किसानों की आय को दोगुनी करने और उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए मोदी सरकार ने नए कृषि सुधार कानूनों के तहत कई प्रावधान किए हैं।इसके तहत एग्रीकल्चर मार्केटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करने और मंडी से बाहर वैकल्पिक माध्यम उपलब्ध कराने पर जोर दिया गया है। हालांकि इस दिशा में प्रयास यूपीए सरकार में ही हो गया था। स्टेट एपीएमसी (स्टेट एग्री प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी) में संशोधन के लिए तत्कालीन कृषि मंत्री शरद पवार ने अगस्त 2010 और नवंबर 2011 में सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा था। दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को लिखा गया उनका एक पत्र सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है।
शरद पवार ने अगस्त 2010 में मॉडल एपीएमसी एक्ट को जरूरी बताते हुए लिखा था कि भारत के ग्रामीण इलाकों में कृषि क्षेत्रों के संपूर्ण विकास, रोजगार और आर्थिक प्रगति के लिए बेहतर मार्केट की जरूरत को बढ़ावा दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मॉडल एपीएमसी एक्ट से किसानों को अपनी उपज लाभकारी मूल्य पर बेचने के लिए बेहतर विकल्प और बाजार मिल सकते हैं।
मई 2012 में तत्कालीन कृषि मंत्री शरद पवार का राज्यसभा में एक औपचारिक जवाब दर्ज है। इसमें उन्होंने खुलकर ऐग्रिकल्चर मार्केटिंग रिफॉर्म का समर्थन किया था। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा था कि “कुछ सिफारिशें पहले ही स्वीकार की जा चुकी हैं, जैसे कृषि उपज की खरीद के उदारीकरण का प्रस्ताव… हमने सभी राज्यों के सहकारिता मंत्रियों से एपीएमसी एक्ट में संशोधन करने का अनुरोध किया है।”
एनडीटीवी से खास बातचीत में शरद पवार ने कहा था कि राज्यों को एपीएमसी में संशोधन के लिए प्रोत्सहित किया जा रहा है, ताकि किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए वैकल्पिक साधन सुलभ हो सके और निजी व सहकारी क्षेत्र की भूमिका बढ़ाई जा सके। इस दौरान शरद पवार ने कहा था कि अधिक कृषि विकास पर एक बड़ी बाधा राज्यों का एपीएमसी अधिनियम है, जो मंडी प्रणाली के बाहर लेनदेन पर प्रतिबंध लगाता है। एपीएमसी एक्ट में संशोधन से कृषि में निजी क्षेत्र के आने से कोल्ड स्टोरेज और प्रसंस्करण यूनिटों को बढ़ावा मिल सकता है।