मंदसौर में मासूम से रेप मामले में दो आरोपियों इरफान और आसिफ को गिरफ्तार किया जा चुका है। दोनों से पूछताछ जारी है। इसके लिए 8 अफसरों की एसआईटी बनाई गई है। पुलिस दोनों आरोपियों की कॉल डिटेल खंगाल रही है। पुलिस दोनों गिरफ्तार आरोपियों का एचआईवी टेस्ट करवाने जा रही है क्योंकि शक है कि ये ‘सीरियल ओफेंडर’ हो सकते हैं।
इस बीच सूबे के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी कह दिया है कि मामले की फास्ट ट्रैक अदालत में सुनवाई होगी और दोषियों को फांसी पर चढ़ाया जाएगा। हालांकि कांग्रेस पार्टी ने अपना सियासी दांव चल दिया है। पार्टी ने मांग की है कि मंदसौर मामले की जांच सीबीआई से हो।
‘वोट बैंक’ के लिए मासूम के गुनहगारों को बचाना चाहती है कांग्रेस
मध्य प्रदेश में कांग्रेस के प्रचार की कमान संभाल रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जांच की दिशा पर सवाल उठाते हुए इस घटना की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है। जाहिर है कांग्रेस अब इस मामले को टाल कर जांच में देरी करना चाहती है। इस मामले में बड़ी बात ये है कि दोनों ही आरोपियों के विरुद्ध सबूत सामने आ चुके हैं और दोनों ने ही अपना अपराध भी कबूल कर लिया है। मंदसौर मामले में जब कार्रवाई तेजी से हो रही है तो भी कांग्रेस ने सीबीआई जांच की मांग उठाकर अपने ‘वोट बैंक’ को संदेश देने की कोशिश की है। गौरतलब है कि कठुआ कांड पर जब खुद आरोपितों ने सीबीआई जांच की मांग की थी तो कांग्रेस पार्टी समेत तमाम सेक्यूलरवादियों ने इसका विरोध किया था।
Expose हुए तो बिलबिला उठे तथाकथित सेक्यूलरवादी
मंदसौर में मासूम से रेप मामले के दोनों दरिंदो मोहम्मद इरफान और मोहम्मद आसिफ को फांसी दिए जाने की मांग तेज हो रही है। लेकिन तथाकथित सेक्यूलरवादी अब इस मांग पर भड़क रहे हैं। निधि राजदान, राजदीप सरदेसाई, बरखा दत्त और निलेश मिश्रा जैसे पत्रकार कठुआ और मंदसौर जैसे मामले की तुलना को गलत करार दे रहे हैं। दरअसल ये वही लोग हैं जिन्होंने कठुआ कांड की सच्चाई जाने बिना ही नाबालिग आरोपी को फांसी पर चढ़ाने की मांग की थी। जाहिर है अब इन्हीं सेक्यूलरों का दोहरा रवैया सामने है क्योंकि मंदसौर मामले में इनमें से किसी एक ने भी दोषियों के लिए फांसी की मांग नहीं की है। इसके विपरीत इन्होंने कठुआ कांड को मंदसौर से अधिक भयावह ठहराने की कोशिश की है।
In #kathua, people asked for a CBI probe, they were demonised by people like you as ‘rape supporters’. Today @JM_Scindia asked for a CBI probe in #Mandsaur, you kept quiet. #Shame on you, it is people like @BDUTT that make a heinous crime like rape a ping-pong ball. https://t.co/0QmvKsNKwC
— Shefali Vaidya (@ShefVaidya) 30 June 2018
A town unites across religious beliefs against a rapist. Muslim community leaders have said they want the rapist hanged, he won’t find space in any graveyard. It’s a real physical pain I can feel as a daughter’s father. Hope it forces politicians to tighten the execution of laws. https://t.co/7g0lQQYMLv
— Neelesh Misra (@neeleshmisra) 30 June 2018
Those drawing a false equivalence between the horrendous rape in Mandsaur and Kathua:ALL rapes are horrific but in Kathua, MINISTERS came out in support of the accused, which is why the outrage was greater. Has any minister supported the Mandsaur accused? Stop trivialising rape
— Nidhi Razdan (@Nidhi) 30 June 2018
Kathua rape-murder took place in Jan. Most national media woke up to horror only in April when protests were held to support alleged rapists. Outrage was against protests.Has anyone backed Mandsaur rapists? So quit false equivalence and ensure swift punishment for all rapists..
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) 2 July 2018
कठुआ पर चिल्लाना और मंदसौर पर मौन के मायने समझिये
कठुआ में रेप हुआ भी था या नहीं ये साफ नहीं है। हालांकि उस वक्त देश की तथाकथित सेक्यूलर मीडिया ने झूठ फैलाया। मंदिरों तक को बदनाम किया, हिंदुओं को बलात्कारी बताया गया और पूरी दुनिया में भारत के विरुद्ध घृणा का एजेंडा चलाया गया। हालांकि तथ्य यह है कि कठुआ मामले में अब तक सब कुछ झूठ का पुलिंदा निकला है। ऐसी भी खबरें हैं कि पूरा केस ही फर्जी बनाया गया था। गौरतलब है कि उस वक्त भी कठुआ कांड के आरोपितों ने खुद ही निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई जांच की मांग उठाई थी, लेकिन इन तथाकथित सेक्यूलरवादियों ने उस मांग को खारिज कर दिया था। जाहिर है इन्होंने खुद ही साबित कर दिया है कि ये एक एजेंडा के तहत ही देश को बदनाम करने की रणनीति पर चलते हैं।
मंदसौर पर मौन साधने वाला सेक्यूलर ब्रिगेड ने रेपिस्ट में देखा था ‘धर्म’
जिस तरह से सेक्यूलर ब्रिगेड का दोहरा रवैया सामने आया है इससे साफ है कि इस देश के असली दरिंदे वही लोग हैं जो कठुआ कांड में बोलते हैं और मंदसौर पर मौन रहते हैं। ऐसे ही लोग हैं जो रेप जैसे मामलों में भी हिंदू, हिंदुस्तान, बीजेपी और आरएसएस ढूंढते हैं। दरअसल जिस दिन एक कठुआ कांड में में ‘देवी-स्थान’ और ‘हिंदू’ रेपिस्ट ढूंढा गया था उसी दिन आग से खेलने की शुरुआत हो गई थी। इन्हीं सेक्यूलर ब्रिगेड ने उसी दिन रेप को भी हिंदू-मुस्लिम में बांट दिया था।