दसवीं और बारहवीं की परीक्षा में अंकगणित और अर्थशास्त्र का प्रश्नपत्र लीक होने की पुष्टि होते ही सीबीएसई ने इन विषयों की दोबारा परीक्षा कराने की घोषणा कर दी है। प्रश्नपत्रों का लीक होना लाखों विद्यार्थियों के हित में नहीं होता, लेकिन व्यवस्था को दुरुस्त बनाए रखने और ईमानदार छात्रों के साथ कोई पक्षपात न हो, इसके लिए दोबार परीक्षा करवाना अनिवार्य हो गया।
पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के दौरान 2004-2014 के दस साल के शासन के दौरान घोटालों ने देश के सरकारी तंत्र को खोखला कर दिया। उसकी आंच परीक्षाओं को कराने वाली संस्थाओं में भी देखने को मिली। इन दस सालों में सरकारी अधिकारियों ने परीक्षाओं के प्रश्नपत्रों को लीक कराने के लिए ‘यूपीए सरकार की तरह’ ही घोटाले किए।
आइए, आपको उन पेपर लीक से जुड़े घोटालों के बारे में बताते हैं, जो यूपीए सरकार के दौरान हुए-
2011-AIEEE प्रश्न पत्र लीक में सामने आया महाघोटाला- 30 अप्रैल, 2011 को सीबीएसई ने पूरे देश में 80 शहरों के 1600 परीक्षा केन्द्रों पर इंजीनियरिंग कालेजों में प्रवेश के लिए परीक्षा आयोजित की थी, इसमें देशभर से 12 लाख विद्यार्थियों को परीक्षा देनी थी। परीक्षा से एक दिन पहले उत्तर प्रदेश में STF ने इस परीक्षा से जुड़े प्रश्नपत्र एक गिरोह से जब्त किए। अगले दिन होने वाली परीक्षा को सीबीएसई को कुछ घंटों के लिए टालना पड़ा, ताकि प्रश्नपत्रों को रातोंरात बदला जा सके। बाद में सीबीआई की छानबीन में यह बात सामने आई कि पेपर लीक के इस घोटाले को CBSE में ही विशेष परीक्षा नियत्रंक प्रीतम सिंह ने ही अंजाम दिया था। प्रीतम सिंह को 2004 में विशेष परीक्षा नियंत्रक बनाया गया था, जो लगातार सात सालों तक इसी पद पर 2011 तक बना रहा। प्रीतम सिंह 2005 से AIEEE की परीक्षा करवा रहा था। आप इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि यूपीए सरकार के दौरान परीक्षा माफिआ ने पूरे तंत्र को जकड़ लिया था।
2012- AIIMS, एमडी पेपर लीक का घोटाला- 08 जनवरी, 2012 को देश के सबसे बड़े और सम्मानित मेडिकल संस्थान में कांग्रेस की सरकार की नाक के नीचे पहली बार एमडी में प्रवेश की परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक कर दिया गया। इन प्रश्नपत्रों को संस्थान के डाक्टरों की मिलीभगत से 25-35 लाख रुपये में बेचा जा रहा था। इसके लिए डाक्टरों और दलालों का एक पूरा गैंग देश की राजधानी दिल्ली से अन्य राज्यों में संचालित किया जा रहा था।05 मार्च 2014–सीबीएसई को पेपर रद्द करना पड़ा– 05 मार्च, 2014 को सीबीएसई की बारहवीं की भौतिक विज्ञान की परीक्षा में लाखों विद्यार्थियों ने परीक्षा दी, लेकिन सीबीएसई को यह परीक्षा रद्द करके दोबारा 2 अप्रैल 2014 को करानी पड़ी। 05 मार्च को परीक्षा शुरु होने से पहले ही प्रश्नपत्र लीक होने की खबरें आ चुकी थीं, मणिपुर के एक समाचार पत्र ने तो पूरे प्रश्नपत्र को ही प्रकाशित कर दिया था। प्रश्नपत्र के लीक होने से पूरे देश के लाखों विद्यार्थियों को जबरदस्त परेशानी हुई, लेकिन सीबीएसई ने केवल मणिपुर क्षेत्र में ही दोबारा परीक्षा कराने का निर्णय लिया, क्योंकि जांच में यह बात सामने आयी कि केवल उसी क्षेत्र के प्रश्न पत्रों के तीन सेट लीक हुए थे। संयोग से इस समय भी केन्द्र में कांग्रेस की यूपीए सरकार ही थी।देश में भ्रष्टाचार और घोटालों की संस्कृति को पालने और पोसने का काम करने वाली कांग्रेस सरकार ने 2004-2014 के दस सालों के शासनकाल में भी शिक्षा क्षेत्र का बेड़ा गर्क कर दिया, जिसका खामियाजा आज भी देश भुगत रहा है।