Home चार साल बेमिसाल वर्षांत विशेषः ‘सौभाग्य’ से ‘उजाला’ तक बिजली के क्षेत्र में चमकता रहा...

वर्षांत विशेषः ‘सौभाग्य’ से ‘उजाला’ तक बिजली के क्षेत्र में चमकता रहा देश

SHARE

मोदी सरकार ने विकास के आयामों में नए अध्याय जोड़ने का सिलसिला 2018 में भी जारी रखा। आइए, एक नजर डालते हैं, इस साल बिजली के क्षेत्र में हासिल की गईं उपलब्धियों पर।   

‘सौभाग्य’ योजना से घर-घर रोशन

पीएम मोदी ने जब देश की कमान अपने हाथ में ली, तब देश के 18,000 गांव अंधेरे में डूबे थे। मोदी सरकार ने जल्द से जल्द देश के सभी गांवों और घरों तक बिजली पहुंचाने का निश्चय किया। सरकार की महत्वाकांक्षी ‘सौभाग्य’ योजना के तहत अब तक कुल 16 राज्यों में 100 प्रतिशत घरों का विद्युतीकरण हो चुका है। इतना ही नहीं, सरकार 31 मार्च, 2019 तक सभी के लिए 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। 31 दिसंबर, 2018 तक 100% घरेलू विद्युतीकरण प्राप्त करने को सुनिश्चित किया जा रहा है। 

बिजली उत्पादन की क्षमता बढ़ी, शुद्ध निर्यातक के रूप में उभरा भारत    

अप्रैल 2014 से अक्टूबर 2018 तक 1,07,000 मेगावॉट बिजली उत्पादन की क्षमता बढ़ी है। अखिल भारतीय स्तर पर उत्पादन क्षमता 2% बढ़कर 31 अक्टूबर तक 3,46,048 मेगावाट हो गई है जो 31 मार्च 2014 तक 2,48,554 मेगावॉट थी। ऊर्जा घाटा लगभग शून्य हो गया और भारत नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार को बिजली के शुद्ध निर्यातक के रूप में उभरा है। 

‘उजाला’ ने दिया किफायती बिजली का मंत्र

पीएम मोदी ने कई बार सार्वजनिक मंचों से ज्यादा बिजली खपत करने वाले बल्बों की बजाय एलईडी बल्ब इस्तेमाल करने की अपील की। किफायती एलई़डी बल्ब उपलब्ध कराने के लिए ‘उजाला’ योजना के तहत 68 करोड़ एलईडी बल्ब वितरित किए गए। साथ ही, करीब 75 लाख एलईडी स्ट्रीट लाइट लगाए गए। जिसके परिणामस्वरूप, प्रति वर्ष 16,457 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत की बचत हुई है। साथ ही, प्रति वर्ष 41.14 बिलियन किलोवाट की अनुमानित ऊर्जा की बचत हुई है।   

‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ में बढ़ी रैंकिंग

बिजली प्राप्त करने के मामले में विश्व बैंक की ईज ऑफ डूईंग बिजनेस में भारत की रैंकिंग 2018 में बढ़कर 24 हो गई, जबकि 2014 में यह 137 थी।

पूर्वोत्तर पर भी पूरा ध्यान

मोदी सरकार पूर्वी भारत के विकास पर ज्यादा ध्यान दे रही है। सरकार के इस नजरिए का असर बिजली के क्षेत्र में भी दिख रहा है। एनईआर (सिक्किम समेत) में अंतर-राज्य संचरण और वितरण प्रणाली के विकास के लिए 9865.75 करोड़ रुपये की परियोजनाएं जारी हैं। 6379 गांवों का विद्युतीकरण और 9822 गांवों के गहन विद्युतीकरण को पूरा किया गया है। 68.76 लाख एलईडी बल्ब वितरित किए, वहीं 99,895 एलईडी स्ट्रीट लाइट स्थापित की गईं।

ऊर्जा क्षेत्र में डिजिटल पहल

बिजली बिल के भुगतान को आसान बनाने के लिए डिजिटल माध्यम अपनाने पर जोर दिया जा रहा है। बीएचआईएम, बीबीपीएस, भारत क्यूआर जैसे एनपीसीआई प्लेटफार्मों के माध्यम से भुगतान को आसान बनाया गया है।पारदर्शिता लाने के लिए एक वेब पोर्टल और एक ऐप praapti.in लॉन्च किया गया है।

प्रदूषण-रहित बिजली की पहल

प्रदूषण-रहित बिजली के लिए ठोस पहल की जा रही है। थर्मल पावर प्लांट्स में बिजली उत्पादन के लिए कोयले के साथ कृषि अवशेषों के बने बायोमास पेलेट्स के उपयोग की नीति बनाई गई है। बायोमास पेलेट्स के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए, केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) ने कहा है कि बिजली उत्पन्न करने वाले कोयले आधारित थर्मल पावर प्लांट्स कोयले के साथ मुख्य रूप से कृषि अवशेषों के बने बायोमास पेलेट्स के 5-10% मिश्रण का उपयोग करने का प्रयास करेंगे।

राख के बेहतर उपयोग के लिए ‘ऐश ट्रैक’ की शुरुआत  

राख के बेहतर उपयोग के लिए फ्लाई ऐश उपयोगकर्ता और बिजली संयंत्रों को जोड़ा जा रहा है। ‘ऐश ट्रैक’ नामक एक वेब आधारित निगरानी प्रणाली और एक फ्लाई ऐश मोबाइल एप्लिकेशन शुरू किया गया है। ये प्लेटफॉर्म फ्लाई ऐश उत्पादकों (थर्मल पावर प्लांट्स) और संभावित सहायक उपयोगकर्ताओं जैसे सड़क ठेकेदारों, सीमेंट प्लांट इत्यादि के बीच इंटरफेस प्रदान करके थर्मल पावर प्लांट द्वारा उत्पादित राख के बेहतर प्रबंधन को सक्षम बनाएंगे।

Leave a Reply