुल गांधी के साथ उनकी दादी और चाचा संजय को बनाया निशाना
कांग्रेस सांसद ने एक बार फिर मलयालम भाषा के अखबार ‘दीपिका’ में लेख लिखा है। इस बार निशाना मल्लिकार्जुन नहीं, बल्कि राहुल गांधी के साथ उनकी दादी और चाचा बने हैं। उन्होंने साफ-साफ आपातकाल की निंदा करते हुए कहा है कि आज का भारत 1975 का भारत नहीं है। थरूर ने आपातकाल की निंदा की है और इसे भारत के इतिहास का एक काला अध्याय बताया है। शशि थरूर ने कहा कि कैसे आजादी खत्म की जाती है, ये 1975 में सभी ने देखा। लेकिन आज का भारत 1975 का भारत नहीं है। कांग्रेस नेता शशि थरूर का यह लेख उनकी पार्टी के नेताओं को फिर असहज कर सकता है। यह पहली बार नहीं है, इससे पहले भी शशि थरूर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों की तारीफ कर चुके हैं। ऑपरेशन सिंदूर के बाद अन्य देशों में भारत का पक्ष रखने के लिए जो सांसदों की टीम बनाई गई थी, उसमें कांग्रेस सांसद शशि थरूर भी शामिल थे। शशि थरूर ने विदेशी धरती पर मोदी सरकार का जमकर समर्थन किया था।
आपातकाल को भारत के इतिहास का सबसे काला अध्याय बताया
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा है कि आपातकाल को भारत के इतिहास के एक काले अध्याय के रूप में ही याद नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि इसके सबक को पूरी तरह से समझा जाना चाहिए। मलयालम दैनिक दीपिका में आपातकाल पर प्रकाशित एक लेख में थरूर ने 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 के बीच प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा घोषित आपातकाल के काले दौर को याद किया और कहा कि अनुशासन और व्यवस्था के लिए किए गए प्रयास अक्सर क्रूरता के ऐसे कृत्यों में बदल जाते थे, जिन्हें किसी भी सूरत में उचित नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने चेतावनी दी कि सत्ता को केंद्रित करने, असहमति को दबाने और संविधान को दरकिनार करने का असंतोष आपातकाल के दौरान कई रूपों में फिर सामने आया था।
संजय गांधी का जबरन नसबंदी अभियान क्रूरता की पराकाष्ठा
तिरुवनंतपुरम के सांसद ने राहुल गांधी के चाचा संजय गांधी पर भी सीधा निशाना साधते हुए लिखा, “इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी ने जबरन नसबंदी अभियान चलाया, जो इसका एक कुख्यात उदाहरण बन गया। थरूर के अनुसार, यह अभियान मनमाना और क्रूर फैसला था, जिसने लोगों के जीवन पर गहरा नकारात्मक प्रभाव डाला। गरीब ग्रामीण इलाकों में, मनमाने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हिंसा और ज़बरदस्ती का इस्तेमाल किया गया. नई दिल्ली जैसे शहरों में, झुग्गियों को बेरहमी से ध्वस्त और साफ़ किया गया। हज़ारों लोग बेघर हो गए। उनके कल्याण पर ध्यान नहीं दिया गया।” शशि थरूर ने कहा कि लोकतंत्र को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। यह एक अनमोल विरासत है, जिसे निरंतर पोषित और संरक्षित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘इसे हर जगह के लोगों के लिए एक स्थायी प्रेरणा स्रोत के रूप में काम करने दें।”
आज का भारत आत्मविश्वासी, विकसित और अधिक मज़बूत
उन्होंने कहा कि आज का भारत 1975 का भारत नहीं है। आज हम अधिक आत्मविश्वासी, अधिक विकसित और कई मायनों में अधिक मज़बूत लोकतंत्र हैं। फिर भी आपातकाल के सबक चिंताजनक तरीकों से प्रासंगिक बने हुए हैं। थरूर ने चेतावनी दी कि सत्ता को केंद्रीकृत करने असहमति को दबाने और संवैधानिक सुरक्षा उपायों को दरकिनार करने का लालच कई रूपों में सामने आया था। उन्होंने कहा, “अक्सर ऐसी प्रवृत्तियों को राष्ट्रीय हित या स्थिरता के नाम पर उचित ठहराया जाता है। इस लिहाज से आपातकाल एक कड़ी चेतावनी है। लोकतंत्र के रक्षकों को हमेशा सतर्क रहना चाहिए।” थरूर ने कहा कि अक्सर ऐसे कार्यों को देशहित या स्थिरता के नाम पर उचित ठहराया जाता है। इस अर्थ में, इमरजेंसी एक चेतावनी के रूप में खड़ी है। उन्होंने निष्कर्ष में कहा कि लोकतंत्र के संरक्षकों को हमेशा सतर्क रहना होगा।
जो लिखना है लिखे, हम उसमें दिमाग नहीं लगाना चाहते-खरगे
अब कांग्रेस सासद शशि थरूर का क्या होगा? यह सवाल कांग्रेस में कई लोग पूछ रहे हैं। अभी तक कांग्रेस के कुछ प्रवक्ता थरूर पर सवाल उठा रहे थे। कोई उन्हें बीजेपी का प्रवक्ता तो कोई विदेश मंत्री बनाने की बात कह रहा था। तो कोई उन्हें अपने तथ्य ठीक करने की सलाह दे रहा था। मगर, बात अब कांग्रेस अध्यक्ष तक आ चुकी है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से जब थरूर के बारे में बार-बार सवाल पूछा गया तो उन्हें थरूर पर अपनी चुप्पी तोड़नी पड़ी। जब खरगे से पूछा गया कि थरूर सरकार की तारीफ कर रहे हैं तो कांग्रेस अध्यक्ष का जवाब था, “हमने तो पहले ही कहा कि देश का मामला है, हम सेना और सरकार के साथ हैं।” जब खरगे से पूछा गया कि थरूर सरकार की तारीफ में लिख रहे हैं तो जबाब मिला कि जिसको जो लिखना आता है, वो लिखेगा। हम उसमें अपना दिमाग नहीं लगाना चाहते… हम क्यों डरेंगे, वो क्या कह रहे हैं..वो अपनी इच्छा के अनुसार बोल रहे हैं। मेरे लिए देश का हित सबसे ऊपर है और हम उसी के अनुसार काम कर रहे हैं।थरूर का राहुल, मल्लिकार्जुन और कांग्रेस पार्टी को करारा जवाब
कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन को जवाब देने के लिए शशि थरूर ने सोशल साइट एक्स पर एक तस्वीर शेयर की। तस्वीर में एक डाल पर एक पक्षी है। उन्होंने लिखा है, ‘उड़ने के लिए किसी से पूछना नहीं होता… पंख तुम्हारे हैं, आसमान तो किसी का भी नहीं होता। इस साहित्यिक टिप्पणी के साथ ही थरूर ने एक साथ ही सबको जवाब दे दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष को भी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भी और मल्लिकार्जुन खड़गे को भी। कांग्रेस को तो साफ संदेश है, जो हो सके कर लो। कांग्रेस अपने लिए भी, और शशि थरूर के खिलाफ भी। इसका सीधा-सा भाव यही है कि शशि थरूर को अब कांग्रेस की परवाह नहीं है। ये पार्टी को तय करना है कि क्या फैसला लिया जाए।कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव में भी खरगे के खिलाफ लड़े थे थरूर
यहां बता दें कि मल्लिकार्जुन खरगे और शशि थरूर कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में आमने-सामने थे। सोनिया-राहुल ने तेजतर्जार शशि थरूर की बजाए कठपुतली अध्यक्ष बनने वाले मल्लिकार्जुन को वरीयता दी। इसलिए खरगे जीत गये और थरूर हार गए। अब खरगे की टिप्पणी पर शशि थरूर तंज भरे लहजे में ये समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि आपके पास पंख है, लेकिन आप उड़ नहीं सकते, क्योंकि कंट्रोल किसी और का है। यानी कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद भी आप वे ही कर पा रहे हैं, जो सोनिया-राहुल चाहते हैं। और दूसरी ओर ऐन इसी वक्त पर शशि थरूर ये भी जता रहे हैं कि वो अपनी मनचाही उड़ान उड़ रहे हैं। उन पर किसी का कंट्रोल नहीं है। वो भले ही निजी यात्रा पर हैं। लेकिन मोदी सरकार के एजेंडे पर चलते हुए देशहित का भी काम कर रहे हैं।शशि थरूर और पार्टी हाईकमान के बीच चल रही खींचतान छिपी नहीं
तिरुवनंतपुरम के कांग्रेस सांसद शशि थरूर और पार्टी हाईकमान के बीच चल रही खींचतान छिपी नहीं है। खरगे की टिप्पणी, थरूर की त्वतित प्रतिक्रिया और रूस की यात्रा में पाकिस्तान के खिलाफ सर्वदलीय डेलीगेशन की मुहिम को आगे बढ़ाने ने यह साफ कर दिया है कि उनके आपसी मतभेद और बढ़ने वाले हैं। इससे माना जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी में शशि थरूर के गिने-चुने दिन बच गए हैं। पहलगाम हमले के बाद कांग्रेस समेत विपक्ष पीएम मोदी सरकार से इंटेलिजेंस फेल्योर के लिए सवाल पूछ रहा था। कांग्रेस सांसद थरूर ने एक बयान दिया, हमें केवल उन हमलों के बारे में पता चलता है, जिन्हें हम विफल करने में असफल रहे। ये किसी भी देश में सामान्य बात है। इजरायल का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी देश के पास फूलप्रूफ इंटेलिजेंस नहीं होता है। केंद्र सरकार को क्लीन चिट देने वाले उनके इस बयान से कांग्रेस में खलबली मच गई। कांग्रेस के कई नेताओं ने उनकी खुली आलोचना की। ऐसे कयास लगे कि शशि थरूर अब कांग्रेस से विदाई लेने वाले हैं। दो दिन पहले थरूर ने एक बार फिर इशारा दिया कि उनका पार्टी नेतृत्व से मतभेद है, जिस पर उपचुनाव के नतीजों के बाद चर्चा करेंगे।खुर्शीद-तिवारी पर चुप्पी, बस थरूर पर जयराम और उदित राज के तंज
मोदी सरकार ने सफल ऑपरेशन सिंदूर चलाने के बाद कूटनीतिक पहल करते हुए 59 सदस्यों वाले सात प्रतिनिधिमंडल दुनिया के 33 देशों में भेजे। इनमें से एक प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई कांग्रेस नेता शशि थरूर को दी गई। थरूर के अलावा कांग्रेस की ओर से पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद, राज्यसभा सांसद आनंद शर्मा, चंडीगढ़ के सांसद मनीष तिवारी और अमर सिंह को चुना गया। इस लिस्ट में चार नाम ऐसे थे, जिसे कांग्रेस ने नॉमिनेट नहीं किया था। सलमान खुर्शीद और मनीष तिवारी भी कांग्रेस पार्टी हाईकमान की मंशा के विपरीत प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बने। मगर विवाद शशि थरूर को लेकर ज्यादा हुआ, जिन्हें पांच देशों में सांसदों के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। थरूर ने बताया कि उन्होंने यह फैसला राष्ट्रहित में लिया है। अपने इस बयान के बाद शशि थरूर एक बार फिर अपनी ही पार्टी के नेताओं के निशाने पर आ गए। जयराम रमेश ने सांसदों की लिस्ट पर आपत्ति जताते हुए थरूर को टारगेट किया। उन्होंने एक पोस्ट में तंज कसते हुए लिखा कि कांग्रेस में होना और कांग्रेस का होना, दोनों में काफी फ़र्क है। उदित राज ने भी थरूर पर ही निशाना साधा।
राहुल के अनर्गल आरोपों की शशि थरूर ने ही हवा निकाली
कांग्रेस लंबे समय से विदेश नीति को लेकर मोदी सरकार की आलोचना करती रही है। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी यह आरोप लगाती रही है कि केंद्र सरकार की कमजोर कूटनीति के कारण भारत वैश्विक मंच पर अलग-थलग पड़ रहा है। लेकिन कांग्रेस के ही सांसद शशि थरूर की इस तारीफ ने पार्टी को ही पिछले पांव पर ला दिया है। शशि थरूर के एक अखबार में लिखे लेख ने खुद उनकी पार्टी में ही हलचल मचा दी है। द हिंदू में प्रकाशित एक लेख में, थरूर ने कहा कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ अभियान में, राष्ट्रीय संकल्प और प्रभावी कम्यूनिकेशन का एक मौका था। पीएम मोदी के ऊर्जावान नेतृत्व में भारत जब एकजुट होता है, तो स्पष्टता और दृढ़ विश्वास के साथ अपनी आवाज उठा सकता है। बीजेपी प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने एक्स पर लिखा कि शशि थरूर ने मान लिया कि पीएम मोदी की वैश्विक सक्रियता और नेतृत्व भारत के लिए रणनीतिक लाभ है। थरूर ने राहुल गांधी को एक्सपोज कर दिया है।
शशि थरूर ने फिर की प्रधानमंत्री की तारीफ, कांग्रेस हुई असहज
अमेरिका जाने वाले प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए उनकी नियुक्ति की खबर के बाद से ही, कांग्रेस के कुछ नेताओं को यह रास नहीं आ रहा है। जबकि थरूर ने साफ-साफ कहा है कि देश किसी दल से ऊपर है और वे इस प्रतिनिधिमंडल में देश की बेहतरी के शामिल हुए हैं। गौरतलब है कि शशि थरूर का प्रतिनिधिमंडल उन सात सर्वदलीय भारतीय प्रतिनिधिमंडलों में से एक था, जिन्हें 33 वैश्विक राजधानियों में भेजा गया था, ताकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान की आतंकवाद में संलिप्तता के बारे में अवगत कराया जा सके। शशि थरूर ने शानदार तरीके से भारत का पक्ष रखा और आतंकवाद के आका पाकिस्तान को जमकर एक्सपोज किया। पाकिस्तान के आतंकवाद से घनिष्ठ संबंधों के बारे में भी बताया। थरूर ने आगे कहा कि प्रतिनिधिमंडलों ने दुनिया को पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की नपी-तुली सैन्य कार्रवाई को समझाया। थरूर ने इन देशों के समक्ष मोदी सरकार के ऑपरेशन सिंदूर को भी बेहद सफल, शानदार, कूटनीतिक और रणनीतिक कदम बताया।शशि थरूर की सोच ने राहुल गांधी को बेनकाब किया- भाजपा
इस बीच द हिंदू में प्रकाशित उनके लेख के बाद कांग्रेस सदमे में है। थरूर ने लिखा है कि वैश्विक मंच पर पीएम मोदी भारत के लिए “एक प्रमुख संपत्ति” है और इसे और अधिक समर्थन मिलना चाहिए। यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब कांग्रेस केंद्र सरकार पर उसकी विदेश नीति को लेकर हमला कर रही है। लेख में थरूर द्वारा कुछ मुद्दों पर अपनी पार्टी कांग्रेस से अलग रास्ता अपनाने और उसमें मतभेदों को भी उजागर किया गया है। थरूर की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कांग्रेस पर निशाना साधा। एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा, “शशि थरूर ने माना है कि पीएम मोदी की गतिशीलता और वैश्विक पहुंच भारत के लिए रणनीतिक लाभ है। शशि थरूर ने राहुल गांधी को बेनकाब किया है।”
ऑपरेशन सिंदूर राष्ट्रीय संकल्प और प्रभावी संचार का अद्भुत क्षण
अपने लेख में श्री थरूर ने कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद राजनयिक पहुंच राष्ट्रीय संकल्प और प्रभावी संचार का क्षण था। उन्होंने लिखा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऊर्जा, गतिशीलता और जुड़ने की इच्छाशक्ति वैश्विक मंच पर भारत के लिए एक प्रमुख संपत्ति बनी हुई है, लेकिन इसे और अधिक समर्थन की आवश्यकता है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद कूटनीतिक पहुंच राष्ट्रीय संकल्प और प्रभावी संचार का एक क्षण था। इसने पुष्टि की कि भारत, जब एकजुट होता है, तो अंतरराष्ट्रीय मंचों पर स्पष्टता और दृढ़ विश्वास के साथ अपनी बात रख सकता है।” दूसरी ओर हाल ही में, शशि थरूर ने पार्टी के कुछ नेताओं के साथ मतभेदों को स्वीकार किया, हालांकि इसे उन्होंने सामान्य वैचारिक असहमति बताया।
Lok Sabha MP and former Union Minister Dr. @shashitharoor writes- Lessons from Operation Sindoor’s global outreach.https://t.co/bROpQsdtsP
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— PMO India (@PMOIndia) June 23, 2025
प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी शशि थरूर के लेख को किया शेयर
प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक्स पर कांग्रेस नेता शशि थरूर के लेख को शेयर किया। लेख को शेयर करते हुए लिखा- “लोकसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. शशि थरूर लिखते हैं – ऑपरेशन सिंदूर की वैश्विक पहुंच से सबक।” वहीं भाजपा ने थरूर के लेख को लेकर कांग्रेस की आलोचना की और कहा कि यह राहुल गांधी के रुख के विपरीत है। भाजपा प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने थरूर द्वारा प्रधानमंत्री मोदी की अंतरराष्ट्रीय भागीदारी से भारत को होने वाले लाभ को मान्यता दिए जाने के बारे में एक्स पर पोस्ट किया। थरूर ने अपने लेख में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत की कूटनीतिक पहल की सराहना की, जिसे उन्होंने ‘राष्ट्रीय संकल्प और प्रभावी संवाद’ का उदाहरण बताया। थरूर ने इसे एकजुट भारत की ताकत का शानदार प्रतीक भी बताया। उन्होंने कहा कि भारत ने इस अभियान के जरिए न केवल सैन्य दृढ़ता दिखाई, बल्कि कूटनीतिक स्तर पर भी अपनी बात प्रभावी ढंग से रखी है।