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एससीओ शिखर सम्मेलन: प्रधानमंत्री मोदी की राष्ट्रपति शी के साथ द्विपक्षीय बैठक

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन से इतर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार, 9 जून को चीन की दो दिवसीय यात्रा पर जा रहे हैं। इस दौरान वह एससीओ के राष्ट्र प्रमुखों की 18वीं बैठक में हिस्सा लेंगे। शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे।

एससीओ शिखर सम्मेलन नौ-दस जून को शानदांग प्रांत के क्विंगदाओ में राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अध्यक्षता में होगा। एससीओ की स्थापना 2001 में रूस, चीन, किर्गीज गणतंत्र, कजाकस्तान, तजाकिस्तान एवं उजबेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने किया था। भारत एवं पाकिस्तान पिछले साल ही इसके सदस्य बने हैं। जून 2017 में भारत के इस संगठन का सदस्य बनने के बाद एससीओ का यह पहला शिखर सम्मेलन है। सम्मेलन के दौरान क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों चर्चा होने की उम्मीद है।

चीन ने जताई साथ काम करने की इच्छा
हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी सिंगापुर यात्रा के दौरान शांग्रीला संवाद में कहा था कि भारत और चीन भरोसे के साथ मिलकर काम करेंगे तब एशिया और विश्व का भविष्य बेहतर होगा। प्रधानमंत्री मोदी की सकारात्मक टिप्पणी का चीन ने स्वागत किया। इसके साथ ही चीन ने दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी सहमति को ध्यान में रखते हुए द्विपक्षीय संबंधों को बनाए रखने और गति देने के लिए भारत के साथ काम करने की इच्छा भी जताई। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनइंग ने कहा कि चीन इस सकारात्मक वातावरण में अपने द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है।

संबंधों में आएगी और मजबूती
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने अप्रैल में चीनी राष्ट्रपति के साथ अनौपचारिक मुलाकात की थी। उम्मीद की जा रही है कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी उन निर्णयों को लागू किये जाने का जायजा लेंगे जो वुहान में उनके बीच अनौपचारिक वार्ता के दौरान किये गये थे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता रवीश कुमार ने गुरुवार को नई दिल्‍ली में कहा कि सम्‍मेलन के दौरान क्षेत्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा। उन्होंने बताया कि एससीओ शिखर सम्‍मेलन का उद्देश्‍य सदस्‍य देशों के बीच मौजूदा संबंध और मजबूत करना है। श्री कुमार ने कहा कि भारत आतंकवाद से मुकाबले, सदस्‍य देशों के बीच संपर्क बढ़ाने और क्षेत्र में शांति और स्थिरता पर प्रमुख रूप से ध्‍यान केन्द्रित करेगा।

चीन ने भी माना भारत को महाशक्ति
इसके पहले जनवरी 2018 में चाइना इंस्टिट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज (सीआईआईएस) के उपाध्यक्ष रोंग यिंग ने कहा कि पिछले तीन साल से ज्यादा समय में भारत की कूटनीति काफी मजबूत हुई है। इस दौरान भारत ने एक अलग ‘मोदी डॉक्ट्रीन’ बनाई है। इसकी वजह से भारत एक महाशक्ति के तौर पर उभरा है। तभी से लग रहा था कि चीन भारत के साथ संबंधों को आगे ले जाने का इच्छुक है। 

दरअसल मोदी सरकार पर यह अब तक चीनी थिंक टैंक का अपनी तरह का पहला लेख था। सीआईआईएस के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी के तीन वर्षों के कार्यकाल के दौरान भारत और चीन के संबंधों में सधी हुई मजबूती आई है। लेख में कहा गया था कि, ‘चीन और भारत के बीच सहयोग तथा प्रतिस्पर्धा दोनों की स्थितियां हैं। चीन के लिए भारत काफी महत्वपूर्ण पड़ोसी और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में सुधार के लिए अहम साझेदार है।’ लेख में कहा गया है कि, ‘पुराने प्रशासन की तुलना में मोदी डॉक्ट्रीन ने दक्षिण एशिया में भारत के प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश की। पाकिस्तान को लेकर भारत सख्त है। मोदी सरकार को पीओके से भारत के खिलाफ काम कर रहे आतंकियों के बेस पर हमला करने में थोड़ी भी हिचकिचाहट नहीं हुई।’

दावोस में प्रधानमंत्री मोदी के भाषण की भी चीन ने की तारीफ
जनवरी महीने में ही चीन ने दावोस में विश्व आर्थिक मंच में दिए गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण का स्वागत किया था। चीन ने खुलकर प्रधानमंत्री के भाषण को सराहा। दावोस में प्रधानमंत्री मोदी ने संरक्षणवाद को आतंकवाद की तरह ही खतरनाक बताया। भाषण की प्रशंसा करते हुए चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुवा चुनयिंग ने कहा, ”हमने प्रधानमंत्री मोदी ने संरक्षणवाद के खिलाफ भाषण सुना। बयान से पता चलता है कि वैश्वीकरण समय का ट्रेंड है और यह विकासशील देशों के साथ सभी देशों के हितों को पूरा करता है। संरक्षणवाद के खिलाफ लड़ने तथा वैश्वीकरण का समर्थन करने की जरूरत है। इसके लिए चीन भारत और अन्य देशों के साथ काम करना चाहता है।’’

2017 को ‘ब्रांड मोदी’ का साल बताया
चीन की सरकारी प्रेस एजेंसी जिन्हुआ ने साल 2017 को ब्रांड मोदी का साल घोषित किया था। एजेंसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए उनकी नेतृत्व क्षमता को आकर्षित करने वाला बताया। इस लेख का शीर्षक था ‘Modi wave works magic for India’s ruling BJP in 2017’। भारत में मोदी लहर का जिक्र करते हुए इस लेख में कहा गया है कि, इस वर्ष जितने भी राज्यों में चुनाव हुए हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीजेपी के स्टार प्रचारक, भीड़ को खींचने वाले और विरोधियों के हमलों को कुंद करने वाले नेता साबित हुए हैं।

पीएम मोदी का करिश्माई नेतृत्व बेजोड़
चीनी मीडिया के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी 2014 में सत्ता में आने के बाद ज्यादातर राज्यों में सरकार बनाने में सफल हुई है। इनमें से इसी वर्ष उत्तर प्रदेश, गुजरात और हिमाचल प्रदेश में बीजेपी ने सत्ता हासिल की है। आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में नवंबर, 2016 में नोटबंदी के प्रधानमंत्री मोदी के फैसले के तुरंत बाद चुनाव हुए थे। कांग्रेस समेत सभी विपक्षी पार्टियां नोटबंदी के लिए केंद्र सरकार की आलोचना कर रही थीं, ऐसे में बीजेपी को 312 सीटों के साथ प्रचंड बहुमत मिलना, सिर्फ पीएम मोदी के करिश्मे का ही नतीजा था। उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने किसी को भी मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया था, और पूरा चुनाव प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर लड़ा गया, और ऐसे में जनता का अप्रत्याशित समर्थन दर्शाता है कि लोगों के बीच किस तरह पीएम मोदी का जादू है।

साहसिक और निर्णायक फैसले लेने वाले नेता हैं मोदी
चीनी मीडिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बीजेपी के तरकश का ऐसा हथियार करार दिया, जिसे परास्त करने का हौसला फिलहाल किसी में नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी की छवि साहसिक और निर्णायक फैसले लेने वाले नेता की है। लेख के मुताबिक पीएम मोदी ने विमुद्रीकरण का फैसला लिया, पूरे देश में एक समान कर के लिए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू किया। इतना ही नहीं पीएम मोदी ने कालेधन के खिलाफ अभियान छेड़ा है, और जिन राज्यों में बीजेपी की सरकार है वहां भ्रष्टाचार के खिलाफ जोरशोर से अभियान भी चलाया जा रहा है।

भारत बना विदेशी कंपनियों के लिए पसंदीदा जगह- चीन
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा था कि भारत विदेशी कंपनियों के लिए खूब आकर्षण बन रहा है। अखबार ने एक लेख में कहा है कि कम लागत में उत्पादन धीरे-धीरे चीन से हट रहा है। अखबार ने लिखा कि भारत सरकार ने देश के बाजार के एकीकरण के लिए जीएसटी लागू किया है। यह अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को आकर्षित करने वाला है। इस नई टैक्स व्यवस्था से मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है क्योंकि इसमें राज्य और केंद्र के विभिन्न करों को मिला दिया गया है। लेख में कहा गया है कि आजादी के बाद के सबसे बड़े आर्थिक सुधार जीएसटी से फॉक्सकॉन जैसी बड़ी कंपनी भारत में निवेश करने के अपने वादे के साथ आगे बढ़ेंगी।

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